वित्त मंत्रालय
भारत के कृषि क्षेत्र ने लचीलापन दर्शाया, वित्त वर्ष 2017 से 2023 के दौरान औसत 5 प्रतिशत वृद्धि दर दर्ज : आर्थिक समीक्षा 2024-25
पिछले एक दशक में कृषि आय में सालाना 5.23 प्रतिशत वृद्धि
संबद्ध क्षेत्र कृषि विकास के संवाहक बनेः आर्थिक समीक्षा
2024 में खरीफ अनाज उत्पादन 1647.05 एलएमटी तक पहुंचेगा
भारत का खाद्य निर्यात कुल निर्यात का 11.7 प्रतिशत, सी फूड निर्यात ने वित्त वर्ष2020 से 2024 तक 29.70 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की
सरकार ने पोषक अनाज (श्रीअन्न), दलहन, तिलहन, अरहर, बाजरा, मसूर और रेप सीड के एमएसपी में वृद्धि की
खाद्य प्रसंस्करण के लिए पीएलआई योजनाः लाभार्थियों ने 8,910 करोड़ रुपए का निवेश किया, अक्तूबर 2024 तक 1,084.01 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन प्राप्त किए
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सरकार देशभर में 100 प्रतिशत ई-केवाईसी लागू करने को पूरी तरह प्रतिबद्ध
Posted On:
31 JAN 2025 1:49PM by PIB Delhi
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश करते हुए कहा कि भारत के कृषि क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय लचीलापन दर्शाया है, जोकि सरकारी पहलों जैसे उत्पादकता, फसल विविधता को बढ़ावा देकर और कृषि आय में वृद्धि के कारण संभव हुई है।
आर्थिक समीक्षा के अनुसार ‘कृषि और संबद्ध गतिविधियां’ भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है, जिन्होंने राष्ट्रीय आय और रोजगार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पिछले वर्षों में, कृषि क्षेत्र ने सालाना औसत 5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र ने 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। कृषि और संबंधित क्षेत्रों में चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2015 में 24.38 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 30.23 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है। अर्थव्यवस्था के जीवीए में 20 प्रतिशत हिस्से के साथ, कृषि 5 प्रतिशत की लगातार और स्थिर वृद्धि के साथ जीवीए में 1 प्रतिशत वृद्धि का योगदान करेगी।
आर्थिक समीक्षा दर्शाती है कि 2024 में खरीफ अनाज का उत्पाद 1647.05 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) पहुंचने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 89.37 एलएमटी की वृद्धि है। समीक्षा के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में सालाना कृषि आय 5.23 प्रतिशत बढ़ी है।
आर्थिक समीक्षा के आधार पर, किसानों की आय दोगुनी करने (डीएफआई) रिपोर्ट 2016 की सिफारिशों के आधार पर सरकार कृषि उत्पादकता और किसान आय को बढ़ाने के लिए अनेक पहलों को लागू कर रही है। यह रिपोर्ट फसल और पशुपालन उत्पादकता बढ़ाने, फसल की तीव्रता को बढ़ावा देने और मूल्यवान फसलों को अपनाने के लिए विभिन्न रणनीतियों का उल्लेख करती है। निरंतर कृषि में राष्ट्रीय मिशन (एनएनएसए) के तहत सरकार अनेक पहलों जैसे ‘‘पर ड्रोप मोर क्रोप’’ (पीडीएमसी) को अपना रही है। इनमें उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाने हेतु वैकल्पिक और जैव उर्वरक शामिल हैं। इसके अलावा, नवोन्मेषी कृषि प्रोद्यौगिकी और मूल्य खोज प्रणाली विकास के लिए डिजिटल पहल जैसे कि डिजिटल कृषि मिशन और ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) शुरू किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि (पीएम-किसान) के साथ किसानों को निश्चित आय सहायता प्रदान करती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य
आर्थिक समीक्षा के अनुसार 2018-19 के केंद्रीय बजट में सरकार ने इन फसलों के उत्पादन का भारित औसत मूल्य कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर निर्धारत करने का फैसला किया था। इन पहलों के अंतर्गत सरकार ने पोषक अनाज (श्रीअन्न), दलहन और तिलहन के एमएसपी में बढ़ोतरी की है। वित्त वर्ष2024-25 के लिए अरहर और बाजरा के एमएसपी को 59 प्रतिशत और उत्पादन के भारित औसत मूल्य का 77 प्रतिशत बढ़ाया है। इसके अलावा मसूर की एमएसपी को 89 प्रतिशत बढ़ाया गया है, जबकि रेपसीड में 98 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है।
सिंचाई विकास
आर्थिक समीक्षा के अनुसार सरकार सिंचाई सुविधा को बढ़ाने के लिए सिंचाई विकास और जल संरक्षण के तौर-तरीकों को प्राथमिकता दे रही है। वित्त वर्ष2016 से जल दक्षता को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के अंतर्गत ‘‘पर ड्रोप मोर क्रोप’’ (पीडीएमसी) पहल को लागू कर रही है। पीडीएमसी के अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई यंत्रों को लगाने के लिए छोटे किसानों को कुल परियोजना लागत का 55 प्रतिशत तथा अन्य किसानों को 45 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। वित्त वर्ष2016 से वित्त वर्ष2024 (दिसंबर 2024) तक, राज्यों को पीडीएमसी योजना कार्यान्वयन के लिए 21968.75 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं और 95.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र शामिल किया गया है, जोकि पूर्व-पीडीएमसी अवधि की तुलना में 104.67 प्रतिशत अधिक है। सूक्ष्म सिंचाई निधि (एमआईएफ) के अंतर्गत राज्यों को नवोन्मेषी परियोजनाओं के लिए ऋण में 2 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। 4,709 करोड़ रुपए के ऋण अनुमोदित किए जा चुके हैं, जिसमें 3,640 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं।
पशुपालन
आर्थिक समीक्षा के आधार पर संबद्ध गतिविधियां कृषि क्षेत्र की संवाहक हैं। 12.99 प्रतिशत की व्यापक चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ, अकेला पशुपालन क्षेत्र जीवीए के 5.5 प्रतिशत वृद्धि दर को परिलक्षित करता है। इस क्षेत्र का बढ़ता मूल्य इसके आर्थिक महत्व को दर्शाता है, जो वित्त वर्ष2023 में 17.25 लाख करोड़ रुपए (205.81 बिलियन अमरीकी डॉलर) तक पहुंचा। पशुपालन उत्पाद की विभिन्न शाखाओं में दुग्ध उद्योग 11.16 लाख करोड़ रुपए (133.16 बिलियन अमरीकी डॉलर) के राजस्व के साथ सबसे आगे है। सरकार ने विभिन्न पहलुओं के तहत इस क्षेत्र में सहायता प्रदान की है, जिसमें स्वदेशी नस्ल दुधारू पशुओं के विकास और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन, पशुओं की स्वास्थ्य कुशलता के लिए पशुपालन, स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम किसानों की सुविधाजनक ब्रीडिंग के लिए ग्रामीण भारत में बहुआयामी एआई इंजीनियर (मैत्री) शामिल हैं। पिछले चार वर्षों में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत 38,736 मैत्रियां शामिल की गई हैं।
मत्स्य पालन
आर्थिक समीक्षा दर्शाती है कि सरकार ने मत्स्य पालन के उत्पाद को बढ़ाने तथा मत्स्य प्रबंधन में कुशलता के लिए अनेक पहल अपनाई हैं, जिनमें समुद्री और अंतरदेशीय मत्स्य पालन के लिए वित्तीय सहायता और अवसंरचना विकास प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य और एक्वाकल्चर अवसंरचना विकास निधि शामिल है। अन्य पहलों में मछुवारे स्थलों का विकास, मत्स्य लेंडिंग केंद्र, नवोन्मेषी उत्पाद प्रौद्योगिकी जैसे पिंजरे, रिसर्कुलेटिंग, एक्वाकल्चर तंत्र (आरएएस), बायो फ्लोक्स, पेन्स और रेसवे शामिल हैं। इन पहलों के परिणामस्वरूप, कुल मत्स्य उत्पाद (दोनों समुद्री और अंतरदेशीय) की वित्त वर्ष2014 में 95.79 लाख टन से वित्त वर्ष2023 में 184.02 लाख टन की वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त भारत के सीफूड का निर्यात वित्त वर्ष2020 में 46,662.85 लाख करोड़ रुपए से 2023-24 में 60523.89 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है, जो 29.70 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है। प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई), के अंतर्गत राष्ट्रीय मत्स्य पालन डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है और सिर्फ चार महीने के अंतराल में 16.35 लाख मत्स्य उत्पादक, कर्मचारी, विक्रेता और प्रोसेसर पंजीकृत किए गए हैं।
फूलों की खेती
भारत का फूल उद्योग 100 प्रतिशत निर्यात के साथ “सूर्योदय उद्योग” के नाम से उच्च स्तरीय क्षेत्र के रूप में उभरा है। सब्सिडी समर्थन और फसल ऋण के साथ यह उपक्रम सीमांत और छोटी जोत वाले किसानों के लिए एक भरोसेमंद उपक्रम बन गया है, जिसकी छोटी जोत में 90.9 प्रतिशत और फूलों की खेती के तहत 63 प्रतिशत क्षेत्र के साथ कुल जोत में 96 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी है। अप्रैल-अक्टूबर वित्त वर्ष2025 तक निर्यात 14.55 प्रतिशत था। वित्त वर्ष2024 में अनुमानित 297 हजार हेक्टेयर पुष्प उत्पादन के लिए था, जिसमें अनुमानित 2284 हजार टन खुले फूल तथा 947 हजार टन कटे फूलों का उत्पादन हुआ था। उसी वर्ष भारत ने 19,678 मीट्रिक टन फूलों का निर्यात किया, जिसका मूल्य 717.83 करोड़ रुपए (86.63 मिलियन अमरीकी डॉलर) था।
बागवानी
आर्थिक समीक्षा के आधार पर भारत बागवानी का सर्वश्रेष्ठ निर्यातक है। 2023-24 में विश्व स्तर पर 343,982.34 मीट्रिक टन ताजे अंगूरों का निर्यात किया था, जिनका मूल्य 3460.70 करोड़ रुपए (417.07 मिलियन अमरीकी डॉलर) है। मुख्य अंगूर उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और मिजोरम हैं। महाराष्ट्र इनमें सबसे प्रमुख है, जिसने 2023-24 में कुल उत्पाद का 67 प्रतिशत योगदान दिया। अंगूर उत्पाद ने नासिक के किसानों की जीवन चर्या में सुधार किया है, जहां निर्यात किए गए अंगूरों का मूल्य घरेलू बाजार की तुलना में अधिक (65-70 रुपए प्रति किलो) है। किसानों ने यहां अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी जैसे रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम का उपयोग किया है।
खाद्य प्रसंस्करण
आर्थिक समीक्षा दर्शाती है कि वित्त वर्ष2024 में, कृषि खाद्य निर्यात मूल्य जिसमें प्रसंस्करित खाद्य निर्यात शामिल है, 46.44 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचा, जो भारत के कुल निर्यात का 11.7 प्रतिशत है। भारत के खाद्य प्रसंस्करित निर्यात वित्त वर्ष 2018 में 14.9 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 23.4 प्रतिशत हो गया है। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देना है। 31 अक्टूबर, 2024 तक 1079 पीएमकेएसवाई परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। 31 अक्टूबर, 2024 तक, खाद्य प्रसंस्करण के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआईएसएफपीआई) के अंतर्गत 171 पत्र अनुमोदित किए जा चुके हैं, जिनमें 8910 करोड़ रुपए के निवेश के साथ लाभार्थी और 1084.01 करोड़ रुपए की पहल शामिल है। 31 अक्टूबर, 2024 तक प्रधानमंत्री फॉर्मालाइजेशन ऑफ माइक्रोफूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइस (पीएमएफएमई) योजना के अंतर्गत 407819 पत्र प्राप्त किए गए हैं, जिनमें 108580 अभ्यर्थियों को 8.63 हजार करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया है। इसके अतिरिक्त, 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में, इस कार्यक्रम द्वारा 672 मास्टर प्रशिक्षक, 1120 जिला स्तरीय प्रशिक्षक और 87477 लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया है।
खाद्य प्रबंधन
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दक्षता को बढ़ाने के लिए सरकार 100 प्रतिशत ई-केवाईसी को देशभर में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह एक राष्ट्र, एक राशनकार्ड (ओएनओआरसी) योजना के समकक्ष है, जो लाभार्थियों को कहीं से भी उपभोक्ता ई-केवाईसी तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करता है। लाभार्थी किसी भी उचित दर की दुकान (एफपीएस) से अपने बायोमैट्रिक की जांच कर सकते हैं। छोटे किसानों के लिए फसल कटाई के बाद के ऋण के लिए सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक नेगोसेविल वेरहाउस रिसीप्ट (ईएनडब्ल्यूआर) आधारित प्लेज फाइनेंसिंग (सीडीएचएस-एनपीएफ) के लिए क्रेडिट गारंटी योजना अनुमोदित की है। योजना के तहत किसान ई-एंडडब्ल्यूआर के तहत गोदाम में रखे कृषि और बागवानी सामान के तहत ऋण ले सकते हैं। बैंक द्वारा ऋण और जोखिम योजना के तहत शामिल हैं। ईएनडब्ल्यूआर के तहत, योजना फसल कटाई के बाद के बढ़ते ऋण तथा किसान की आय को सुधारने में सहायता करेगा।
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एनबी/एमजी/हिन्दी इकाई-10
(Release ID: 2097885)
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