कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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कृषि अवसंरचना निधि

Posted On: 11 FEB 2025 5:29PM by PIB Delhi

किसानों की आय बढ़ाने के लिए न केवल कृषि उपज का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना आवश्यक है बल्कि आधुनिक कटाई-पश्चात प्रबंधन अवसंरचना के निर्माण के माध्यम से कटाई-पश्चात नुकसान को कम करना और किसानों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। देश में कटाई-पश्चात प्रबंधन अवसंरचना में मौजूदा कमियों को दूर करने के उद्देश्य से कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) की प्रमुख योजना 2020-21 में शुरू की गई थी ताकि फार्म गेट स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना के निर्माण के माध्यम से देश में अवसंरचना को मजबूत किया जा सके ताकि किसान अपनी कृषि उपज को उचित रूप से संग्रहीत और संरक्षित कर सकें और कटाई-पश्चात नुकसान को कम करने और बिचौलियों की कम संख्या के साथ उन्हें बेहतर मूल्य पर बाजार में बेच सकें। गोदामों, कोल्ड स्टोर, छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयों, फलों को पकाने वाले चैंबर आदि जैसे बेहतर कटाई के बाद  प्रबंधन अवसंरचना से किसान सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकेंगे और इस प्रकार किसानों के लिए मूल्य प्राप्ति में वृद्धि होगी। इससे किसानों की कुल आय में सुधार होगा। इसके अलावा एआईएफ योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान देकर कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में सभी हितधारकों को लाभान्वित करना है। एआईएफ के अंतर्गत ही150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। ऋण देने वाली संस्थाओं के माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है जिसमें ऋण पर ब्याज दर की अधिकतम सीमा 9% है। यह योजना 2020-21 से 2032-33 तक के लिए चालू है।

इस वित्तपोषण सुविधा के अंतर्गत सभी ऋणों पर 2 करोड़ रुपए की ऋण सीमा तक 3% प्रति वर्ष की दर से ब्याज छूट मिलती है। यह ब्याज छूट अधिकतम 7 वर्षों के लिए उपलब्ध है। 2 करोड़ रुपए से अधिक के ऋणों के मामले में, ब्याज छूट 2 करोड़ रुपए तक सीमित है। इस वित्तपोषण सुविधा से पात्र उधारकर्ताओं के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) योजना के अंतर्गत 2 करोड़ रुपए तक के ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज भी उपलब्ध है। इस कवरेज के लिए शुल्क सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

पीएमयू की प्रशासनिक लागत के साथ-साथ ब्याज अनुदान और ऋण गारंटी शुल्क के लिए बजटीय सहायता प्रदान की जा रही है। यह 10 वर्षों की अवधि में 10,636 करोड़ रुपये की राशि होगी। विस्तृत ब्यौरा नीचे दिया गया है।

क्रम सं.

घटक का नाम

आबंटित निधि राशि

1

ब्याज अनुदान लागत

रु. 7907 करोड़

2

क्रेडिट गारंटी लागत

2629 करोड़ रुपये

3

पीएमयू की प्रशासनिक लागत

रु. 100 करोड़

कुल

रु. 10636 करोड़

 

पिछले तीन वर्षों के दौरान एआईएफ योजना के अंतर्गत अनुमोदित परियोजनाओं का राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार ब्यौरा निम्नानुसार है: -

(राशि करोड़ रुपये में)

क्रम.

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र

स्वीकृत नहीं

स्वीकृत राशि

1

मध्य प्रदेश

7,701

5,853

2

महाराष्ट्र

6,860

4,151

3

राजस्थान

1,802

2,310

4

गुजरात

2,072

2,215

5

उतार प्रदेश।

3,854

3,636

6

हरयाणा

2,704

2,108

7

पंजाब

12,003

3,116

8

तेलंगाना

1,662

2,178

9

कर्नाटक

2,208

2,148

10

आंध्र प्रदेश

680

1,116

11

पश्चिम बंगाल

2,537

1,441

12

तमिलनाडु

5,889

1,189

13

छत्तीसगढ

814

1,008

14

ओडिशा

1,098

810

15

असम

409

726

16

बिहार

848

680

17

केरल

1,600

604

18

उत्तराखंड

236

315

19

झारखंड

225

255

20

हिमाचल प्रदेश

347

137

21

जम्मू और कश्मीर

88

198

22

दिल्ली

7

10

23

गोवा

19

10

24

मेघालय

2

8

25

चंडीगढ़

2

8

 

26

अरुणाचल प्रदेश

5

6

27

त्रिपुरा

5

10

28

नगालैंड

0

0

29

दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव

1

1

30

पुदुचेरी

2

2

31

मणिपुर

3

1

32

मिजोरम

0

0

33

सिक्किम

0

0

34

लद्दाख

0

0

35

लक्षद्वीप

0

0

36

अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह

0

0

 

कुल

55,683

36,250

 

दिसंबर 2023 में एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर, गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स, पुणे द्वारा एआईएफ का प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन किया गया था ताकि योजना के समग्र प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जा सके जो मुख्य रूप से चयनित राज्यों के लाभार्थियों और किसानों से प्राप्त प्रतिक्रिया पर आधारित था। अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं।

1. इस अध्ययन के आधार पर 26 जनवरी 2025 तक एआईएफ के तहत कृषि क्षेत्र में निवेश से 9 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। स्वीकृत परियोजनाओं में से लगभग 97% निर्मित परियोजनाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देती हैं।

2. उच्चतम सीजन में प्रति इकाई नियोजित व्यक्तियों की औसत संख्या 11 पाई गई। यह औसत राजस्थान में सबसे अधिक अर्थात 27 तथा महाराष्ट्र राज्य में सबसे कम अर्थात 5 थी।

3. इसके अलावा एआईएफ के अंतर्गत बनाए गए भंडारण बुनियादी ढांचे ने लगभग 550 एलएमटी भंडारण क्षमता को जोड़ा है जिसमें लगभग 510.6 एलएमटी शुष्क भंडारण और लगभग 39.4 एलएमटी शीत भंडारण क्षमताएं शामिल हैं (26.01.2025 तक)। इस अतिरिक्त भंडारण क्षमता से सालाना 20.4 एलएमटी खाद्यान्न और 3.9 एलएमटी बागवानी उत्पादों की बचत हो सकती है।

4. इस योजना के तहत बनाए गए कृषि प्रसंस्करण केंद्र किसानों की उपज का समय पर मूल्य संवर्धन कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय में 20% तक की वृद्धि हुई है और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आई है। इस योजना के तहत स्थापित कस्टम हायरिंग सेंटर कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं और बेहतर फसल अवशेष प्रबंधन प्रथाओं को अपना रहे हैं।

5. 31 प्रतिशत एआईएफ इकाइयों ने सरकारी सब्सिडी का भी लाभ उठाया है। इस प्रकार, एआईएफ के तहत अभिसरण के कारण उन्हें लाभ हुआ है।

6. कुल इकाइयों में से लगभग 85 प्रतिशत के लिए एआईएफ ऋण की उपलब्धता इकाई शुरू करने का मुख्य कारण थी।

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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