रेल मंत्रालय
कवच: सुरक्षा की शील्ड
भारत की अत्याधुनिक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली
Posted On:
10 DEC 2024 4:01PM by PIB Delhi
रेल यात्राओं को सुरक्षित और अधिक कुशल बनाने की जद्दोजहद में भारतीय रेल ने एक अत्याधुनिक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली कवच का आगाज किया है, जो स्वदेशी प्रौद्योगिकी में सफलता का प्रतिनिधित्व करती है। ट्रेन परिचालन के लिए उच्चतम सुरक्षा मानक सुनिश्चित करने वाली इस प्रणाली का नाम अंग्रेजी के "शील्ड" शब्द के हिंदी अर्थ- कवच पर रखा गया है, जो कड़ी सुरक्षा परत प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है। प्रतिष्ठित सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (एसआईएल-4) से प्रमाणित, कवच अपनी असाधारण विश्वसनीयता की साक्षी है।
स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) एक ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जिसे ट्रेन की रफ्तार को सिग्नलिंग सिस्टम द्वारा निर्धारित गति सीमा के भीतर रखना सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली ट्रेन की रफ्तार की लगातार निगरानी करती है और स्वचालित रूप से स्वीकार्य गति सीमा का अनुपालन करती है। यदि ट्रेन की रफ्तार स्वीकार्य गति सीमा से अधिक हो या वह विशिष्ट सिग्नल पहलुओं का अनुपालन करने में विफल रहे, तो एटीपी तुरंत ट्रेन को रोकने के लिए आपातकालीन ब्रेक को सक्रिय कर देती है।
भारत के विशाल और जटिल रेल नेटवर्क पर चलने वाले ट्रेन चालकों के लिए कवच एक सतर्क रक्षक सरीखा काम करती है। यह ट्रेन की रफ्तार पर नज़र रखती है और मानवीय क्रियाकलाप में देरी या चूक होने पर तत्काल हरकत में आ जाती है। महत्वपूर्ण क्षणों में लोको पायलट के कार्रवाई करने में विफल रहने पर कवच स्वचालित रूप से ब्रेक लगा देती है, जिससे संभावित दुर्घटनाएं रोकी जा सकती हैं। लेकिन कवच मात्र सुरक्षा प्रणाली से कहीं बढ़कर है; इसे भारत के मौसम की वैविध्यपूर्ण और अप्रत्याशित चुनौतियों से निपटने के लिए बनाया गया है। चाहे घना कोहरा हो, भारी मानसून हो या फिर बहुत बेहद गर्म तापमान हो, कवच महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हुए ट्रेनों का सुचारू परिचालन सुनिश्चित करती है। यह स्थानीय विशेषज्ञता के साथ अत्याधुनिक तकनीक का मिश्रण है।
सहनीय जोखिम दर (टीएचआर) और सुरक्षा अखंडता स्तर (एसआईएल)
सहनीय जोखिम दर (टीएचआर) एक लक्षित मापदंड है, जिसका उपयोग किसी प्रणाली के भीतर सुरक्षा अखंडता से संबंधित व्यवस्थित और आकस्मिक विफलताओं, दोनों का आकलन करने के लिए किया जाता है। टीएचआर स्वीकार्य सुरक्षा मानक सुनिश्चित करने के लिए मात्रात्मक आधार प्रदान करके आवश्यक सुरक्षा के स्तर निर्धारित करने में मदद करता है। किसी प्रणाली की सुरक्षा अखंडता को चार अलग-अलग स्तरों में वर्गीकृत किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक सुरक्षा की एक विशिष्ट डिग्री का प्रतिनिधित्व करता है: स्तर 4, सुरक्षा अखंडता के उच्चतम स्तर का प्रतिनिधित्व करता है, और स्तर 0, जो किसी सुरक्षा आवश्यकता को इंगित नहीं करता है।
गुणवत्ता और सुरक्षा प्रबंधन के साथ ही साथ तकनीकी सुरक्षा स्थितियों सहित विभिन्न कारकों के गुणात्मक मूल्यांकन के आधार पर प्रणाली को सुरक्षा अखंडता स्तर (एसआईएल) प्रदान किया जाता है। व्यवस्थित और आकस्मिक विफलता जोखिमों से निपटना सुनिश्चित करने के लिए उचित एसआईएल प्राप्त करना आवश्यक है।
इष्टतम सुरक्षा प्रदर्शन हासिल करने के लिए व्यवस्थित विफलताओं (सुरक्षा उपायों) को रोकने के उपायों और आकस्मिक विफलताओं को नियंत्रित करने के उपायों के बीच संतुलन की आवश्यकता होती है। जहां एक ओर व्यवस्थित विफलताओं को मापना चुनौतीपूर्ण है, वहीं आकस्मिक विफलताओं को मात्रात्मक तरीकों का उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है, दोनों के बीच का संतुलन एक तालिका में दर्शाया गया है।
यह एसआईएल तालिका सुरक्षा-संबंधी कार्यों या ऐसे कार्यों को कार्यान्वित करने वाली उप-प्रणालियों पर लागू होती है, जो सहनीय जोखिम दर (टीएचआर) के आधार पर आवश्यक एसआईएल को परिभाषित करने में मदद करती है। जब किसी विशिष्ट कार्य के लिए टीएचआर मात्रात्मक रूप से निर्धारित किया गया है, तो यह तालिका आवश्यक एसआईएल की पहचान कर सकती है।[1]
कवच का विकास और क्रमागत उन्नति
कवच की विकास यात्रा फरवरी 2016 में सवारी रेलगाडि़यों पर किए गए शुरुआती फील्ड परीक्षणों के साथ आरंभ हुई। इन परीक्षणों ने इस प्रणाली की व्यावहारिक तैनाती और संचालन में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की, जिससे इसमें और सुधार लाने का आधार तैयार हुआ।
• चरण 1:
फरवरी 2016 में शुरू हुए फील्ड परीक्षणों से प्राप्त बहुमूल्य प्रतिक्रिया और एक स्वतंत्र सुरक्षा निर्धारक (आईएसए) द्वारा किए गए स्वतंत्र सुरक्षा मूल्यांकन के आधार पर 2018 और 2019 के बीच कवच संस्करण 3.2 की आपूर्ति के लिए तीन फर्मों को मंजूरी दी गई। भारतीय रेल में इसकी विश्वसनीयता और कार्यक्षमता में सुधार के लिए परीक्षण और मूल्यांकन के माध्यम से इस संस्करण को परिष्कृत किया गया।
• राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जाना (2020):
पर्याप्त फील्ड परीक्षणों और सफल मूल्यांकन के बाद जुलाई 2020 में भारतीय रेल द्वारा कवच प्रणाली को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली के रूप में अपनाया गया। यह समूचे नेटवर्क में रेलवे सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम था।
• कवच संस्करण 4.0 (2024):
अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा स्वीकृत कवच संस्करण 4.0 की शुरूआत के साथ 16 जुलाई 2024 को इस प्रणाली में महत्वपूर्ण विकास हुआ। इस संस्करण में पिछली तैनाती और परिचालन की वास्तविक चुनौतियों के संबंध में प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर कई सुधार शामिल किए गए हैं। संस्करण 4.0 में शामिल कुछ प्रमुख नवाचार इस प्रकार हैं:
· स्थान के बारे में बेहतर सटीकता: यह सुधार ट्रेन की स्थिति का निर्धारण उच्च परिशुद्धता के साथ किया जाना सुनिश्चित करता है, जो विशेष कर जटिल रेलवे लेआउट में ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए महत्वपूर्ण है।
• सिग्नल से संबंधित पहलू की बेहतर जानकारी: यह प्रणाली अब बड़े यार्डों में सिग्नल संबंधी पहलुओं के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी प्रदान करती है, जिससे व्यस्त टर्मिनल स्टेशनों और जंक्शनों में परिचालन दक्षता और सुरक्षा में सुधार होता है।
• ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) पर स्टेशन-टू-स्टेशन कवच इंटरफ़ेस: यह सुविधा निर्बाध स्टेशन संचार सुनिश्चित करती है, जिससे बड़ी दूरी पर समन्वय और सुरक्षा में वृद्धि होती है।
• इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ सीधा इंटरफ़ेस: मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम को एकीकृत करने से ट्रेन नियंत्रण अधिक कुशल हो जाता है, देरी कम होती है और सिस्टम की समग्र विश्वसनीयता में सुधार होता है।
इन सुधारों के साथ यह प्रणाली अब भारत के व्यापक रेल नेटवर्क में विविध परिचालन स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित है। देश भर में इस तरह की प्रणाली को लागू करने का पैमाना और जटिलता बहुत बड़ी है, लेकिन कवच संस्करण 4.0 की सफलता इस बात का संकेत है कि यह उपलब्धि यात्रियों और माल ढुलाई दोनों के लिए सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार करेगी।
कवच प्रणाली का कार्यान्वयन
कवच की तैनाती एक बड़े पैमाने की पहल है, जिसमें रेल नेटवर्क में विविध ढांचागत घटकों की स्थापना शामिल है। इन घटकों में ट्रैकसाइड उपकरण, स्टेशन, लोकोमोटिव और संचार प्रणाली शामिल हैं, जो वास्तविक समय में ट्रेन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम करते हैं।
कवच के कार्यान्वयन में शामिल प्रमुख गतिविधियां निम्नलिखित हैं:
· स्टेशन कवच की संस्थापना: कवच को पटरियों के साथ प्रत्येक स्टेशन और ब्लॉक सेक्शन पर स्थापित किया जा रहा है। इन संस्थापनाओं की बदौलत यह प्रणाली ट्रेन की गतिविधियों की निगरानी और प्रबंधन करने में समर्थ हो पाती है, जिससे सुरक्षित परिचालन सुनिश्चित होता है।
· आरएफआईडी टैग की संस्थापना: कवच प्रणाली को ट्रेन की स्थिति को ट्रैक करने और मार्ग पर सुरक्षा से संबंधित किसी भी तरह की संभावित समस्या का पता लगाने में सक्षम बनाने के लिए पूरे ट्रैक की लंबाई में रेडियो फ़्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टैग लगाए जाते हैं।
· दूरसंचार टावर: ट्रेन और नियंत्रण केंद्रों के बीच निरंतर और विश्वसनीय संचार की सुविधा के लिए सेक्शनों में दूरसंचार टावरों का एक नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है। ये टावर ट्रैक-साइड उपकरणों और ट्रेनों के बीच डेटा संचारित करने में मदद करते हैं।
· ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी): त्वरित और कुशल डेटा संचरण सुनिश्चित करने के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल को पटरियों के साथ बिछाया जाता है। यह स्टेशन, ट्रैकसाइड उपकरण और लोकोमोटिव के बीच संचार के लिए महत्वपूर्ण है।
· लोको कवच की संस्थापना परिचालन में सुरक्षा बरकरार रखना सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रेल पर चलने वाले हर लोकोमोटिव को कवच तकनीक से लैस किया जा रहा है। ये उपकरण ट्रेनों की गति की लगातार निगरानी और नियंत्रण करते हैं।
प्रगति और तैनाती का घटनाक्रम
प्रमुख रेलवे ज़ोन और गलियारों में लगातार हो रही प्रगति के साथ कवच को रेल नेटवर्क के महत्वपूर्ण हिस्सों पर तैनात किया गया है। अक्टूबर 2024 तक निम्नलिखित प्रगति हुई है:
• दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर) और उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर):
इन क्षेत्रों में कवच को 1548 रूट किलोमीटर (आरकेएम) ट्रैक पर पहले ही तैनात किया जा चुका है। इन तैनातियों से प्राप्त महत्वपूर्ण जानकारी की वजह से प्रणाली में और सुधार संभव हुआ है।
• दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा गलियारे :
लगभग 3000 आरकेएम को कवर करने वाले दिल्ली से मुंबई और दिल्ली से हावड़ा को जोड़ने वाले प्रमुख गलियारों पर तेजी से काम चल रहा है। इन मार्गों पर ट्रैक-साइड से संबंधित कार्य 1081 आरकेएम से अधिक पूरा हो चुका है, जिसमें दिल्ली-मुंबई खंड पर 705 आरकेएम और दिल्ली-हावड़ा खंड पर 376 आरकेएम शामिल हैं। इस प्रणाली की पूर्ण तैनाती की दिशा में तत्परता सुनिश्चित करने के लिए नियमित परीक्षण किए जा रहे हैं।
प्रमुख मदों की विस्तृत प्रगति (अक्टूबर 2024 तक)
कवच की तैनाती के संबंध में अब तक हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियों का विवरण इस प्रकार है:
ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना: 4960 किमी
दूरसंचार टावरों की स्थापना: 378 टावर
स्टेशनों पर कवच का प्रावधान: 381 स्टेशन
लोकोमोटिव में कवच का प्रावधान: 482 लोकोमोटिव
ट्रैक-साइड उपकरण की स्थापना: 1948 आरकेएम
ये आंकड़े कवच कार्यान्वयन के पैमाने और जटिलता को दर्शाते हैं, तथा इस दिशा में हासिल हुई प्रगति भारतीय रेल के समर्पण और प्रयास का प्रमाण है।
प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
कवच के सफल कार्यान्वयन का एक महत्वपूर्ण घटक रेलवे कर्मियों का प्रशिक्षण है। भारतीय रेल ने आईआरआईएसईटी (भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान) जैसे अपने केंद्रीकृत प्रशिक्षण संस्थानों में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं। ये कार्यक्रम तकनीशियनों, ऑपरेटरों और इंजीनियरों को कवच प्रणाली को प्रभावी ढंग से संचालित करने और बनाए रखने के लिए आवश्यक कौशल से पूरी तरह लैस किया जाना सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। अब तक, 9,000 से अधिक कर्मियों को कवच तकनीक के संबंध में प्रशिक्षित करते हुए यह सुनिश्चित किया गया है कि कार्यबल बड़े पैमाने पर तैनाती और संचालन के लिए तैयार है।
कवच के कार्यान्वयन के लिए लागत और वित्तपोषण
कवच प्रणाली भारतीय रेल की सुरक्षा और भविष्य की दिशा में बहुत बड़ा निवेश है। इसमें शामिल लागतें बहुत अधिक हैं, लेकिन बेहतर सुरक्षा और दुर्घटनाओं में कमी के लाभ इन खर्चों से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं।
· लागत का अनुमान:
ट्रैक-साइड उपकरण (स्टेशन उपकरण सहित): स्टेशन उपकरण सहित ट्रैक-साइड उपकरण उपलब्ध कराने की अनुमानित लागत लगभग 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर है।
लोकोमोटिव उपकरण: लोकोमोटिव पर कवच उपकरण उपलब्ध कराने की लागत लगभग 80 लाख रुपये प्रति लोकोमोटिव है।
• निधियां :
कवच से संबंधित कार्यों के लिए अब तक कुल 1,547 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 1,112.57 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
निष्कर्ष
भारतीय रेल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कवच का कार्यान्वयन एक परिवर्तनकारी कदम का प्रतिनिधित्व करता है। निरंतर सुधार और राष्ट्रव्यापी तैनाती के लिए एक स्पष्ट रोडमैप के साथ, कवच प्रणाली पूरे भारत में ट्रेन परिचालन की सुरक्षा को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए तैयार है। 2016 में अपने शुरुआती परीक्षणों से लेकर 2024 में बड़े पैमाने पर तैनाती जारी रहने तक, कवच की यात्रा सुरक्षित और अधिक कुशल परिवहन नेटवर्क प्रदान करने की भारतीय रेल की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। जैसे-जैसे यह परियोजना आगे बढ़ेगी, उन्नत तकनीक और बुनियादी ढांचे को एकीकृत करने की बदौलत भारतीय रेल की गिनती दुनिया के सबसे सुरक्षित रेल नेटवर्कों में होने लगेगी।
संदर्भ :
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2022/mar/doc202231424701.pdf
https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2078090
https://iriset.railnet.gov.in/content/gyandeep/2017/6-article.pdf
Handbook on Train Collision Avoidance System_April 2021(2).pdf
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