संस्कृति मंत्रालय
परियोजना परी
Posted On:
20 MAR 2025 5:17PM by PIB Delhi
ललित कला अकादमी (एलकेए) और राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) के ज़रिए संस्कृति मंत्रालय, भारतीय लोक कला (परी) परियोजना के तहत निर्मित सार्वजनिक कला प्रतिष्ठानों की स्थिरता और रखरखाव के लिए प्रतिबद्ध है। इन मूल्यवान कलात्मक योगदानों की लंबी उम्र और इनका रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए, एलकेए ने नोडल एजेंसी के रूप में एक व्यापक संरक्षण रणनीति लागू की है। इस रणनीति में शामिल हैं:
- नियमित निरीक्षण और रखरखाव: किसी भी संरक्षण की ज़रूरत को पहचानने और उसे तुरंत संबोधित करने के लिए समय-समय पर आकलन किए जाते हैं।
- पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरणीय कारकों से कलाकृतियों की सुरक्षा के लिए उपाय किए जाते हैं, ताकि उन्हें कम से कम नुकसान पहुंचे।
- पुनर्स्थापना और संरक्षण: प्रतिष्ठानों की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए तथा किसी भी टूट-फूट या क्षति की मरम्मत और बहाली के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जाती है।
इन समर्पित प्रयासों के ज़रिए, संस्कृति मंत्रालय का मकसद यह तय करना है, कि परी परियोजना के सार्वजनिक कला प्रतिष्ठान, भारत की समृद्ध कलात्मक विरासत का एक स्थायी प्रमाण बने रहें, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए जनता को प्रेरित करते रहें
परी परियोजना के ज़रिए, संस्कृति मंत्रालय का लक्ष्य, दिल्ली के सार्वजनिक स्थानों को जीवंत कलात्मक स्थलों में बदलने की परियोजना का लाभ उठाते हुए, भारत के विविध क्षेत्रीय कला रूपों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देना है। 200 से अधिक कलाकारों द्वारा बनाई गई फड़, थंगका, गोंड और वारली जैसी पारंपरिक शैलियों के समृद्ध मिश्रण को प्रदर्शित करते हुए, परी परियोजना राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों दर्शकों के लिए एक आकर्षक यात्रा का अनुभव प्रदान करती है। एक ओपन गैलरी के रूप में, यह भारत की कलात्मक विरासत को मूर्त रूप देती है।
संस्कृति मंत्रालय ने परी परियोजना के तहत बनाई गई कलाकृतियों तक पहुंच और सार्वजनिक जुड़ाव को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं, जिसमें दिल्ली के प्रमुख सार्वजनिक स्थानों जैसे मेहरम नगर, अफ्रीका एवेन्यू और आईटीओ स्काईवॉक में जीवंत, पारंपरिक भारतीय कला प्रतिष्ठानों को सोच विचार कर रखा गया है। यही वजह है कि इस परियोजना ने कला को नागरिकों के रोज़ाना की ज़िंदगी का एक हिस्सा बना दिया है।
इन कलाकृतियो तक लोगों की पहुँच को और बेहतर बनाने तथा प्रासंगिक जानकारी देने करने के लिए, प्रत्येक स्थान पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं। ये क्यूआर कोड आगंतुकों को इस परियोजना, उसके दृष्टिकोण तथा प्रदर्शित की गई विशिष्ट कलात्मक अभिव्यक्तियों के बारे में आसानी से जानकारी प्रदान करते हैं। यह डिजिटल पहल, भारत की समृद्ध कलात्मक विरासत की गहरी समझ पैदा करती है और उसे सराहनीय बनाती है, जिससे इस कला का स्तर प्रारंभिक सोच से कहीं आगे पहुंच जाता है।
फिलहाल, ‘पब्लिक आर्ट ऑफ इंडिया’ (पीएआरआई) परियोजना केवल दिल्ली में लागू का गई है। यह संस्कृति मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल थी। इसका मकसद कला के ज़रिए, सार्वजनिक स्थानों को पुनर्जीवित करना तथा विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के दौरान हमारी सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करना था।
यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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