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सीबीआईसी ने 12 सितंबर 2024 से कूरियर शिपमेंट पर निर्यात-संबंधी लाभ प्रदान करने की अनुमति दी


नए संशोधन कूरियर मोड के जरिए निर्यात में वृद्धि हेतु समान अवसर प्रदान करेंगे और एमएसएमई निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने का प्रयास करेंगे

इस पहल से कूरियर के जरिए होने वाले निर्यात को काफी बढ़ावा मिलेगा और उभरते वैश्विक ई-कॉमर्स के क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत होगी

अनुमान के मुताबिक, 2030 तक भारत का ई-कॉमर्स निर्यात बढ़कर 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है

Posted On: 13 SEP 2024 8:51PM by PIB Delhi

कूरियर निर्यात को व्यापक प्रोत्साहन देने और भारत में ई-कॉमर्स उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कूरियर मोड के जरिए किए गए निर्यात के लिए शुक्ल वापसी, आरओडीटीईपी और आरओएससीटीएल योजनाओं के तहत निर्यात संबंधी लाभों को 12.09.2024 से प्रदान करने का प्रावधान कर दिया है।

इस कदम का उद्देश्य कूरियर मोड के जरिए निर्यात के समावेशी एवं सामंजस्यपूर्ण विकास के लिए समान अवसर तथा अनुकूल माहौल प्रदान करना है और एमएसएमई निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है। इस पहल से कूरियर निर्यात को काफी बढ़ावा मिलने और उभरते वैश्विक ई-कॉमर्स क्षेत्र के युग में भारत की स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है।

ई-कॉमर्स निर्यात को और अधिक प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से, सीबीआईसी ने कूरियर आयात और निर्यात (इलेक्ट्रॉनिक घोषणा और प्रोसेसिंग) विनियम, 2010 में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जो निर्यातकों को कूरियर मोड के जरिए किए गए निर्यात के लिए शुल्क वापसी, आरओडीटीईपी और आरओएससीटीएल लाभों का दावा करने में सक्षम बनाएगा। कूरियर नियमों में संशोधन करने वाली अधिसूचना संख्या 60/2024-कस्टम्स (एन.टी.) और उक्त संशोधनों को समझाने एवं प्रक्रिया में शामिल तौर-तरीकों के बारे में हितधारकों को सूचित करने वाला एक परिपत्र संख्या l5/2024-कस्टम्स 12.09.2024 को जारी किया गया है।

कूरियर आयात और निर्यात के खेप को अधिसूचित एलसीटी पर निकासी के लिए ईसीसीएस पर नियंत्रित किया जाता है। निर्यातकों के शुल्क वापसी, आरओडीटीईपी और आरओएससीटीएल संबंधी दावों को प्रोसेस करने में ईसीसीएस की कुछ सीमाएं हैं। इसलिए, व्यापार संबंधी सुविधा की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, उपरोक्त दावों को प्रोसेस करने के लिए आईसीटी पर भारतीय सीमा शुल्क ईडीआई प्रणाली (आईसीईएस) का उपयोग करने का निर्णय लिया गया है, क्योंकि आईसीईएस में स्क्रॉल सृजन और पीएफएमएस के साथ एकीकरण जैसी आवश्यक सुविधाएं हैं। इस प्रकार, कूरियर टर्मिनल के लॉजिस्टिक्स का उपयोग जहां वास्तविक हैंडलिंग और परीक्षण संबंधी उद्देश्यों के लिए किया जाएगा, वहीं सीमा शुल्क निकासी को आईसीईएस पर नियंत्रित किया जाएगा। समस्याओं, यदि कोई हो, की पहचान करने और उनका समाधान करने के लिए आईसीटी पर एक सप्ताह तक इस संबंध में वास्तविक परीक्षण (लाइव ट्रायल) किए जायेंगे।

हाल के वर्षों में, भारत सरकार ने विभिन्न नीतिगत पहलों, डिजिटल सुधारों और नियामक उपायों के जरिए भारत के ई-कॉमर्स से जुड़े निर्यात इकोसिस्टम में क्रांति ला दी है और उसे सुव्यवस्थित किया है। एक अध्याय- ‘डिजिटल अर्थव्यवस्था में सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देना’, जो विशेष रूप से सीमा पार ई-कॉमर्स व्यापार के लिए समर्पित है - का विदेश व्यापार नीति 2023 में समावेश किया गया है जो डिजिटल अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं के क्षेत्र में सीमा पार व्यापार और कूरियर, पोस्ट, ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब, डाक निर्यात केंद्र आदि के जरिए ई-कॉमर्स के संवर्धन हेतु एक रूपरेखा प्रदान करता है।

भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय में पिछले दशक में तेजी से वृद्धि देखी गई है और आने वाले वर्षों में इससे प्राप्त होने वाले राजस्व में भारी वृद्धि की उम्मीद है। अनुमान के मुताबिक, भारत का ई-कॉमर्स निर्यात 2030 तक बढ़कर 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। जहां तक ​​​​कूरियर निर्यात का सवाल है, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कूरियर निर्यात का कुल मूल्य 7,995 करोड़ रुपये रहा, जिसमें ई-कॉमर्स निर्यात की हिस्सेदारी 3,510 करोड़ रुपये की थी। वैश्विक रुझानों और विभिन्न सरकारी पहलों के जरिए ई-कॉमर्स उद्योग को दिए गए प्रोत्साहन को देखते हुए, इन आंकड़ों में और भी उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 7 के तहत 14 अंतरराष्ट्रीय कूरियर टर्मिनल (आईसीटी) अधिसूचित हैं। सीबीआईसी ने विशेष रूप से कूरियर और डाक मोड के जरिए सीमा पार ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने हेतु कई उपाय किए हैं। उसने कूरियर आयात और निर्यात (इलेक्ट्रॉनिक घोषणा और प्रोसेसिंग) विनियम, 2010 जारी किया, जिससे कूरियर मोड के जरिए परिवहन किए गए माल के लिए आयात और निर्यात संबंधी घोषणाओं की इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेसिंग संभव हो गई। एक्सप्रेस कार्गो क्लीयरेंस सिस्टम (ईसीसीएस), जो एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है, का शुभारंभ किया गया और यह वर्तमान में 9 प्रमुख आईसीटी पर कार्यरत है तथा कूरियर खेपों के लिए सीमा शुल्क निकासी प्रक्रिया को सरल एवं सुव्यवस्थित करता है। कूरियर मोड के जरिए निर्यात के लिए ऑटो एलईओ सुविधा और कूरियर शिपिंग बिलों के अग्रिम मूल्यांकन की सुविधा भी पिछले साल ईसीसीएस पर शुरू की गई। ईसीसीएस के जरिए कूरियर निर्यात के लिए आईजीएसटी रिफंड का लाभ पहले से ही उपलब्ध है।

डाक विभाग के सहयोग से, सीबीआईसी ने दिसंबर 2022 में ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने हेतु एक अभिनव ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल का शुभारंभ किया, जिसमें निर्बाध निर्यात प्रक्रियाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए देश भर में उपलब्ध डाकघरों के व्यापक नेटवर्क का लाभ उठाया गया है। इससे विशेष रूप से सुदूर इलाकों में स्थित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) एवं छोटे निर्यातकों को लाभ हुआ है। इस मॉडल के तहत, निर्यात पार्सल की बुकिंग और संग्रह की सुविधा के लिए देश भर में अब तक 1,015 डाक निर्यात केन्द्र नामित किए गए हैं।

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