वित्त मंत्रालय
विपरीत वैश्विक परिस्थितियों, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और बढ़ते संरक्षणवाद पर काबू पाते हुए माल और सेवाओं दोनों के निर्यात में वृद्धि से भारत के निर्यात में 6 प्रतिशत वृद्धि: आर्थिक समीक्षा 2024-25
वैश्विक सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी दौगुनी होकर वर्ष 2005 में 1.9 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023 में 4.3 प्रतिशत हुई
वित्त वर्ष 2025 के पहले आठ महीनों में सकल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश इसी अवधि में वित्त वर्ष 2024 के 47.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 55.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हुआ
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2024 दिसंबर के अंत में 640.3 अमरीकी डॉलर रहा
भारत का विदेशी ऋण स्थिर रहा; सितंबर 2024 के अंत में विदेशी ऋण और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात 19.4 प्रतिशत रहा
Posted On:
31 JAN 2025 2:16PM by PIB Delhi
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश करते हुए कहा कि भारत का बाह्य क्षेत्र अर्थव्यवस्था और अनिश्चित व्यापारिक नीतियों और वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के बीच लगातार लचीलापन प्रदर्शित कर रहा है।
भारत का व्यापारिक प्रदर्शन
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि वित्त वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों में (माल और सेवाएं) में 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। पैट्रोलियम, रत्न और आभूषणों को छोड़कर सेवाओं और निर्यातित माल में 10.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। यह दर्शाता है कि भारत में निर्यात, कृषि और निर्यातित माल वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार थी। इसी अवधि के दौरान कुल आयात में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
लाल सागर घटनाक्रम, युक्रेन युद्ध और हाल ही में पनामा नहर में आए सूखे के कारण वैश्विक व्यापार में रुकावट के कारण और कई देशों द्वारा संरक्षणवादी मानसिकता को बढ़ावा देने के कारण अस्थिरता बनी रहे। नॉन-टैरिफ उपायों (एनटीएन) जिनके कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में रुकावट पैदा हुई में भी पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई। व्यापार में तकनीकी बाधाओं (टीबीटी) ने उत्पाद श्रृंखला को 31.6 प्रतिशत प्रभावित हुआ जो कि दिसंबर 2024 के वैश्विक व्यापार को 67.1 प्रतिशत कवर कर रहा है। इसके बाद निर्यात संबंधी उपायों के कारण उत्पाद श्रृंखला 19.3 प्रतिशत प्रभावित हुई और यह वैश्विक व्यापार के 21.2 प्रतिशत को कवर कर रही थी। कृषि, विनिर्माण और प्राकृतिक संसाधन भी (एनटीएन) द्वारा प्रभावित हुए।
मुक्त व्यापार समझौते
सर्वेक्षण में बताया गया कि भारत को स्थिति के मूल्यांकन करने की जरूरत है और भविष्य के लिए रणनीतिक व्यापार रोड़मैप विकसित करने की जरूरत है जो उसके स्तर को मजबूत करे। भारत कई देशों और ट्रेडिंग ब्लाक्स के साथ कई मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है उदाहरण के लिए कपड़ा क्षेत्र में यूएई और भारत के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) (2022) ने भारत के कपड़ा टैरिफ को बाजार में उल्लेखनीय रूप से कम करने में मदद की है। शीर्ष आयातकों जैसे ईयू और यूके के साथ व्यापारिक समझौतो के मोलभाव में भारत के सक्रिय रूप से काम कर रहा है। सर्वे में बताया गया कि भारत अपने एक्सपोर्ट बास्केट को विविधता देना और नए बाजार लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रणनीति भी अपना रहा है।
सेवा निर्यात
भारत के सेवा निर्यात ने कई क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति से वैश्विक निर्यात के कई क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। वैश्विक सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी दौगुनी से ज्यादा हो गई है, 2005 में 1.9 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 4.3 प्रतिशत हो गई है। टेलिकम्यूनिकेशन, कम्यूटर एवं इन्फोरमेशन सर्विसिस में वैश्विक निर्यात बाजार (विश्व में दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक) में भारत की हिस्सेदारी 10.2 प्रतिशत है जो आईटी आउट सोर्सिंग, सॉफ्टवेयर डेवलप्मेंट और डिजिटल सेवाओं में भारत की मजबूत स्थिति को दर्शाता है। सर्वेक्षण में बताया गया कि क्योंकि राष्ट्र, वैश्विक क्षमताओं और नवाचार का केंद्र बन रहा है इसलिए कौशल विकास और रणनीतिक नीतियों पर फोकस करना इस गति को सतत बनाने के लिए मुख्य होंगी।
विश्व में भारत की 7.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ (विश्व में तीसरे सबसे बड़े निर्यातक) प्रोफेशनल और कनसल्टिंग सेवाओं में विशेषता के कारण भारत अन्य व्यापारिक सेवा क्षेत्र में मुख्य भूमिका निभाता है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन और वैश्विक यातायात नेटवर्क में बढ़ोत्तरी के संभावनाएं हैं। भारत का ई-कॉमर्स निर्यात अत्यधिक क्षमताओें के कारण उल्लेखनीय रूप से बढ़ने के कारण राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद में मुख्य हिस्सेदार। यह कई कारको पर आधारित है जैसे उन्नत तकनीकी शक्ति, ऑनलाइन पेयमेंट, लोकल डिलीवरी सर्विसिस, उपभोक्ताओं के साथ डाटा आधारित इंट्रैक्शन और डिजिटल मार्केटिंग है
निर्यात को मजबूत करने के उपाय
लॉजिस्टिक्स केंद्रों का विकास, अवसंरचनाओं में निवेश और आपूर्ति श्रृंखला दक्षता में सुधार की नीतियां भारत के निर्यात क्षेत्र को मजबूत करने के उपाय होंगे। विदेशी व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया जो निर्यातको को नए बाजारों को जोड़ने के लिए सिंगल विंडो पहल है। ई-प्लेटफॉर्म का उद्देश्य भारतीय निर्यातको, विशेषकर एमएसएमई के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बदलना है। यह प्लेटफॉर्म एमएसएमई मंत्रालय, ईएक्सआईएम बैंक, वित्तीय सेवा विभाग और विदेश मंत्रालय ने मिलकर तैयार किया। जो निर्यातको को व्यापार संबंधी मुख्य सूचनाओं को रियल टाइम में प्राप्त करने और व्यापक सहायता, तथा संसाधनों की सूचना देने में मदद करेगा।
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश
वित्त वर्ष 2025 के पहले आठ महीनों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में बदलाव देखा गया यद्यपि कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, निवेश में कमी के कारण 2023 के अप्रैल-नवंबर की तुलना में घटा है। आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश वित्त वर्ष 2024 के पहले आठ महीनों में 47.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर इसी अवधि में वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 55.6 बिलियन डॉलर हो गया जो वर्ष दर वर्ष 17.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। सर्वेक्षण मे लंबी अवधि के लिए भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अप्रैल 2000 से सितबंर 2024 तक 1 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के पार हो जाने को भी बताया गया जो राष्ट्र की सुरक्षित और उल्लेखनीय वैश्विक निवेश के लक्ष्यों को दर्शाता है।
सर्वेक्षण में बताया गया कि जब सेवा क्षेत्रों में सर्वाधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश रहा जो वित्त वर्ष 2025 के एच1 में कुल प्रतिभूति निवेश का 19.1 प्रतिशत रहा और तब अन्य उल्लेखनीय क्षेत्रों मे जैसे कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (14.1 प्रतिशत), ट्रेडिंग (9.1 प्रतिशत), गैर परंपरागत ऊर्जा (7 प्रतिशत) और सीमेंट एवं जिप्सम उत्पादों (6.1 प्रतिशत) ने विदेशी निवेश आकर्षित किया। सर्वेक्षण में बताया गया कि कम अवधि के उछाल के बावजूद, कई कारण जैसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दर के बढ़ने और भू-राजनीतिक परिस्थितियों, भारत में लंबी अवधि के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के परिदृश्य भारत के पक्ष में रहें। सर्वेक्षण में भारत के मजबूत आर्थिक आधार, चालू विनिर्माण सुधार और बढ़ते उपभोक्ता बाजार की स्थिति ने विदेशी निवेश को आकर्षित किया है।
भारत ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के घटने पर चिंता व्यक्त करते हुए सर्वेक्षण में कहा गया कि व्यापक विश्लेषण से यह उजागर हुआ कि आर्थिक अनिश्चितताओं, भू-राजनीतिक चिंताओं और बढ़ती हुई ऋण कीमत ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के प्रवाह को प्रभावित किया है।
चालू खाता घाटा
सर्वेक्षण में बताया गया कि भारत ने चालू खाता घाटा है और इसकी अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए इसमें बड़े निवेश की जरूरत हैं। सर्वेक्षण में व्यापक विदेशी बचत और घरेलू बचतों को सहायता प्रदान करते हुए पूंजी को बढ़ाने का सुझाव दिया गया। सर्वेक्षण में बताया गया कि विकसित देश भी निवेश आकर्षित कर रहे थे और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ अकेला ही प्रतिस्पर्धा नही कर रहा था। सर्वेक्षण में सुझाव दिया कि भारत को हर क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित करना चाहिए और विदेशी निवेशकों के लिए अपने आप को आकर्षित बनाना चाहिए तथा तैयार रहना चाहिए और आसानी से व्यापार करने और गैर-विनियमन के माध्यम से भारत की निवेश दक्षता में सुधार करते हुए मौजुदा निवेश के साथ बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए।
विदेश पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई)
एफपीआई पर आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि यह अब तक वित्त वर्ष 2025 में मिश्रित रुझान दिखाता है। सर्वेक्षण में बताया गया कि अर्जित विकास में कमी, उच्च दरों, बढ़ती हुई भू-राजनीतिक चिंताएं और चीन ने हाल ही में एफपीआई समर्थित विकास ने भारतीय प्रतिभूतियों में से उल्लेखनीय कोष निकालना चिंता का विषय है। इसके अलावा यह बताया गया कि भारत की मजबूत बृहत आर्थिक आधार, व्यापरा करने के लिए पसंदीदा महौल और मजबूत आर्थिक वृद्धि ने निवेशकों को विपरीत आउटफ्लो रुझानों को बढ़ावा दिया है
विदेशी मुद्रा भंडार
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में बताते हुए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि दिसंबर 2024 के अंत में 640.3 बिलियन अमरीकी डॉलर पर था। आगे बताया गया कि यह भंडार सितंबर 2024 तक भारत के 711.8 बिलियन अमरीकी डॉलर के विदेशी ऋण को लगभग 90 प्रतिशत कवर करने के लिए प्रयाप्त था।
विदेशी ऋण
भारत के विदेशी ऋण का उल्लेख करते हुए बताया गया कि पिछले कुछ वर्षों में यह स्थिर रहा आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि इससे बाह्य क्षेत्र में स्थिरता बने रहने में सहायता प्रदान की जब शेष विश्व भू-राजनीतिक उथल-पुथल से प्रभावित था। सर्वेक्षण में बताया गया कि विदेशी ऋण और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात जून 2024 में 18.8 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2024 में 19.4 प्रतिशत हो गया जबकि विदेशी मुद्रा भंडार से इसका अनुपात जून 2024 में 20.3 प्रतिशत से सितंबर 2024 में घटकर 18.9 प्रतिशत हो गया।
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एनबी/एमजी/हिन्दी इकाई- 6
(Release ID: 2097914)
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