पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उदयपुर (राजस्थान) में जैव विविधता और जैव संसाधनों पर एक प्रदर्शनी के साथ अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2025 मनाया
'प्रकृति रक्षति रक्षिता' के भारतीय सिद्धांत से प्रेरित होकर, भारत लोगों के नेतृत्व में जैव विविधता संरक्षण को आगे बढ़ा रहा है : सचिव (पर्यावरण एवं वन मंत्रालय)
प्रविष्टि तिथि:
22 MAY 2025 6:31PM by PIB Delhi
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (आईडीबी) 2025 के अवसर पर राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनएबी), राजस्थान वन विभाग और राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड के सहयोग से आज राजस्थान के उदयपुर में राष्ट्रीय स्तर का समारोह आयोजित किया। आईडीबी 2025 का विषय 'प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास' है।
इस कार्यक्रम के साथ ही, सचिव (पर्यावरण एवं वन मंत्रालय) श्री तन्मय कुमार ने विश्व पर्यावरण दिवस 2025 से पहले 'प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना' विषय पर पखवाड़े भर चलने वाले अभियान की शुरुआत की अध्यक्षता भी की। श्री तन्मय कुमार ने जैव विविधता और जैव संसाधनों पर एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसमें अध्यक्ष (एनबीए) श्री सी. अचलेंद्र रेड्डी, महानिदेशक (वन) और विशेष सचिव (पर्यावरण एवं वन मंत्रालय) श्री सुशील कुमार अवस्थी तथा अपर सचिव, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय श्री अमनदीप गर्ग और राजस्थान सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
बारह राज्यों के जैव विविधता बोर्ड, राजस्थान के वन विभाग और गैर-सरकारी संगठनों ने स्वदेशी जैव विविधता उत्पादों, औषधीय पौधों, विभिन्न फसल किस्मों, जैव विविधता पर संरक्षण उपायों और उनके सतत उपयोग को प्रदर्शित किया। विभिन्न राज्यों के जैव विविधता प्रबंधन समिति के सदस्यों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया और गणमान्य व्यक्तियों के साथ बातचीत की। इस कार्यक्रम में लगभग 350 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें राज्य सरकार के अधिकारी, सेवारत और सेवानिवृत्त वरिष्ठ वन अधिकारी, संबंधित विभाग, संस्थान, विषय विशेषज्ञ, राजस्थान राज्य बीएमसी सदस्य, कॉलेज के छात्र, गैर सरकारी संगठन, सीबीओ आदि शामिल थे।
इस अवसर पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री तन्मय कुमार ने 2024 में कैली, कोलंबिया में आयोजित जैव विविधता पर सम्मेलन के पक्षकारों के सम्मेलन (सीबीडी-सीओपी 16) की सोलहवीं बैठक को याद किया और कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता के मसौदे (केएमजीबीएफ) को आगे बढ़ाने में भारत की सक्रिय भूमिका पर प्रकाश डाला। भारत ने सितंबर 2024 में अद्यतन राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य और 30 अक्टूबर, 2024 को सीओपी 16 के दौरान संशोधित राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना प्रस्तुत करके अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की। श्री कुमार ने वैश्विक जैव विविधता संरक्षण से संबंधित चर्चाओं को आकार देने में भारत के प्रभाव पर जोर दिया, जैव विविधता संबंधी धन की कमी को दूर करने के लिए सरल और सुधारित साधनों की वकालत की। भारत के संरक्षण के प्रयासों में 1.35 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में 89 रामसर स्थलों के साथ आर्द्रभूमि संरक्षण का विस्तार करना, तथा पारिस्थितिकी और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणालियों को प्रदर्शित करते हुए जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के अंतर्गत 49 जैव विविधता विरासत स्थलों को अधिसूचित करना शामिल है।
अपने समापन भाषण में, श्री तन्मय कुमार ने भारत के शाश्वत सिद्धांत 'प्रकृति: रक्षति रक्षिता' - प्रकृति तभी रक्षा करती है जब उसकी रक्षा की जाती है - और 'वसुधैव कुटुम्बकम' (दुनिया एक परिवार) के दर्शन से प्रेरित होकर सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया। उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस 2024 पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'एक पेड़ मां के नाम' (प्लांट4मदर) अभियान पर प्रकाश डाला, जिसके परिणामस्वरूप 142 करोड़ पेड़ लगाए गए, जिससे वैश्विक स्तर पर नागरिक जैव विविधता संरक्षण में शामिल हुए। ये प्रयास सतत विकास और वैश्विक जैव विविधता से जुड़े लक्ष्यों के प्रति भारत के समर्पण पर जोर देते हैं, जिससे भविष्य की पीढ़ियों के लिए अपनी समृद्ध प्राकृतिक विरासत का संरक्षण सुनिश्चित होता है।
कार्यक्रम के दौरान, अन्य प्रभावी क्षेत्र आधारित संरक्षण उपायों (ओईसीएम) पर एक वीडियो दिखाया गया, भारत की अद्यतन राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना (एनबीएसएपी 2024-2030) पर अंग्रेजी और हिंदी में प्रकाशनों का विमोचन किया गया, जिसमें वैश्विक प्रतिबद्धताओं के साथ तालमेल बिठाते हुए जैव विविधता संरक्षण के लिए एक व्यापक रोडमैप की रूपरेखा दी गई। साथ ही, जैव विविधता पर कन्वेंशन (सीबीडी) के लिए भारत की सातवीं राष्ट्रीय रिपोर्ट (एनआर 7) की तैयारी का विवरण देने वाली एक ब्रोशर का अनावरण, एमओईएफसीसी-आईआईसीए-एनबीए-यूएनडीपी व्यवसाय और जैव विविधता संरक्षण में प्रमाणपत्र कार्यक्रम के लिए एक प्रॉस्पेक्टस और पाठ्यक्रम, भारत के जैव विविधता विरासत स्थलों को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रह, और जैविक विविधता पर एक ब्रोशर - जैविक संसाधनों और उससे जुड़े ज्ञान तक पहुंच और लाभों के उचित और न्यायसंगत बंटवारे के नियम, 2025, सतत विकास और न्यायसंगत संसाधन साझाकरण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए भी जारी किए गए।
पृष्ठभूमि
22 मई को हर साल दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (आईडीबी) के रूप में मनाया जाता है, ताकि नागरिकों और हितधारकों के बीच जैव विविधता के संरक्षण के महत्व और आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके। वर्ष 1992 में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैव विविधता पर कन्वेंशन का मसौदा अपनाया गया था।
भारत दुनिया के 17 मेगा-विविध देशों में से एक है, जिसका क्षेत्रफल 329 मिलियन हेक्टेयर है और यह नौवां सबसे बड़ा देश है। भारत अपनी समृद्ध जैविक विविधता के लिए जाना जाता है और दस जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में जानवरों की 1,00,000 से अधिक प्रजातियां और पौधों की 55,000 प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत पारंपरिक और स्वदेशी ज्ञान में भी समृद्ध है, दोनों ही भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के प्राचीन ग्रंथों में उल्लिखित हैं।




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एमजी/केसी/एसकेएस/एसवी
(रिलीज़ आईडी: 2130628)
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