विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
टीडीबी-डीएसटी भारत के अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांति लाने में अग्निकुल कॉसमॉस का समर्थन कर रहा है
Posted On:
17 DEC 2024 3:39PM by PIB Delhi
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के माध्यम से दूरसंचार, नेविगेशन, जलवायु निगरानी और रक्षा जैसे उद्योग प्रगति करते हैं। इसकी अपार क्षमता की पहचान करते हुए, भारत सरकार ने नवाचार को बढ़ावा देने, निवेश को आकर्षित करने एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में सुधारों की शुरुआत करते हुए अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी खिलाड़ियों के लिए खोल दिया है।
इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए एक अभूतपूर्व कदम के रूप में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने चेन्नई स्थित मेसर्स अग्निकुल कॉसमॉस प्राइवेट लिमिटेड के लिए अपने समर्थन की घोषणा की है, जो एक उच्च अनुकूलन योग्य दो-चरणीय प्रक्षेपण यान "अग्निबाण" का विकास और व्यावसायीकरण कर रहा है, जो 700 किमी ऊंचाई पर कक्षाओं में 300 किलोग्राम तक पेलोड पहुंचाने में सक्षम है।
यह महत्वपूर्ण पहल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत आने वाले एक वैधानिक निकाय, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) द्वारा समर्थित है। टीडीबी ने “100 किग्रा पेलोड के लिए मॉड्यूलर विन्यास योग्य प्रक्षेपण यान के विकास और वाणिज्यीकरण” के लिए वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है। परियोजना का उद्देश्य उपग्रह प्रक्षेपण को ज्यादा सुलभ, कुशल एवं किफायती बनाना है।
अग्निकुल कॉसमॉस का मुख्यालय चेन्नई में है और आईआईटी-मद्रास में इनक्यूबेट किया गया है, यह एक अग्रणी भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप है, जिसका दृष्टिकोण अंतरिक्ष तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना है। यह कंपनी इसरो के 45 पूर्व वैज्ञानिकों द्वारा निर्देशित और 200 से अधिक इंजीनियरों द्वारा समर्थित है, इसने अग्निबाण एसओआरटीईडी (अग्निबाण सब-ऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर) के पहले लॉन्च के साथ ही एक ऐतिहासिक मील का पत्थर प्राप्त किया है, जो सिंगल-पीस 3डी-प्रिंटेड रॉकेट इंजन का उपयोग करने वाली विश्व की पहली उड़ान है।
अग्निकुल के नवाचार का केंद्रबिंदु, अग्निबाण, उपग्रह प्रक्षेपण पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांति लाने के लिए तैयार है:
- 30 से 300 किलोग्राम तक के पेलोड के लिए समर्पित, मापनीय प्रक्षेपण।
- उपग्रह प्रक्षेपण की समय-सीमा को घटाकर केवल दो सप्ताह किया।
- वैश्विक स्तर पर तैनात मोबाइल प्रक्षेपण प्रणाली के साथ परिचालन लचीलापन।
- छोटे उपग्रहों के लिए पसंदीदा अंतरिक्ष मिशन, पारंपरिक राइडशेयरिंग मॉडल की अक्षमताओं की समाप्ति।
अग्निबाण परियोजना में कई अत्याधुनिक एवं स्वदेशी तकनीकी प्रगति शामिल हैं, जिनमें मुख्य हैं:
- भारत का पहला सिंगल-पीस 3डी-प्रिंटेड रॉकेट इंजन और अन्य महत्वपूर्ण घटक।
- मोबाइल लॉन्च प्लेटफ़ॉर्म वैश्विक स्तर पर किसी भी स्थान से प्रक्षेपण करने में सक्षम है।
- इंजन, मिशन नियंत्रण प्रणाली और लॉन्चपैड अवसंरचना सहित सभी प्रमुख उप-प्रणालियों का विकास।
- गुणवत्ता आश्वासन, रॉकेट लॉन्च असेंबली और सबसिस्टम मूल्यांकन के लिए व्यापक परीक्षण सुविधाएं।
श्री राजेश कुमार पाठक, सचिव, टीडीबी ने निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र खोलने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की और कहा कि “इन दूरदर्शी सुधारों ने भारत को अंतरिक्ष नवाचार के लिए एक वैश्विक केंद्र में बना दिया है, लगभग 200 निजी अंतरिक्ष स्टार्टअप को बढ़ावा मिला है। टीडीबी द्वारा समर्थित अग्निकुल कॉसमॉस, इस सफलता का प्रतीक है, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण में नए मानक स्थापित करते हुए भारत की स्वदेशी प्रतिभा और 'आत्मनिर्भर भारत' की भावना का प्रदर्शन करता है।”
श्री श्रीनाथ रविचंद्रन और श्री सैयद पीर मोहम्मद शाह खादरी, संस्थापक, मेसर्स अग्निकुल कॉसमॉस ने कहा, “हमने आईआईटी मद्रास में एक डीएसटी समर्थित प्रयोगशाला (एनसीसीआरडी) में एक स्टार्ट-अप के रूप में शुरुआत की। अब, कुछ नई तकनीकों का निर्माण करने के बाद, टीडीबी के माध्यम से प्राप्त यह वित्तीय सहायता भारत से वैश्विक स्तरीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी हार्डवेयर निर्माण टीम को प्रोत्साहन एवं समर्थन देने का एक मजबूत संकेत है।”
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