कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
संसद प्रश्न: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का कार्यान्वयन
Posted On:
03 APR 2025 4:29PM by PIB Delhi
आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2(एच)(डी) के अनुसार, कोई भी प्राधिकरण या निकाय या स्वशासन की संस्था जो उपयुक्त सरकार द्वारा जारी अधिसूचना या आदेश द्वारा स्थापित या गठित की गई हो, जिसमें कोई भी (i) स्वामित्व वाली, नियंत्रित या पर्याप्त रूप से वित्तपोषित निकाय शामिल है; (ii) गैर-सरकारी संगठन जो पर्याप्त रूप से, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उपयुक्त सरकार द्वारा प्रदान की गई निधियों द्वारा वित्तपोषित है, को सार्वजनिक प्राधिकरण माना जाता है।
आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों को लागू करना आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2(एच) के तहत स्थापित प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण का उत्तरदायित्व और जिम्मेदारी है। वे आरटीआई अधिनियम की धारा 4(1)(बी) के तहत स्वप्रेरणा/सक्रिय प्रकटीकरण करने और समय-समय पर सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए भी बाध्य हैं।
इस संबंध में, सरकार ने दिनांक 15.04.2013 को जारी कार्यालय ज्ञापन संख्या 1/6/2011-आईआर, जिसे 07.11.2019 को दोहराया गया, के माध्यम से आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 4 के तहत स्वप्रेरणा प्रकटीकरण के कार्यान्वयन पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए ।
उपर्युक्त दिशा-निर्देशों के पैरा 4.5 में प्रावधान है कि केन्द्रीय सूचना आयोग को प्रत्येक मंत्रालय/सार्वजनिक प्राधिकरण के लिए तीसरे पक्ष की लेखापरीक्षा रिपोर्ट की जांच करनी चाहिए तथा संबंधित मंत्रालयों/सार्वजनिक प्राधिकरणों को सलाह/सिफारिशें देनी चाहिए।
इसके अलावा, आरटीआई अधिनियम की धारा 25(5) के अनुसार, यदि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) को लगता है कि किसी सार्वजनिक प्राधिकरण का व्यवहार इस अधिनियम के तहत अपनी कार्यपद्धति के संबंध में इस अधिनियम के प्रावधानों या भावना के अनुरूप नहीं है, तो वह प्राधिकरण को ऐसे कदमों को निर्दिष्ट करते हुए सिफारिश दे सकता है, जो उसकी राय में ऐसी अनुरूपता को बढ़ावा देने के लिए उठाए जाने चाहिए। आरटीआई अधिनियम की धारा 12(1) के तहत स्थापित सर्वोच्च न्यायिक निकाय होने के नाते सीआईसी आरटीआई अधिनियम के तहत किसी अन्य प्राधिकरण के निर्देशों के अधीन हुए बिना स्वायत्त रूप से कार्य करता है।
इसके अलावा, आरटीआई अधिनियम की धारा 18-20 के अनुसार, सीआईसी के पास शिकायतों की जांच करने और अपीलों पर निर्णय लेने के लिए पर्याप्त शक्तियां हैं, जिनमें स्वयं को सार्वजनिक प्राधिकरण न होने का दावा करने वाले किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण से संबंधित शिकायतें भी शामिल हैं।
यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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(Release ID: 2118420)
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