उप राष्ट्रपति सचिवालय
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सिलवासा स्थित नमो चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान उपराष्ट्रपति के भाषण का मूल पाठ (उद्धरण)

Posted On: 21 SEP 2024 3:57PM by PIB Delhi

मेरे शब्दों को याद रखें: प्रधानमंत्री के 'मन की बात' वास्तव में भारत की बात है! यह बात समाज के हर वर्ग को छूती है। यह बात लोगों को सपने दिखाती है और लोगों को बताती है कि वे कैसे किसी चीज को प्राप्त करने की आकांक्षाएं करें। यह बात वहीं समाप्त नहीं होती है। यह लोगों को यह भी बताती है कि वे अपने सपनों को कैसे फलीभूत करवाएं।

आप तो बहुत भाग्यशाली हैं। हमने बचपन में क्या-क्या चुनौतियां नहीं देखी। तेज धूप में आते थे, कहीं छाया नहीं मिलती थी, कहीं गाय, भैंस का गोबर दिखता था, उसमें पांव दे देते थे। और अब देखिये, इतने सारे गांवों में इंटरनेट है। हर व्यक्ति का बैंक अकाउंट है। सरकारी सहायता, बिना बिचौलिए, के पहुंच रही है। आप जो यह विकास देख रहे हो, यह एक बहुत बड़े विकास का हिस्सा है।

आप हर पहलू में योगदान दे सकते हैं। आपका दायरा संयुक्त राष्ट्र, यूएनडीपी, विश्व बैंक, विश्व मुद्रा कोष, एशियाई विकास बैंक जैसी वैश्विक संस्थाओं में है, आपकी भूमिका इनमें अग्रणी है। आप की एक भूमिका बड़ी-बड़ी सलाहकार कंपनियों में है। यह एक अच्छा काम है, जो आप कर रहे हैं। मैं प्रशासक साहब को कहूंगा कि वे चिकित्सा, विधि, अभीयांत्रिकी और नर्सिंग सहित प्रत्येक संकाय से तीस छात्रों का एक समूह गठित करें और छात्रों का पहला बैच नई दिल्ली स्थित उपराष्ट्रपति एन्क्लेव और राज्य सभा के सभापति के कार्यालय का दौरा जरूर करे।

हर दिन सीखते रहें। कभी डरें नहीं। डर नवाचार और बुद्धि का सबसे बड़ा हत्यारा है।

असफलता से कभी डरें। अगर आप विफलता से डरेंगे, तो आप अपने लिए असफलता पैदा कर रहे होंगे। कुछ लोगों के पास इस बोतल के बारे में नकारात्मक होने की क्षमता है, ओह!, बोतल 20 प्रतिशत खाली है। उन्हें अनदेखा करें, क्योंकि यह बोतल 80 प्रतिशत भरी हुई है, क्या मैं सही हूँ? और 80 प्रतिशत इस गिलास में सर्वोत्तम स्थिति है। आप इसे 100 प्रतिशत महसूस करेंगे। भारत इसी तरह उन्नति कर रहा है। नकारात्मक मानसिकता वाले कुछ लोग हैं। उन्हें ऐसा बनाएं कि वे सकारात्मक महसूस करें, उन्हें कहें कि वे अपनी आँखें खोले और देखें कि क्या हो रहा है।

असफलता से कभी डरें। मुझे बताएं, चंद्रयान-2 काफी हद तक सफल था, 90 प्रतिशत से ज्यादा कामयाब था. कुछ लोगों ने सोचा कि चंद्रयान-2 असफल था। चंद्रयान -2, चंद्रयान -3 के लिए सफलता के लिए एक कदम था।

पूरी दुनिया कह रही है कि भारत के लिए क्या अवसर है। दुनिया यहां आना चाहती है और आप अपने साथियों को भी कहिए कि सरकारी नौकरी के अलावा जो अवसरों की टोकरी है, उसमें लगातार वृद्धि हो रही है, उसकी तरफ भी ध्यान दें। वह ज्यादा कारगर है। इसलिए, सकारात्मक दृष्टिकोण रखें, अपने राष्ट्र में भरोसा करें और राष्ट्र को हमेशा सबसे पहले रखें।

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एमजी/एआर/आईएम/एनके

 



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