उप राष्ट्रपति सचिवालय
महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय सांगासी, झुंझुनू में उपराष्ट्रपति के संबोधन का पाठ (सारांश)
प्रविष्टि तिथि:
05 MAR 2025 5:15PM by PIB Delhi
मुझे बड़ी ख़ुशी हुई जब आपकी प्रिंसिपल शारदा जी को संदेश मिला, तो उन्होंने बड़ी उत्सुकता दिखाई और मुझे लग गया कि इस विद्यालय का सृजन ठीक तरीके से हो रहा है। वो साधुवाद की पात्र हैं। उन्होंने कहा है, कंप्यूटर लैब के बारे में। इस कंप्यूटर लैब की व्यवस्था डॉ. सुदेश धनखड़ करेंगी। मेरी बात हो गई है और तीन महीने में यह सक्रिय हो जाएगी।
झुंझुनू की भूमि खासतौर से लड़कियों के लिए, बहुत बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करती है। श्रीमती कमला बेनीवाल जी मंत्री रही, बहुत पहले विधायक बनीं, राजस्थान की उपमुख्यमंत्री रहीं और उसके बाद गुजरात की राज्यपाल रहीं, वह इसी जिले से हैं। अंदाजा लगाइए, उस समय उन्होंने कैसे कहां पढ़ाई की, वनस्थली विद्यापीठ में।
श्रीमती सुमित्रा सिंह कई बार विधानसभा की सदस्य बनीं, मंत्री बनी और राजस्थान विधानसभा की अध्यक्षा बनी। प्रभावी नेतृत्व, वह भी यहा से ही हैं और वनस्थली विद्यापीठ से ही पढ़ी हैं। उसी तरीके से डॉ. सुदेश धनखड़ भी वनस्थली विद्यापीठ से ही पीएचडी है।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम ये कोई छोटा कदम नहीं है। भारत के संविधान में बदलाव कि विधानसभा हो चाहे लोकसभा, एक तिहाई महिला होंगी। बड़ा भारी बदलाव आएगा, नीति निर्माण ठीक होगा। शासन व्यवस्था सुचारु होगी।
जब मैं सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ गया। मैंने कल्पना नहीं की थी कि सैनिक स्कूल में लड़कियां जायेंगी। अपनी यहां भी सैनिक स्कूल है।लड़कियों का एडमिशन सैनिक स्कूल में चालू हो गया है। यह बहुत बड़ा कदम है। कभी सोचा नहीं था कि ऐसी सैनिक स्कूल बनेगी जिसमें सिर्फ लड़कियां होगी।
मथुरा के अंदर एक सैनिक स्कूल बन गई है। हेमा मालिनी जी वहां की सांसद है। वहां सैनिक स्कूल में सिर्फ लड़कियों की भर्ती होती है। आज के दिन,एनसीसी में, जहां गणतंत्र दिवस के पहले, मैं और डॉक्टर सुदेश, उनसे मिलते हैं। बड़ा अच्छा लगा कि एनसीसी में बच्चियों की संख्या करीब-करीब लड़कों के बराबर आ गई है और, कभी नहीं सोचा था, कि लड़ाकू जहाज, हवाई जहाज लड़कियां चलाएंगी, चला रही हैं तो आज के दिन आपके सामने कोई पाबंदी नहीं है।
आज के दिन, विकसित भारत का सपना नहीं है; विकसित भारत एक लक्ष्य है। मेरा आप सभी से आग्रह है, आप हर पल गुणात्मक बदलाव अपने में लाइए। जीवन में कुछ मूल्य डालें अनुशासन का, दूसरे का आदर करने का, माता-पिता का सम्मान करना, गुरुजनों का चरण स्पर्श करना, परिवार के अंदर घुल-मिलना, पड़ोसी का ध्यान रखना। यह हमारी संस्कृति का निचोड़ है।
हमें जो साधारण कार्य हैं, की हमें अच्छे नागरिक की भूमिका निभानी चाहिए। हम अपने कर्तव्यों की बात करते हैं तो अच्छा लगता है। अधिकारों की करें, दिक्कत नहीं है, यह करना चाहिए, भारत के संविधान ने यह अधिकार दिए गए हैं। पर, कर्तव्यों को हमेशा अधिकारों से ऊपर रखो।
रोज़ कुछ न कुछ सीखने की आदत डालो। आप स्वास्थ्य के प्रति सजग रहिए। यदि अगर स्वस्थ नहीं रहोगे, तो किसी और की मदद करने के बजाय किसी और की मदद मांगोगे आप। आज के दिन खुद सीखने का भी बहुत अच्छा तरीका उपलब्ध है। आपको यह सब करना चाहिए।
आज का भारत दुनिया में तकनीकी में सबसे आगे हैं। आप अन्दाजा लगाईये, साल में तीन बार दस करोड़ किसान आपके माता पिता सीधा तीन बार साल के अंदर कृषि के लिए केंद्र का धन प्राप्त करते हैं। इसकी अहमियत समझिए कि भेजने वाले की ताकत तो है, पर रिसीव करने के वाले की भी है।
ज़्यादा से ज़्यादा, पाठ्यक्रम के अलावा भी पढ़ने की आदत डालो। वो ज़माना बदल गया, जब यह तय होता था कि व्यापार करेगा, जिसका बाप बड़ा व्यापारी है, बड़ा उद्योगपति है। वो ख़त्म हो गई बात। भारत की राष्ट्रपति कौन हैं आज के दिन? और जनजाति से हैं। बड़ा परिश्रम करके वो विधायक बनीं, मंत्री बनीं और हम साथ साथ राज्यपाल भी रहे। और आज, देश के सबसे बड़े पद पर हैं। इसका मतलब, भारत में सच्चा लोकतंत्र है। यह किसी के लिए इसलिए रिजर्व्ड नहीं है कि कोई एक विशेष वर्ग से हो या किसी वट वर्ग से जुड़ा हुआ हो, ऐसा नहीं है।
अब यह देखिए, मोदी जी का जीवन! बचपन में कितना कष्टमयी था। कैसे आजीविका की? रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे। कुछ लोग मखौल उड़ाते हैं इस बात का, मुझे बड़ी खिन्न होती है। इनको कहते हैं "गुदड़ी का लाल"। मैं खुद, यदि सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ की स्कॉलरशिप नहीं मिलती, तो जीवन अलग होता।
आज के दिन जो चीजें तब नहीं थी, आपके लिए उपलब्ध हैं। और उपलब्धि किस हद तक है? हमारे समय घर में शौचालय नहीं था, घर में बिजली नहीं थी। इंटरनेट की तो बात ही छोड़ दो। घर में नल आ जाए ये तो सपना ही नहीं था, सड़क तो दूर-दूर की बात थी, आज के दिन नज़र फेरो, ये सब सुविधा हैं, 140 करोड़ जनता को मिल रही हैं।
दुनिया के देशों के जो बड़े लोग हैं, वो जब चर्चा करते हैं, अचंभित हो जाते हैं, कि भारत में 12 करोड़ घरों में शौचालय है। 55 करोड़ लोगों को बैंक के अंदर एकाउंट खुलवा दिया गया है। इंटरनेट का यह मामला है और इंटरनेट तकनीकी से जुड़ा हुआ है कि चीन को और अमेरिका दोनों को मिलालो नहीं तो भी प्रति व्यक्ति खपत हमारे यहां ज्यादा है। सड़कों का जाल, एयरपोर्ट का जाल, नई-नई ट्रेन आ रही हैं। इसमें एक बात का ध्यान रखना है।
राष्ट्रधर्म, राष्ट्रवाद, राष्ट्रहित - इससे उपर को लिए हित नहीं है।
दूसरा, महात्मा गांधी का एक बड़ा नारा था। बड़ा कारगर साबित हुआ आजादी के अंदोलन में और वो नारा था 'स्वदेशी' ।
आप भी स्वदेशी का ही उपयोग करो, आदत कर लो। जब भी बाहर का कोई कमीज हो, पैंट हो, आपका कोई भी साधन हो। ये कैसी प्रवृत्ति आ गई है कि दिये बाहर से आ रहे हैं, काइट बाहर से आ रही है, खिलौने बाहर से आ रहे हैं, फर्निचर बाहर से आ रहे हैं।
उसका मतलब हमारे लोगों का काम छीन रहे हैं। हमारे यहां उद्योग पनपने नहीं दे रहे हैं तो स्वदेशी से लगाव रखो, खरीदते समय ध्यान रखो कि क्या ये मेरे यहां खरीद रहे हैं।
एक दूसरे को खुश करने की आदत डालो लाइफ के अंदर और हमारे शस्त्रों में कहा गया है। कटाक्ष दूसरे के मन को पीड़ित करना, यह उचित नहीं है। आप अच्छा सोचोगे, अच्छी बात करोगे, सकारात्मक रवैया रखोगे, बड़े चमत्कारिक नतीजे आएंगे।
आज के दिन तो राजनीति की बात करूं, तो पंचायत, जिला स्तर पर और तहसील स्तर पर हर वर्ग को स्थान मिल रहा है। जब बाहर के लोगों को पता लगता है कि भारत का नेतृत्व कैसे बढ़ रहा है, तो पता लगता है कि एक-तिहाई इन संस्थाओं में, जिनकी संख्या 10 लाख से ज़्यादा है, कुल मिलाकर- लड़कियां और महिलाएं ही हैं। आपकी जिला प्रमुख महिला हैं, तो मेरा आपसे यह कहना है—कभी कोई टेंशन मत रखो, स्ट्रेस मत रखो। असफलता से बिलकुल मत डरो। असफलता, सफलता की कुंजी है। और यह संकल्प ले लो कि आप हर महीने कम से कम एक भारतीय महापुरुष की कथा का अध्ययन करेंगे। समझ में आ गया? आपके यहां लाइब्रेरी है, अच्छी लाइब्रेरी है। उस लाइब्रेरी में तीन महीने में हज़ार किताब भिजवाऊंगा।
मैंने आपसे कितने वादे किए हैं, कितने वादे किए हैं? मैंने आपसे 4 वादे किए हैं। पहला वादा किया है—मेरे पास आओ और मिलो। दूसरा वादा किया है—कंप्यूटर लैब का। तीसरा वादा किया है—इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड का, और चौथा वादा किया है— हज़ार किताबें, जो आपकी रुचि की होंगी, को भेजूंगा।
मैं बहुत ज़्यादा नहीं कहना चाहता इस समय, पर इतना कहूंगा—सोच को ऊंची रखिए, सोच को सकारात्मक रखिए। और जो ग्यारहवीं, बारहवीं के बच्चे हैं, आपको आगे पढ़ने के लिए संकट नहीं है आज के दिन। समय पर अप्लाय कीजिए, नए-नए रास्ते निकल रहे हैं, उनकी जानकारी लीजिए। आपका मौका अवश्य आएगा।
ठीक है।
आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
नमस्कार।
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एमजी/केसी/केके/एनजे
(रिलीज़ आईडी: 2108558)
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