इस्पात मंत्रालय
इस्पात का आयात
Posted On:
17 DEC 2024 4:01PM by PIB Delhi
पिछले तीन साल और चालू वित्त वर्ष यानी अप्रैल-नवंबर 2024 (तत्कालिक) के दौरान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वाले देशों और गैर-मुक्त व्यापार समझौते वाले देशों से तैयार इस्पात के आयात तथा समग्र आयात से संबंधित आंकड़े नीचे दिए गए हैं। इन आंकड़ों से पता चलता है कि कुल आयात में एफटीए देशों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023-24 में 60% और चालू वर्ष यानी अप्रैल-नवंबर 2024-25 (तत्कालिक) के दौरान 63% थी:-
तैयार इस्पात की आयात मात्रा (मिलियन टन में)
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देश समूह
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2021-22
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2022-23
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2023-24
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अप्रैल से नवंबर 2024-25*
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ए. एफटीए
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3.07
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3.69
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5.02
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4.08
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बी. गैर-एफटीए
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1.60
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2.33
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3.30
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2.43
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कुल (ए+बी)
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4.67
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6.02
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8.32
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6.51
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एफटीए देशों का हिस्सा
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66%
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61%
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60%
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63%
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स्रोत: संयुक्त संयंत्र समिति (जेपीसी); * तत्कालिक;
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पिछले तीन वर्षों के दौरान देश में तैयार इस्पात के उत्पादन और खपत का विवरण नीचे दर्शाया गया है:-
वर्ष
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तैयार इस्पात की मात्रा (मिलियन टन में)
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उत्पादन
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खपत
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2021-22
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113.60
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105.75
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2022-23
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123.20
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119.89
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2023-24
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139.15
|
136.29
|
स्रोत: जेपीसी
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सरकार ने घरेलू इस्पात उद्योग को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं: -
- सरकारी खरीद के लिए 'मेड इन इंडिया' इस्पात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से घरेलू स्तर पर निर्मित लौह एवं इस्पात उत्पाद (डीएमआईएंडएसपी) नीति का कार्यान्वयन किया गया है।
- II. देश के भीतर 'विशिष्ट इस्पात' के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात पर निर्भरता कम करने के लक्ष्य के साथ विशिष्ट इस्पात के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का कार्यान्वयन हुआ है। विशिष्ट इस्पात के लिए पीएलआई योजना के तहत अनुमानित अतिरिक्त निवेश 27,106 करोड़ रुपये है, जिसमें विशिष्ट इस्पात हेतु लगभग 24 मिलियन टन (एमटी) की डाउनस्ट्रीम क्षमता सृजन शामिल है।
- केंद्रीय बजट 2024-25 में, फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों व गाढ़े घोल, जो कि इस्पात उद्योग के लिए कच्चे माल की श्रेणी में हैं, उन पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 2.5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है और कोल्ड रोल्ड ग्रेन ओरिएंटेड स्टील के निर्माण हेतु फेरस स्क्रैप तथा निर्दिष्ट कच्चे माल पर मूल सीमा शुल्क छूट 31.03.2026 तक जारी रखी गई है।
- IV. घरेलू इस्पात उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिए आयात की अधिक प्रभावी निगरानी के उद्देश्य से इस्पात आयात निगरानी प्रणाली (एसआईएमएस) 2.0 का पुनर्गठन किया गया है।
- इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू भी हुआ है, जिससे घटिया/दोषपूर्ण इस्पात के आयात पर रोक लगती है और उद्योग जगत, उपयोगकर्ताओं तथा आम जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्पात की उपलब्धता सुनिश्चित होती है। आदेश के अनुसार, यह पक्का किया गया है कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को केवल प्रासंगिक बीआईएस मानकों के अनुरूप गुणवत्तायुक्त इस्पात ही उपलब्ध कराया जाए। गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के अंतर्गत आज की तिथि तक 151 भारतीय मानक अधिसूचित हैं, जिनमें कार्बन स्टील, मिश्रित धातु स्टील और स्टेनलेस स्टील शामिल हैं।
यह जानकारी इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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