सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय
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आईएसआई को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थान के रूप में पुनः परिकल्पित, नया रूप देने और पुनः स्थापित करने के लिए: भारतीय सांख्यिकी संस्थान वर्ष 2031 में अपनी शताब्दी से पहले परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के लिए तैयार है

Posted On: 28 JAN 2025 1:19PM by PIB Delhi

प्रख्‍यात सांख्यिकीविद् प्रो. प्रशांत चन्‍द्र महालनोबिस द्वारा वर्ष 1931 में स्थापित भारतीय सांख्यिकी संस्थान ने सांख्यिकीय अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण और इसके अनुप्रयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय सांख्यिकी संस्थान अधिनियम 1959 के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में घोषित होने के बाद से, संस्थान सांख्यिकीय विधियों और विभिन्न विषयों में उनके अनुप्रयोग को आगे बढ़ाने में अग्रणी रहा है। आईएसआई परिषद संस्थान का शासी निकाय है। आईएसआई अधिनियम और आईएसआई विनियमों के प्रावधान के अनुसार, वर्ष 2024-26 की अवधि के लिए एक नवगठित परिषद् की स्थापना की गई है। 26 अक्टूबर 2024 को आयोजित परिषद् की पहली बैठक के दौरान परिषद के सदस्यों ने डॉ. कोप्पिलिल राधाकृष्णन को आईएसआई परिषद के अध्यक्ष के रूप में चुना। डॉ. राधाकृष्णन पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित और एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं

आईएसआई अधिनियम, 1959 के प्रावधानों के अनुसार, केंद्र सरकार (एमओएसपीआई) आईएसआई के प्रदर्शन की समीक्षा करने और इसके भविष्य के पाठ्यक्रम के बारे में सिफारिशें करने के लिए नियमित अंतराल पर समितियों का गठन करती है। इस प्रावधान के तहत, भारतीय सांख्यिकी संस्थान की चौथी समीक्षा समिति का गठन वर्ष 2020 में किया गया था। समिति ने राष्ट्रीय महत्व के इस प्रतिष्ठित संस्थान के लिए एक परिवर्तनकारी रोडमैप तैयार करते हुए अपनी व्यापक रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपी। प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. आरए माशेलकर की अध्यक्षता में समिति ने कई हितधारकों के साथ बातचीत के माध्यम से आईएसआई के कामकाज, उपलब्धियों और चुनौतियों की व्यापक समीक्षा की और रिपोर्ट पर पहुंची, जिसके परिणामस्वरूप भारत और वैश्विक स्तर पर सांख्यिकीय विज्ञान और इसके अनुप्रयोगों को आगे बढ़ाने में संस्थान की भूमिका को फिर से जीवंत करने के उद्देश्य से कार्रवाई योग्य सिफारिशों की एक श्रृंखला हुई।

'पुन: कल्‍पना, पुन: आविष्‍कार और पुन: स्‍थापना' विषय के आधार पर, समिति ने संस्थान के शासन, शैक्षणिक कार्यक्रमों, अनुसंधान प्राथमिकताओं, बुनियादी ढांचे और वित्तीय स्थिरता को संबोधित करते हुए 61 सिफारिशें प्रस्तावित कीं। समिति ने महामारी के प्रकोप के कारण ऑनलाइन मोड में व्यापक हितधारक परामर्श किया, जिसमें ISI के कामकाज, चुनौतियों और आकांक्षाओं के बारे में जानकारी जुटाने के लिए संकाय, छात्रों, पूर्व छात्रों और प्रशासनिक कर्मचारियों के साथ आभासी रूप से बातचीत की गई। उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्‍थान से बाहरी अपेक्षाओं को समझने और उनका आकलन करने के लिए उद्योग विशेषज्ञों, सरकारी प्रतिनिधियों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों से भी परामर्श किया। समिति ने निष्कर्षों और मसौदा सिफारिशों पर विचार-विमर्श करने के लिए आभासी बैठकें कीं और पिछले एक दशक में आईएसआई के प्रदर्शन का साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन किया, जिसमें शोध के क्षेत्र से जुड़ी नई जानकारियां, शैक्षणिक कार्यक्रम, बुनियादी ढाँचा और इस क्षेत्र तक पहुंच के प्रयास शामिल थे और अंतराल तथा अवसरों की पहचान करने के लिए अग्रणी वैश्विक संस्थानों के साथ आईएसआई की तुलना की गई।

समिति ने आईएसआई को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थान के रूप में पुनः परिकल्पित, पुनः आविष्कृत और पुनः स्थापित करने के लिए व्यापक अनुशंसाएँ प्रस्तावित कीं। इसने प्रदर्शन-आधारित मूल्यांकनों के माध्यम से शासन सुधारों और जवाबदेही को मजबूत करने तथा संकाय और कर्मचारियों के लिए स्पष्ट कार्य मानदंड स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। समिति ने डेटा विज्ञान और मशीन लर्निंग जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों को शामिल करने के लिए शैक्षणिक कार्यक्रमों का विस्तार करने, संस्थान के प्रभाव को बढ़ाने के लिए छात्र प्रवेश और संकाय संख्या बढ़ाने और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रासंगिकता के साथ अंतः विषय और बड़े पैमाने पर अनुसंधान परियोजनाओं को बढ़ावा देने की सिफारिश की। इसने उन्नत डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके प्रशासनिक प्रक्रियाओं और अनुसंधान पद्धतियों को आधुनिक बनाने और अभिनव अनुसंधान का समर्थन करने के लिए विश्व स्तरीय कंप्यूटिंग और प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे का निर्माण करने का आह्वान किया।

समिति की सिफारिशों में वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करने और राजस्व उत्पन्न करने के लिए उद्योग और सरकार के साथ मजबूत साझेदारी स्थापित करना, प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र जैसी अधिक सक्षम संरचनाएं स्थापित करना, लक्षित समूहों तक पहुंचना और ब्रांड-निर्माण पहलों के माध्यम से दृश्यता बढ़ाना और अनुसंधान अनुदान, उद्योग सहयोग और पूर्व छात्रों के योगदान के माध्यम से संसाधन सृजन को प्रोत्साहित करना शामिल है। समिति ने आंतरिक राजस्व और भर्ती प्रक्रियाओं के प्रबंधन में स्वायत्तता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। बुनियादी ढांचे का विकास भी प्राथमिकता थी, जिसमें परिसरों, प्रयोगशालाओं और छात्र आवास सहित भौतिक सुविधाओं को उन्नत करने और उभरते विषयों और क्षेत्रीय स्तर तक पहुंच के लिए नए केंद्र स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

समिति की सिफारिशों का उद्देश्य आईएसआई को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थान के रूप में पुनः परिकल्पित करना, नया रूप देना और पुनः स्थापित करना है तथा इसमें शासन सुधार, अकादमिक और अनुसंधान संवर्धन, डिजिटल परिवर्तन, उद्योग और सरकारी सहभागिता, वित्तीय स्थिरता और बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्र में सिफारिशें शामिल हैं।

आईएसआई ने इन सिफारिशों को क्रियान्वित करना शुरू कर दिया है, जो देश की सामाजिक-आर्थिक विकास आवश्यकताओं को पूरा करने में संस्थान की उत्कृष्टता को मजबूत करने की दिशा में उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 23 जनवरी 2025 को आयोजित परिषद की दूसरी बैठक के दौरान, डॉ. कोप्पिलिल राधाकृष्णन की अध्यक्षता में संस्थान की परिषद ने चौथी समीक्षा समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा की। संस्थान की परिषद समिति की सिफारिशों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:

  1. अल्पकालिक पहल: महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे संकाय भर्ती, बुनियादी ढांचे का उन्नयन और शासन सुधार के समाधान के लिए तत्काल कदम।
  2. मध्यम अवधि लक्ष्य: शैक्षणिक और अनुसंधान कार्यक्रमों को बढ़ाना, लक्षित समूहों और क्षेत्रों तक पहुंच के प्रयासों को बढ़ाना, और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना।
  3. दीर्घकालिक दृष्टिकोण: 2031 में अपने शताब्दी वर्ष तक आईएसआई को एक वैश्विक नेता के रूप में परिवर्तित करना, जिसमें प्रभावशाली अनुसंधान, नवीन शिक्षा और मजबूत उद्योग संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

आईएसआई ने अपनी संरचना में सुधार करने, शोध को मजबूत बनाने तथा मजबूत शैक्षणिक और प्रशासनिक ढांचे को सुनिश्चित करने पर काम शुरू कर दिया है। संस्थान के विभिन्न प्रभागों को समकालीन आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने के लिए महत्वपूर्ण पुनर्गठन किया गया है। सेंटर फॉर एआई एंड एमएल (सीएआईएमएल) ने रणनीतिक प्रासंगिकता पर बल देते हुए अपनी पहलों को राष्ट्रीय एआई नीति के साथ जोड़ा है। अंतः विषयी अनुप्रयुक्त सांख्यिकी और जैव सांख्यिकी केंद्र को शुरू करने के लिए भी प्रयास जारी हैं। अर्थशास्त्र और डेटा विश्लेषण के लिए अनुसंधान केंद्र को समर्पित नेतृत्व असाइनमेंट के साथ सक्रिय किया गया है, जिससे आगे की गति सुनिश्चित होती है। संकाय भर्ती और पदोन्नति को प्राथमिकता दी गई है, सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। शिक्षण मानदंडों का औपचारिककरण आईएसआई की शैक्षणिक उत्कृष्टता को उजागर करता है।

जबकि कुछ कार्यों पर चर्चा अभी भी जारी है और परिवर्तनों के लिए आधार तैयार किया गया है। आईएसआई ने उन्नत डिजिटल शिक्षण विधियों को भी अपनाया है, जो व्यापक शैक्षणिक वृद्धि रणनीति के हिस्से के रूप में ऑनलाइन और हाइब्रिड पाठ्यक्रम प्रस्‍तुत करता है। इन पहलों को अकादमिक परिषद के भीतर त्वरित निर्णय लेने की प्रक्रियाओं द्वारा पूरक किया जाता है, जिससे कार्यक्रम विकास और उनमें सुधार को बढ़ावा मिलता है। बुनियादी ढाँचा और शासन सुधार केंद्र बिंदु बने हुए हैं, जिसमें ई-गवर्नेंस पहल सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के साथ संरेखण में आगे बढ़ रही है। वित्तीय स्थिरता को मजबूत करने के लिए परामर्श नियमों और सुविधा उपयोग शुल्क सहित राजस्व सृजन प्रयासों को लागू किया गया है।

हालांकि, कई सिफारिशों को पूरी तरह से लागू किया गया है और अन्य सक्रिय रूप से प्रगति पर हैं। ये कार्य, एक दूरदर्शी दृष्टिकोण का संकेत देते हैं और सांख्यिकी विज्ञान और संबंधित विषयों में एक वैश्विक नेता के रूप में आईएसआई को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं। सरकार आईएसआई की उत्कृष्टता की समृद्ध विरासत और भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देती है और चौथी समीक्षा समिति के दृष्टिकोण और रोडमैप को साकार करने के लिए आवश्यक समर्थन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इन सिफारिशों को लागू करने के लिए भारत सरकार का समर्थन आईएसआई को राष्ट्र के ज्ञान इको सिस्‍टम की आधारशिला के रूप में सशक्त बनाने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वर्ष 2031 में जब संस्थान अपनी शताब्दी के समीप है, तो संस्थान इस परिवर्तनकारी दृष्टिकोण को अपनाने और वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में उभरने के लिए तैयार है

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