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सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने दक्षिणी कमान मुख्यालय का दौरा किया - विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वाले भूतपूर्व सैनिकों को सम्मानित किया, सदर्न स्टार आइडिया इनोवेशन प्रदर्शनी देखी


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पुणे के सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय में जनरल बीसी जोशी स्मृति व्याख्यान के दौरान मुख्य भाषण दिया

Posted On: 27 NOV 2024 7:45PM by PIB Delhi

थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने पुणे की अपनी यात्रा के दूसरे दिन आज दक्षिणी कमान मुख्यालय का दौरा किया, जहां पर उन्होंने कमान की परिचालन तैयारियों और सेना दिवस परेड 2025 के लिए चल रही तैयारियों की समीक्षा की। यह परेड 15 जनवरी, 2025 को पहली बार पुणे में आयोजित की जानी है।

इस यात्रा के दौरान, सेना प्रमुख ने दो भूतपूर्व सैनिकों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद के असाधारण योगदान के लिए वेटरन अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया। दोनों भूतपूर्व सैनिकों का विवरण नीचे दिया गया है:-

कर्नल शशिकांत जी दलवी (सेवानिवृत्त):

कर्नल शशिकांत जी दलवी (सेवानिवृत्त) को आरम्भ में 21 राजपूत में कमीशन प्राप्त हुआ था और बाद में उन्हें 1972 में ईएमई कोर में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद अपना सम्पूर्ण जीवन जल संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए समर्पित कर दिया है। कर्नल शशिकांत जी दलवी ने वर्ष 2003 में वर्षा जल संचयन (आरडब्ल्यूएच) के क्षेत्र में अग्रणी और पुणे की पहली छत पर आरडब्ल्यूएच परियोजना तैयार की, जिससे एक हाउसिंग सोसाइटी टैंकर-मुक्त हो गई। उन्होंने अपने संगठन परजन्य के माध्यम से 650 से अधिक आरडब्ल्यूएच परियोजनाओं को लागू किया है, जिससे वार्षिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 9,360 टन की कमी आई है और गांवों तथा शहरी क्षेत्रों को जल आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिली है। दलवी जी विद्यालयों, समुदायों और उद्योगों के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। उन्होंने गांवों को बदल दिया है, जागरूकता अभियान चलाए हैं और नीति निर्माताओं को स्थायी जल समाधानों पर आकृष्ट किया है, जिससे उनके प्रभावशाली कार्य के लिए व्यापक मान्यता मिली है। वर्ष 2017 और 2019 में उन्हें शहरी विकास मंत्रालय द्वारा महानगरों में आरडब्ल्यूएच पर संसद सदस्यों को संबोधित करने और आरडब्ल्यूएच पर विचार रखने के लिए कौन बनेगा करोड़पति शो में आमंत्रित किया गया था।

सूबेदार क्लर्क (स्टाफ ड्यूटी) सुनीत एस:

आर्मी सर्विस कोर के सुबेदार क्लर्क (स्टाफ ड्यूटीज) सुनीथ एस 28 अगस्त, 1990 को भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। भारतीय सेना में 30 साल के शानदार करियर के बाद वे 31 अगस्त 2020 को सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद वे आर्मी वेटरन्स नोड, दक्षिणी कमान के साथ अपने घनिष्ठ सहयोग के माध्यम से पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और शहीदों की विधवाओं के लिए कल्याण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में सहायक रहे हैं। उन्होंने स्पर्श दस्तावेजीकरण में अमूल्य सहायता प्रदान की है, बिस्तर पर पड़े लाभार्थियों के लिए डिजिटल मैनुअल रूप से जीवन प्रमाण पत्र की सुविधा प्रदान की है और कई जरूरतमंदों की सहायता की है। इसके अतिरिक्त, सुनीथ एस ने विभिन्न जिलों में कई भूतपूर्व सैनिकों के सम्मेलनों के आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ताकि पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के साथ सीधा संवाद हो सके। इसके साथ ही सेना के वेलफेयर प्लेसमेंट संगठन के माध्यम से वीर नारियों और विधवा स्त्रियों के लिए नौकरी के अवसर भी उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे सशस्त्र बल समुदाय के प्रति उनका अटूट समर्पण प्रदर्शित होता है।

सेना प्रमुख ने सदर्न स्टार आइडिया इनोवेशन प्रदर्शनी को भी देखा। इस कार्यक्रम में नवाचारों, सफल आंतरिक अनुसंधान एवं विकास (आईआरएंडडी) परियोजनाओं और उद्योग जगत के साथ सहयोग का एक गतिशील मिश्रण प्रदर्शित किया गया। इस प्रदर्शनी ने अत्याधुनिक तकनीकी प्रगति को दर्शाने के उद्देश्य से एक मंच के रूप में कार्य किया और निजी क्षेत्र के साथ नवाचार एवं सहयोग के माध्यम से अपनी परिचालन क्षमताओं को आधुनिक बनाने तथा विस्तार देने के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।

थल सेनाध्यक्ष ने परियोजनाओं में शामिल नवोन्मेषकों, शोधकर्ताओं और उद्योग भागीदारों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने समकालीन सैन्य चुनौतियों का समाधान करने वाले समाधान विकसित करने के लिए दूरदर्शी दृष्टिकोण की सराहना की और सेना की रणनीतिक बढ़त को बनाए रखने में नवाचारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। सेना प्रमुख ने इस बात का उल्लेख किया कि इस तरह की पहल सेना की परिचालन तत्परता को बनाए रखने हेतु महत्वपूर्ण है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सेना निरंतर बदलते जा रहे सुरक्षा परिदृश्य में भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए चुस्त-दुरुस्त और सुसज्जित बनी रहे।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बाद में पुणे के सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय (एसपीपीयू) द्वारा आयोजित जनरल बीसी जोशी स्मारक व्याख्यान के दौरान मुख्य भाषण दिया। यह वार्षिक कार्यक्रम पूर्व थल सेनाध्यक्ष स्वर्गीय जनरल बीसी जोशी की स्मृति और विरासत को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित किया जाता है, जो एक प्रतिष्ठित अधिनायक थे और जिन्होंने भारतीय सेना तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इस कार्यक्रम में शैक्षणिक विद्वानों, सैन्य अधिकारियों, कई विद्यार्थियों, संकायों तथा प्रतिष्ठित अतिथियों ने स्वयं उपस्थित होकर भाग लिया और विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों के लिए इसका सीधा प्रसारण भी किया गया।

जनरल द्विवेदी ने "भारत की विकास गाथा को सुरक्षित करने में भारतीय सेना की भूमिका एवं योगदान" विषय पर अपने संबोधन में केवल देश की सीमाओं की सुरक्षा करने में बल्कि राष्ट्रीय विकास, सुरक्षा रणनीतिक वृद्धि में योगदान देने में भारतीय सेना की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

सेना प्रमुख के विचारों के कुछ अंश नीचे दिए गए हैं:-

सुरक्षा विकास का एक संवर्धक है: थल सेनाध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि सुरक्षा सतत विकास का एक महत्वपूर्ण संवर्धक है, कि एक बाधा है और भारतीय सेना के लिए वर्ष 2047 तक "प्रगतिशील" एवं "शांतिपूर्ण" भारत के लिए सुरक्षा एक प्रमुख कर्तव्य है।

मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर): सेना प्रमुख ने बताया कि मानवीय सहायता एवं आपदा राहत की संकल्पना जनरल एनसी विज के तत्वावधान में की गई थी, जिन्हें वर्ष 2001 में भुज भूकंप का प्रत्यक्ष अनुभव था। भारतीय सेना ने आपदा राहत प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें पूरे भारत में आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए 17 एचएडीआर ब्रिकों का निर्माण करना शामिल है।

सीमा क्षेत्र पर्यटन: सेना प्रमुख ने 48 चिन्हित क्षेत्रों में सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने का भी जिक्र किया और कहा कि सेना में अगले पांच वर्षों में पर्यटकों की संख्या को दोगुना करने की क्षमता है। सेना साहसिक गतिविधियों और पर्यटन में भी सहयोग करती है, जिसमें ट्रांस-हिमालयन ट्रैक और करगिल तथा सियाचिन ग्लेशियर जैसे युद्धक्षेत्रों को पर्यटकों के लिए खोलने की पहल शामिल हैं।

बुनियादी ढांचा विकास: भारतीय सेना राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे में योगदान देती है, जिसमें सड़कें, पुल एवं दूरसंचार कार्यक्रम शामिल हैं, जो पीएम गति शक्ति जैसी राष्ट्रीय परियोजनाओं से जुड़े हैं। पिछले पांच वर्षों में 4,400 किलोमीटर सड़कें तथा 19 किलोमीटर पुल बनाए गए हैं और अरुणाचल प्रदेश में महत्वपूर्ण सड़कों सहित कई अन्य परियोजनाओं की योजना बनाई गई है।

स्मार्ट बॉर्डर और कनेक्टिविटी: भारतीय सेना सीमावर्ती गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराकर और हिमालय में बिजली के लिए हरित ऊर्जा का उपयोग करके दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर संचार की सुविधा प्रदान करती है।

आर्थिक विकास और रोजगार: भारतीय सेना स्थानीय व्यवसायों एवं अपने मानवीय प्रयासों के माध्यम से आर्थिक अवसर सृजित करती है। इसका संचालन सद्भावना सेना और स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास को बढ़ावा देता है। इसमें उत्तरी सीमा पहल के लिए 150 करोड़ रुपये का परिव्यय है।

सामाजिक-सांस्कृतिक योगदान: भारतीय सेना अपने अराजनीतिक, अधार्मिक रुख और सौहार्द को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को बढ़ावा देती है। यह शैक्षिक परियोजनाओं, पारंपरिक खेलों और संग्रहालयों के निर्माण तथा स्थानीय संस्कृतियों को विस्तार देने जैसी सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में सहयोग करती है।

शिक्षा, स्वास्थ्य पर्यावरण: भारतीय सेना 430 आर्मी पब्लिक स्कूल/आर्मी प्री प्राइमरी स्कूल सहित शैक्षणिक संस्थान चलाती है और सैनिक स्कूलों के प्रबंधन में मदद करती है। इसके अलावा वह दूरदराज के इलाकों में चिकित्सा सहायता प्रदान करने जैसी स्वास्थ्य सेवा गतिविधियों में भी शामिल है। यह वनरोपण और जल निकायों के पुनरुद्धार परियोजनाओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की भी पहल करती है।

मिशन ओलंपिक 2036: भारतीय सेना खेल कार्यक्रमों के माध्यम से प्रतिभा पूल विकसित करके और डूरंड कप तथा कश्मीर प्रीमियर लीग जैसे खेल कार्यक्रमों का आयोजन करके 2036 ओलंपिक की तैयारी कर रही है।

पर्यावरणीय स्थिरता: भारतीय सेना पारिस्थितिकी स्थिरता, लाखों पौधे लगाने, जल निकायों को पुनर्जीवित करने और स्वच्छ गंगा मिशन जैसी राष्ट्रीय योजनाओं में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।

आर्थिक योगदान: भारतीय सेना भारत की आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसका 85% पूंजीगत व्यय 'मेड इन इंडिया' रक्षा हार्डवेयर पर होता है। यह आत्मनिर्भर भारत पहल को भी आगे बढ़ा रही है, जिससे लद्दाख जैसे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण योगदान मिल रहा है।

प्रौद्योगिकी आधारित प्रगति: भारतीय सेना राष्ट्रीय तकनीकी मिशनों के साथ जुड़ी हुई है और साइबर, संचार अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में कई परियोजनाओं के साथ स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देती है। यह विभिन्न कार्यकर्मों के तहत स्टार्टअप और एमएसएमई का सहयोग करती है।

रक्षा कूटनीति: थल सेना प्रमुख ने भारत के वैश्विक सामरिक प्रभाव को बढ़ाने, संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भाग लेने और दुनिया भर में रक्षा शाखाओं के माध्यम से अपने रक्षा कूटनीतिक प्रयासों का विस्तार करने में भारतीय सेना की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापना और विदेशी कर्मियों को प्रशिक्षण देने में सेना का योगदान भारत के वैश्विक गठबंधनों को मजबूत बनाता है।

इस कार्यक्रम ने विश्वविद्यालय और सशस्त्र बलों के बीच एक सशक्त बंधन को दर्शाया है और एक स्थायी साझेदारी हुई है, जिसे जनरल बीसी जोशी ने पोषित करने की पहल की थी। जनरल जोशी दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालय समुदाय के एक वरिष्ठ अनुभवी व्यक्ति थे। उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए एसपीपीयू में दीक्षांत भाषण देना और विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित "ज्ञान के प्रवेश द्वार" की आधारशिला रखना शामिल है, जिसे बाद में 18 नवंबर, 1994 को उनके असामयिक निधन के बाद उनके सम्मान में "जनरल बीसी जोशी द्वार" का नाम दिया गया।

जनरल बीसी जोशी की अपनी सैन्य सेवा के अलावा उच्च शिक्षा में दूरदर्शिता के कारण विश्वविद्यालय में नीति अध्ययन में छत्रपति शिवाजी चेयर की स्थापना हुई। उन्होंने विश्वविद्यालय और सशस्त्र बलों के बीच संबंधों, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा, नीति विश्लेषण तथा रणनीतिक अध्ययन के क्षेत्रों में विस्तार देने की भी वकालत की।

जनरल बीसी जोशी स्मारक व्याख्यान श्रृंखला, रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग और दक्षिणी कमान मुख्यालय द्वारा संयुक्त रूप से 1995 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा तथा शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को मान्यता देना तथा उसे कायम रखना था। यह श्रृंखला उस समय से हर साल आयोजित की जाती है और यह रक्षा एवं सामरिक अध्ययन में विचारकों तथा प्रमुख हस्तियों के लिए महत्वपूर्ण संवाद में शामिल होने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करती है। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी ने वर्ष 2005 में संकल्प लिया कि व्याख्यान तीनों सेना प्रमुखों में से किसी एक के द्वारा होगा, जो हर साल बारी-बारी से दिया जाएगा।

व्याख्यान श्रृंखला में तब से सशस्त्र बलों की सभी सेवाओं के प्रमुख वक्ताओं ने भाग लिया है, जो भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं और राष्ट्र के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सेना की भूमिका के बारे में निरंतर बेहतर समझ को बढ़ावा दे रहे हैं।

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