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सरकार की कल्‍याणकारी योजनाओं से निम्‍न आय वाले परिवारों में उपभोग और आय के सृजन से जुड़ी गतिविधियां बढ़ीं, असमानता घटने से जीवन शैली पर पड़ा सकारात्‍मक प्रभाव: आर्थिक समीक्षा 2024-25


सरकार के कुल व्‍यय (टीई) में सामाजिक सेवा व्‍यय (एसएसई) की हिस्‍सेदारी वित्‍त वर्ष 21 के 23.3 प्रतिशत से बढ़कर वित्‍त वर्ष 25 (बीई) में 26.2 प्रतिशत हुई

उपभोग व्‍यय में शहरी-ग्रामीण अंतर 2011-12 के 84 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 70 प्रतिशत रह गया

Posted On: 31 JAN 2025 1:43PM by PIB Delhi

केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश करते हुए कहा कि सरकार के शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और सामाजिक अवसंरचना विकास के माध्यम से नागरिकों के सशक्तिकरण में पर्याप्त प्रगति देखने को मिली है।

सामाजिक सेवा व्यय से जुड़े रुझान

सामाजिक सेवा व्‍यय (एसएसई) में वित्‍त वर्ष 21 के 23.3 प्रतिशत से वित्‍त वर्ष 25 (बीई) में 26.2 प्रतिशत या 15 प्रतिशत सीएजीआर बढ़ोतरी का उल्‍लेख करते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि कुल व्‍यय (टीई) के प्रतिशत के रूप में सरकार के एसएसई में वृद्धि का रुझान देखने को मिला है। वित्‍त वर्ष 21 में केंद्र और राज्‍य सरकारों का एसएसई परिव्‍यय जहां 14.8 लाख करोड़ रुपए था, जो वित्‍त वर्ष 25 (बीई) में बढ़कर 25.7 लाख करोड़ रुपए हो गया।

शिक्षा के संबंध में, आर्थिक समीक्षा कहती है कि इस क्षेत्र में व्‍यय 12 प्रतिशत सीएजीआर बढ़ोतरी के साथ वित्‍त वर्ष 25 (बीई) में 9.2 लाख करोड़ रुपए के स्‍तर पर पहुंच गया, जो वित्‍त वर्ष 21 में 5.8 लाख करोड़ रुपए था। दूसरी तरफ, आर्थिक समीक्षा स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र से जुड़े व्‍यय में 18 प्रतिशत सीएजीआर बढ़ोतरी का उल्‍लेख करती है, जो वित्‍त वर्ष 21 के 3.2 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वित्‍त वर्ष 25 (बीई) में 6.1 लाख करोड़ रुपए के स्‍तर पर पहुंच गया। आर्थिक समीक्षा के अनुसार, वित्‍त वर्ष 15 और वित्‍त वर्ष 22 के बीच कुल स्‍वास्‍थ्‍य खर्च में सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य खर्च की हिस्‍सेदारी 29.0 प्रतिशत से बढ़कर 48.0 प्रतिशत हो गई।

उपभोग व्‍यय

आर्थिक समीक्षा के अनुसार, आंकड़ों से पता चलता है कि सरकारी योजनाओं से निम्‍न आय वर्ग के परिवारों में उपभोग और आय सृजित करने वाली गतिविधियां बढ़ी हैं। मुफ्त या सब्सिडी युक्‍त खाद्यान्‍न, सब्सिडी युक्‍त रसोई गैस, बीमा कवर, विभिन्‍न योजनाओं के तहत प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण जैसी विभिन्‍न सरकारी कल्‍याणकारी योजनाओं से परिवारों की आय में सुधार हुआ है। इन वित्‍तीय हस्‍तांतरणों से आर्थिक रूप से वंचित तबकों को अतिरिक्‍त संसाधन उपलब्‍ध कराने में सहायता मिली है। कुल मिलाकर, इनका लोगों की जीवन शैली पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ा है।

आर्थिक समीक्षा से पता चलता है कि सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी पहलों से असमानता में कमी आई है और उपभोग व्‍यय बढ़ा है। उपभोग व्‍यय में असमानता के मानक गिनी गुणांक में हाल के वर्षों में गिरावट देखने को मिल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह 2023-24 में घटकर 0.237 रह गया, जो 2022-23 में 0.266 के स्‍तर पर था और शहरी क्षेत्रों में 2022-23 के 0.314 से घटकर 2023-24 में 0.284 रह गया।  

आर्थिक समीक्षा में घरेलू उपभोग व्‍यय सर्वे (एचसीईएस) 2023-24 के परिणामों का उल्‍लेख किया गया है। इसके अनुसार, उपभोग व्‍यय में शहरी-ग्रामीण अंतर में गिरावट देखने को मिल रही है। वित्‍त वर्ष 23 और वित्‍त वर्ष 24 के बीच औसत मासिक प्रति व्‍यक्ति व्‍यय (एमपीसीई) सबसे बड़ी वृद्धि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आबादी के निचले 5-10 प्रतिशत के बीच हुई। औसत एमपीसीई में शहरी-ग्रामीण अंतर वर्ष 2011-12 के 84 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2022-23 में 71 प्रतिशत रह गया। वर्ष 2023-24 में यह और घटकर 70 प्रतिशत रह गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग में निरंतर बढ़ोतरी की पुष्टि होती है।

आर्थिक समीक्षा उल्‍लेख करती है कि सरकार की वित्‍तीय प्रोत्‍साहन से जुड़ी विभिन्‍न नीतियां आय के वितरण को नया स्‍वरूप दे रही हैं। खाद्य सब्सिडी सरकार की सामाजिक योजनाओं के बड़े समूह में सबसे बड़ा राजकोषीय परिव्‍यय है। 2022-23 में केंद्र सरकार ने नि:शुल्‍क और सब्सिडाइज्‍ड खाद्य राशन प्रदान करने के लिए प्रधनमंत्री गरीब कल्‍याण योजना (पीएमजीकेएआई) पर अपने बजट का 6.5 प्रतिशत व्‍यय किया गया।

कम उपभोग वाले समूहों को बड़े स्‍तर पर लाभ होने से पता चलता है कि पीडीएस/पीएमजीकेएवाई नीतियां निम्‍न आय वर्ग को समर्थन करती हैं और अन्‍य कमजोर परिवारों को आय में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा देती हैं। 2022-23 में ग्रामीण क्षेत्र के निचले 20 परिवारों के घरेलू उपभोग में सब्सिडी मूल्‍य की हिस्‍सेदारी औसतन 7 प्रतिशत थी, लेकिन शीर्ष 20 प्रतिशत परिवारों के लिए यह हिस्‍सेदारी 2 प्रतिशत थी। शहरी क्षेत्रों में भी इसी तरह का प्रगतिशील पैटर्न देखने को मिला है। समीक्षा जनसंख्‍या के विभिन्‍न समूहों के बीच इन लाभों के आवंटन के बारे में विस्‍तृत जानकारी उपलब्‍ध कराती है। 2022-23 में 84 प्रतिशत जनसंख्‍या के पास राशन कार्ड थे, जिनमें से 59 प्रतिशत ऐसे थे जिनके पास गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल), अंत्‍योदय अन्‍न योजना (एएवाई) या प्राथमिकता वाले परिवार (पीएचएच) से जुड़े कार्ड थे।

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एनबी/एमजी/हिन्‍दी इकाई-22


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