इस्पात मंत्रालय
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस्पात क्षेत्र को "भारत के विकास की नींव" और "परिवर्तन की कहानी" लिखने वाला क्षेत्र बताया
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24 APR 2025 8:27PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री मोदी ने “इंडिया स्टील 2025” में मौजूद एक सभा को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह आयोजन नए विचारों को साझा करने, भागेदारी बढ़ाने बनाने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक नया लॉन्च पैड साबित होगा। उन्होंने कहा, "यह आयोजन इस्पात उद्योग में एक नए अध्याय की नींव बनेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में इस्पात की भूमिका एक कंकाल की तरह रही है। चाहे गगनचुंबी इमारतें हों, राजमार्ग हों, हाई स्पीड ट्रेनें हों, स्मार्ट सिटी हों, औद्योगिक गलियारे हों... हर सफलता की कहानी इस्पात की ताकत से समर्थित है।" उन्होंने कहा कि देश 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए कदम उठा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, "इस लक्ष्य को हासिल करने में इस्पात उद्योग अहम भूमिका निभाएगा। हमें गर्व है कि भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात का उत्पादन करने वाला देश है।" उन्होंने रेखांकित किया कि कैसे उनकी सरकार ने 2030 तक 3 मिलियन टन इस्पात उत्पादन की परिकल्पना करते हुए इस्पात नीति तैयार की। वर्तमान में इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत 98 किलोग्राम है, जिसके 2030 तक बढ़कर 160 किलोग्राम होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, “इस्पात की खपत में वृद्धि देश के विकास, इसकी दक्षता और प्रभावशीलता की दिशा का संकेत देती है। इस्पात उद्योग नई उम्मीदों और विचारों से भरा हुआ है। आज देश के पास पीएम गति शक्ति और राष्ट्रीय मास्टरप्लान का आधार है और इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे विभिन्न उपयोगिता सेवाओं और रसद नोड्स को पीएम गति शक्ति के तहत एकीकृत किया गया। इसी तरह, विभिन्न खदान क्षेत्रों और इस्पात इकाइयों की मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए मैपिंग की जा रही है।“
प्रधानमंत्री ने कहा, “यही कारण है कि सरकारी पहलों का इस्पात की खपत में सबसे बड़ा हिस्सा है। सरकार की इस्पात नीति अन्य उद्योगों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में सक्षम निभा रही है। हमारे विनिर्माण, निर्माण और ऑटोमोबाइल क्षेत्र इस्पात उद्योग से ताकत हासिल कर रहे हैं। सरकार ने राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन की घोषणा करके मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने की कोशिश की है। यह मिशन छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों को बढ़ावा देगा और इस्पात उद्योग के लिए नए रास्ते खोलेगा।"
श्री मोदी ने कहा, "हम देश में आधुनिक और बड़े जहाज बनाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि दुनिया के दूसरे देश भी भारत में बना इस्पात खरीदें। इसी तरह, देश में पाइपलाइन, ग्रेड इस्पात और संक्षारित पंजीकृत मिश्र धातुओं की मांग भी बढ़ रही है। आज देश में रेलवे के बुनियादी ढांचे पर भी तेजी से विकास हो रहा है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी सभी जरूरतों के लिए एक लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमारा हम 25 मिलियन टन इस्पात निर्यात करने का लक्ष्य बना रहा है। हम 2047 तक अपनी क्षमता को 500 मिलियन टन तक पहुंचाने के लिए भी काम कर रहे हैं। लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि हमारा इस्पात क्षेत्र नई प्रक्रियाओं, नई वृद्धि और नए पैमाने के लिए तैयार हो। हमें भविष्य को ध्यान में रखते हुए स्वयं को अपडेट करना होगा।"
उन्होंने कहा, "इस्पात उद्योग की विकास क्षमता में रोजगार सृजन की अनंत संभावनाएं हैं। मैं निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों से नए विचार विकसित करने, उन्हें पोषित करने और उन्हें साझा करने की अपील करता हूं। हमें विनिर्माण में आधुनिक प्रौद्योगिकी उन्नयन में एक साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। हमें देश के युवाओं के लिए अधिक से अधिक नए रोजगार के अवसर सृजित करने होंगे। इस्पात उद्योग की विकास यात्रा में कुछ चुनौतियां हैं और आगे बढ़ने के लिए उन्हें हल करना आवश्यक है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि वैश्विक भागीदार और भारतीय कंपनियां मिलकर इस दिशा में काम करें, तो विभिन्न चुनौतियों का तेजी से समाधान हो सकेगा।
पिछले 10 वर्षों में देश ने खनन के क्षेत्र में बहुत तरक्की की है। उन्होंने ग्रीन फील्ड माइनिंग में तेजी लाने पर बल देते हुए कहा, "अब यह बहुत जरूरी है कि इन आवंटित खदानों और देश के संसाधनों का सही तरीके से और समय पर इस्तेमाल किया जाए। इसमें जितनी देरी होगी, देश को उतना नुकसान होगा और उद्योग को भी नुकसान होगा।"
केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री श्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने कहा, "इस्पात उद्योग भारत के आर्थिक विस्तार का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2 प्रतिशत का योगदान देता है। जैसे-जैसे हम 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, बुनियादी ढांचे, विनिर्माण और निर्यात में इस क्षेत्र की भूमिका अपरिहार्य होती जाएगी। इस्पात में प्रत्येक निवेश संबद्ध उद्योगों में एक लहर प्रभाव को बढ़ावा देता है, जिससे हमारी आर्थिक नींव और विनिर्माण उत्कृष्टता सुदृण होती है।"
छत्तीसगढ़ के वाणिज्य एवं उद्योग और श्रम मंत्री श्री लखन लाल देवांगन ने भारतीय इस्पात उद्योग में अपने राज्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, "छत्तीसगढ़ लंबे समय से भारत के इस्पात उद्योग की रीढ़ रहा है, जिसने देश की उत्पादन क्षमता और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इंडिया स्टील 2025 हमारे राज्य की अपार क्षमता को प्रदर्शित करने का एक समयोचित मंच है - न केवल एक अग्रणी इस्पात उत्पादक क्षेत्र के रूप में, बल्कि हरित विनिर्माण और मूल्यवर्धित इस्पात उत्पादों के लिए एक उभरते हुए केंद्र के रूप में भी। पीएम गति शक्ति कार्यक्रम, राष्ट्रीय इस्पात नीति और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं जैसी केंद्र सरकार की पहलों के मजबूत समर्थन से छत्तीसगढ़ तेजी से अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है, नए निवेश आकर्षित कर रहा है और कुशल रोजगार के अवसर सृजित कर रहा है।"
इस्पात मंत्रालय में सचिव श्री संदीप पोंड्रिक ने भारतीय इस्पात उद्योग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "पिछले चार वर्षों से भारत डबल डिजिट के साथ विकास कर रहा है, शायद यह एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था है जो इस दर से बढ़ रही है। हम न केवल बढ़ रहे हैं, बल्कि हम निकट भविष्य में भी बढ़ते रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह वृद्धि इस्पात की बढ़ती खपत के कारण हो रही है। पिछले 10 वर्षों में हमने खपत को दोगुना कर दिया है और यही कारण है कि इस्पात उद्योग एक सकारात्मक पक्ष देख रहा है। एक अन्य कारक यह है कि हमारी प्रति व्यक्ति खपत बढ़ रही है- हमने प्रति व्यक्ति खपत 100 किलोग्राम को पार कर लिया है और हम अगले 4/5 वर्षों में प्रति व्यक्ति खपत 160 किलोग्राम को पार करने की उम्मीद कर रहे हैं।“
भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (एसएआईएल) के अध्यक्ष श्री अमरेंदु प्रकाश ने इंडिया इस्पात 2025 के महत्व पर रोशनी डालते हुए कहा, "इंडिया स्टील 2025 सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं है - यह एक रणनीतिक मंच है, जो वैश्विक इस्पात परिदृश्य में भारत के बढ़ते कद को रेखांकित करता है। जैसे-जैसे हम अपनी क्षमताओं को मजबूत करना और अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार करना जारी रखेंगे, इंडिया स्टील जैसे मंच अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ जुड़ने, हमारी प्रौद्योगिकी संबंधी प्रगति को प्रदर्शित करने और इस्पात के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करने का सही अवसर प्रदान करते रहेंगे।"
फिक्की के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और आरपीजी समूह के उपाध्यक्ष श्री अनंत गोयनका ने कहा, "इस्पात उद्योग आज कई राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। इसकी वृद्धि विनिर्माण, औद्योगिक और आर्थिक विकास पर गुणक प्रभाव उत्पन्न करती है। इस्पात उद्योग के विकास का समर्थन करने के लिए क्षमता वृद्धि, डंपिंग, लागत प्रतिस्पर्धात्मकता और हरित इस्पात में परिवर्तन के दौरान डीकार्बोनाइजेशन के आसपास नियामक दबाव के वित्तपोषण जैसी कुछ चुनौतियों को संबोधित करना आवश्यक है।“
विश्व इस्पात संघ के महानिदेशक डॉ. एडविन बैसन ने कहा, "भारत दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक और उपयोगकर्ता है, जिसका अर्थ है कि भारत में जो कुछ भी होता है, वह वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण है और वैश्विक इस्पात उद्योग के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह एक विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति का संकेत है। इस्पात उद्योग एक सक्षम उद्योग है, इस्पात उद्योग में उत्पन्न आय के प्रत्येक 1 अमेरिकी डॉलर के लिए, आर्थिक प्रणाली में कहीं और 5 अमेरिकी डॉलर उत्पन्न होते हैं।“
उन्होंने इस्पात उद्योग की प्रमुख चुनौतियों जैसे कि समान प्रतिस्पर्धी अवसर बनाए रखना, डीकार्बोनाइजेशन और मानव संसाधन चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन सभी चुनौतियों से निपटने में भारत एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
अब जब भारत दुनिया का दुनिया दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बन चुका है, ऐसे में इंडिया स्टील 2025 घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण संगम बिंदू है, जहां वे निवेश के अवसरों का पता लगा सकते है, साझेदारियां बना सकते है और भारत की आर्थिक वृद्धि में इस्पात उद्योग के योगदान को तेज कर सकते है।
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