कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में 29 मई से देशव्यापी ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का होगा शुभारंभ
विकसित भारत के लिए विकसित कृषि, विकसित खेती व समृद्ध किसान जरूरी- केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान
कृषि मंत्रालय व आईसीएआर की पहल से देशभर के किसानों तक पहुंचेगी शोध व तकनीक की जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लैब टू लैंड’ का संकल्प पूरा करने की दिशा में प्रभावी कदम– श्री चौहान
खरीफ और रबी दोनों फसलों की बुआई से पहले हर साल चलेगा अभियान- केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह
2,170 टीमें 65 हजार से अधिक गांवों में किसानों से सीधा संवाद करेगी- शिवराज सिंह
Posted On:
19 MAY 2025 2:37PM by PIB Delhi
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में संवाददाता सम्मेलन में 29 मई से प्रारंभ होने वाले देशव्यापी “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के बारे में विस्तार से जानकारी दी, साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत के निर्माण का अभियान चल रहा है और विकसित भारत के लिए विकसित कृषि, विकसित खेती और समृद्ध किसान जरूरी है। आज भी कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लगभग आधी आबादी के रोजगार का साधन है और इससे भी आगे बढ़कर देश की खाद्य सुरक्षा का आधार है।

मीडिया से चर्चा में केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय का उद्देश्य देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। लगभग 145 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में सबको भरपूर खाद्यान मिले सब्जियां व फल की उपलब्धता भी हों, किसानों की आजीविका ठीक चले, मतलब कृषि फायदे का धंधा बने और खाद्यान तो मिले लेकिन पोषणयुक्त हो, उसका प्रयत्न करना और हमारे प्राकृतिक संसाधन हैं, उनका संरक्षण करना, उनका ऐसा उपयोग करना कि वो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खाद्यान, फल-सब्जियां उत्पन्न करते रहें। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए हमारी छह सूत्रीय रणनीति है- एक उत्पादन बढ़ाना, दूसरा- उत्पादन लागत घटाना, तीसरा- उत्पादन के ठीक दाम देना, चौथा- प्रकृतिक आपदाओं में नुकसान हो जाएं तो भरपाई करना पांचवां- कृषि का विविधीकरण, उसके साथ-साथ वैल्यू एडिशन, फूड प्रोसेसिंग बाकी सारी चीजें और एक बहुत महत्वपूर्ण काम है- प्राकृतिक खेती, जैविक खेती बढ़ाने की दिशा में सोचना।

श्री शिवराज सिंह ने उत्पादन बढ़ने के बारे में कहा कि समग्र देंखे तो खरीफ चावल 1206.79 लाख मीट्रिक टन, गेहूं 1154.30 लाख मीट्रिक टन, खरीफ मक्का 248.11 लाख मीट्रिक टन, मूंगफली 104.26 लाख मीट्रिक टन और सोयाबीन 151.32 लाख मीट्रिक टन, इस साल का ये उत्पादन है अब तक का सबसे अधिक उत्पादन है जोकि एक रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि हमारा उत्पादन बढ़ रहा है, इसलिए अन्न के भंडार भरे हैं, लेकिन हम यहां रूकना नहीं चाहते, हम अपने देश की जरूरत पूरी करेंगे और भारत चूंकि विश्वबंधु भी है तो कई देशों को भी मदद करेंगे। और, हमारा सपना और संकल्प एक दिन भारत को फूड बास्केट आफ वर्ल्ड बनाना है, इसलिए हम लोगों ने तय किया है कि खरीफ फसल के लिए हम सारे संस्थानों को, जो कृषि उत्पादन बढ़ाने व लागत घटाने के लिए काम कर रहे हैं, उन सभी को एक साथ लाकर एक दिशा में ले जाएं। अब ICAR के 113 संस्थान हैं, जिनमें इस अभियान के माध्यम से बेहतर कॉर्डिनेशन होगा। राज्य सरकार अपने प्रयत्न करती है, केंद्र सरकार की अपनी योजनाएं है, यूनिवर्सिटी अपना काम करती है, हमने तय किया-इन सभी को जोड़कर एक दिशा में ले चलना है।

केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि 2023-24 में कुल खाद्यान उत्पादन का उत्पादन खरीफ में 1557.68 लाख टन था, जो 2025-25 में 1663.91 लाख टन हो गया, वहीं रबी का हमारा उत्पादन 2023-24 में 1600.06 लाख टन था, जो अब 1645.27 लाख टन हो गया है। कुल मिलाकर, खाद्यान उत्पादन एक साल में 3157.74 से बढ़कर 3309.18 लाख टन हो गया है, अगर दालें भी इसमें जोड़ दी जाएं तो दालों का जो कुल उत्पादन है, वो भी 221.71 से बढ़कर 230.22 लाख टन हो गया और तिलहन भी इसमें जोड़े जाएं, तो तिलहनी फसलें वो भी 384 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 416 लाख मीट्रिक टन हो गई है।
श्री शिवराज सिंह ने कहा कि पिछले दिनों हमने खरीफ कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें कई राज्यों के कृषि मंत्री आए थे और हमने तय किया कि इस साल खरीफ की फसल के लिए हम विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाएंगे। अभी लगभग 16 हजार वैज्ञानिक रिसर्च के काम में लगे हुए हैं, लेकिन वर्तमान स्थितियों के अनुसार किसानों के लिए इसकी उपयोगिता प्रतिपादित होना चाहिए, इसलिए हमने तय किया कि मांग आधारित रिसर्च होनी चाहिए, हमने इस अभियान की रूपरेखा बनाई, जिसमें वैज्ञानिकों की 2170 टीमें बनाई जा रही हैं, इन टीमों में कम से कम 4 वैज्ञानिक हरेक टीम में होंगे, इनके साथ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को भी जोड़ेंगे। यूनिवर्सिटी, कॉलेज, राज्य सरकार का अमला, केंद्र की कृषि विभाग की टीम, प्रगतिशील किसान, FPO's आदि, ये सब मिलकर टीम के रूप में जिलों में जाएंगे और गांवों में पहुंचकर वहां आसपास के गांवों से भी किसानों को एकत्र कर 29 मई से 12 जून तक रोज सुबह-शाम व दोपहर के भोजन के समय भी किसानों से संवाद करेंगे।
केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने बताया कि जिस जगह पर टीमें जाएंगी, वहां की एग्रो क्लाईमेटिक कंडीशन क्या है, वहां मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं, किन की कमी है, पानी कितना है, वर्षा कितनी होती है, जलवायु कैसी है, मिट्टी की गुणवत्ता/सॉइल हेल्थ कार्ड बना है, लेकिन यदि किसान उसका उपयोग नहीं कर रहे तो सॉइल हेल्थ कार्ड में जो मिट्टी में तत्व हैं जिनकी कमी है उसके आधार पर यहां कौन-से बीज किस फसल के अच्छे रहेंगे, कौन-सी फसल ठीक होगी, वो किसानों को बताया जाएगा, किस पद्धति से बोवनी की जाएं ये भी टीम बताएगी, कौन-सा खाद कितनी मात्रा में डाला जाए, ये भी बताएंगे। कई बार जिस चीज की जरूरत नहीं है, वो भी किसान डालते रहते हैं, DAP, यूरिया जितनी जरूरत है, उससे ज्यादा हो जाता है तो खर्च बढ़ता है व मिट्टी का स्वास्थ्य भी खराब होता है, तो सारे वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर किसानों को जानकारी देंगे, ये संवाद के रूप में होगा।
श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हमेशा कहते हैं लैब टू लैंड यानि लैब से खेतों तक शोध पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जय अनुसंधान का नारा दिया है। लैब और विज्ञान किसानों के द्वार जायेगा। जिससे हम कृषि के उत्पादन को बढ़ायेंगे और लागत को भी घटायेंगे। इससे कृषि शोध की दिशा भी तय करेंगे। यह एक रचनात्मक अभियान है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक ग्यारह महीने लैब में और एक महीने किसानों के पास जाकर कार्य करेंगे। खरीफ और रबी दोनों फसलों की बुआई से पहले प्रत्येक वर्ष यह अभियान चलेगा।
श्री शिवराज सिंह ने बताया कि किसान टीमों से सवाल पूछेंगे और समस्याएं भी बताएंगे और किसान जो बताएंगे, उसके आधार पर हम रिसर्च की दिशा भी तय करेंगे कि क्षेत्र के किसानों की ये समस्या है, ये दिक्कत आ रही है, इन कीटों का प्रकोप होता है तो उससे बचने के लिए क्या करें। ये अभिनव, महत्वपूर्ण, रचनात्मक अभियान है, इसमें किसान व विज्ञान दोनों जुड़ेंगे। 731 कृषि विज्ञान केंद्रों व ICAR के 113 संस्थानों के वैज्ञानिक-विशेषज्ञ सक्रिय रूप से भाग लेंगे। अभियान 723 जिलों में चलाया जाएगा। प्रत्येक जिले के लिए 3 टीमों का गठन किया गया है, जिसमें कृषि, बागवानी, पशुपालन, मछली पालन आदि विभागों के अधिकारी, वैज्ञानिक एवं नवोन्मेषी किसान भी शामिल हैं। 2,170 टीमें 65 हजार से अधिक गांवों में किसानों से सीधा संवाद करेगी। अभियान में 1.30 करोड़ से अधिक किसानों से सीधा संवाद होगा, जो देश में कृषि नवाचार और जागरूकता को नई दिशा देगा।
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पीएसएफ/केएसआर/एआर
(Release ID: 2129593)