विधि एवं न्याय मंत्रालय
ई-कोर्ट्स मिशन मोड परियोजना
Posted On:
12 DEC 2024 4:34PM by PIB Delhi
भारतीय न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के विकास के लिए ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है। भारत सरकार का न्याय विभाग भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी के साथ घनिष्ठ समन्वय में और संबंधित उच्च न्यायालयों के माध्यम से विकेंद्रीकृत तरीके से ई-कोर्ट परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है।
परियोजना का पहला चरण 2011-2015 के दौरान क्रियान्वित किया गया और इसमें कम्प्यूटरीकरण की बुनियादी बातों पर ध्यान केंद्रित किया गया जैसे कि कम्प्यूटर हार्डवेयर स्थापित करना, इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना और ई-कोर्ट प्लेटफॉर्म को चालू करना। इस चरण के कार्यान्वयन के लिए 935 करोड़ रुपये के परिव्यय के मुकाबले कुल 639.41 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस चरण में निम्नलिखित पहल की गईं:
- 14,249 जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों को कम्प्यूटरीकृत किया गया।
- II. 13,683 न्यायालयों में लैन स्थापित किया गया, 13,436 न्यायालयों में हार्डवेयर उपलब्ध कराया गया तथा 13,672 न्यायालयों में सॉफ्टवेयर स्थापित किया गया।
- 14,309 न्यायिक अधिकारियों को लैपटॉप प्रदान किए गए तथा सभी उच्च न्यायालयों में परिवर्तन प्रबंधन की प्रक्रिया पूरी की गई।
- IV. 14,000 से अधिक न्यायिक अधिकारियों को उबंटू-लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के उपयोग में प्रशिक्षित किया गया।
- 3900 से अधिक न्यायालय कर्मचारियों को सिस्टम प्रशासक के रूप में केस सूचना प्रणाली (सीआईएस) में प्रशिक्षित किया गया।
- VI. 493 न्यायालय परिसरों एवं 347 संबंधित जेलों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा चालू की गई।
ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना (2015-2023) का दूसरा चरण जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों की आईसीटी सक्षमता तथा विभिन्न नागरिक केंद्रित पहलों पर केंद्रित है। इस चरण के कार्यान्वयन के लिए 1670 करोड़ रुपये के परिव्यय में से कुल 1668.43 करोड़ रुपये व्यय किए गए। 2023 तक 18,735 न्यायालयों को डिजिटल अवसंरचना प्रदान की जा चुकी है।
न्याय को सभी के लिए सुलभ और उपलब्ध बनाने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के अंतर्गत सरकार द्वारा निम्नलिखित ई-पहल शुरू की गई हैं: -
- वाइड एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूएएन) परियोजना के तहत, भारत भर में कुल कोर्ट परिसरों में से 99.5% को 10 एमबीपीएस से 100 एमबीपीएस बैंडविड्थ स्पीड के साथ कनेक्टिविटी प्रदान की गई है। ईकोर्ट्स परियोजना के तहत वाइड एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूएएन) परियोजना का उद्देश्य मल्टीप्रोटोकॉल लेबल स्विचिंग (एमपीएलएस), ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ), वेरी स्मॉल अपर्चर टर्मिनल (वीएसएटी), सबमरीन केबल इत्यादि जैसी विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके देश भर में फैले सभी जिला और अधीनस्थ न्यायालय परिसरों को जोड़ना है। यह ई-कोर्ट्स परियोजना के प्रमुख आधार है, जो देश भर में अदालतों में डेटा कनेक्टिविटी सुनिश्चित करता है। वर्तमान में, सॉफ्टवेयर-परिभाषित वाइड एरिया नेटवर्क (एसडी-डब्ल्यूएएन) तकनीक का उपयोग करके बीएसएनएल द्वारा 209 नए कोर्ट परिसरों को कनेक्टिविटी प्रदान की जा रही है।
- II. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) आदेशों, निर्णयों और मामलों का एक डेटाबेस है, जिसे ई-कोर्ट परियोजना के तहत एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के रूप में बनाया गया है। यह देश के सभी कम्प्यूटरीकृत जिला और अधीनस्थ न्यायालयों की न्यायिक कार्यवाही/निर्णयों से संबंधित जानकारी प्रदान करता है। मुकदमों की जानकारी और 27.64 करोड़ से अधिक आदेशों/निर्णयों (आज तक) तक पहुँच सकते हैं।
- कस्टमाइज्ड फ्री एंड ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (एफओएसएस) पर आधारित केस इंफॉर्मेशन सॉफ्टवेयर (सीआईएस)विकसित किया गया है। वर्तमान में सीआईएस नेशनल कोर वर्जन 3.2 को जिला न्यायालयों में और सीआईएस नेशनल कोर वर्जन 1.0 को उच्च न्यायालयों में लागू किया जा रहा है।
- IV. ई-कोर्ट परियोजना के हिस्से के रूप में, वकीलों/वादियों को केस की स्थिति, वाद सूची, निर्णय आदि के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करने के लिए एसएमएस पुश और पुल सेवा (प्रतिदिन 4 लाख से अधिक एसएमएस भेजे जाते हैं), ईमेल (प्रतिदिन 6 लाख से अधिक भेजे जाते हैं), बहुभाषी ई-कोर्ट सेवा पोर्टल (प्रतिदिन 35 लाख हिट), जेएससी (न्यायिक सेवा केंद्र) और इंफो कियोस्क के माध्यम से 7 प्लेटफ़ॉर्म बनाए गए हैं। इसके अलावा, वकीलों के लिए मोबाइल ऐप (31.10.2024 तक कुल 2.69 करोड़ डाउनलोड) और न्यायाधीशों के लिए जस्टआईएस ऐप (31.10.2024 तक 20,719 डाउनलोड) के साथ इलेक्ट्रॉनिक केस मैनेजमेंट टूल्स (ईसीएमटी) बनाए गए हैं।
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए अदालती सुनवाई करने में भारत वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनकर उभरा है। जिला और अधीनस्थ न्यायालयों ने 31.10.2024 तक 2,48,21,789 मामलों की सुनवाई की, जबकि उच्च न्यायालयों ने 90,21,629 मामलों (कुल 3.38 करोड़) की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली का उपयोग करके की। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 23.03.2020 से 04.06.2024 तक 7,54,443 मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए की। 3,240 न्यायालय परिसरों और संबंधित 1,272 जेलों के बीच भी वी.सी. सुविधाएँ सक्षम की गई हैं।
- VI. गुजरात, गुवाहाटी, उड़ीसा, कर्नाटक, झारखंड, पटना, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, कलकत्ता और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू कर दी गई है, जिससे मीडिया और अन्य इच्छुक व्यक्ति कार्यवाही में शामिल हो सकेंगे।
- 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ट्रैफिक चालान मामलों को निपटाने के लिए वर्चुअल कोर्ट चालू किए गए हैं। इन वर्चुअल कोर्ट द्वारा 6 करोड़ से अधिक मामले (6,00,29,546) निपटाए गए हैं और 62 लाख (62,97,544) से अधिक मामलों में 31.10.2024 तक 649.81 करोड़ रुपये से अधिक का ऑनलाइन जुर्माना वसूला गया है।
- ई-फाइलिंग प्रणाली (संस्करण 3.0) को उन्नत सुविधाओं के साथ शुरू किया गया है, जिससे वकील 24X7 किसी भी स्थान से मामलों से संबंधित दस्तावेजों तक पहुंच सकते हैं और उन्हें अपलोड कर सकते हैं।
- IX. मामलों की ई-फाइलिंग के लिए फीस के इलेक्ट्रॉनिक भुगतान का विकल्प आवश्यक है, जिसमें न्यायालय शुल्क, जुर्माना और दंड शामिल हैं, जो सीधे समेकित निधि में देय हैं। इसलिए फीस आदि के परेशानी मुक्त हस्तांतरण के लिए ई-भुगतान प्रणाली शुरू की गई थी।
- डिजिटल डिवाइड को पाटने के लिए, जिला न्यायालयों में 1394 ई-सेवा केंद्र (सुविधा केंद्र) और उच्च न्यायालयों में 36 ई-सेवा केंद्र (सुविधा केंद्र) वकीलों और वादियों को नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए शुरू किए गए हैं। यह वादियों को ऑनलाइन ई-कोर्ट सेवाओं तक पहुँचने में सहायता करता है और उन लोगों के लिए एक रक्षक के रूप में कार्य करता है जो तकनीक का खर्च नहीं उठा सकते हैं या दूर-दराज के क्षेत्रों में रहते हैं। यह बड़े पैमाने पर नागरिकों के बीच निरक्षरता के कारण होने वाली चुनौतियों का समाधान करने में भी सहायता करता है। ये देश भर में मामलों की ई-फाइलिंग, वर्चुअल सुनवाई, स्कैनिंग, ई-कोर्ट सेवाओं तक पहुँचने आदि की सुविधा प्रदान करके समय की बचत, परिश्रम से बचने, लंबी दूरी की यात्रा करने और लागत बचाने में भी लाभ प्रदान करते हैं।
- XI. प्रौद्योगिकी आधारित प्रक्रिया सेवा और समन जारी करने के लिए राष्ट्रीय सेवा और इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रियाओं की ट्रैकिंग (एनएसटीईपी) शुरू की गई है। इसे वर्तमान में 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है।
- एक नया "जजमेंट सर्च" पोर्टल शुरू किया गया है जिसमें बेंच, केस टाइप, केस नंबर, वर्ष, याचिकाकर्ता/प्रतिवादी का नाम, जज का नाम, अधिनियम, धारा, निर्णय की तारीख और पूर्ण पाठ खोज जैसी सुविधाएँ हैं। यह सुविधा सभी को निःशुल्क प्रदान की जा रही है।
- परियोजना के एक हिस्से के रूप में, ई-कोर्ट परियोजना के तहत प्रदान की गई आईसीटी सेवाओं पर मई 2020 से अक्टूबर 2024 तक 605 प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, जिला न्यायपालिका के न्यायाधीश, न्यायालय के कर्मचारी, न्यायाधीशों/डीएसए के बीच मास्टर प्रशिक्षक, उच्च न्यायालयों के तकनीकी कर्मचारी और अधिवक्ताओं सहित लगभग 6,64,144 हितधारकों को शामिल किया गया है।
ई-कोर्ट्स चरण III (2023-2027) को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सितंबर 2023 में ₹7,210 करोड़ के परिव्यय पर मंजूरी दी गई है, जो चरण II के लिए वित्त पोषण से चार गुना अधिक है। परियोजना में विभिन्न नई डिजिटल पहलों की परिकल्पना की गई है जैसे डिजिटल और पेपरलेस न्यायालयों की स्थापना, जिसका उद्देश्य अदालती कार्यवाही को डिजिटल प्रारूप में लाना, अदालती रिकॉर्ड (विरासत रिकॉर्ड और लंबित मामले दोनों) का डिजिटलीकरण, अदालतों, जेलों और अस्पतालों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का विस्तार, यातायात उल्लंघन के निर्णयों से परे ऑनलाइन अदालतों का दायरा, सभी अदालत परिसरों में ई-सेवा केंद्रों की संतृप्ति, डिजिटल अदालती रिकॉर्ड को आसानी से प्राप्त करने और उनका समर्थन करने के लिए अत्याधुनिक और नवीनतम क्लाउड आधारित डेटा संग्रह, सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन, लाइव स्ट्रीमिंग और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य आदि, लंबित मामलों के विश्लेषण, भविष्य के मुकदमों का पूर्वानुमान आदि के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर) जैसे इसके उप-समूहों का उपयोग।
यह जानकारी विधि एवं न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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एमजी/केसी/जीके
(Release ID: 2083862)
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