पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
श्री भूपेंद्र यादव ने सऊदी अरब के रियाद में मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के सीओपी16 में वित्त पर मंत्रिस्तरीय वार्ता के दौरान भारत का वक्तव्य दिया
सरकारों और उद्योग के लिए संसाधनों के जुटाव के माध्यम से भूमि पुनरुद्धार और सूखा प्रतिरोध के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए साझेदारी करना अत्यंत महत्वपूर्ण है: श्री भूपेंद्र यादव
Posted On:
03 DEC 2024 5:45PM by PIB Delhi
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज सऊदी अरब के रियाद में मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के सीओपी16 में वित्त पर मंत्रिस्तरीय वार्ता के दौरान भारत का वक्तव्य दिया। सत्र के विषय - 'भूमि पुनरुद्धार और सूखे से निपटने के लिए सार्वजनिक एवं निजी वित्त को खोलना' को आगे बढ़ाते हुए मंत्री ने कहा कि नीतियों और कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वित्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज हम इस सम्मेलन के उद्देश्यों के क्रियान्वयन के महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए हैं, जहां पर्याप्त वित्तपोषण महत्वपूर्ण है।
श्री यादव ने अपने संबोधन में कहा कि कल जारी की गई विश्व सूखा मानचित्रावली जोखिमों की प्रकृति और राष्ट्रीय योजनाओं तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर देती है। उन्होंने कहा, "यह दस्तावेज नियोजन, अधिकाधिक संसाधनों के उपयोग तथा समाधान खोजने के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम आ सकता है। भूमि क्षरण एक बड़ा मुद्दा है जिस पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इसे समझते हुए, भारत अपनी क्षरित भूमि को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से सार्वजनिक वित्त तंत्र का लाभ उठाने के प्रयास कर रहा है।"
भारत की कोशिशों के बारे में आगे बताते हुए मंत्री ने बताया कि स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी के साथ, विभिन्न सार्वजनिक और निजी वित्त पोषित पहलों के द्वारा भूमि बहाली के लिए सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। उन्होंने कहा, "भारत ने किसानों को स्थायी कृषि के लिए सूक्ष्म वित्त प्रदान करने की सुविधाएं बढ़ाई हैं। सुविधाएं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से प्रदान की गई हैं। भारत ने 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को बहाल करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 22.5 मिलियन हेक्टेयर से अधिक बहाल किया जा चुका है।"
इस दिशा में एक प्रयास के रूप में, भारत ने ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत उद्योगों सहित विभिन्न संस्थाओं से वित्तीय सहायता के द्वारा बंजर भूमि के टुकड़ों की पहचान की जाती है और उन्हें बहाल किया जाता है। साथ ही, ग्रीन इंडिया मिशन, जो बंजर भूमि की पारिस्थितिकी बहाली के लिए परिदृश्य-आधारित दृष्टिकोण को ध्यान में रख कर सभी राज्यों में कई क्षेत्रों के प्रयासों के अभिसरण के द्वारा पूरे देश में लागू किया जाता है। मंत्री ने कहा, हालांकि, ऐसे प्रयासों को तेज करने के लिए अतिरिक्त संसाधन महत्वपूर्ण हैं।
श्री यादव ने कहा कि भारत पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने और पारंपरिक ज्ञान के उपयोग की वकालत करने में भी अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा, "यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सरकार और उद्योग साथ मिलकर क्षेत्रों की पहचान करें और एक-दूसरे की साझेदारी में संसाधनों को जुटाकर भूमि पुनरुद्धार और सूखा प्रतिरोधकता के लक्ष्यों को प्राप्त करें।
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(Release ID: 2080444)
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