मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
आधुनिक पशुपालन पद्धतियों को अपनाना
Posted On:
03 DEC 2024 3:32PM by PIB Delhi
पशुपालन और डेयरी विभाग देश में पशुपालकों की आय को बढ़ाने के लिए आधुनिक पशुपालन पद्धतियां, जैसे उन्नत प्रजनन प्रणालियां, बेहतर पोषण और कृषि तकनीकें अपनाने को प्रोत्साहित करने हेतु निम्नलिखित योजनाएं क्रियान्वित कर रहा है:
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) - आरजीएम देशी बोवाइन नस्लों के विकास और संरक्षण, बोवाइन आबादी के आनुवंशिक उन्नयन और बोवाईन पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे जनजातीय समुदायों सहित सभी समुदायों के किसानों के लिए दूध उत्पादन अधिक लाभकारी बन सके।
- ii. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) - एनएलएम कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से श्रेष्ठ नर जर्मप्लाज्म के प्रसार द्वारा चयनात्मक प्रजनन से भेड़/बकरी/सूअर नस्लों के आनुवंशिक सुधार के द्वारा नस्ल सुधार कार्यकलाप करता है। इसके अलावा वीर्य स्टेशन, वीर्य प्रयोगशालाओं, वीर्य बैंकों, वृहत पशु कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों का छोटे पशुओं हेतु उपयोग जैसी अवसंरचनाओं के विकास के लिए राज्यों को सहायता प्रदान करता है।
उपर्युक्त योजनाओं में उठाए जा रहे कदमों का विवरण अनुबंध-I में दिया गया है।
पशुपालन राज्य का विषय है। हालांकि, पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत विभाग राजस्थान और झारखंड सहित सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को पशुधन उत्पादकता बढ़ाने और रोग निरोधी टीकाकरण, क्षमता निर्माण, रोग निदान, अनुसंधान एवं नवाचार, प्रशिक्षण आदि जैसी पहलों के माध्यम से पशुधन स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ाने के लिए सहायता कर रहा है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
i. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) के तहत खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पीपीआर और सीएसएफ के लिए टीकाकरण हेतु राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता, जिसमें रोगों की सीरो-मानीटरिंग और सीरो-सर्विलांस शामिल है। आज की स्थिति तक, राजस्थान राज्य में एफएमडी, ब्रुसेलोसिस, पीपीआर और सीएसएफ के लिए क्रमशः कुल 5.49 करोड़, 0.20 करोड़, 0.61 करोड़, 0.01 करोड़ टीके की खुराकें दी गई हैं। झारखंड में एफएमडी, ब्रुसेलोसिस, पीपीआर और सीएसएफ के लिए क्रमशः कुल 2.96 करोड़, 0.19 करोड़, 0.76 करोड़, 0.09 करोड़ टीके की खुराकें दी गई हैं।
ii. पशु रोग नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (एएससीएडी) घटक के अंतर्गत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि संबंधित राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा प्राथमिकता वाले महत्वपूर्ण विदेशी, आकस्मिक और जूनोटिक पशु रोगों पर नियंत्रण किया जा सके। राजस्थान में वर्ष 2024-25 के दौरान एलएसडी के लिए कुल 62.86 लाख गोपशुओं का टीकाकरण किया गया है, जबकि झारखंड में कोई एलएसडी हेतु टीकाकरण नहीं किया गया है, क्योंकि वर्ष 2024-25 के दौरान एलएसडी का कोई मामला सामने नहीं आया है।
iii. पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण (ईएसवीएचडी-एमवीयू) के घटक के तहत राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता प्रदान की गई और झारखंड और राजस्थान राज्यों में क्रमशः 236 एमवीयू और 536 एमवीयू संचालित किए गए हैं, जो रोग निदान, उपचार, टीकाकरण, मामूली शल्य चिकित्सा हस्तक्षेप, दृश्य-श्रव्य सहायता और विस्तार सेवाओं के संबंध में किसानों के द्वार पर पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में मदद कर रहे हैं।
iv. पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) के अंतर्गत राजस्थान राज्य को वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दौरान क्रमशः 635.11 लाख रुपये और 1897.97 लाख रुपये की निधि जारी की गई है। झारखंड राज्य के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 180.00 लाख रुपये की निधि जारी की गई है।
जहां तक राजस्थान और झारखंड में छोटे किसानों और जनजातीय समुदायों को सब्सिडी, वित्तीय सहायता या डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के लिए बाजारों तक बेहतर पहुंच प्रदान करने के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों/योजनाओं के ब्यौरे का संबंध है, इस हेतु निम्नलिखित योजनाएं पूरे देश में कार्यान्वित की जा रही हैं:
i. उद्यमिता योजना: उल्लेखनीय है कि हैचिंग अंडे और चूजों के उत्पादन के लिए न्यूनतम 1000 पैरेंट लेयर्स वाले ग्रामीण पोल्ट्री पक्षियों के पैरेंट फार्म, हैचरी, ब्रूडर सह मदर यूनिट की स्थापना के लिए 50% पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाती है। आवेदक 1000 मादा + 100 नर पक्षियों की इकाई के आकार वाले ग्रामीण पोल्ट्री प्रजनन फार्म स्थापित कर सकता है और लाभार्थियों को पूंजीगत लागत पर 25 लाख रु. तक की 50% सब्सिडी प्रदान की जाएगी। कोई भी इच्छुक आवेदक विस्तृत एनएलएम-ईडीपी दिशानिर्देश देख सकता है और एनएलएम पोर्टल www.nlm.udyamimitra.in के माध्यम से एनएलएम उद्यमिता योजना के लिए आवेदन कर सकता है। कोई भी व्यक्ति, संयुक्त आवेदक, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), किसान सहकारी संगठन (एफसीओ), संयुक्त देयता समूह (जेएलजी), धारा 8 कंपनियां एनएलएम उद्यमिता योजना में आवेदन कर सकती हैं।
ii. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम: राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण घटक के तहत परियोजना क्षेत्र में डेयरी किसानों को निम्नलिखित प्रशिक्षण प्रदान किया गया:
• ई-गोपाला ऐप के “पशु पोषण” मोबाइल एप्लिकेशन के उपयोग से डेयरी को उनके पशुओं की पोषण और ऊर्जा आवश्यकता के आधार पर संतुलित राशन खिलाना।
• अच्छे गुणवत्तायुक्त चारे का महत्व और साइलेज का उपयोग।
• खनिज मिश्रण का महत्व।
• पशुओं के समय पर टीकाकरण का महत्व।
• मास्टिटिस आदि जैसे विभिन्न रोगों के इलाज के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग को कम करने के लिए एथनो वेटरनरी मेडिसिन (ईवीएम) का उपयोग।
• सहकारी समितियों के एमएआईटी के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान का महत्व।
• बछड़े और बछडि़यों के पालन का महत्व और बछड़े और बछडि़यों के (कॉफ) स्टार्टर का उपयोग करने के लाभ।
राजस्थान और झारखंड में एनपीडीडी योजना के कार्यान्वयन का विवरण अनुबंध-II में दिया गया है।
***
अनुबंध I
आधुनिक पशुपालन पद्धतियों को अपनाने संबंधी विषय पर संदर्भित अनुबंध।
आधुनिक पशुपालन पद्धतियों को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण इस प्रकार है:
राष्ट्रीय गोकुल मिशन:
राजस्थान और झारखंड सहित देश के सभी राज्यों में आधुनिक पशुपालन पद्धतियों, उन्नत प्रजनन पद्धतियों को अपनाने और पशुधन उत्पादकता में वृद्धि के लिए आरजीएम के तहत निम्नलिखित कदम/पहलें की गईं हैं:
- राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत, पशुपालन और डेयरी विभाग 50% से कम कृत्रिम गर्भाधान कवरेज वाले जिलों में कृत्रिम गर्भाधान कवरेज का विस्तार कर रहा है ताकि देशी नस्लों सहित बोवाइन पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा सके। कार्यक्रम के तहत कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं किसानों के द्वार पर निःशुल्क पहुंचाई जाती हैं। आज तक की स्थिति के अनुसार, 7.3 करोड़ पशुओं को कवर किया गया है, जिसमें 10.17 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं, जिससे देश में 4.58 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं। राजस्थान में, 45.26 लाख पशुओं को कवर किया गया है, जिसमें 55.99 लाख कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं, जिससे 32.47 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं और झारखंड में 22.21 लाख पशुओं को कवर किया गया है, जिसमें 27.34 लाख कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं, जिससे 15.81 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं।
- संतति परीक्षण और नस्ल चयन: इस कार्यक्रम का उद्देश्य देशी नस्लों के सांडों सहित उच्च आनुवंशिक गुणता वाले सांडों का उत्पादन करना है। संतति परीक्षण को गोपशु की गिर, साहीवाल नस्लों तथा भैंसों की मुर्राह, मेहसाणा नस्लों के लिए कार्यान्वित किया जा रहा है। नस्ल चयन कार्यक्रम के अंतर्गत गोपशु की राठी, थारपारकर, हरियाना, कांकरेज नस्ल और भैंस की जाफराबादी, नीली रवि, पंढारपुरी और बन्नी नस्लों को शामिल किया गया है। अब तक 3,988 उच्च आनुवंशिक गुणता वाले सांडों का उत्पादन किया गया है और उन्हें वीर्य उत्पादन हेतु शामिल किया गया है।
- सेक्स-सॉर्टेड वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम का उद्देश्य 90% सटीकता के साथ बछियों का उत्पादन करना है, जिससे नस्ल सुधार और किसानों की आय में वृद्धि हो। किसानों को सुनिश्चित गर्भधारण के लिए सेक्स-सॉर्टेड वीर्य की लागत के 50% तक सहायता मिलती है। अब तक, इस कार्यक्रम से 341,998 किसान लाभान्वित हो चुके हैं।
- इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: इस तकनीक का उपयोग बोवइन पशुओं के तेजी से आनुवंशिक उन्नयन के लिए किया जाता है और आईवीएफ तकनीक अपनाने में रुचि रखने वाले किसानों को प्रत्येक सुनिश्चित गर्भावस्था पर 5,000 रुपये का प्रोत्साहन उपलब्ध कराया जाता है। देशी नस्लों के उत्कृष्ट पशुओं के प्रजनन के लिए, विभाग ने 22 आईवीएफ प्रयोगशालाएँ स्थापित की हैं और 22,896 व्यवहार्य भ्रूण तैयार किए हैं, जिनमें से 12,846 भ्रूण हस्तांतरित किए गए और 2019 बछड़े और बछडि़यों का जन्म हुआ।
- जीनोमिक चयन: गोपशु और भैंसों के आनुवंशिक सुधार में तेजी लाने के लिए, विभाग ने देश में जीनोमिक चयन शुरू करने के लिए विशेष रूप से तैयार की गईं एकीकृत जीनोमिक चिप्स विकसित की हैं- देशी गोपशुओं के लिए गौ चिप और भैंसों के लिए महिष चिप।
- ग्रामीण भारत में बहुउद्देश्यीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (मैत्री): इस योजना के तहत मैत्री को किसानों के द्वार पर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाता है। पिछले 3 वर्षों के दौरान राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 38,736 मैत्री को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया गया है।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन:
- विभाग प्रति पशु उच्च उत्पादकता के साथ देशी संकर पशुओं के आनुवंशिक उन्नयन के लिए मौजूदा देशी जीनपूल में बेहतर नर जर्मप्लाज्म को शामिल करने का समर्थन करता है।
- विभाग वैज्ञानिक प्रजनन कार्यक्रमों के माध्यम से देशी पशुओं में सुधार करने के लिए अच्छे आनुवंशिकी वाले छोटे पशुओं के आयात की अनुमति दे रहा है।
- विभाग नवाचार और विस्तार उप-मिशन को बढ़ावा दे रहा है जिसका उद्देश्य भेड़, बकरी, सुअर और आहार एवं चारा क्षेत्र, विस्तार कार्यकलापों, पशुधन बीमा और नवाचार से संबंधित अनुसंधान और विकास करने वाले संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संगठनों को प्रोत्साहित करना है। इस उप-मिशन के तहत, क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक अनुप्रयुक्त अनुसंधान, पशुपालन और योजनाओं के लिए प्रचार गतिविधियों, सेमिनार, सम्मेलनों, प्रदर्शन कार्यकलापों और जागरूकता पैदा करने के लिए अन्य आईईसी कार्यकलापों सहित विस्तार सेवाओं के लिए केंद्रीय एजेंसियों, आईसीएआर संस्थानों और विश्वविद्यालय फार्मों को सहायता प्रदान की जाएगी। पशुधन बीमा कार्यकलाप के माध्यम से जोखिम को कम करने के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है।
- आहार और चारा के उप-मिशन के तहत, चारा उत्पादन के लिए आवश्यक प्रमाणित चारा बीज की उपलब्धता में सुधार करने के लिए चारा बीज श्रृंखला को मजबूत करने और प्रोत्साहन के माध्यम से चारा ब्लॉक / घास बांधने (हे बेलिंग) / सिलेज बनाने वाली इकाइयों की स्थापना के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के माध्यम से चारा विकास कार्यकलाप शुरू किए जाते हैं पूंजीगत लागत पर (50.00 लाख रुपये तक की 50% सब्सिडी)। इससे पशुओं की उत्पादकता बढ़ेगी।
अनुबंध-।।
आधुनिक पशुपालन पद्धतियों को अपनाने के विषय पर संदर्भित अनुबंध।
राजस्थान:
घटक क के अंतर्गत राजस्थान में 31 परियोजनाओं को अनुमोदित किया गया है, जिनकी कुल परियोजना लागत 32744.59 लाख रुपये है, जिसमें 23640.04 लाख रुपये का केंद्रीय हिस्सा है तथा इसमें से अब तक 19032.66 लाख रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। इन परियोजनाओं का क्रियान्वयन राजस्थान सहकारी डेयरी परिसंघ द्वारा किया जा रहा है।
घटक ख के अंतर्गत राजस्थान में 6 परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं, जिनकी कुल परियोजना लागत 27352.09 लाख रुपये (ऋण 19230.15 लाख रुपये और अनुदान 8121.94 लाख रुपये) है और इसमें से अब तक 5477.47 लाख रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।
विवरण नीचे दिया गया है:
घटक क
वित्तीय प्रगति: (लाख रुपए में)
|
कुल परियोजनाएं
|
चल रही परियोजनाएं
|
कुल परिव्यय
|
केंद्रीय हिस्सा
|
जारी की गई निधियां
|
अव्ययित
|
प्रतिबद्ध देयता
|
31
|
12
|
32744.59
|
23640.04
|
19032.66
|
1754.64
|
2347.40
|
चल रही परियोजनाएं
|
परियोजना का कोड
|
अनुमोदन का वर्ष
|
कुल परिव्यय
|
केंद्रीय हिस्सा
|
जारी की गई निधियां
|
अव्ययित (2023-24)
|
प्रतिबद्ध देयता
|
एनपीडीडी_आरजे_14एफ
|
वर्ष 2019-20
|
1853.57
|
1853.57
|
1797.62
|
213.82
|
0.00
|
एनपीडीडी_आरजे_21आई
|
वर्ष 2022-23
|
792.00
|
560.00
|
560.00
|
22.633
|
0.00
|
एनपीडीडी_आरजे_22आई
|
वर्ष 2022-23
|
2048.90
|
1246.82
|
1070.54
|
153.783
|
176.28
|
एनपीडीडी_आरजे_23आई
|
वर्ष 2022-23
|
921.50
|
604.70
|
428.75
|
172.135
|
175.95
|
एनपीडीडी_आरजे_24आई
|
वर्ष 2022-23
|
776.72
|
474.83
|
367.11
|
249.53
|
107.72
|
एनपीडीडी_आरजे_25जे
|
वर्ष 2023-24
|
1926.50
|
1164.70
|
582.36
|
582.36
|
582.34
|
एनपीडीडी_आरजे_26जे
|
वर्ष 2023-24
|
1330.73
|
829.13
|
332.78
|
332.78
|
496.35
|
एनपीडीडी_आरजे_27जे
|
वर्ष 2023-24
|
1465.65
|
898.85
|
360.76
|
27.599
|
538.09
|
एनपीडीडी_आरजे_28जे
|
वर्ष 2023-24
|
711.68
|
452.13
|
181.46
|
0.00
|
270.67
|
एनपीडीडी_आरजे_29के
|
वर्ष 2024-25
|
1709.82
|
1041.42
|
0.00
|
0.00
|
1041.42
|
एनपीडीडी_आरजे_30के
|
वर्ष 2024-25
|
872.70
|
541.76
|
0.00
|
0.00
|
541.76
|
एनपीडीडी_आरजे_31के
|
वर्ष 2024-25
|
947.15
|
585.35
|
0.00
|
0.00
|
585.35
|
पिछले 5 वर्षों और चालू वर्ष के दौरान जारी, उपयोग की गई, वापस की गई और अव्ययित निधियां
(लाख रुपये में)
|
वर्ष
|
जारी की गई निधियां
|
उपयोग की गई*
|
अव्ययित
|
2019-20
|
2439.70
|
2402.20
|
0.00
|
2020-21
|
1750.22
|
1590.78
|
0.00
|
2021-22
|
2931.78
|
2689.86
|
213.82
|
2022-23
|
1076.85
|
1068.42
|
1.13
|
2023-24
|
3758.84
|
2199.30
|
1539.69
|
2024-25 (20.11.24 तक)
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
कुल
|
11957.38
|
9950.56
|
1754.64
|
*उपयोग की गई राशि के अतिरिक्त, इस अवधि के दौरान 252.18 लाख रुपये की बचत भारत सरकार को वापस कर दी गई।
वास्तविक प्रगति
|
मानक
|
परियोजना लक्ष्य
|
उपलब्धि
|
दूध प्रसंस्करण क्षमता (टीएलपीडी)
|
440
|
440
|
डेयरी सहकारी समिति (सं.)
|
3742
|
2074
|
दुग्ध उत्पादक सदस्य ('000)
|
172.628
|
122.262
|
औसत दैनिक दूध खरीद (टीएलपीडी)
|
1624.84
|
541.1
|
औसत दैनिक दूध विपणन (टीएलपीडी)
|
756.52
|
399.38
|
बल्क दूध कूलर
|
संख्या
|
1259
|
865
|
क्षमता (टीएलपीडी)
|
1508.00
|
976.50
|
डेयरी संयंत्र प्रयोगशालाओं का सुदृढ़ीकरण
|
19
|
16
|
स्वचालित दूध संग्रहण इकाई (सं.)
|
2895
|
2672
|
इलेक्ट्रॉनिक दूध मिलावट परीक्षण मशीन
|
2369
|
2171
|
राज्य केंद्रीय प्रयोगशाला
|
1
|
1
|
घटक ख:
कवर किए गए जिले: 12
कवर किए गए जिलों के नाम: अलवर, भरतपुर, भीलवाड़ा, चुरू, दौसा, डूंगरपुर, जयपुर, जालोर, झुंझुनू, पाली, सिरोही, उदयपुर
वित्तीय प्रगति:
क्र.सं.
|
पीआई का नाम
|
ऋण (लाख रुपए में)
|
अनुदान (लाख रुपए में)
|
संस्वीकृत
|
जारी
|
शेष
|
संस्वीकृत
|
जारी
|
शेष
|
1
|
आशा एमपीसी
|
420.49
|
320.75
|
99.74
|
1157.37
|
698.08
|
459.29
|
2
|
भीलवाड़ा एमयू
|
10840.90
|
1108.37
|
9732.53
|
899.61
|
172.09
|
727.52
|
3
|
जयपुर एमयू
|
2365.04
|
495.00
|
1870.04
|
3356.63
|
726.18
|
2630.45
|
4
|
आरसीडीएफ
|
4085.86
|
371.25
|
3714.61
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
5
|
सखी एमपीसी
|
736.44
|
486.75
|
249.70
|
1859.06
|
1099.00
|
760.06
|
6
|
पाली
|
781.42
|
0.00
|
781.42
|
849.27
|
0.00
|
849.27
|
|
राजस्थान कुल
|
19230.15
|
2782.12
|
16448.04
|
8121.94
|
2695.35
|
5426.59
|
वास्तविक प्रगति
विवरण
|
इकाई
|
राजस्थान
|
लक्ष्य
|
उपलब्धि
|
दूध खरीद अवसंरचना को मजबूत करना
|
|
|
|
नया डीसीएस/एमपीआई
|
संख्या.
|
1512
|
396
|
एएमसीयू/डीपीएमसीयू
|
संख्या.
|
2435
|
1127
|
बल्क दूध कूलर
|
नहीं
|
120
|
0
|
किसान सदस्य नामांकित
|
संख्या.
|
32210
|
6590
|
अतिरिक्त दूध खरीद
|
टीकेजीपीडी
|
193
|
16
|
दूध प्रसंस्करण अवसंरचना
|
|
|
|
मूल्य संवर्धित उत्पाद (वीएपी) संयंत्र
|
एमटीपीडी
|
25
|
0
|
गोपशु आहार संयंत्र
|
एमटीपीडी
|
300
|
0
|
बायपास प्रोटीन संयंत्र/खनिज मिश्रण
|
एमटीपीडी
|
62
|
0
|
उत्पादकता वृद्धि सेवाएँ
|
|
|
|
बछड़ा-बछड़ी पालन कार्यक्रम
|
|
|
|
कवर किए गए गांव
|
संख्या.
|
100
|
100
|
फ़ीड की मात्रा
|
मीट्रिक टन
|
1108
|
165
|
पशु पोषण सलाहकार सेवाएँ
|
|
|
|
कवर किए गए गांव
|
संख्या.
|
400
|
225
|
कवर किए गए पशु
|
संख्या.
|
16000
|
6769
|
फ़ीड की मात्रा
|
मीट्रिक टन
|
2256
|
131.5
|
झारखंड:
एनपीडीडी योजना के घटक क के अंतर्गत झारखंड में 3 परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं, जिनकी कुल परियोजना लागत 3153.80 लाख रुपये है, जिसमें 2502.40 लाख रुपये का केंद्रीय हिस्सा है और इसमें से अब तक 1254.69 लाख रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।
घटक ख- झारखंड एनपीडीडी घटक ख के अंतर्गत शामिल नहीं है।
वित्तीय प्रगति: (लाख रुपए में)
|
कुल परियोजनाएं
|
चल रही परियोजनाएं
|
कुल परिव्यय
|
केंद्रीय हिस्सा
|
जारी की गई निधि
|
अव्ययित
|
प्रतिबद्ध देयता
|
03*
|
01
|
3153.80
|
2502.40
|
1254.69
|
0.00
|
611.43
|
चालू परियोजनाएं
|
परियोजना का कोड
|
अनुमोदन का वर्ष
|
कुल परिव्यय
|
केंद्रीय हिस्सा
|
जारी की गई निधि
|
अव्ययित
|
प्रतिबद्ध देयता
|
एनपीडीडी_जेएच_03जे
|
वर्ष 2023-24
|
1059.83
|
736.43
|
125.00
|
0.00
|
611.43
|
* परियोजना-I बीच में ही बंद हो गई।
|
पिछले 5 वर्षों और चालू वर्ष के दौरान जारी, उपयोग की गई, वापस की गई और अव्ययित निधियां
(लाख रुपये में)
|
वर्ष
|
जारी की गई राशि
|
उपयोग की गई*
|
अव्ययित
|
वर्ष 2019-20
|
410.78
|
410.78
|
0.00
|
वर्ष 2020-21
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
वर्ष 2021-22
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
वर्ष 2022-23
|
410.79
|
399.10
|
0.00
|
वर्ष 2023-24
|
125.00
|
125.00
|
0.00
|
वर्ष 2024-25 (20.11.24 तक)
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
कुल
|
946.57
|
934.88
|
0.00
|
*उपयोग की गई राशि के अतिरिक्त, इस अवधि के दौरान 11.69 लाख रुपये की बचत भारत सरकार को वापस कर दी गई।
वास्तविक प्रगति:
घटक
|
परियोजना लक्ष्य
|
उपलब्धि
|
डेयरी सहकारी समिति (सं.)
|
895
|
201
|
दुग्ध उत्पादक सदस्य ('000)
|
17.000
|
7.216
|
औसत दैनिक दूध खरीद (टीएलपीडी)
|
85.70
|
80.30
|
औसत दैनिक दूध विपणन (टीएलपीडी)
|
61.87
|
25.00
|
बल्क दूध कूलर
|
संख्या
|
48
|
13
|
क्षमता (टीएलपीडी)
|
108.00
|
26.00
|
राज्य केंद्रीय प्रयोगशाला
|
1
|
1
|
डेयरी संयंत्र प्रयोगशाला का सुदृढ़ीकरण
|
6
|
4
|
स्वचालित दूध संग्रहण इकाई (सं.)
|
84
|
25
|
डाटा प्रोसेसिंग और दूध संग्रहण इकाई (सं.)
|
526
|
314
|
यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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