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अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस का आयोजन

Posted On: 01 OCT 2024 7:30PM by PIB Delhi

14 दिसंबर 1990 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पहली बार 1 अक्टूबर 1991 को मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अब दुनिया के आधे देशों में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 75 वर्ष से अधिक हो गई है, जो 1950 की तुलना में 2030 तक 25 वर्ष अधिक होने का अनुमान है। एक अनुमान के अनुसार, वैश्विक स्तर पर वृद्धों की संख्या युवाओं से अधिक है और विकासशील देशों में यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है- हमारे वरिष्ठ नागरिकों के योगदान, ज्ञान, गरिमा और जरूरतों को स्वीकार करने और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए हमारे प्रयासों को फिर से समर्पित करने का अवसर प्रदान करना।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के साथ मिलकर कम उम्र से ही छात्रों में वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता के मूल्यों को विकसित करने में मदद करने के लिए पूरे अक्टूबर महीने में कई गतिविधियों का आयोजन कर रहा है। यह पहल युवाओं के बीच वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सम्मान और देखभाल को बढ़ावा देगी। इससे अंतर-पीढ़ीगत जुड़ाव और सहानुभूति को बढ़ावा मिलेगा। इस संबंध में, निम्नलिखित प्रमुख पहल प्रस्तावित हैं:

● शैक्षिक संस्थान पीढ़ियों को आपस में जोड़ने के लिए वार्षिक दादा-दादी दिवस का आयोजन कर सकते हैं। इस अवसर पर विभिन्न गतिविधियों जैसे- कहानी कहने और गेम्स आदि करवाए जा सकते हैं। छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के बीच वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सम्मान की प्रतिज्ञा के लिए शपथ ग्रहण समारोह भी आयोजित कर सकते हैं, इन प्रतिज्ञाओं को संस्थानों में एक अनुस्मारक के रूप में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा।

 

● प्रात: सभाओं या भाषा कक्षाओं के हिस्से के रूप में, बड़ों के सम्मान के महत्व पर प्रकाश डालने वाली  कविताएँ या श्लोक सुनाने के लिए छात्रों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। इन्हें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से लिया जा सकता है, जो छात्रों के साथ गहराई से जुड़ती है।

 

● शैक्षणिक संस्थान नियमित सत्र शुरू कर सकते हैं जहां छात्र और वरिष्ठ नागरिक विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से संवाद कर सकते हैं, जैसे कहानियां साझा करना, इतिहास पर चर्चा करना या पारंपरिक शिल्प के बारे में सीखना। इससे छात्रों के अंदर वरिष्ठ नागरिकों के अनुभवों और ज्ञान के प्रति सराहना विकसित करने में मदद मिलेगी।

 

● छात्रों को वरिष्ठ नागरिकों के साथ समाज सेवा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने से अंतर-पीढ़ीगत एकजुटता, आपसी सम्मान और समझ को बढ़ावा मिलेगा। शैक्षणिक संस्थान स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर मेंटरशिप कार्यक्रम बना सकते हैं जहां वरिष्ठजन कला, संस्कृति और व्यावसायिक कौशल में छात्रों का मार्गदर्शन कर सकते हैं। यह पहल छात्रों को मूल्यवान अंतर्दृष्टि और वरिष्ठ नागरिकों को उद्देश्य तथा जुड़ाव प्रदान करके दोनों पीढ़ियों को लाभान्वित करेगी।

 

एक अक्टूबर से शुरू हुए अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के लिए महीनेभर के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। युवाओं के बीच वरिष्ठ नागरिकों के प्रति देखभाल और चिंता के मूल्यों को स्थापित करने तथा वरिष्ठ नागरिकों के समक्ष आने वाले मुद्दों और चुनौतियों के समाधान में समाज को शामिल करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों तथा शैक्षणिक संस्थानों के साथ उपरोक्त पहल साझा की गई हैं।

 

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