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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा का जवाब दिया, चर्चा के बाद सदन ने विधेयक पारित किया


मोदी जी के नेतृत्व में आपदा प्रबंधन में भारत आज एक Global Leader बन चुका है

मोदी सरकार रिएक्टिव की जगह प्रोएक्टिव अप्रोच और मिनिमम कैज़ुअल्टी की जगह जीरो कैज़ुअल्टी का लक्ष्य रखकर आपदा प्रबंधन कर रही है

पहले की सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने केन्द्र निधि से राज्यों को तीन गुना से अधिक पैसा दिया है

पहले की सरकार में PMNRF से दिया जाता था, राजीव गांधी फाउंडेशन को फंड

इस विधेयक से डिज़ास्टर रिस्पॉंस में क्षमता, तीव्रता, दक्षता और सटीकता और बढ़ेगी

पहले जहाँ तूफानों में हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती थी, वहीं मोदी सरकार जीरो कैज़ुअल्टी की ओर बढ़ रही है

इस विधेयक का उद्देश्य आपदा प्रबंधन में पारदर्शिता, जिम्मेदारी, कुशलता और सहयोग को बढ़ाना है

CDRI के माध्यम से भारत का आपदा प्रबंधन वैश्विक स्तर पर स्थापित हुआ है

आपदाओं के बदलते साइज़ और स्केल से निपटने के लिए हमें तरीके, व्यवस्थाएं बदलने के साथ ही संस्थाओं को जवाबदेह भी बनाना होगा और शक्तियां भी देनी होंगी

COVID-19 महामारी का पूरी दुनिया में सबसे सफल प्रबंधन भारत में हुआ

पहले टीके लगाने में दो-दो पीढ़ियाँ बीत जाती थी, लेकिन मोदी सरकार में भारत ने कोविड का टीका बनाया भी और हर नागरिक तक पहुँचाया भी

मोदी सरकार ने आपदा प्रबंधन में राज्यों को निर्धारित राशि से अधिक पैसे दिए हैं

Posted On: 25 MAR 2025 9:17PM by PIB Delhi

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा का जवाब दिया, चर्चा के बाद सदन ने विधेयक पारित कर दिया।

चर्चा का जवाब देते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से नरेन्द्र मोदी सरकार की मंशा आपदा प्रबंधन के लिए केन्द्र, राज्य सरकारों, सभी पंचायत और नागरिकों को जोड़ने की है और इसमें सत्ता के केन्द्रीकरण का कोई सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि इस बिल में आपदा प्रबंधन के माध्यम से आपदा के खिलाफ लड़ाई को रिएक्टिव अप्रोच से आगे बढ़ाकर न केवल प्रोएक्टिव बल्कि इनोवेटिव और पार्टिसिपेशन अप्रोच तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।

श्री अमित शाह ने कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने विश्व के सामने दस सूत्रीय ऐजेंडा रखा जिसे 40 से अधिक देशों ने स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि न सिर्फ राज्य सरकारों और स्थानीय इकाई बल्कि समाज की सहभागिता को भी इस विधेयक में अपेक्षित रखा है। इसमें राष्ट्रीय स्तर के साथ साथ स्थानीय स्तर पर प्लानिंग की गुंजाइश भी रखी गई है और संस्थाओं की शक्तियों और कर्तव्यों का स्पष्टीकरण भी किया है। श्री शाह ने कहा कि आपदा के सामने लड़ाई संस्थाओं को सशक्त और उत्तरदायी बनाए बिना नहीं लड़ी जा सकती और इस विधेयक में ये दोनों काम किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आपदा का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन के साथ है और इससे बचने के लिए हमें ग्लोबल वार्मिंग की चिंता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हज़ारों वर्षों से भारत इस दिशा में आगे बढ़ रहा है और मोदी सरकार इसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रही है।

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 में पहली बार आपदा प्रबंधन अधिनियम आया और इसके तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि इस पूरे विधेयक में अमल की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी DDMA पर है जो राज्य सरकार के अधीन होता है, इसीलिए कहीं पर भी संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने की संभावना ही नहीं है। श्री शाह ने कहा कि आर्थिक सहायता के लिए राष्ट्रीय आपदा शमन निधि (NDMF) और राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (NDRF) की रचना की गई है। उन्होंने कहा कि 15 वें वित्त आयोग ने आपदा सहायता के लिए एक वैज्ञानिक व्यवस्था की है और मोदी सरकार ने किसी भी राज्य को इसमे निर्धारित राशि से एक भी पैसा कम नहीं दिया है, बल्कि ज़्यादा ही दिया है।

श्री अमित शाह ने कहा कि कोविड-19 जैसी वैश्विक आपदा, बढ़ता हुआ शहरीकरण, और अनियमित बारिश जैसी आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं का साइज़ और स्केल दोनों बदले हैं। गृह मंत्री ने कहा कि आपदाओं के बदलते साइज़ और स्केल से निपटने के लिए हमें तरीके और व्यवस्थाएं बदलने के साथ ही संस्थाओं को जवाबदेह बनाना होगा और उन्हे शक्तियां भी देनी होंगी। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य से आपदा प्रबंधन समस्या के प्रभावशाली और समग्र समाधान के लिए यह विधेयक लाया गया है। श्री शाह ने कहा कि इसके लिए सभी स्टेकहोल्डर्स, केन्द्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों, सभी राज्य सरकारों, केन्द्रशासित प्रदेशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय गैरसरकारी संगठनों के सुझाव भी लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इनके सुझावों में से 89 प्रतिशत सुझावों को स्वीकार कर समग्रता के साथ यह बिल बनाया गया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार इस विधेयक के माध्यम से रिएक्टिव रिस्पॉंस (reactive response) से से प्रोएक्टिव रिस्क रिडक्शन (proactive risk reduction) , मैनुअल मॉनीटरिंग (manual monitoring ) से एआई आधारित रियल टाइम मॉनीटरिंग (AI based real time monitoring), रेडियो चेतावनी से सोशल मीडिया, एप्स और मोबाइल चेतावनी और गवर्नमेंट रिस्पॉस (government-led response) की जगह मल्टीडायमेंशनल रिस्पॉस (multidimensional response), जिसमें सोसायटी और नागरिक शामिल हैं, की ओर जाना चाहती है। उन्होंने कहा कि डिज़ास्टर रिस्पॉंस में क्षमता, तीव्रता, दक्षता और सटीकता को समाहित करने के लिए यह पूरा विधेयक बनाया गया है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पिछले 10 साल में आपदा प्रबंधन में बहुत बाद परिवर्तन आया है जिसके कारण हम राष्ट्रीय स्तर के साथ साथ रीजनल और ग्लोबल पावर बनकर उभरे हैं और पूरी दुनिया ने इसे स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि भारत की इस सक्सेस स्टोरी को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए यह  विधेयक ज़रूरी है।

श्री अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक से NDMA और SDMA दोनों प्रभावी बनेंगे, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा डेटाबेस का सृजन होगा। इसमें शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सृजन की कल्पना की गई है जो पूर्णतया राज्य सरकारों के अधीन होगा। इसके अलावा 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर शत-प्रतिशत अमल के लिए एक खाका बनाने में भी यह विधेयक NDMA और SDMA को वैधानिक ताकत देगा। उन्होंने कहा कि इसमें पारदर्शिता, भरोसा, क्रेडिबिलिटी और एकाउंटेबिलिटी को जगह दी गई है। श्री शाह ने यह भी कहा कि इसमें well-defined roles तय किए गए हैं और साथ ही नैतिक ज़िम्मेदारियों को भी जगह दी गई है। गृह मंत्री ने कहा कि हमने संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए रिस्पॉसिबिलिटी भी फिक्स की है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से तैयारी, सुप्रबंधन और समन्वय के बीच सिनर्जी के साथ आपदा के खिलाफ लड़ने का प्रयास किया गया है। इन चार स्तंभों पर कई सुधार किए गए हैं और इनमें से एक भी सुधार सत्ता के केन्द्रीकरण के लिए नहीं है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पिछले दस साल में एक ओर प्रधानमंत्री मोदी जी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई काम किए हैं तो दूसरी ओर आपदा प्रबंधन को भी बहुत आगे बढ़ाया है। एक ओर विश्व के सामने मोदी जी ने मिशन लाइफ की बात की तो दूसरी ओर दस सूत्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण का ऐजेंडा भी घोषित किया। उन्होंने कहा कि एक ओर प्रो-प्लेनेट पीपल बनने के लिए एक निश्चित ठोस कार्यक्रम दिया तो दूसरी ओर आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI) को विश्व के सामने रखा जिसके 43 देश सदस्य हैं। श्री शाह ने कहा कि मोदी जी ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस और ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस की शुरूआत की और भारत में जी20 सम्मनेलन की मेज़बानी कर डिज़ास्टर रिस्क रिडक्शन पर टास्क फोर्स का भी गठन किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों मोर्चों पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके नेतृत्व वाली सरकार ने सूक्ष्म तरीके से बहुत दूरदर्शिता के साथ काम किया है। गृह मंत्री ने कहा कि एक ओर तो पर्यावरण संरक्षण से डिज़ास्टर न हो इसके लिए प्रयास और दूसरी ओर डिज़ास्टर आने की स्थिति में गांवों से दिल्ली तक वैज्ञानिक तरीके से लड़ने की पूरी व्यवस्था मोदी जी ने की है।

श्री अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2001 में गुजरात के भुज में आए विनाशकारी भूकंप ने न सिर्फ गुजरात बल्कि पूरे देश औऱ विश्व को झंझोड़ कर रख दिया था। उन्होंने कहा कि उस वक्त श्री नरेन्द्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने तब भारत में पहली बार क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट की स्थापना की थी। उस वक्त मोदी जी ने गुजरात में जलवायु परिवर्तन कोष बनाया और 2003 में गुजरात में राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम लेकर आए। श्री शाह ने कहा कि वर्ष 2013 में अहमदाबाद में हीट वेव के लिए देश का पहला सिटी लेवल एक्शन प्लान बना और भूकंप के बाद पुनर्निर्माण, सामुदायिक तैयारियां और पुनर्वास के लिए भी एक विस्तृत योजना बनाने का काम मोदी जी ने किया।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में राहत-केन्द्रित दृष्टिकोण की जगह समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण की शुरूआत की गई। रिएक्टिव की जगह प्रोएक्टिव अप्रोच अपनाई गई और पहले मिनिमम कैज़ुअल्टी का जो लक्ष्य रखा जाता था उसकी जगह जीरो कैज़ुअल्टी का लक्ष्य रखकर आपदा प्रबंधन किया गया। उन्होंने कहा कि आज सरकारें सिर्फ आपदा के बाद राहत और बचाव का ही ध्यान नहीं रखती बल्कि प्री-डिज़ास्टर कई तैयारियां करनी होती हैं। श्री शाह ने कहा कि अर्लीवॉर्निंग सिस्टम, यथासंभव प्रिवेंशन, मिटिगेशन, टाइमली प्रिपेर्यडनैस और डिज़ास्टर रिस्क रिडक्शन में मोदी सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि 1999 में जब ओडिशा सुपर साइक्लोन आया तब 10 हजार लोग मारे गए थे, लेकिन जब 2019 में चक्रवात फानी आया तब केवल एक ही व्यक्ति की मृत्यु हुई, यह हमारी बदली हुई अप्रोच का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि 2023 में गुजरात में बिपरजॉय तूफान आया तब एक भी व्यक्ति और पशु की मृत्यु नहीं हुई और हमने 2023 में ज़ीरो कैज़ुअल्टी का लक्ष्य सिद्ध कर लिया। उन्होंने कहा कि हम चक्रवातों के कारण जानमाल के नुकसान में 98 प्रतिशत की कमी और लू से संबंधित मृत्युदर में भी उल्लेखनीय कमी आई है।

श्री अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2004 से 2014 के दौरान एसडीआरएफ का बजट 38 हज़ार करोड़ रूपए था जिसे 2014 से 2024 के दौरान मोदी सरकार ने बढ़ाकर 1 लाख 24 हज़ार करोड़ रूपए कर दिया। एनडीआरएफ में 2004 से 2014 के दौरान 28 हज़ार करोड़ रूपए दिए गए जबकि 2014 से 2024 में 80 हज़ार करोड़ रुपए दिए गए। श्री शाह ने कहा कि सरकार ने कुल 66 हज़ार करोड़ रूपए से बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रूपए से अधिक दिए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने केन्द्र निधि से राज्यों को तीन गुना से अधिक पैसा दिया है। श्री शाह ने कहा कि इसके अलावा 250 करोड़ का नेश्नल डिज़ास्टर रिस्पॉस रिज़र्व बनाया, 2016 में पहला नेश्नल डिज़ास्टर मैनेजमेंट प्लान जारी हुआ जो पूरी तरह सेंडाई फ्रेमवर्क के अनुरूप है, 2018-19 में सुभाषचंद्र बोस डिज़ास्टर मैनेजमेंट अवार्ड की स्थापना की और नेश्नल साइक्लोन रिस्क मिटिगेशन का पहला फेज़ ओडिशा और आंध्र प्रदेश में 2018 में किया। उन्होंने कहा कि 2020-21 में गृह मंत्रालय ने निर्णय किया कि अंतर मंत्रालयी परामर्श टीम (IMCT) पहले जाकर तत्काल जायज़ा लेंगी और 5 वर्ष में 10 दिनों के अंदर 97 IMCTs भेजकर तुरंत सहायता करने का प्रावधान मोदी सरकार ने किया।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वर्तमान में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की 16 बटालियन कार्यरत हैं और बल के जवानों को देखकर लोगों को तसल्ली होती है कि अब वे सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि इसके आलावा भूस्खलन जोखिम प्रबंधन, ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) और नागरिक सुरक्षा तथा प्रशिक्षण क्षमता निर्माण के लिए भी कार्यक्रम बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि  NDRF ने वसुधैव कुटुंबकम की भावना से वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप में ‘ऑपरेशन मैत्री’, 2018 में इंडोनेशिया में ‘ऑपरेशन समुद्र मैत्री’, 2023 में तुर्की और सीरिया में ‘ऑपरेशन दोस्त’, म्यांमार में ‘ऑपरेशन करुणा’ और वियतनाम में ‘ऑपरेशन सद्भाव’ चलाया, जिसकी वजह से इन देशों की सरकारों और जनता ने NDRF और मोदी जी की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि NDRF ने राष्ट्रीय स्तर पर हमारे आपदा प्रबंधन तंत्र को स्वीकृति दिलाने का काम किया है।

श्री अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Risk Reduction) को पैना बनाने के लिए जापान, ताजिकिस्तान, मंगोलिया, बांग्लादेश, इटली, तुर्कमेनिस्तान, मालदीव और उज्बेकिस्तान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इन देशों की भौगोलिक परिस्थिति में भी किसी न किसी ऐसी आपदा की आशंका है, जो भारत में भी संभव है। उन्होंने कहा कि हमने कोशिश की है कि हमारी बेस्ट प्रेक्टिसिस का फायदा इन देशों और उनकी बेस्ट प्रेक्टिसिस का लाभ हमें मिले। समझौता ज्ञापनों के अलावा वर्ष 2015, 2016, 2019, 2020, 2023 में अंतरराष्ट्रीय गोष्ठियाँ भी की गईं, जिनमें SAARC, BRICS, SCO जैसे संगठनों के सदस्य देशों के आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure –CDRI) आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत के वैश्विक नेतृत्व का उदाहरण है। 23 सितंबर 2019 को न्यूयॉर्क में आयोजित UN Climate Summit में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इसका विचार रखा और  भारत में ही इसकी स्थापना की गई। उन्होंने कहा कि अब तक 42 देश और 7 अंतराराष्ट्रीय संगठन CDRI की सदस्यता ले चुके हैं और CDRI के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भारत के नेतृत्व को प्रस्थापित करने का काम हुआ है।

श्री अमित शाह ने कहा कि ‘आपदा मित्र’ योजना के माध्यम से 350 आपदा संभावित (Disaster Prone) जिलों में 370 करोड़ रुपए की लागत से एक लाख कम्यूनिटी वॉलंटियर्स की एक फोर्स बनाई गई है और वॉलंटियर्स को भारत आपदा संसाधन नेटवर्क पोर्टल पर रजिस्टर किया गया है। जिला कलेक्टर के पास उनका पूरा लेखा-जोखा होता है। आपदा आने पर ये वॉलंटियर्स अपने आप वहां पहुंच जाते हैं। गृह मंत्री ने कहा कि एक लाख ‘आपदा मित्र’ वॉलंटियर में से 20 प्रतिशत महिलाएं हैं। आपदा प्रबंधन के कार्य में हमारी मातृशक्ति कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ‘आपदा मित्र’ योजना के परिणामस्वरूप 78 हजार व्यक्तियों को आपदा से बचाकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया और 129 लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई गई। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ‘आपदा मित्र’ योजना को विस्तार दिया जा रहा है। युवाओं को साथ जोड़ने के लिए  470 करोड़ रुपए के बजट से 1300 से ज्यादा प्रशिक्षित ‘आपदा मित्र’ को मास्टर ट्रेनर के रुप में रोजगार दिया गया है। इसमें NCC, NSS, नेहरू युवा केंद्र संगठन और भारत स्काउटस एंड गाइड दो लाख 37 हजार ‘आपदा मित्र’ प्रशिक्षित करेंगे, जिससे कम्यूनिटी वॉलंटियर्स की कुल संख्या तीन लाख 37 हजार हो जाएगी। 

श्री अमित शाह ने कहा कि हमने मौसम संबंधी सूचनाओं के लिए कई ऐप बनाए हैं। इनमें ‘मौसम’, ‘मेघदूत’, ‘फ्लड वाच’, ‘दामिनी’, ‘पॉकेट भुवन’, ‘सचेत’, ‘वन अग्नि’ और ‘समुद्र’ शामिल हैं। साथ ही, भूस्लखन के अध्ययन के लिए नोडल एजेंसी बनाई गई है। भूकंप के मापदंडों के ऑटोमेटेड प्रसारण के लिए India Quake ऐप बनाया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी जी के प्रयासों के कारण आज यह सभी ऐप देश के लगभग हर नागरिक तक पहुँच चुके हैं। इससे समय पर किसानों, मछुआरों, समुद्र के किनारे बसे लोगों और भूस्खलन की आशंका वाले क्षत्रों के लोगों को लाभ हुआ है। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह बात पूरी दुनिया स्वीकार कर चुकी है कि पर्यावरण के क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी पूरे विश्व का नेतृत्व संभाल रहे हैं, इसलिए संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें Champions of the Earth की उपाधि से सम्मानित किया है। मोदी जी ने सिंगल यूज प्लास्टिक से भारत को मुक्त करने का काम लगभग पूरा कर लिया है। उनकी पहल पर बने International Solar Alliance (ISA) से कई देश जुड़ चुके हैं। मोदी जी ने ‘One Sun, One Earth, One Grid’ परियोजना दुनियाभर में लोकप्रिय करने का काम किया है। दुनियाभर में सोलर एनर्जी साझा करने के लिए Inter-Regional Energy Grid का निर्माण शुरु हो चुका है। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से धरती माता और अपनी मां का ऋण चुकाने के लिए करोड़ों लोगों ने श्रद्धा के साथ पौधे लगाए हैं। 

श्री अमित शाह ने कहा कि भारत ने वर्ष 2070 तक Net Zero Carbon Emission का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि International Solar Alliance, Global Bio-fuel Alliance और वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत Ethanol Blending का लक्ष्य हम पूरा कर चुके हैं। आज हम सभी की गाड़ी में 20 प्रतिशत Eco-friendly ईंधन होता है। श्री शाह ने कहा कि उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ गैस कनेक्शन देकर कंडे और कोयला के धुएं को रोका है। स्वच्छता अभियान को 39 प्रतिशत से बढ़ाकर हम 100 प्रतिशत सेनिटेशन कवरेज तक पहुंचाया है। साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन मिशन ने पूरी दुनिया में एक नए प्रकार की योजना अमल में लाने की शुरुआत की है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया में सबसे अच्छा कोविड प्रबंधन कहीं हुआ है तो वह भारत में हुआ है। हर भारतीय इस पर गर्व है और पूरा संसार इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा करता है। उन्होंने कहा कि कोरोना आते ही हमने टीका बनाने की शुरुआत कर दी थी। उन्होंने कहा कि पहले टीके लगाने में दो-दो पीढ़ियाँ बीत जाती थी, लेकिन मोदी सरकार में भारत ने कोविड का टीका बनाया भी और हर नागरिक तक पहुँचाया भी। श्री शाह ने कहा कि जनकल्याण के लिए टेक्नोलॉजी का इससे सटीक उपयोग पूरे विश्व में कहीं नहीं हुआ होगा। टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के कारण टीका लगते ही सर्टिफिकेट मोबाइल पर उपलब्ध हो जाता था और दूसरे टीके का समय होते ही रिमाइंडर मेसेज भी आ जाता था। 

श्री अमित शाह ने कहा कि कोविड के दौरान राज्य के सिविल अस्पतालों और एम्स में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से छोटे गांवों में मामूली बीमारियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों को टेलीमेडिसिन के बारे में गाइड किया गया, जिससे लाखों लोगों की जान बची। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने राज्य के मुख्यमंत्रियों से 40 बार बातचीत की और उनसे हालात की जानकारी ली। केवल प्रधानमंत्री ही नहीं, पूरा मंत्रिमंडल इस काम में शामिल होता था। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारे नेतृत्व के कारण हम पूरी दुनिया में कोरोना से सबसे अच्छी लड़ाई लड़ सके। पूरी दुनिया में कोरोना के खिलाफ सरकारें लड़ रही थीं, लेकिन हमारे यहां केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और 130 करोड़ जनता सभी साथ मिल कर लड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि आजाद भारत में एक भी उदाहरण नहीं है जब बिना किसी सरकारी नोटिंग के कोई नेता जनता कर्फ्यू की अपील करे और पूरा देश गंभीरता से उसका पालन करे। लेकिन मोदी जी ने ऐसा करके दिखाया, इतना बड़ा सम्मान किसी नेता की अपील को कभी नहीं मिला था।

श्री अमित शाह ने कहा कि पिछली सरकार के समय प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) बना। उन्होंने कहा कि PMNRF से राजीव गांधी फाउंडेशन को फंड से दिया जाता था। श्री शाह ने कहा कि मोदी जी के शासन में PM Cares बना। हमने इसकी धनराशि कोरोना महमारी, आपदा राहत, ऑक्सीजन प्लांट, वेंटिलेटर, गरीबों को सहायता और टीककरण के लिए खर्च की। उन्होंने कहा कि PM Cares के तहत राहत कार्य के साथ-साथ कई प्रकार की इनोविटिव सहायता भी की है और इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं है। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कर्नाटक के लिए उच्च-स्तरीय समिति द्वारा 5909 करोड़ रुपए का आकलन दिया गया, जिसमें 5800 करोड़ रुपए दिए गए। केरल के लिए 3743 करोड़ रुपए का आकलन दिया, जिसमें 2438 करोड़ रुपए दिए गए। तमिलनाडु के लिए 4817 करोड़ रुपए में से 4600 करोड़ रुपए दिए गए। पश्चिम बंगाल को 6837 करोड़ रुपए में से 5000 करोड़ रुपए दिए गए। हिमाचल प्रदेश को 2339 करोड़ रुपए में से 1766 करोड़ दिए हैं। तेलंगाना को भी समिति ने कमोबेश इतना ही दिया है। 

श्री अमित शाह ने कहा कि अग्निश्मन उपायों के लिए झारखंड को 111 करोड़ रुपए, केरल को 121 करोड़ रुपए, महाराष्ट्र को 460 करोड़ रुपए, बिहार को 256 करोड़ रुपए और गुजरात को 254 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों को अग्निशमन उपायों के लिए धनराशि अगले साल दी जाएगी। श्री शाह ने कहा कि तमिलनाडु को वर्ष 2019 से 2024 के बीच 373.27 करोड़ रुपए दिए गए हैं और भरपूर सहायता प्रदान की गई है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केरल के वायनाड में आई आपदा को हमने गंभीर प्रकृति की आपदा घोषित किया। राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (NDRF) से तुरंत 215 करोड़ रुपए जारी किए गए, साथ ही मलबा हटाने के लिए 36 करोड़ रुपए भेजे। इसके अलावा IMCT की रिपोर्ट के आधाऱ पर 153 करोड़ रुपए की सहायता दी गई। हालात को सामान्य बनाने और पुन: निर्माण के लिए 2219 करोड़ रुपए की आवश्यकता का अनुमान राज्य सरकार ने दिया है, जिसमें 530 करोड़ रुपए दिए गए हैं। साथ ही एक विशेष विंडो से अतिरिक्त सहायता प्राप्त करने के अन्य उपाय बताए हैं। 

श्री अमित शाह ने कहा कि केन्द्र सरकार के लिए केरल, लद्दाख, गुजरात, उत्तर प्रदेश सहित सभी राज्यों के नागरिक समान हैं और हम किसी से भेदभाव नहीं करते। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन विधेयक में हमने तकनीकी क्षमता बढाने के प्रावधान के साथ मानव संसाधन बढ़ाने पर भी ध्यान दिया है। सरकार के प्रयास के साथ सामुदायिक प्रयास का भी प्रावधान किया है और आपदा रोधी निर्माण के साथ ही प्रकृति के संरक्षण का भी ख्याल रखा गया है।

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