भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
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भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा (एसटीईएमएम) में ‘विविधता, समानता, समावेश और पहुंच (डीईआईए)’ पर एक फ्रेमवर्क की अवधारणा पर चर्चा करने के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श आयोजित किया

Posted On: 08 JAN 2025 7:20PM by PIB Delhi

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय ने आज (8 जनवरी, 2025) नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन एनेक्सी में पीएसए कार्यालय के वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ परामर्श का आयोजन किया

यह परामर्श पीएसए कार्यालय द्वारा विकसित ‘विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा (एसटीईएमएम) में विविधता, समानता, समावेश और पहुंच (डीईआईए)’ पर स्व-मूल्यांकन और रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क (एसएआरएफ) के मसौदे की अवधारणा और उस पर चर्चा के लिए आयोजित किया गया। व्यापक डीईआईए संकेतकों पर आधारित अलग-अलग डेटा की कमी को, खासकर एसटीईएमएम क्षेत्रों में, साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण में प्रमुख बाधाओं में से एक के रूप में पहचाना जाता है। डीईआईए-एसएआरएफ 5 व्यापक मापदंडों की मदद से मौजूदा डीईआईए से संबंधित प्रयासों और भारतीय एसटीईएमएम-संबंधित संगठनों में वर्तमान स्थिति का आकलन तथा मिलान करने का एक प्रयास है। परामर्श को एक विचार-विमर्श सत्र के रूप में परिकल्पित किया गया था, जिसमें शिक्षाविद, थिंक टैंक, नागरिक समाज, उद्योग और सरकार के विशेषज्ञ शामिल थे।

अपने उद्घाटन भाषण में, डॉ. परविंदर मैनी ने समग्र विकास को आगे बढ़ाने में, विशेष रूप से एसटीईएमएम क्षेत्रों में डीईआईए के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने सामाजिक-आर्थिक प्रगति के प्रमुख कारक के रूप में भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश और विविधता पर प्रकाश डाला तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन, विज्ञान ज्योति, आई-एसटीईएम, वर्नाक्यूलर इनोवेशन प्रोग्राम आदि जैसे प्रयासों को स्वीकार किया जो डीईआईए सिद्धांतों को एकीकृत करते हैं। इन राष्ट्रीय और संस्थागत पहलों के अलावा, डॉ. मैनी ने एसटीईएमएम में डीईआईए के लिए एक व्यापक और व्यवस्थित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। 2023 के जी-20 मुख्य विज्ञान सलाहकारों की गोलमेज बैठक के दौरान इस दृष्टिकोण के महत्व की पुष्टि की गई, जिसके बाद एसटीईएमएम स्व-मूल्यांकन और रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क (डीईआईए-एसटीईएमएम-एसएआरएफ) में डीईआईए का मसौदा तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग डेटा संग्रह और विश्लेषण द्वारा समर्थित यह ढांचा साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण की दिशा में एक कदम होगा। उन्होंने इसे अंतिम रूप देने और कार्यान्वयन को आकार देने में हितधारकों के परामर्श की भूमिका पर भी जोर दिया।

पीएसए कार्यालय द्वारा फ्रेमवर्क और इसके प्रमुख मापदंडों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई, जिसमें लैंगिक समानता, ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों को बढ़ावा देना, विचारों, विषयों, दृष्टिकोणों और अनुभवों की विविधता, ज्ञान एवं भाषाओं की बहुलता, तथा न्यायपूर्ण, नैतिक और ओपन साइंस जैसे पहलुओं को शामिल किया गया। इस प्रस्तुति के बाद, विशेषज्ञों से सुझाव आमंत्रित किए गए। विशेषज्ञों ने डीईआईए के बहुपक्षीय आयामों को प्रभावी ढंग से समझने के लिए फ्रेमवर्क में संकेतकों के सूक्ष्म विघटन के महत्व को रेखांकित किया। भाषाई विविधता के माध्यम से पहुंच को बढ़ाना, विशेष रूप से भारत के बहुभाषी संदर्भ में, एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में जोर दिया गया। विशेषज्ञों ने प्रौद्योगिकी और डीईआईए के बीच महत्वपूर्ण अंतर्संबंध पर भी प्रकाश डाला, यह देखते हुए कि कैसे डिजिटल स्पेस और प्रौद्योगिकियां समावेश एवं पहुंच के लिए नई चुनौतियां पैदा कर सकती हैं। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि कैसे फ्रेमवर्क न केवल डीईआईए नीतियों और साधनों को बल्कि संवेदीकरण, सकारात्मक स्थानों और देखभाल पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में संस्थागत संस्कृति को भी समझ सकता है, उन्होंने ट्रांसलेशनल संबंधी प्रगति को दर्शाने के लिए परिणाम और प्रभाव संकेतकों को शामिल करने का आह्वान किया। यह भी रेखांकित किया गया कि इस फ्रेमवर्क को न केवल एक रिपोर्टिंग उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए, बल्कि संस्थागत स्व-मूल्यांकन, कार्यान्वयन योग्य रणनीतियों और सांस्कृतिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए एक विश्लेषणात्मक संसाधन के रूप में देखा जाना चाहिए।

अपने समापन भाषण में, डॉ. मैनी ने विभिन्न हितधारक समूहों के लिए संकेतकों को अनुकूलित करने और स्व-मूल्यांकन की कवायद की आवधिकता सुनिश्चित करने पर जोर दिया, जिसे प्रगति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना गया। उन्होंने फ्रेमवर्क में आवश्यक प्रक्रिया संबंधी संकेतकों के रूप में अंतर्संबंध और सार्वजनिक भागीदारी को एकीकृत करने की आवश्यकता के बारे में बताया।

इस विशेषज्ञ परामर्श के बाद, एसटीईएमएम स्व-मूल्यांकन और रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क (डीईआईए-एसटीईएमएम-एसएआरएफ) में डीईआईए को संशोधित किया जाएगा और नीति-निर्माताओं को आगे के उपयोग के लिए प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें चुनिंदा संस्थानों के साथ संभावित परीक्षण (पायलट) शामिल है। क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) के साथ साझेदारी में फ्रेमवर्क पर एक क्षमता निर्माण मॉड्यूल विकसित करने का भी प्रस्ताव है।

चर्चा में यह निष्कर्ष निकला कि सरकार की डीईआईए-उन्मुख पहलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने से सहभागिता को बढ़ावा मिलेगा तथा देश में डीईआईए लक्ष्यों की दिशा में सामूहिक प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।

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एमजी/आरपीएम/केसी/एसके


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