स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने यूएनजीए के 79वें सत्र के दौरान स्टॉप टीबी पार्टनरशिप द्वारा आयोजित “इंटरैक्टिव टीबी वैक्सीन्स डायलॉग” में मुख्य भाषण दिया
वैश्विक टीबी उन्मूलन प्रयासों में भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की; भारत में टीबी टीकों के अनुसंधान एवं विकास की चर्चा की
भारत स्थायी विकास लक्ष्यों के वैश्विक औसत से अधिक तेजी से प्रगति कर रहा है, 2015 में प्रति एक लाख लोगों पर टीबी की 237 घटनाएं सामने आईं जो 2022 में 16 प्रतिशत गिरकर 199 हो गई, इसी अवधि में टीबी से होने वाली मौतों में 18 प्रतिशत कमी आई : श्रीमती पटेल
“अगस्त 2024 तक, एनटीईपी ने 2018 में अपनी स्थापना के बाद निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत 10 मिलियन से अधिक टीबी रोगियों को 373 मिलियन अमरीकी डालर वितरित किए”
“7,767 से अधिक मौलीक्यूलर नैदानिक प्रयोगशालाओं, अत्याधुनिक उपचार प्रोटोकॉलों और 88 प्रतिशत उपचार सफलता दर के साथ, भारत का टीबी कार्यक्रम दुनिया के लिए एक मॉडल बना”
“सामूहिक शक्ति का प्रतीक, टीबी समाप्त करें भागीदारी, एक वैश्विक ताकत बनी जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के 2,000 से अधिक भागीदार शामिल हैं, जो 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में टीबी समाप्त करने के हमारे संकल्प में एकजुट”
Posted On:
24 SEP 2024 7:57PM by PIB Delhi
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज न्यूयॉर्क शहर में चल रहे संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 79वें सत्र के दौरान स्टॉप टीबी पार्टनरशिप द्वारा आयोजित “इंटरैक्टिव टीबी वैक्सीन्स डायलॉग” कार्यक्रम में मुख्य भाषण दिया। टीबी के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाने के लिए चल रही पहलों के अंतर्गत, इस कार्यक्रम में दुनिया भर के विशेषज्ञ, गणमान्य व्यक्तिय और महत्वपूर्ण हितधारक एकत्र हुए।
टीबी वैक्सीन संवाद के उद्देश्यों में शामिल हैं: प्रमुख और संबद्ध देश और वैश्विक हितधारकों और साझेदारों से मिलना, जो वर्तमान और भविष्य में टीबी टीकों के उपयोगी और उचित विकास और वितरण के लिए महत्वपूर्ण होंगे; और टीबी टीकों के उपयोगी और उचित विकास और वितरण से संबंधित आवश्यकताओं, इच्छाओं और चुनौतियों सहित महत्वपूर्ण गलत धारणाओं, प्रश्नों और ज्ञान अंतरालों को समझना और उनका समाधान करना।
संवाद के दौरान वैश्विक नेतृत्व का एक सकारात्मक बयान देते हुए, श्रीमती पटेल ने स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला और 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में टीबी को खत्म करने और सभी के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि "भारत स्थायी विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में वैश्विक औसत से कहीं अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है, 2015 में प्रति एक लाख लोगों पर टीबी की 237 घटनाएं सामने आईं जो 2022 में 16 प्रतिशत गिरकर 199 हो गई, इसी अवधि में टीबी से होने वाली मौतों में 18 प्रतिशत कमी आई जो 2015 में 28 से गिरकर 2022 में 23 पर आ गई।"
उन्होंने कहा कि, "प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत ने टीबी की देख-रेख और रोकथाम में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें बुनियादी ढांचे के विस्तार से लेकर रोगियों के लिए वित्तीय सहायता तक शामिल है", उन्होंने राष्ट्रीय रणनीतिक योजना का हवाला देते हुए कहा कि इसने देश भर में टीबी सेवाओं को काफी हद तक बढ़ाया है। 7,767 से अधिक मौलीक्यूलर नैदानिक प्रयोगशालाओं, अत्याधुनिक उपचार प्रोटोकॉलों और 88 प्रतिशत उपचार सफलता दर के साथ, भारत का टीबी कार्यक्रम दुनिया के लिए एक मॉडल बन गया है। भारत ने 2018 में निक्षय पोषण योजना शुरू की, जिसके तहत उपचार की पूरी अवधि के दौरान टीबी रोगियों के पोषण में सहायता करने के लिए 6 अमेरिकी डॉलर/माह प्रदान किया जाता है। कुल मिलाकर, अगस्त 2024 तक, एनटीईपी ने 10 मिलियन से अधिक टीबी रोगियों को 373 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए गए हैं।"
नए टीकों की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर देते हुए श्रीमती पटेल ने कहा कि "टीबी सभी संक्रामक रोगों में सबसे घातक है। हालांकि बचपन में बीसीजी का टीका बच्चों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इसके सुरक्षात्मक प्रभाव कम होते जाते हैं" और "हमारी प्रगति के बावजूद, दुनिया में अभी भी टीबी के कारण लाखों लोगों की जान जाती है। इसलिए, अब नवीन टीकों में निवेश करने का समय आ गया है।"
"एक अभिनव और प्रभावी टीबी वैक्सीन की तत्काल आवश्यकता" पर प्रकाश डालते हुए, श्रीमती पटेल ने जोर देकर कहा कि "टीबी वैक्सीन की अतृप्त जरूरतों और टीबी उन्मूलन में इसकी संभावित भूमिका पर दुनिया अब ध्यान केन्द्रित कर रही है" और "यह मंच हमारे लिए एक साथ आने, ज्ञान साझा करने और इन जीवन रक्षक टीकों के विकास में तेजी लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। पिछले दशकों में नए टीकों तक पहुंचने की ओर फिर से दिलचस्पी जागी है। मौलीक्यूलर आनुवंशिकी में तकनीकी प्रगति और वायरल वेक्टर और सहायकों की रचना ने टीबी वैक्सीन के विकास को सुविधाजनक बनाया है।" उन्होंने आगे कहा कि "लगभग 16 वैक्सीन नैदानिक परीक्षण मूल्यांकन में प्रवेश कर चुके हैं, टीबी के टीके के विकास का भविष्य पहले की तुलना में काफी उज्ज्वल दिखता है।"
उन्होंने रीकॉम्बीनेंट बीसीजी वीपीएम1002 और इम्यूवैक के साथ भारत के अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी), वयस्कों में बीसीजी पुनः टीकाकरण के मूल्यांकन के लिए चल रहे परीक्षण और वयस्कों के बीच वर्तमान नवीन वैक्सीन एमटीबीवीएसी के साथ चरण IIबी में एक अन्य परीक्षण पर प्रकाश डाला।
टीबी समाप्त करें साझेदारी के महत्व पर जोर देते हुए श्रीमती पटेल ने कहा कि, "यह साझेदारी सामूहिक शक्ति का प्रतीक है और यह एक वैश्विक ताकत के रूप में विकसित हुई है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के 2,000 से अधिक भागीदार शामिल हैं, जो 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में टीबी को समाप्त करने के हमारे संकल्प में एकजुट हैं।"
“इस क्षेत्र में भारत के अनुभवों और क्षमताओं को साझा करने” की पेशकश करते हुए, श्रीमती पटेल ने कहा कि, “स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड की अध्यक्ष के रूप में, मेरा मानना है कि अगले एक साल में दुनिया के पास कम से कम एक नया और प्रभावी टीबी वैक्सीन हो।” उन्होंने हितधारकों से “टीबी वैक्सीन अनुसंधान के लिए अधिक से अधिक धन जुटाने; सरकारों, सार्वजनिक और निजी संस्थानों और दाताओं के बीच वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एकजुट होने का आग्रह करते हुए अपना संबोधन समाप्त किया ताकि कोविड वैक्सीन तक पहुंच के दर्दनाक सबक से सीखते हुए, यह सुनिश्चित किया जा सके कि “टीके न केवल विकसित किए जाएं बल्कि लोगों को समान रूप से उपलब्ध भी कराए जाएं।”
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