संस्‍कृति मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित विष्णुकांत शास्त्री: रचना संचयन का विमोचन किया

Posted On: 10 DEC 2024 8:15PM by PIB Delhi

साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक "विष्णुकांत शास्त्री: रचना संचयन", जिसे प्रेम शंकर त्रिपाठी ने संकलित और संपादित किया है, का विमोचन आज शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय में आयोजित एक भव्य समारोह में किया गया। समारोह की शुरुआत में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक ने श्री धर्मेंद्र प्रधान और मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों - संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री अरुणिश चावला और पुस्तक के संपादक डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी का स्वागत किया। साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने अपने स्वागत भाषण में अन्य प्रख्यात लेखकों और साहित्य प्रेमियों के बीच श्री धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उनकी उपस्थिति साहित्य के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती है। श्री विष्णुकांत शास्त्री के बारे में बोलते हुए उन्होंने बताया कि वे एक प्रसिद्ध लेखक, विचारक, वक्ता, कवि और कुशल राजनीतिज्ञ थे।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001D8KW.jpg

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने जीवन और राजनीतिक जीवन में श्री विष्णुकांत शास्त्री के प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने याद किया कि कैसे वे 30 साल पहले श्री शास्त्री की मदद से लोकतंत्र के मंदिर संसद तक पहुँच पाए थे, जबकि वे पिछले 20 सालों से संसद में हैं। आगे उन्होंने कहा कि विष्णुकांत शास्त्री और साहित्य अकादमी के प्रकाशन विष्णुकांत शास्त्री: रचना संचयन के अध्ययन से बांग्लादेश की चुनौतियों का समाधान निकल सकता है। श्री शास्त्री एक सच्चे राष्ट्रवादी थे और उनमें बेहतरीन नेतृत्व क्षमता थी। उन्होंने यह भी कहा कि आज की पुस्तक का विमोचन सिर्फ एक किताब का विमोचन नहीं है बल्कि एक नए चलन की शुभ शुरुआत है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0026UJ6.jpg

डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री विष्णुकांत शास्त्री के कार्यों पर चर्चा करने का अवसर मिलने पर आभार और सम्मान महसूस किया। उन्होंने हिंदी साहित्य पर शास्त्री के काम के प्रभाव और जिस तरह से उन्होंने खुद को अभिव्यक्त किया, अपनी देशभक्ति और परंपराओं पर गर्व को अपनी कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया, उसके बारे में बात की। उन्होंने उन्हें एक ऐसा कवि बताया जिसने अपने दिल की बात पन्ने पर उतार दी और अपनी कविताओं में धर्म के प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने उनके राजनीतिक कार्यों और बांग्लादेश के साथ संबंधों पर भी विस्तार से बात की। अपने पूरे भाषण के दौरान, डॉ. त्रिपाठी ने शास्त्री की साहित्यिक कृतियों से चुनिंदा छंदों का पाठ किया। अंत में, उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस संकलन के माध्यम से पाठकों को श्री विष्णुकांत शास्त्री के काम से परिचित कराया जाएगा।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003H2N2.jpg

डॉ. माधव कौशिक ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य अकादमी के पास ऐसे लेखकों पर आधारित संकलनों की एक श्रृंखला है, जिन्होंने वास्तव में भारतीय साहित्य की आत्मा को समझा है और यह केवल हिंदी में ही नहीं, बल्कि सभी 24 भारतीय भाषाओं में प्रकाशित किया गया है। उनके भाषण के बाद, पुस्तक का विमोचन शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया।

साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए इस बात पर जोर दिया कि श्री शास्त्री की साहित्यिक कृतियों में व्यक्त विचारधाराओं का देश पर स्थायी प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना जीवन एक ऐसी संस्कृति की खोज में बिताया जिसके बारे में उनका मानना था कि वह खो चुकी है।

****

एमजी/केसी/जीके


(Release ID: 2084596) Visitor Counter : 29


Read this release in: English