पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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संसद प्रश्न:- भारतीय कार्बन बाजार

Posted On: 09 DEC 2024 8:56PM by PIB Delhi

दिसंबर 2023  में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) को सौंपे गए तीसरे राष्ट्रीय संचार (टीएनसी) के अनुसार भारत ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से अपने आर्थिक विकास को अलग करना सफलतापूर्वक जारी रखा है। इसके फलस्वरूप सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले उत्सर्जन तीव्रता में कमी आई है। इसका विवरण नीचे दिया गया है:

अवधि

ीएचजी इन्वेंटरी वर्ष

उत्सर्जन तीव्रता में कमी

2005 के स्तर के मुकाबले

2005-2010

2010

12 प्रतिशत

2005-2014

2014

21 प्रतिशत

2005-2016

2016

24 प्रतिशत

2005-2019

2019

33 प्रतिशत

 

कार्बन बाज़ार विकसित करने के लिए ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में वर्ष 2022 में आवश्यक संशोधन प्रस्तावित किए गए थे। ऊर्जा संरक्षण संशोधन अधिनियम, 2022 के तहत भारतीय कार्बन बाज़ार के लिए नियामक ढांचा स्थापित किया गया है। इस अधिनियम की धारा 14 का खंड (डब्ल्यू), केंद्र सरकार को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (ब्यूरो) के परामर्श से कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना को निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है। इस आधार पर केंद्र सरकार ने अधिसूचना एसओ 2825 (ई), दिनांक 28 जून 2023 और संशोधन अधिसूचना एसओ 5369 (ई), दिनांक 19 दिसंबर 2023 के माध्यम से कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना को अधिसूचित किया है। कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (सीसीटीएस) से यूएनएफसीसीसी और उसके पेरिस समझौते के तहत प्रतिबद्धताओं के अनुरूप भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए केंद्र सरकार ने भारतीय कार्बन बाजार (आईसीएम) के लिए एक मजबूत ढांचा विकसित करने का लक्ष्य रखा है जिसका उद्देश्य कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्रों के व्यापार के माध्यम से ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन का मूल्य निर्धारण करके भारतीय अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करना है।

सीसीटीएस दो तंत्रों को परिभाषित करता है- अनुपालन तंत्र और ऑफसेट तंत्र। अनुपालन तंत्र में बाध्य संस्थाएं सीसीटीएस के प्रत्येक अनुपालन चक्र में निर्धारित जीएचजी उत्सर्जन तीव्रता में कमी के मानदंडों का अनुपालन करेंगी। बाध्य संस्थाएं जो निर्धारित जीएचजी उत्सर्जन तीव्रता से नीचे अपनी जीएचजी उत्सर्जन तीव्रता को कम करती हैं, वे कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र जारी करने के लिए पात्र होंगी। ऑफसेट तंत्र में गैर-बाध्य संस्थाएं कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र जारी करने के लिए जीएचजी उत्सर्जन में कमी या हटाने या परिहार के लिए अपनी परियोजनाओं को पंजीकृत कर सकती हैं। कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना से यूएनएफसीसीसी और उसके पेरिस समझौते के तहत प्रतिबद्धताओं के अनुरूप भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) योजना वर्ष 2012 में शुरू की गई थी और यह एक बाजार आधारित तंत्र है जिसका उद्देश्य उद्योगों को विशिष्ट ऊर्जा खपत में कमी के लक्ष्य अधिसूचित करके उद्योगों में ऊर्जा दक्षता में सुधार लाना है। सरकार ने ऊर्जा गहन क्षेत्रों और नामित उपभोक्ताओं (डीसी) को प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) योजना से कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (सीसीटीएस) के तहत अनुपालन तंत्र में सुचारू रूप से स्थानांतरित करने के लिए एक विस्तृत परिवर्तन योजना विकसित की है। यह योजना लक्ष्यों के दोहराव से बचते हुए राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों के साथ निरंतरता, स्थिरता और संरेखण सुनिश्चित करती है। इसके लिए सरकार ने सीसीटीएस के तहत शामिल करने के लिए नौ ऊर्जा गहन क्षेत्रों की पहचान की है और ये क्षेत्र हैं-एल्युमीनियम, सीमेंट, इस्पात, पेपर, क्लोर-क्षार, उर्वरक, रिफाइनरी, पेट्रोरसायन और वस्त्र।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (सीसीटीएस) के तहत अनुपालन तंत्र के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया विकसित की है जो सटीक, पारदर्शी और विश्वसनीय अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए व्यापक मापन, रिपोर्टिंग और सत्यापन (एमआरवी) ढांचे को अपनाती है। एमआरवी ढांचे के प्रमुख तत्वों में लक्ष्य निर्धारण, निगरानी, ​​रिपोर्टिंग और सत्यापन प्रक्रिया के साथ-साथ कार्बन प्रमाणपत्र जारी करना और उनका व्यापार शामिल है। एमआरवी दिशानिर्देशों की विकास प्रक्रिया में परामर्शी दृष्टिकोण का पालन किया गया है जिसमें हितधारक परामर्श, संबंधित हितधारकों को मसौदा वितरण शामिल है जिसके आधार पर दस्तावेज़ को अंतिम रूप दिया गया था। अंतिम रूप दिए जाने के बाद भारत सरकार द्वारा जुलाई 2024 में एमआरवी ढांचा प्रकाशित किया गया था। एमआरवी ढांचे का एक आवश्यक पहलू सत्यापन प्रक्रिया है, जिसके लिए जीएचजी उत्सर्जन डेटा के वार्षिक सत्यापन की आवश्यकता होती है। सीसीटीएस योजना की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए, बीईई विशिष्ट पात्रता मानदंडों के आधार पर कार्बन सत्यापन एजेंसियों को मान्यता प्रदान करेगा। मान्यता प्राप्त कार्बन सत्यापन एजेंसी के लिए मान्यता पात्रता मानदंड और विस्तृत प्रक्रियाएं हितधारकों के साथ परामर्श के बाद ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा विकसित की गई हैं और जुलाई 2024 में प्रकाशित की गई हैं।

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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