उप राष्ट्रपति सचिवालय
कानपुर के सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ (अंश)
Posted On:
01 DEC 2024 4:24PM by PIB Delhi
छात्र और छात्राओं तथा श्रोताओं, हम भारतीय संविधान को अंगीकार किए जाने की शताब्दी के चौथे चरण में प्रवेश कर चुके हैं और इसलिए हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि लोकतंत्र के मंदिर में प्रत्येक क्षण का उपयोग जनकल्याण के लिए हो। लोकतंत्र का मंदिर पूजा के लिए है, जनकल्याण के लिए है, इसका अनादर नहीं किया जाना चाहिए।
मुझे विश्वास है कि संबंधित पक्ष, विशेष रूप से निर्वाचित प्रतिनिधि, जो मतदाताओं के प्रहरी हैं, द्वारा सभी कदम उठाए जाएंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम अपने आचरण में अनुशासन का उदाहरण प्रस्तुत करें, न कि अशांति और व्यवधान पैदा करें।
पांच दशक कोई छोटी अवधि नहीं है, यह आधी सदी है। जब इसकी शुरुआत हुई थी, तब सेवा की अवधारणा बहुत अलग थी। यह अवधारणा समाज को वापस देने की थी, अवधारणा यह थी कि जब हम कोई शैक्षणिक संस्थान शुरू करते हैं, तो हमारी प्रेरणा उत्कृष्ट होती है। हमारी प्रतिबद्धता सार्वजनिक हित की सेवा करना है, व्यापार या वित्तीय लाभ का सबसे अंतिम विचार रहा है। हमने देखा है कि इस अवधि में कई शैक्षणिक संस्थान शुरूहुए हैं और उनकी संख्या ज्यामितीय रूप से बढ़ रही है, लेकिन चिंता की बात यह है कि शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता पीछे छूट गई है और व्यापार हावी हो गया है।
हर बार जब मैं माननीय राज्यपाल से बातचीत करता हूं, तो एक बात आमतौर पर सुनने को मिलती है कि क्या हम वास्तव में शिक्षा के अधिकार के महत्व पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं?
शिक्षा का अधिकार उन लोगों के लिए है जिनकीकिसी वजह से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच नहीं हैं। इसलिए, एक प्रावधान अस्तित्व में आया कि हमें समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों से संबंधित छात्रों के लिए एक विशेष वर्गीकरण करना चाहिए। मुझे कोई संदेह नहीं है कि यह संस्थान ऐसा कर रहा होगा।
हमें ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए, हमें समाज के उस वर्ग से प्रतिभाओं को बढ़ावा देना चाहिए जो किसी कारणवश गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकते हैं और जैसे ही स्कूल में इस श्रेणी को शामिल किया जाता है तोस्कूल का समग्र परिवेशसंतोषजनक हो जाता है।
मैं कॉरपोरेट घरानों से अपील करता हूं कि वे इसे प्राथमिकता वाला क्षेत्र बनाएं। उन्हें अच्छे स्कूल खोलने चाहिए, अच्छे स्कूल खोलने के पीछे की प्रेरणा समाज को कुछ वापस देने की होनी चाहिए और ये वे कॉरपोरेट हैं जिनके पास सीएसआर फंड उपलब्ध है औरअच्छे शैक्षणिक संस्थानों के लिए सीएसआर फंड की प्रतिबद्धता है। इसका उद्देश्य सभी को,खासकर कमजोर वर्गों को सस्ती, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। हम अपने वर्तमान में निवेश कर रहे हैं, हम अपने भविष्य के बारे में खुद को आश्वस्त कर रहे हैं और कुल मिलाकर, यह भारत को दुनिया में एक महान राष्ट्र बनाने में मदद करेगा।
आप लोगों को आज संकल्प लेना पड़ेगा, छात्रों और छात्राओंकि हम समाज में हमारी उम्र के हिसाब से ऐसा व्यवहार करें जो भारतीय संस्कृति की झलक को दर्शाता हो। ज्ञान की जिज्ञासा आप में होनी चाहिए, माता-पिता के प्रति समर्पण का भाव, अध्यापकों के प्रति आदर, अनुशासन के प्रति लगन।
मोबाइल हमारा समय खा रहा है। युवक और युवतियां खेल के मैदानों से दूर होते जा रहे हैं, वे वास्तविक प्रयोगशालाओं से दूर होते जा रहे हैं, वे इस मोबाइलमें बहुत अधिक व्यस्त हैं।
आप इस मोबाइल पर लगे रहने की समस्या सेउबर जाइए। आपकी ज़िंदगी में यह समय कभी वापस नहीं आएगा। यह समय किसी के भी जीवन में वापस लौटकर नहीं आएगा। यह समाज चाहे कितनी भी तरक्की कर ले, हम खोए हुए समय को वापस नहीं ला सकते और इसलिए कृपया इसका पूरा लाभ उठाइए।
मैं स्वामी जी की कही बात को उद्धृत कर रहा हूं, स्वामी जी ने कहा था, "यदि गरीब लोग शिक्षा तक नहीं पहुंच सकते, तो शिक्षा उन तक पहुंचनी चाहिए, हल चलाते समय, कारखाने में, अन्यत्र।"
याद रखें कि आप केवल इस संस्थान के छात्र नहीं हैं, बल्कि आप एक गौरवशाली सभ्यता के पथप्रदर्शक हैं।आपके घर में आपको सांस्कृतिक विचार मिलते हैं। आपको चारों तरफ नज़र आता है कि भारत जैसा देश दुनिया में कोई दूसरा नहीं है।
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एमजी/केसी/एसके/डीए
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