कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय
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कॉर्पोरेट राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने तीसरे राष्ट्रीय जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण सम्मेलन (एनसीआरबीसी) 2025 का उद्घाटन किया


भारत वसुधैव कुटुंबकम में निहित विश्वास आधारित कॉर्पोरेट प्रबंधन को अपना रहा है: श्री हर्ष मल्होत्रा

Posted On: 03 JUL 2025 8:18PM by PIB Delhi

कॉर्पोरेट और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने 2 जुलाई को नई दिल्ली के ताज पैलेस में तीसरे राष्ट्रीय जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण सम्मेलन (एनसीआरबीसी) 2025 का उद्घाटन किया। कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के तहत स्वायत्त संस्था भारतीय कॉर्पोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) विकसित भारत के लिए ईएसजी को एकीकृत करना विषय के तहत इस दो दिवसीय प्रमुख राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर 300 से अधिक वरिष्ठ कॉर्पोरेट दिग्गजों, ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) पेशेवरों, नीति निर्माताओं और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को संबोधित किया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत विनियामक अभियोजन की व्यवस्था से विश्वास आधारित कॉर्पोरेट प्रबंधन की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण अब व्यावसायिक रणनीति के लिए परिधीय नहीं है, बल्कि आधारभूत तत्व है। उन्होंने यह भी कहा कि "भारत अब पीछे नहीं रह गया है, बल्कि यह नेतृत्व करने के लिए तैयार है।" श्री मल्होत्रा ने 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना पर विचार करते हुए कहा कि ईएसजी के लिए भारतीय दृष्टिकोण केवल 'जलवायु-प्रथम' नहीं, बल्कि 'जलवायु-प्लस' है, जो पर्यावरणीय प्रबंधन को सामाजिक समावेशन, नैतिक शासन और अंतर-पीढ़ीगत समानता से जोड़ता है।

श्री मल्होत्रा ने मंत्रालय के कई अहम सुधारों पर प्रकाश डाला, जिसमें जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश (एनजीआरबीसी), व्यावसायिक जिम्मेदारी और अनवरत रिपोर्टिंग (बीआरएसआर), डिजिटल प्रबंधन के लिए एमसीए21 संस्करण 3.0 और जन विश्वास अधिनियम के माध्यम से 180 से अधिक वैधानिक प्रावधानों को अपराधमुक्त करना शामिल है। बोर्ड की नैतिकता और क्षमता निर्माण को मजबूत करने में आईआईसीए के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि अनुपालन से हित-अहित के ज्ञान की ओर बदलाव को स्टार्टअप, एमएसएमई और सूचीबद्ध संस्थाओं सहित सभी व्यावसायिक रूपों में संस्थागत किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य श्री संजीव सान्याल ने अपने विशेष संबोधन में ऐतिहासिक और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से टिप्पणी की। उन्होंने भारत की प्राथमिकताओं को समझे बिना विकसित दुनिया से प्रेरित और प्रभावित व्यक्तिपरक ईएसजी मेट्रिक्स के अंधाधुंध आयात और अनुप्रयोग के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने मजबूत, संदर्भ-विशिष्ट और न्यायसंगत संकेतकों की आवश्यकता पर बल दिया, जो भारत की विकासात्मक प्राथमिकताओं और आकांक्षाओं को दर्शाते हैं। उन्होंने वैश्विक सूचकांकों के प्रति चेतावनी दी, जो अक्सर जमीनी और स्थितिजन्य जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण को कम आंकते हैं। उन्होंने भारत के समृद्ध भारतीय इतिहास का सम्मान करते हुए बताया कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र में पहले से ही आधुनिक ईएसजी लोकाचार के समान सिद्धांत अंतर्निहित हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत के पास नैतिक शासन और जिम्मेदार आचरण की सभ्यतागत विरासत है। उन्होंने हितधारकों से ईएसजी मार्गों को अपनाने का आग्रह किया जो न केवल अनुपालन योग्य हैं बल्कि भारत के अद्वितीय संस्थागत संदर्भ में आर्थिक और सामाजिक रूप से सुसंगत हैं।

इसके बाद, भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि सुश्री सिंथिया मैककैफ्रे ने अपने विशेष संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि ईएसजी ढांचे को परिवारों और बच्चों की असल वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, " स्वस्थ बच्चों और परिवारों के बिना ईएसजी अधूरा है।" उन्होंने व्यवसायों से अपने प्रबंधन और सामाजिक रणनीतियों को सबसे कम उम्र के और सबसे कमजोर हितधारकों के अधिकारों के साथ तालमेल बिठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास स्थिरता के सामाजिक आधारों को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कॉर्पोरेट दिग्गजों से से बाल अधिकारों, पोषण तक पहुंच, शिक्षा और सामुदायिक लचीलेपन को व्यापक जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण वास्तुकला में गहराई से एकीकृत करने का आग्रह किया।

आईआईसीए के महानिदेशक और सीईओ श्री ज्ञानेश्वर कुमार सिंह ने दूरदर्शी स्वागत भाषण दिया, जिसमें राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों में निहित स्वदेशी ईएसजी ढांचे को विकसित करने की भारत की जरूरत को दोहराया। भारत में ईएसजी ढांचे को मजबूत करने के लिए कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय और आईआईसीए की ओर से समय पर कार्रवाई शुरू करने के एक दशक लंबे इतिहास पर जोर देते हुए श्री सिंह ने कहा कि आयातित सांचा भारत के विविध व्यापार परितंत्र को दुरूस्त करने के लिए अपर्याप्त साबित होंगे। उन्होंने मजबूत, साक्ष्य-आधारित रणनीतिक मॉडल का सुझाव देते हुए कहा कि इसे स्वैच्छिक ईएसजी अनुपालन और परिवर्तन दोनों के भविष्य के परितंत्र का नेतृत्व करना चाहिए। ईएसजी साक्ष्य-आधारित अनुसंधान, नीति वकालत और लक्षित क्षमता निर्माण में आईआईसीए की केंद्रीय भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह संस्थान एक नियामक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है जहां विश्वास, जवाबदेही और नवाचार परस्पर मजबूत होते हैं।

गणमान्य लोगों और प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए, आईआईसीए में स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट की प्रमुख प्रो. गरिमा दधीच ने एनसीआरबीसी के भारत में ईसीजी को अपनाना विषय पर अपने पहले संस्करण से लेकर इस वर्ष के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने तक के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह वर्ष जागरूकता से कार्रवाई की ओर, प्रतिबद्धता से अभिसरण की ओर बदलाव का प्रतीक है, क्योंकि ईएसजी देश के व्यापक विकासात्मक विमर्श में घुल-मिल गया है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि आईआईसीए अपने स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट के जरिए जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण को मुख्यधारा में लाने, क्षेत्र-विशिष्ट ढांचे को विकसित करने और परितंत्र व्यापी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय ज्ञान और कार्रवाई केंद्र के रूप में काम करने को प्रतिबद्ध है।

उद्घाटन सत्र के बाद, सम्मेलन के पहले दिन चार उच्च-स्तरीय विषयगत पैनल आयोजित किए गए, जिसमें ईएसजी बदलाव के प्रमुख आयामों पर चर्चा की गई। पहला पैनल "बोर्डरूम में ईएसजी का उदय" भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग और राष्ट्रीय वित्तीय नियामक प्राधिकरण (एनएफआरए) की अध्यक्ष श्रीमती रवनीत कौर के मुख्य भाषण से शुरू हुआ, जिसमें महिंद्रा समूह, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड, आईसीएआई, एनएसई और ओएनजीसी के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि शामिल हुए। चर्चा में कॉर्पोरेट प्रबंधन संरचनाओं और रणनीतिक निरीक्षण में ईएसजी को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें स्थिरता उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में बोर्डों पर भरोसा जताया गया। दूसरा पैनल, "सतत वित्त: हरित भविष्य के लिए पूंजी रूपांतरण" ने पाया कि कैसे ग्रीन बॉन्ड, स्थिरता से जुड़े ऋण और प्रभाव निवेश जैसे वित्तीय साधन कम कार्बन अर्थव्यवस्था में बदलाव को संभव कर रहे हैं। सेबी, नाबार्ड, इंडिया आईएनएक्स, भारतीय बैंक संघ और सीईईडब्ल्यू के प्रतिभागियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पूंजी अब केवल तिमाही रिटर्न की बजाय दीर्घकालिक सामाजिक प्रभाव की ओर प्रवाहित होनी चाहिए। तीसरा सत्र भारत में यूरोपीय संघ के कॉर्पोरेट सामाजिक उचित परिश्रम निर्देश (सीएसडीडीडी) की प्रासंगिकता पर केंद्रित था, जहां विशेषज्ञों ने वैश्विक बाजार में पहुंच बनाए रखने के लिए भारतीय निर्यातकों और मूल्य श्रृंखला दिग्गजों को अंतरराष्ट्रीय उचित परिश्रम मानकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने की जरूरत पर चर्चा की। पहले दिन के अंतिम पैनल, विघटनकारी प्रवृत्तियों के युग में भावी कार्यबल की कल्पना ने कौशल विकास परितंत्र, शिक्षाविदों और उद्योग दिग्गजों को कार्यबल नियोजन में ईएसजी को एकीकृत करने, हरित नौकरियों के लिए कौशल बढ़ाने और गतिशील आर्थिक भविष्य के लिए समावेशी रोजगार मॉडल तैयार करने की रणनीतियों का पता लगाने का आह्वान किया।

300 से अधिक वरिष्ठ कॉर्पोरेट दिग्गजों, ईएसजी पेशेवरों, नीति निर्माताओं और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों की अहम भागीदारी और प्रख्यात विशेषज्ञों के नेतृत्व में विचारोत्तेजक विचार-विमर्श के साथ, एनसीआरबीसी 2025 के पहले दिन ने आने वाले सत्रों के लिए एक मजबूत नींव रखी। दूसरे दिन भारत के औद्योगिक आधार को डीकार्बोनाइज़ करने, क्षेत्र-विशिष्ट ईएसजी अपनाने को आगे बढ़ाने, बीआरएसआर प्रकटीकरण को वैश्विक रिपोर्टिंग ढांचे के साथ जोड़ने और लचीली तथा टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला बनाने पर आगे की चर्चा होगी। एक उच्च-स्तरीय राजनयिक पैनल जिम्मेदार और न्यायसंगत आर्थिक प्रणालियों के लिए बहुपक्षीय सहयोग पर विचार-विमर्श के लिए प्रमुख भागीदार देशों के राजदूतों के साथ जुड़ेगा। दो दिवसीय विस्तृत एजेंडे के साथ, आईआईसीए के एनसीआरबीसी 2025 का उद्देश्य, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय और यूनिसेफ इंडिया, पार्टनर्स-इन-चेंज, आईसीएआई, एसीसीए, ग्लोबल अलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रीशन (जीएआईएन), एक्सेस टू न्यूट्रिशन इनिशिएटिव (एटीएनआई), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और जिम्मेदार व्यवसाय गठबंधन (आरबीए) जैसे साझेदार संगठनों के सहयोग से, 2047 तक विकसित, समावेशी और नैतिक रूप से मजबूत देश बनने की यात्रा के अभिन्न अंग के रूप में जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण को स्थापित करना है।

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(Release ID: 2142892)
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