विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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जीनोमइंडिया


भारत सरकार इस राष्ट्रीय आनुवंशिक संसाधन से जुड़े ज्ञान को सभी को उपलब्ध कराकर और प्रसारित करके सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है

सरकार हमारे शोधकर्ताओं द्वारा जीनोमइंडिया डेटा तक निष्पक्ष और न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है

Posted On: 30 APR 2025 5:28PM by PIB Delhi

केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्तपोषित ‘जीनोमइंडिया’ ने देश भर में सभी प्रमुख जनसंख्या समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले 10,000 से अधिक व्यक्तियों का संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (डब्ल्यूजीएस) डेटाबेस तैयार कर लिया है। जीनोमइंडिया डेटा वैज्ञानिक जांच के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और यह भारत एवं उसके बाहर स्वास्थ्य और विज्ञान को नया आकार देने, इस राष्ट्रीय आनुवंशिक संसाधन ज्ञान को सभी को उपलब्ध और प्रसारित करके सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है।

आईबीडीसी की स्थापना, बायोटेक प्राइड दिशानिर्देश जारी करने, फीड प्रोटोकॉल तैयार करने, आईबीडीसी में जीनोम इंडिया डेटा के स्थानांतरण और भंडारण की दिशा में विभाग द्वारा की गई परिणामोन्मुखी कुल सक्रिय कार्रवाइयां; इसके बाद देश के शीर्ष नेतृत्व द्वारा की गई घोषणाएं इस बात का संकेत देती हैं कि सरकार इस डेटा को हमारे शोधकर्ताओं के साथ साझा करने के लिए दृढ़ संकल्प है, ताकि जैविक विज्ञान में खोजों और प्रगति में तेजी लाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारियों का विश्लेषण किया जा सके।

देश में पहली बार, विभाग ने मार्च 2020 में 2912 सीपीयू, 39 टीबी रैम, 64 जीपीयू का उपयोग करके 865 टीएफ कंप्यूटिंग क्षमता, 4 पीबी समानांतर फाइल सिस्टम का उपयोग करके 96 टीएफ कंप्यूटिंग क्षमता के साथ भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) की स्थापना की है, जिसमें हर सेकंड 100 जीबी डेटा लिखने की क्षमता और डेटा की बैकअप कॉपी स्टोर करने के लिए 1.5 पीबी डिस्क और टेप है। विभाग ने बायोटेक-प्राइड दिशा-निर्देश, 2021 जारी किए हैं, जिसके बाद जिम्मेदार डेटा शेयरिंग के लिए ‘डेटा एक्सचेंज (एफईईडी) प्रोटोकॉल के लिए रूपरेखा’ तैयार की गई है।

9 जनवरी 2025 को ‘जीनोमिक्स डेटा कॉन्क्लेव’ के दौरान, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘जीनोमइंडिया डेटा’ शोधकर्ताओं को समर्पित किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह राष्ट्रीय डेटाबेस भारत के असाधारण आनुवंशिक परिदृश्य को समाहित करता है और यह मानव स्वास्थ्य के लिए आनुवंशिक एवं चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक अमूल्य वैज्ञानिक संसाधन के रूप में काम करेगा। इसके अलावा, 25 जनवरी, 2025 की शाम को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान, भारत की राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि जीनोमइंडिया परियोजना भारतीय विज्ञान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

विभाग ने जीनोमइंडिया डेटा का उपयोग करके ट्रांसलेशनल रिसर्च (सार्थक शोध) के अवसरों का दोहन करने के लिए शोधकर्ताओं से ‘प्रस्तावों के लिए आह्वान’ की भी घोषणा की। शोधकर्ताओं के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए, विभाग ने शोध के लिए उपलब्ध डेटा के प्रकार और श्रेणी का उल्लेख करने वाला परिशिष्ट जारी किया, जो अनुसंधान के लिए उपलब्ध होगा और साथ ही "संबद्ध फेनोटाइप डेटा" भी साझा किया जाएगा।

यह स्पष्ट किया जाता है कि जीनोमइंडिया डेटा तक पहुंच 'कॉल' तक सीमित नहीं है, बल्कि बायोटेक प्राइड (पीआरआईडीई) दिशानिर्देशों और एफईईडी प्रोटोकॉल के दायरे में, आईबीडीसी द्वारा डेटा तक पहुंच के लिए स्वतंत्र अनुरोध प्राप्त किए जा रहे हैं।

आज की तारीख में, जीनोमइंडिया परियोजना के तहत उत्पन्न इस राष्ट्रीय संसाधन में 9772 नमूनों की फास्टक्यू फाइलें (~700 टीबी), जीवीसीएफएस: 9772 (~35 टीबी), 9330 नमूनों से फेनोटाइपिक डेटा और संयुक्त कॉल फाइलें (~3.5 टीबी) शामिल हैं और इसे राष्ट्रीय रिपॉजिटरी आईबीडीसी में संग्रहीत किया गया है।

एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों में से एक में उल्लिखित फेनोटाइप डेटा के मुद्दे के बारे में संक्षेप में, यहां बताया गया है कि 9772 नमूनों पर फेनोटाइपिक डेटा का संरक्षण (क्यूरेशन) और सफाई (क्लीनिंग) की गई थी, जो डब्ल्यूजीएस से गुजरे थे और संयुक्त कॉलिंग में उपयोग किए गए थे। इन 9772 नमूनों में से, 9330 नमूनों के फेनोटाइपिक डेटा का उपयोग किया जा सका क्योंकि शेष नमूनों (संख्या 442) के लिए उपलब्ध डेटा उपयोग करने योग्य नहीं था। कई फेनोटाइपिक मापदंडों में बहुत अधिक स्तर की कमी थी, इसलिए 9330 नमूनों के प्रमुख 27 वैरिएबल्स के डेटा शोध के लिए उपलब्ध है। ये 27 वैरिएबल एल्ब्यूमिन, एल्केलाइन फॉस्फेट, एएलटी एसजीपीटी, एएसटी एसजीओटी, बेसोफिल्स, कोलेस्ट्रॉल, क्रिएटिनिन, डायरेक्ट बिलीरुबिन, ईओसिनोफिल्स, एफबीएस (फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज), एचबी हीमोग्लोबिन, एचबीए1सी ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन, एचडीएल, इनडायरेक्ट बिलीरुबिन, एलडीएल, लिम्फोसाइट्स, एमसीएच (मीन कॉर्पसकुलर एचबी), मोनोसाइट्स, न्यूट्रोफिल्स, प्लेटलेट काउंट, प्रोटीन, आरबीसी (रेड ब्लड सेल) काउंट, आरबीएस, टोटल बिलीरुबिन, ट्राइग्लिसराइड्स, यूरिया, डब्ल्यूबीसी  (टोटल व्हाइट ब्लड सेल) काउंट हैं। आयु, लिंग, ऊंचाई, वजन, शारीरिक वसा जैसे एंथ्रोपोमेट्री डेटा भी उपलब्ध हैं।

इसके अलावा, कुछ समाचारों ने फास्टक्यू (एफएएसटीक्यू) फाइलों के लिए ‘नो एक्सेस’ बनाने के बारे में भी चिंता जताई है। यहां यह उल्लेख करना उचित है कि फास्टक्यू फाइलों का कुल आकार लगभग 700 टीबी है। इन फाइलों को स्थानांतरित करने की तार्किक और तकनीकी चुनौतियां बहुत बड़ी हैं। अनुरोधकर्ताओं द्वारा डाउनलोड की पूर्णता और सटीकता सुनिश्चित करना कठिन है। रॉ अनुक्रमण (सीक्वेंसिंग) फाइलों का विश्लेषण करने के लिए अक्सर दो से तीन गुना अधिक कम्प्यूटेशनल क्षमता की आवश्यकता होती है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर अनावश्यक वर्कफ्लो और क्षीण बुनियादी ढांचा होता है। इसके बजाय जीवीसीएफ फाइलों (जो लगभग 35 टीबी के बराबर है) तक समान पहुंच प्रदान करके, डेटा को अधिक तेजी से साझा किया जा सकता है और कम्प्यूटेशनल संसाधनों का संरक्षण किया जा सकता है। 2 दशकों से अधिक समय से स्थापित अंतरराष्ट्रीय अग्रणी डेटा बैंक भी डेटा डाउनलोड करने की अनुमति नहीं देते हैं; डेटा उनके क्लाउड प्लेटफॉर्म द्वारा प्रदान किया जाता है। इसलिए, विभाग के ‘कॉल’ में फास्टक्यू फाइलों तक ‘नो एक्सेस’ का अर्थ है कि ये फाइलें वर्तमान में डाउनलोड के लिए उपलब्ध नहीं होंगी। यह नीति अन्य वैश्विक संघों के अनुरूप है। जैसे-जैसे भविष्य में आईबीडीसी का विकास और विस्तार होगा, इसी प्रकार के प्रावधान इसमें शामिल किए जा सकते हैं।

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