विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

बायोई3 नीति के लक्ष्य और उद्देश्य

Posted On: 27 NOV 2024 6:52PM by PIB Delhi

बायोई3 नीति का उद्देश्य एक ऐसा ढांचा तैयार करना है जो अत्याधुनिक उन्नत तकनीकों को अपनाना सुनिश्चित करे और बायोमैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए अभिनव अनुसंधान के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके। बायोई3 नीति देश में विभिन्न क्षेत्रों में 'उच्च प्रदर्शन वाले बायोमैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने' की दिशा में सक्षम तंत्र के लिए दिशा-निर्देशों और सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार करती है। नीति का उद्देश्य बढ़ी हुई दक्षता, स्थिरता और गुणवत्ता के लिए बायोमैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लाना है, साथ ही जैव-आधारित उच्च-मूल्य वाले उत्पादों के विकास और उत्पादन में तेजी लाना है।

बायोई3 नीति भारत के हरित विकास के दृष्टिकोण (केंद्रीय बजट 2023-24 में घोषित) के समायोजन के अनुरूप है और साथ ही माननीय प्रधानमंत्री के 'पर्यावरण के लिए जीवनशैली (एलआईएफई)' के व्यापक आह्वान के अनुरूप भी है, जो सतत विकास के प्रति सामूहिक दृष्टिकोण की कल्पना करती है। यह नीति माननीय प्रधानमंत्री के देश की 'नेट-जीरो' कार्बन अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण के साथ भी सामंजस्य भी स्थापित करती है। इसके अलावा, जैविनिर्माण और बायोफाउंड्री पहल की घोषणा सरकार के 2024-25 के अंतरिम बजट के दौरान एक योजना के रूप में घोषित की गई है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001ISTN.jpg

पिछले दस वर्षों में भारत जैव अर्थव्यवस्था की उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

दिसंबर 2023 तक, जैव अर्थव्यवस्था भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3.55 ट्रिलियन डॉलर में 4.25% का योगदान था।

भारतीय जैव अर्थव्यवस्था 2014 के 10 बिलियन डॉलर की तुलना में 2023 में बढ़कर 151 बिलियन डॉलर हो गई है, जिसने 2025 के अनुमान से दो वर्ष पहले ही लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है।

बायोटेक स्टार्टअप्स की संख्या 2014 के 50 बायोटेक स्टार्टअप्स से बढ़कर 2023 में 8,531 बायोटेक स्टार्टअप्स हो गई।

डीबीटी-बीआईआरएसी ने देश में मूलांकुर बायोएनेबलर्स बायोफाउंड्रीज और बायोमैन्युफैक्चरिंग हबकी स्थापना के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करने के लिए एक संयुक्त आह्वान जारी किया है। प्राप्त सभी प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा रहा है।

बायोई3 नीति का उद्देश्य देश भर में जैव कृत्रिम बौद्धिकता(बायो-एआई) इंटेलिजेंस हब, बायोफाउंड्रीज और जैवविनिर्माण हब सहित बायोएनेबलर्स की स्थापना करके जैव-आधारित उत्पादों और उनके व्यावसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी लाना है। डाटा-आधारित अनुसंधना और कृत्रिम बौद्धिकता आधारित भावी विश्लेषण को सशक्त बनाकर, जैव-निर्माण के चिह्नित विषयगत क्षेत्रों/उप क्षेत्रों में जैव आधारित उत्पादों की प्रौद्योकियों के विकास के लिए अनुसंधान और नवाचर को बढाने हेतुए जैव कृत्रिम बौद्धिकता हब स्थापित किए जाएंगे। बायो फाउंड्रीज और जैव विनिर्माण हब की स्थापना के संदर्भ में सार्थक सफलता के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (केपीआई) की पहचान की गई है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002VY1V.jpg

डीबीटी-बीआईआरएसी ने संयुक्त रूप से अकादमिकऔर उद्योग जगत दोनों में   मूलांकुर बायोएनेबलर्स बायोफाउंड्रीज और बायोमैन्युफैक्चरिंग हबकी स्थापना के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। बायो-एनेबलर्स जैवविनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक अंतर विषयक, अंत:क्रियात्मक तकनीक कौशल के साथ मानव संसाधन विकास के लिए प्रशिक्षण और इंटर्नशिप भी प्रदान करेंगे।

बायोई3 नीति भारत के हरित विकास के दृष्टिकोण (केंद्रीय बजट 2023-24 में घोषित) के समायोजन के अनुरूप है और साथ ही  माननीय प्रधानमंत्री के 'पर्यावरण के लिए जीवनशैली (एलआईएफई)' के व्यापाक आह्वान के अनुरूप भी, जो सतत विकास के प्रति सामूहिक दृष्टिकोण की कल्पना करता है। यह नीति देश की 'नेट-जीरो' कार्बन अर्थव्यवस्था के माननीय प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण के साथ भी सामंजस्य स्थापित करती है। इसके अलावा, जैव विनिर्माण और बायोफाउंड्री पहल की घोषणा सरकार के 2024-25 के अंतरिम बजट के दौरान एक योजना के रूप में की गई है।

राष्ट्रीय परामर्श बैठक और अंतर-मंत्रालयी परामर्श के आधार पर बायोई3 नीति के तहत कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय महत्व के उप-क्षेत्रों के साथ-साथ छह विषयगत क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। इनमें (i) जैव-आधारित रसायन और एंजाइम, (ii) बहुपयोगी खाद्य पदार्थ और स्मार्ट प्रोटीन, (iii) सटीक जैव चिकित्सा, (iv) जलवायु अनुकूल कृषि, (v) कार्बन कैप्चर और उसका उपयोग, (vi) भविष्य के समुद्री और अंतरिक्ष अनुसंधान शामिल हैं। देश भर में क्षेत्रीय विशेषज्ञ समिति की बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित की गई है और प्रत्येक चयनित क्षेत्र/उप-क्षेत्र के लिए वर्तमान परिदृश्य (वैश्विक और राष्ट्रीय दोनों), अंतराल और चुनौतियों के साथ-साथ मौजूदा सामर्थ्य और अवसरों की पहचान की गई है। वर्तमान में इन चुनौतियों पर काम किया जा रहा है।

***

एमजी /केसी/ केजे/डीए


(Release ID: 2078194) Visitor Counter : 530


Read this release in: English