जल शक्ति मंत्रालय
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने गंगा संरक्षण पर ईटीएफ (सशक्त कार्यबल) की 13वीं बैठक की अध्यक्षता की
गंगा और उसकी सहायक नदियों में 1,428 घड़ियाल और 1,899 कछुए फिर से डाले गए हैं, जिससे जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है
उत्तर प्रदेश के 27 जिलों में आर्द्रभूमि सर्वेक्षण किए गए और बिहार में 387 आर्द्रभूमियों के लिए प्रबंधन योजनाएं बनाई गईं
झारखंड के उधवा झील पक्षी अभयारण्य और शहरी आर्द्रभूमि के लिए एक निगरानी व्यवस्था बनाई गई
नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, गंगा बेसिन की पारिस्थितिकी को मजबूत करने के लिए 1,34,104 हेक्टेयर भूमि पर वनरोपण करने का लक्ष्य रखा गया
Posted On:
10 DEC 2024 6:18PM by PIB Delhi
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल ने नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत जारी सभी परियोजनाओं की व्यापक समीक्षा करते हुए समयसीमा का पालन करने और गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने इस मिशन को राष्ट्र के लिए पर्यावरण, सांस्कृतिक और सामाजिक उत्थान का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बताते हुए इस बात पर बल दिया कि गंगा का संरक्षण केवल एक परियोजना नहीं बल्कि राष्ट्रीय कर्तव्य है। मंत्री महोदय ने निर्धारित समय सीमा के भीतर परियोजनाओं को पूरा करने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए, जिसमें राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और अन्य हितधारकों के बीच निर्बाध समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
गंगा को "न केवल एक नदी बल्कि हमारी सभ्यता, आस्था और आजीविका का आधार" बताते हुए, श्री पाटिल ने उपचारित जल के पुनः उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया और सभी हितधारकों को एक ऐसा दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया, जिसमें पुनः उपयोग परियोजनाओं की व्यवस्था पर काम करते समय मीठे पानी के उपयोग की लागत को पर्याप्त रूप से ध्यान में रखा जाए। परियोजना कार्यान्वयन में देरी और बाधाओं पर चर्चा करते हुए मंत्री महोदय ने समय पर निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए नवीन तकनीकों और आधुनिक प्रबंधन प्रणालियों को अपनाने का समर्थन किया। उन्होंने परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में सभी हितधारकों से सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता दोहराई और इस बात पर बल दिया कि यह मिशन न केवल गंगा की स्वच्छता और अविरल प्रवाह को बहाल करेगा, बल्कि देश भर में लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक के रूप में भी कार्य करेगा।
बैठक में नमामि गंगे मिशन के तहत की गई महत्वपूर्ण प्रगति की समीक्षा की गई, जिसमें पूर्ण हो चुकी परियोजनाओं, जारी पहलों और समग्र नदी पुनरुद्धार के लिए भविष्य की कार्य योजनाओं का उल्लेख किया गया। चर्चा में प्रदूषण निवारण, उपचारित जल का पुनः उपयोग, जैव विविधता की बहाली और गंगा ज्ञान केंद्र में नए विकास सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
बैठक में आर्द्रभूमि और जैव विविधता संरक्षण पर जोर देते हुए गंगा की पारिस्थितिकी को संरक्षित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा की गई। नमामि गंगे कार्यक्रम (एनजीपी) के तहत वेटलैंड्स इंटरनेशनल इंडिया, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया और राज्य प्राधिकरणों के सहयोग से उत्तर प्रदेश के 27 जिलों में आर्द्रभूमि सर्वेक्षण किए गए, तीन आर्द्रभूमियों के लिए संरक्षण योजना तैयार की गई और बिहार में 387 आर्द्रभूमियों के लिए प्रबंधन योजना विकसित की गई। झारखंड के उधवा झील पक्षी अभयारण्य और शहरी आर्द्रभूमि के लिए एक मॉडल टूलकिट और निगरानी तंत्र भी विकसित किया गया। इसके साथ ही, जैव विविधता पार्क पहल के माध्यम से गंगा नदी बेसिन में पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने और सार्वजनिक भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इन पार्कों का उद्देश्य स्थानीय प्रजातियों को बहाल करना, हरित बफर्स बनाना और वायु एवं जल की गुणवत्ता में सुधार करना है
गंगा नदी बेसिन की जैव विविधता को बहाल करने के लिए, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने डॉल्फ़िन, कछुए, घड़ियाल, हिल्सा और महासीर जैसी प्रजातियों के संरक्षण पर ज़ोर दिया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीआईएफआरआई) और टर्टल सर्वाइवल अलायंस इंडिया (टीएसएएफआई) के सहयोग से, 1,428 घड़ियाल और 1,899 कछुओं को गंगा और उसकी सहायक नदियों में फिर से डाला गया है, जिससे जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
इसके अतिरिक्त, नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत गंगा बेसिन की पारिस्थितिकी को मजबूत करने के लिए 1,34,104 हेक्टेयर भूमि पर वनरोपण करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से अब तक 33,024 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण पूरा हो चुका है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के प्राकृतिक, कृषि और शहरी क्षेत्रों को कवर करते हुए, यह प्रयास गंगा की पारिस्थितिकी को संरक्षित करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सीएएमपीए वित्त पोषण के माध्यम से 59,850 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण ने इस पहल को और मजबूत किया है।
बैठक में गंगा ज्ञान केंद्र की प्रगति पर चर्चा की गई, जिसमें गंगा ज्ञान पोर्टल को जल संसाधन प्रबंधन के लिए एक अभिनव और केंद्रीकृत मंच बताया गया। 606 क्यूरेटेड दस्तावेजों और एआई-सक्षम मॉड्यूल से लैस यह पोर्टल उपयोगकर्ताओं को व्यक्तिगत अनुभव और त्वरित जानकारी प्रदान करता है, जो जल शक्ति मंत्रालय के तहत एआई के अग्रणी उपयोग को दर्शाता है। एलआईडीएआर तकनीक का उपयोग करके गंगा बेसिन की उच्च-रिज़ॉल्यूशन मैपिंग और जीआईएस-तैयार डेटा तैयार किया गया है, जो अपशिष्ट निर्वहन की मैपिंग और निगरानी में सहायता करता है। ये पहल गंगा पारिस्थितिकी तंत्र के सतत प्रबंधन और बेहतर नीतियों के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण उपलबिध है।
इस अवसर पर माननीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तत्वावधान में विकसित चार ज्ञान उत्पादों की शुरुआत की:
1. प्रथम पुस्तक पांच मुख्य राज्यों अर्थात् उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 'गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के जिला मानचित्रों' का संग्रह है, जो गंगा ज्ञान केंद्र का आंतरिक विकास है।
2. दूसरी पुस्तक एक नीति दस्तावेज है, जिसका शीर्षक है, "गंगा नदी डॉल्फिन स्ट्रैंडिंग शमन योजना", जो शुष्क मौसम के दौरान छोटी नहरों/नदियों में फंसी गंगा डॉल्फिनों को बचाने के लिए है।
3. तीसरी पुस्तक जिसका शीर्षक है, "इटरनल वाटर्स: आर2आर - धर्म से संसाधन तक एक दृश्य यात्रा": यह पुस्तक इस बात का एक जीवंत चित्र प्रस्तुत करती है कि किस प्रकार धर्म से संसाधन तक की हमारी सामूहिक यात्रा, जीवन के आध्यात्मिक और भौतिक दोनों पहलुओं में ईश्वर का सम्मान करने की हमारी क्षमता का एक विस्मयकारी प्रमाण है।
4. चौथी पुस्तक जिसका शीर्षक है, "द एल्युसिव गंगा" इस विशाल नदी को गोमुख से लेकर बंगाल की खाड़ी में गंगा सागर में इसके विलय बिंदु तक एक साहसिक यात्रा के रूप में प्रलेखित करती है। दृश्य यात्रा वृत्तांत में उन संस्कृतियों और सभ्यताओं की झलक मिलती है जो नदी के किनारे पनपी हैं।
बैठक के दौरान, एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव कुमार मित्तल ने पिछली बैठक के बाद से गंगा संरक्षण और पुनरुद्धार में हुई प्रगति की जानकारी देते हुए एक व्यापक प्रस्तुति दी। विचार-विमर्श नदी के पुनरुद्धार के लिए एक कार्य योजना के इर्द-गिर्द केंद्रित था, जिसमें प्रदूषण निवारण परियोजनाओं और जैव विविधता संरक्षण तथा नमामि गंगे मिशन के तहत गंगा ज्ञान केंद्र पर ध्यान केंद्रित किया गया।
बैठक में विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रमुख उपस्थित लोगों में सचिव (डीओडब्लूआर) सुश्री देबाश्री मुखर्जी, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री राजीव कुमार मित्तल, संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार सुश्री ऋचा मिश्रा, नमामि गंगे मिशन के कार्यकारी निदेशक और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, विद्युत मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल थे।
राज्य स्तरीय अधिकारियों में डॉ राज शेखर परियोजना निदेशक एसएमसीजी उत्तर प्रदेश; श्री शैलेश बगौली, सचिव पेजयल उत्तराखंड सरकार, सुश्री नंदिनी घोष परियोजना निदेशक एसपीएमजी पश्चिम बंगाल और एमडी बीहयूआईडीसीओ श्री योगेश कुमार सागर उपस्थित थे।
जिला गंगा योजनाओं (डीजीपी) की तैयारी में प्रगति पर उत्साहजनक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई। इसमें उल्लेख किया गया कि प्रदूषण मुक्त और नदियों की स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए, सभी जिला गंगा समितियों (डीजीसी) को डीजीपी तैयार करने का अधिकार दिया गया है। प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए, एक पुस्तिका और एक मानकीकृत डीजीपी टेम्पलेट तैयार किया गया है, जो डीजीसी के साथ व्यापक परामर्श और एनएमसीजी, जीआईजेड और आईआईपीए के बीच सहयोगात्मक प्रयास का परिणाम है। वर्तमान में लगभग 60 जिला गंगा योजनाओं की तैयारी चल रही है, जो वर्तमान में तैयार की गई चार योजनाओं के अलावा एक बड़ी उपलब्धि होगी।
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एमजी/केसी/एसएस/वाईबी
(Release ID: 2083180)
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