उप राष्ट्रपति सचिवालय
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राजस्थान के उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में उपराष्ट्रपति के संबोधन का पाठ

Posted On: 16 NOV 2024 6:56PM by PIB Delhi

आप सभी को नमस्कार।

लड़कियों की संख्या कुछ कम है पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। आप संतुलन बना लेंगे। मैं सही कह रहा हूं न? प्रोफेसर सुनीता मिश्रजी, यह विश्वविद्यालय छह दशकों से अधिक समय से अस्तित्व में है और चार दशकों से इस नाम से है। यह पहली बार है कि एक महिला को इस विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में सेवा करने का अवसर मिला है। पूर्व राज्यपाल एवं  इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कलराज मिश्रजी द्वारा नियुक्त किये जाने के कारण उनके कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। देश के सार्वजनिक जीवन में इस तरह का अनुभव एवं विशेषज्ञता रखने वाले बहुत कम लोग हैं। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर रहेगा। माननीय मंत्री हेमन्त मीणा जी बेहद ऊर्जावान मंत्री हैं। उनकी उपस्थिति बहुत मायने रखती है तथा मुझे विश्वास है कि वह अपनी ऊर्जा यह सुनिश्चित करने में लगायेंगे कि उनकी उपस्थिति से यह उद्योग और अधिक ऊंचाइयां हासिल करे। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर एम.एस. ढाका। दर्शक दीर्घा में बहुत सारे लोग मौजूद हैं। कौन जानता होगा? लेकिन मैं इस विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. भगवती प्रसादजी की उपस्थिति को देख रहा हूं, जिनका भारतीय विज्ञान संस्थान में उल्लेखनीय योगदान रहा है। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब हम इस राष्ट्र से संबंधित मुद्दों पर बात करते हैं, तो मुझे लंबे समय तक उनकी टीम का हिस्सा बनने का सौभाग्य और अवसर मिला। इसलिए मैं उनके ज्ञान की गहराई और राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्धता के बारे में जानता हूं और एक बेहद उत्साही युवा, उनकी उम्र पर न जाएं। यदि आप उनके कार्यों को देखेंगे, तो समझ पायेंगे।

सुखाड़िया परिवार के सदस्यों की उपस्थिति, मुझे अच्छी तरह याद है। हमारे अत्यंत प्रतिष्ठित पूर्व मुख्यमंत्री सुखाड़िया से एक बार मेरी आमने-सामने की बातचीत हो सकी। सुखाड़िया  परिवार के सदस्यों, श्रीमती नीलिमा जी, श्री दीपक सुखाड़िया जी की उपस्थिति इस अवसर की दृष्टि से काफी मायने रखती है। संकाय के प्रतिष्ठित सदस्यगण, किसी संस्थान की पहचान केवल उसके बुनियादी ढांचे से नहीं की जाती है, बल्कि संकाय ही उसका सार होता है। किसी संस्थान का संकाय ही उसकी रीढ़ की हड्डी होती है। और उन्हें मेरी शुभकामनाएं, स्टाफ के सदस्यगण, राजस्थान सरकार के अधिकारीगण और सबसे महत्वपूर्ण, मेरे प्यारे बच्चे और बच्चियों, मैं यहां आपकी वजह से हूं। मैं यहां बोलने आया हूं, लेकिन अपने दिमाग से परे जाकर नहीं। अपने दिल से परे जाकर नहीं। मैं अपने दिमाग, दिल और आत्मा, सभी को एक साथ रखते हुए आपसे बात करना चाहता हूं। और मैं उन मुद्दों का उल्लेख करूंगा, जिनसे आप सबसे अधिक चिंतित होते हैं। मोहनलाल सुखाड़ियाजी, बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। अपने करियर की शुरुआत में वह एक मंत्री थे। उन्हें लगातार 17 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के राज्यपाल के पद को सुशोभित किया। वह कर्नाटक के पहले राज्यपाल थे। इससे पहले वह मैसूर के राज्यपाल थे। फिर नाम में बदलाव हुआ। तो निश्चित रूप से, एक बहुमुखी प्रतिभा वाले व्यक्ति थे। मैं सबसे पहले देश की स्थिति पर ध्यान केन्द्रित करूंगा। इस समय हम इस देश में कहां हैं? क्योंकि उन युवकों और युवतियों के लिए जो लोकतंत्र और शासन के सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हैं। वे उस इंजन का ईंधन हैं, जो हमें आगे ले जाएगा। हम आज चार ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था हैं। चार ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था, जो इस समय हमारा भारत है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में, हमारी विकास दर 8 प्रतिशत है। हमारा विकास सबसे अधिक हुआ है। हम पिछले दशक में प्रतिकूल परिस्थितियों, कठिन इलाकों और एक ऐसी विरासत के बावजूद उभरे हैं जो बहुत बेहतर हो सकती थी, पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में गिनती होने से लेकर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने तक।

हम बहुत जल्द, एक या दो वर्ष में, जापान और जर्मनी से आगे निकलकर तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर हैं। और इसलिए हर दृष्टिकोण से, हमारा उत्थान अभूतपूर्व है। हमारा आर्थिक उत्थान दुनिया में बेजोड़ है और हमारे विकास की गति से हर कोई ईर्ष्या कर रहा है। युवकों और युवतियों,  वैश्विक क्षितिज पर हमारा भारत डिजिटलीकरण का एक अनुकरणीय उदाहरण बनकर उभरा है। वैश्विक संस्थाएं हमारी सराहना कर रही हैं, चाहे वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष हो, विश्व बैंक हो, या विश्व आर्थिक मंच हो। मैं उस समय को जानता हूं जब मैं 1989 में पहली बार संसद में पहुंचा था। उस समय हमारी अर्थव्यवस्था का आकार लगभग एक बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। युवकों और युवतियों, अब यह आकार 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का है। हम हर दृष्टि से एक वैश्विक शक्ति बनने की ओर अग्रसर हैं।

आइए, जमीनी वास्तविकता पर एक नजर डालते हैं। कौन सा बड़ा परिवर्तन हुआ है? आपने अपने चारों ओर बुनियादी ढांचे को देखा होगा. युवकों और युवतियों को इस बारे में मुझसे कहीं अधिक जानकारी होगी। लेकिन कृपया कुछ तथ्यों पर ध्यान दें। प्रतिवर्ष आठ नए हवाई अड्डे। यह देश, भारत, हर वर्ष आठ हवाई अड्डे जोड़ रहा है। अगर मैं आपको उत्तर पूर्वी क्षेत्र का उदाहरण दूं, तो हवाई अड्डों की संख्या नौ से बढ़कर 17 हो गई है। हम हर दो वर्ष में तीन से चार नए महानगर को जोड़ रहे हैं। और जब हम राजमार्गों के निर्माण की बात करते हैं, तो प्रतिदिन 28 किलोमीटर। और जब हम रेलवे ट्रैक पर आते हैं तो 12 किलोमीटर। यही वह विकास है, यही वह दृष्टिकोण है जिसे जुनून के साथ क्रियान्वित किया जा रहा है। भारत निरंतर आगे बढ़ रहा है, इसका उत्थान उस प्रकृति का है जिसके बारे में हम पहले कभी सोच भी नहीं सोच सकते थे, हमारे सपनों से परे। अब इसका मतलब क्या है, इसका आम आदमी पर क्या असर पड़ा है? एक युवा के रूप में, मुझे छात्रवृत्ति प्राप्त करने में कठिनाई होती थी, मेरे पास कोई बड़ा खाता नहीं था। लेकिन पिछले 10 वर्षों की कल्पना करें, एक ऐसी अवधि आई जब 500 मिलियन लोगों को बैंकिंग समावेशन के दायरे में लाया गया। उनके पास कभी बैंक खाते नहीं थे, अब उनके पास हैं। गैस कनेक्शन को अमीरों का विशेषाधिकार मान लिया गया था। अब हर घर में गैस कनेक्शन है। अब हमारा ध्यान हर घर तक बिजली पहुंचाने पर नहीं है। यह मिशन अगले स्तर पर चला गया है, और वह मिशन यह है कि हर घर में अपनी ऊर्जा को बढ़ाने और राष्ट्रीय ग्रिड में योगदान करने के लिए सौर तंत्र होना चाहिए। ये बहुत बड़े प्रयास हुए हैं। जब हम डिजिटल वित्तीय लेनदेन के संदर्भ में बात करते हैं, तो हमारे देश में हर महीने 13 बिलियन डिजिटल लेनदेन होते हैं और यह अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के संयुक्त आंकड़े को पार कर जाता है। मुझे कुछ और बुनियादी बातों पर आने दीजिए। प्रति व्यक्ति इंटरनेट उपभोग। प्रति व्यक्ति। हमारे भारत का आंकड़ा अमेरिका और चीन से भी अधिक है। डिजिटल प्रौद्योगिकियों ने इसकी शुरुआत की है। किफायती आवास, स्वास्थ्य कवरेज। अब जो स्थिति सामने आई है वह यह है कि एक ऐसा इकोसिस्टम है जहां हर युवक और युवती अपनी ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं, अपनी क्षमता का दोहन कर सकते हैं, महत्वाकांक्षाओं और सपनों को साकार कर सकते हैं, आकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं। यह आपके लिए एक बड़ा बदलाव है क्योंकि इस इकोसिस्टम को लाना आसान नहीं था। एक विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली थी।  विशेषाधिकार प्राप्त लोग थे! उन्हें लगा कि वे सर्वश्रेष्ठ के हकदार हैं। योग्यता दूसरे स्थान पर  थी। युवकों और युवतियों, संरक्षण ने योग्यता के आगे समर्पण कर दिया है। भ्रष्टाचार ने पारदर्शी उत्तरदायी शासन के आगे समर्पण कर दिया है।

ये सब आपके लाभ के लिए है। अगर हम अपनी आधी मानवता, अपनी बहनों और माताओं का ध्यान नहीं रखेंगे तो देश उस प्रगति पथ पर नहीं चल पाएगा जिसकी हम कल्पना कर रहे हैं और यही हुआ है। पिछले कुछ दशकों में, हमारे यहां 14 लाख महिलाएं पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित हुई हैं। युवकों और युवतियों, भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसने सभी स्तरों पर लोकतंत्र की संरचना की है। हमने शुरुआत राज्य स्तर पर और संसद स्तर पर की। लेकिन अब हमारे पास ग्रामीण स्तर और नगरपालिका स्तर पर लोकतंत्र की संरचना है। एक समय था जब भ्रष्टाचार एक पासवर्ड था। क्या आप पासवर्ड जानते हैं? सोशल मीडिया पर, आप इसका उपयोग करते हैं, आप इसे देखते हैं। पासवर्ड द्वारा आपका खाता सुरक्षित होता है। इसलिए भ्रष्टाचार ने अवसरों की सुरक्षा की। भ्रष्टाचार उन्हीं को उपलब्ध थी जिनके पास पासवर्ड था। तो भ्रष्टाचार एक आश्वासन था, ठेका पाने का, नौकरी पाने का, अवसरों का लाभ उठाने का। लेकिन अब ऐसा नहीं है। आप जानते हैं, भ्रष्टाचार से बहुत सख्ती से निपटा जा रहा है। देश में भ्रष्टाचारियों को कानून का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें लगता था कि वे हमेशा कानून से ऊपर हैं। अब उन्हें पता है। वे कानून के प्रति उत्तरदायी हैं। कानून के लंबे हाथ उनके गर्दन तक पहुंच गए हैं। उनसे कानून के अनुसार निपटा जाना चाहिए। उन्हें कानून से कोई छूट नहीं है। युवकों और युवतियों को क्या चाहिए? समर्थन से परे, उन्हें समान अवसर की आवश्यकता है। उन्हें दुख होता है जब उन्हें यह पता चलता है कि किसी अपेक्षाकृत कम मेधावी व्यक्ति को पद पर बैठाने के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है। संरक्षण, भ्रष्टाचार, पक्षपात, भाई-भतीजावाद के कारण। इस समय ऐसा देखने को नहीं मिलता, आप जानते हैं। और इसलिए, एक समय ऐसा भी था जब कोई उम्मीद नहीं थी। निराशा थी।

आज भारत को आशा और संभावनाओं से भरा एक राष्ट्र माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने दर्शाया है कि वैश्विक मानकों पर, भारत निवेश और अवसर की दृष्टि से एक पसंदीदा स्थान है। मैं जानता हूं कि साढ़े तीन दशक पहले जब मैं मंत्री था, तब इन संस्थाओं का रुख बहुत ही अलग था। रवैये में 360 डिग्री का बदलाव आया है। अब, आपके लिए मेरा संदेश यह है कि, यदि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कहता है कि भारत निवेश का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, निवेश और अवसर का एक पसंदीदा स्थान है, तो यह सरकारी नौकरियों के लिए नहीं है, यह उन अवसरों के लिए है जो यहां उपलब्ध हैं।

और इसलिए, युवकों और युवतियों, अपने चारों ओर देखो, घेरे से बाहर निकलो। सरकारी सेवा महत्वपूर्ण है, लेकिन यह एक विकल्प नहीं है।

आपके रोजगार का पिटारा, आपके अवसरों का पिटारा लगातार बढ़ रहा है। युवकों और युवतियों, मैं जो महसूस कर रहा हूं, वह यह है कि हमारे युवाओं को इसके बारे में जानकारी नहीं है। मैं कुलपति से इस संबंध में सत्र और कार्यशालाएं आयोजित करने का अनुरोध करूंगा, ताकि हमारे युवकों और युवतियों को पता चले कि कहां अवसर उपलब्ध हैं।

इस समय अपने चारों ओर देखिए, चाहे समुद्र हो, चाहे धरती हो, चाहे आकाश हो, चाहे अंतरिक्ष हो, भारत की उपलब्धियां पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।

नीली अर्थव्यवस्था एक चुनौती है, लेकिन हमारे युवाओं को वहां अवसर मिल सकते हैं। हम अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को अपना सकते हैं। यदि आप विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के हालिया धावों, जैसाकि कहा जाता है, की बात करें, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन, इस तरह की मशीन लर्निंग, या यहां तक ​​कि 6जी, जो केवल मोबाइल फोन के लिए नहीं है। यह एक ऐसी तकनीक है, जिसका एक बड़ा व्यावसायिक घटक है। और अब आपको लीक से हटकर सोचना होगा। और लीक से हटकर सोचने से पहले एक बात सोच लें। यदि आप इस देश के 500 शीर्ष लोगों की गिनती करें, तो आप पायेंगे कि उनमें से 60 प्रतिशत से अधिक महज 5-10 वर्ष पहले आपके आयु वर्ग में थे। उन्होंने अवसर का लाभ उठाया और वहां पहुंचे जहां वे आज हैं।

एक समय था जब हमें वैश्विक स्तर के उद्योग जगत में कोई भी भारतीय नहीं था। वह हमारी कल्पना से परे, बहुत दूर का सपना था। लेकिन आज दुनिया में एक भी ऐसा औद्योगिक प्रतिष्ठान नहीं है जिसकी प्रतिष्ठा न हो और उसके शीर्ष स्तर पर भारतीय प्रतिभा व दिमाग मौजूद न हो। और यह दिमागी उम्र जेनजेड की है, जो 1990 के बाद पैदा हुए हैं, और जनसांख्यिकीय दृष्टि से वही युवा है, जो मेरे सामने हैं। और इसलिए अपने आप को बंधनमुक्त  कीजिए। असफलताओं से कभी मत डरिए। ऐसी सोच के शिकार मत बनिए कि असफलता मिलेगी इसलिए मुझे प्रयास ही नहीं करना है। आपका दिमाग किसी विचार के लिए पार्किंग स्थल बनने के लिए नहीं बना है। आपको प्रयोग करना होगा। आपको जानना होगा। विश्वविद्यालय निर्माण की भट्टी (क्रूसिबल) हैं। परंपरागत पारंपरिक शिक्षा महत्वपूर्ण है। लेकिन अब तीन दशकों के बाद, हमारे पास एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। पश्चिम बंगाल राज्य के राज्यपाल के रूप में मैं इससे जुड़ा था। कलराज जी मिश्र भी जुड़े थे। हम एक ही समय में राज्यपाल थे। सैकड़ों और हजारों सुझाव (इनपुट) लिए गए। मैंने मार्गदर्शन के लिए भगवती प्रसाद जी से परामर्श किया। हर तरफ से सुझाव आए। हमारे पास एक ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति है, जो हमारे युवा प्रतिभाओं को उनकी पसंद के अनुसार सर्वोत्तम प्रदर्शन करने की अनुमति देती है। महज एक डिग्री के लिए डिग्री क्यों लेना? एक डिग्री आपके लिए एक परिसंपत्ति होनी चाहिए। आपका अपना एक हुनर ​​होना चाहिए। आपको खुद को सशक्त बनाना होगा। सीखने की प्रक्रिया आजीवन चलती है। सीखना केवल आपके चरित्र को ही नहीं, बल्कि समाज और देश को भी परिभाषित करेगा। और इसलिए, मैं आपसे आग्रह करूंगा, हमेशा सोचिए। आप नौकरियां सृजित करने वाले बन सकते हैं। नौकरी ढूंढने में कोई बुराई नहीं। मैं इसके खिलाफ नहीं हूं। लेकिन हमारे रडार पर एक विकल्प अवश्य होना चाहिए। मैं नौकरियां सृजित करने वाला बनना चाहता हूं। मैं एक उद्यमी बनना चाहता हूं। क्योंकि 1.4 अरब के देश में अवसर कई गुना हैं। आपके दिमाग को उन पर ध्यान केन्द्रित करना सीखना होगा। मुझे विश्वास है कि आप इसे ध्यान में रखेंगे। लेकिन जो संदेश मैं यहां आपको देने आया हूं, वह थोड़ा अलग है। उससे पहले, मैं इसकी भूमिका सामने रख दूं। इस वर्ग के लड़के और लड़कियां लोकतंत्र के सबसे बड़े हितधारक हैं। आप शासन के सबसे बड़े हितधारक हैं।

जब भारत अपनी आजादी के सौ वर्ष पूरे करेगा, तब आप चालक की सीट पर होंगे। देश में बहुत बड़ी मैराथन दौड़ चल रही है। वह मैराथन दौड़ तब समाप्त होगी, जब भारत 2047 में एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा। आप इसके महत्वपूर्ण हितधारक हैं। आप उस मैराथन मार्च के सदस्य हैं!

जो देश में बहुत बड़ा हवन हो रहा है, उस हवन में सबसे महत्वपूर्ण आहुति आप लोगों की है। हम शायद तब न हों। और जब मैं ऐसा कहता हूं, तो व्यवस्था पूरी तरह से बदल गई है। हर घर में आपकी सुविधा। हर व्यक्ति को दुनिया से, नवीनतम चीजों से जोड़ने के लिए। ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपके पास है। जो आप नहीं करेंगे। लेकिन ऐसी कोई भी चीज नहीं है, जो दुनिया में दूसरों के पास हो और आपके पास न हो। और इसलिए, पिछले 10 वर्षों के शासन ने, विशेष रूप से युवाओं के लिए, हमारे लिए वैश्विक अवसर के स्तर को अधिकतम तौर पर बराबर कर दिया है। और इसलिए, एक व्यक्ति की तरह, जब एक राष्ट्र उन्नति पर होता है तो चुनौतियां भीतर और बाहर से आती हैं। कुछ लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही है कि भारत इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं यहां आपको यह बताने आया हूं कि आपको हमेशा अपने देश को पहले रखना होगा। आपको राष्ट्रवाद को अपनाना होगा। कोई भी हित, व्यक्तिगत, प्रत्ययी या अन्यथा, राष्ट्रीय हित से आगे नहीं हो सकता। हमारा राष्ट्रीय हित सर्वोच्च है। हर किसी को ऐसा ही सोचना चाहिए और कुछ लोग हैं, जो हमारी छवि को धूमिल करने, हमारी प्रगति को बाधित करने के लिए शत्रुतापूर्ण इरादों को आश्रय दे रहे हैं। यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रवाद को मजबूत करे, लोकतंत्र को मजबूत करे, विकास की गति को बनाए रखे, यह सुनिश्चित करे कि भारत 2047 में विकसित राष्ट्र की हैसियत हासिल करे। युवकों और युवतियों, यह आसान नहीं है। हमारे लिए यह सोचना अच्छा है कि हम इस समय पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था हैं। अगले दो वर्ष में हम तीसरे स्थान पर होंगे।

लेकिन एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए हमें अपनी प्रति व्यक्ति आय में आठ गुना वृद्धि करनी होगी। और ऐसा तभी होगा जब खेती से जुड़े लोग तथा उद्योग, व्यापार, वाणिज्य एवं व्यापार से जुड़े लोग इस दिशा में कार्य करें। मैं आपके के लिए एक विचार छोड़ता हूं। मेरे जाने के बाद इसपर गहराई से सोचिएगा। हम कुछ आयातों के लिए अपनी अरबों अमेरिकी डॉलर की कितनी विदेशी मुद्रा बर्बाद कर रहे हैं? कपड़े, पर्दे, पतंगें, दीये, फ़र्निचर, और क्या नहीं? क्यों?  हमें बाहर से ऐसा कुछ आयात करते हुए सजग रहना चाहिए, जो इस देश में उपलब्ध है। हम अपने ही लोगों को काम से वंचित कर रहे हैं। हम उनके हाथ से काम छीन रहे हैं। और यह हर किसी को, आप सभी को सुनिश्चित करना होगा। दूसरी बात, कुछ लोग धन-संपत्ति पाकर अहंकारी हो जाते हैं।

अहंकार हमारे समाज या सभ्यता का हिस्सा नहीं है। आप प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग केवल इसलिए नहीं कर सकते, क्योंकि आप उसका खर्च वहन कर सकते हैं। आपको प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग एक ट्रस्टी के रूप में अधिकतम करना होगा। हमने पहले ही इस धरती को इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है कि हर कोई जलवायु परिवर्तन के बारे में बात कर रहा है। हमने जो एकजुटता दिखाई है, उसे कौन लाया है? लेकिन भारत को पूरी दुनिया को यह दिखाना होगा कि जलवायु परिवर्तन से कैसे निपटा जाए।

प्रधानमंत्री जी द्वारा एक आह्वान किया गया था और वह आह्वान था, ‘एक पेड़ मां के नाम’। मैं आपका आह्वान करता हूं। कृपया इसे करें। पौधा लगायें और उसकी देखभाल करें। और आप पायेंगे कि पूरे देश में बदलाव आ रहा है। क्योंकि एक पौधा, एक पेड़ मां के नाम, का अंत नहीं है। यह एक शुरुआत है। यह एक व्यापक क्रांति की शुरुआत है। आपको यह काम अवश्य करना होगा। युवकों और युवतियों, मैं जानता हूं कि हम एक समृद्ध सभ्यता हैं, दुनिया इस बात को स्वीकार करती है, दुनिया इस तथ्य को जानती है। हमारी संस्कृत अब पूरे विश्व में पढ़ाई जा रही है। लेकिन मैं आपसे कोई सवाल नहीं पूछूंगा, आपको अपने भीतर ही झांकना होगा।

क्या आपको वेदों, उपनिषदों, पुराणों को वास्तव में देखने का अवसर मिला है? क्या आपको कभी गीता पढ़ने का अवसर मिला है? जरा सोचिए, पूरी दुनिया हमें सलाम कर रही है। हम शक्ति एवं ज्ञान, बुद्धि का स्रोत हैं। एक ऐसा ज्ञान जो हजारों वर्षों से हमारे पास है। हमारे युवकों और युवतियों को समझना होगा।

मैं अपनी बात हमारे धर्मग्रंथों से एक श्लोक उद्धृत करते हुए समाप्त करूंगा। और यह श्लोक कहता है, यश: नागरिको धर्म

नागरिको धर्म- यह नागरिक का कर्तव्य, नागरिक का उत्तरदायित्व के बारे में बताता है, नागरिक को क्या करना चाहिए, राष्टवाद के प्रति समर्पण होना चाहिए, विकास में योग देना चाहिए, भाईचारा को बढ़ाना चाहिए,

दूसरा, स्वदेशी यम सदा। स्वदेशी हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की रीढ़ की हड्डी थी।

स्वदेशी कई तरीकों से सामने आया है, चाहे ‘वोकल फॉर लोकल’ हो, ‘एक जिला, एक उत्पाद, लेकिन अगर आप इसे आदत बना लेंगे हैं, तो देश के लिए इसके परिणाम नाटकीय होंगे, आप राष्ट्रवाद में योगदान दे रहे होंगे, आप अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे होंगे,

समाजे समा भावश्च, सामाजिक समरसता, सद्भाव, ऐसे लोग हैं जिनमें विघटनकारी प्रवृत्तियां हैं, वे अराजकता के नुस्खे हैं, वे हमारे सभ्यतागत मूल्यों से अनभिज्ञ हैं, हमारी सभ्यता दुनिया की एकमात्र ऐसी सभ्यता है जो समावेशी, निष्पक्ष, न्यायसंगत है और किसी के साथ अन्याय नहीं करती है, अन्याय की तो बात ही छोड़ दीजिए। हम इंसान तो क्या, एक ऐसी सभ्यता से संबंध रखते हैं जो जीवित प्राणियों के साथ भी कोई अन्याय नहीं करती और हम पौधों को भी जीवित प्राणी मानते हैं। कुटुंबे प्रकर्तो तथा - कुटुंब का ध्यान देना। कुटुंब पे ध्यान देना चाहिए. मैं कुटुंब को बहुत बाद मानता हूँ। माता पिता का आदर करना, दादा दादी का आदर करना, नाना नानी का आदर करना, उनको समय देना, फिर आपको कितना सुख मिलेगा आप अंदाज़ा नहीं लगा सकते।

पता लगाना पड़ोस में कौन है, पता लगाना क्लास में मेरे साथ कौन कौन है, यह जीवन भरके साथी रहेंगे, एक बार जब आप यह जुड़ाव पैदा कर लेंगे, तो जीवन में आपकी यात्रा बहुत सहज, सामंजस्यपूर्ण, संपूर्ण और लाभकारी होगी, यह हमारे संस्कृति और पर्यावरण का हिस्सा है,  पर्यावरणीय चुनौती अस्तित्वपरक है, मेरे बातों को याद रखिएगा, हमारे पास रहने के लिए कोई दूसरी धरती नहीं है, यही एकमात्र ग्रह है, हमने अब तक इसके साथ खिलवाड़ किया है, आइए मिलकर और एकजुट होकर, हमने जो नुकसान किया है उसकी भरपाई करें, और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है, हम इस देश में इसके लिए सक्षम हैं, क्योंकि हमें बाकी दुनिया को जागरूक करना है।

पता कीजिए पड़ोस में कौन है। पता कीजिए कक्षा में मेरे साथ कौन है। वे जीवन भर साथ रहेंगे। एक बार जब आप यह जुड़ाव पैदा कर लेंगे, तो जीवन में आपकी यात्रा बहुत सहज, सामंजस्यपूर्ण, स्वस्थ और लाभकारी होगी। यह हमारी संस्कृति और पर्यावरण का हिस्सा है। पर्यावरण की चुनौती अस्तित्वपरक है। मेरे बातों को याद रखिएगा, हमारे पास साथ रहने के लिए दूसरी धरती नहीं है। यही एकमात्र ग्रह है। हमने अब तक इसके साथ खिलवाड़ किया है।

आइए हम इसे ठीक करने और एकजुटता का इरादा करें। हमने जो नुकसान किया है उसकी भरपाई करें। और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम इस देश में इसके लिए सक्षम हैं। क्योंकि हमें बाकी दुनिया को जागरूक करना है। दुनिया पहले से ही हमारी ओर देख रही है। दुनिया में भारत की आवाज आज जितनी गूंज रही है, उतनी पहले कभी नहीं गूंजी। यह एक ऐसी आवाज़ है जिसका लोग आदर करते हैं।

वैश्विक संघर्षों के समाधान के लिए विश्व के नेताओं द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री की शक्ति और योगदान कौशल की सराहना की जाती है। उस दृष्टिकोण से, युवकों और युवतियों, मैंने कहा कि आशा और संभावना का माहौल है। आपको उत्साहित मूड में रहना चाहिए। आपको अपने चारों ओर देखना चाहिए। और मुझे विश्वास है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा कि आप अलग-थलग न रहें, आप एक बड़े बदलाव का हिस्सा बनें। और वो आप तभी कर सकते हैं जब आपको इसके बारे में पता हो।

और अंत में यही कहूंगा कि मुझे यहां आकर बहुत प्रसन्नता हुई है, मैंने बहुत सोचा कि मुझे क्या कहना चाहिए, तो मैंने अपनी जिदगी को देखा कि मुझे क्या चुनौतियां मिलीं, मुझे कितनी कठिनाई आई? स्कॉलरशिप न मिलती तो मैं कहीं का न रहता तो कोई मुझे कर्जा नहीं देता। बड़ी मुश्किल से दिए मुझे 6000 रुपये तो लाइब्रेरी नहीं खरीद सकता था। न बिजली थी, न पानी था न टॉइलेट था, न सड़क थी, न टेलीफोन था।

आज जब आपको देखता हूं।

मैंने बहुत सोचा क्या कहूं? मैंने अपना जीवन देखा, मुझे किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। यदि मुझे छात्रवृत्ति न मिलती तो मैं मरा हुआ आदमी होता। बैंक मुझे पैसे उधार नहीं देता। उन्होंने मुझे बड़ी मुश्किल से 6000 रुपये दिए थे

आज जब आपको देखता हूं, तो सोचता हूं कि दुनिया के किसी अन्य हिस्से के किसी युवक और युवती में ऐसा क्या है, जो आपके पास नहीं है? और इसके अलावा, आपके पास जो है और उनके पास जो नहीं है, वो यह कि आप भारत के हैं, 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता जो उनके पास नहीं है। आप भारत के हैं जिसके पास शास्त्र, वेद, उपनिषद, पुराण हैं जो उनके पास नहीं हैं। आप उस भारत से हैं जहां हमारे पास रामचरितमानस और गीता है। आप उन पर गौर करें, आपको हर बात का जवाब मिल जाएगा। उनके पास नहीं हैजब ये हालात हैं, तो हौसला कीजिए। आप आधुनिक सोच वाले युवक और युवती हैं। एक कंपनी है जिसकी टैगलाइन है, “इसे करें।”

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एमजी/केसी/आर


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