पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
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पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव ने गुजरात के दीनदयाल बंदरगाह पर प्रमुख विकास परियोजनाओं की समीक्षा की और विभिन्न कल्याणकारी पहलों का उद्घाटन किया


पीओएल और एलपीजी हैंडलिंग की क्षमता बढ़ाने के लिए नई ऑयल जेटी नंबर 8 का विकास

सीएसआर-वित्तपोषित पहलों से दिव्यांग और वंचित समुदायों के लिए गतिशीलता और कल्याण में वृद्धि होगी

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय यह सुनिश्चित करता है कि आवश्यक सेवाएँ और सुविधाएं सभी के लिए सुलभ हों, जिससे सामुदायिक कल्याण और बंदरगाह के विकास को बढ़ावा मिले: श्री टीके रामचंद्रन, सचिव, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय

Posted On: 14 AUG 2024 5:39PM by PIB Delhi

गुजरात में दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण (डीपीए) के एक महत्वपूर्ण दौरे में, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) के सचिव श्री टीके रामचंद्रन ने बंदरगाह पर चल रही परियोजनाओं और परिचालन क्षमता की व्यापक समीक्षा की। इस दौरे में बंदरगाहों पर बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कल्याण को बढ़ाने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया।

सचिव ने डीपीए में नए तेल जेटी नंबर 8 का निरीक्षण किया। ओल्ड कांडला में तेल जेटी नंबर 08 का विकास एक महत्वपूर्ण परियोजना है जिसका उद्देश्य 3.50 एमएमटीपीए की अधिकतम क्षमता के साथ पीओएल और एलपीजी उत्पादों को संभालने के लिए बंदरगाह की क्षमता को बढ़ाना है। 80,000 और 100,000 के बीच डेडवेट टनेज (डीडब्ल्यूटी) और बर्थ के साथ 13 मीटर के ड्राफ्ट वाले जहाजों को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन की गई जेटी को 225.85 करोड़ रुपये की संशोधित परियोजना लागत से विकसित किया जा रहा है। एलपीजी के लिए पाइपलाइन की स्थापना को जिसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ) - ईएसी समिति से अनुशंसा प्राप्त हुई है, जिसके 2026 के मध्य तक चालू होने की उम्मीद है। इस प्रक्रिया में तेजी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, आईओसीएल बंकरिंग संचालन शुरू करने की योजना बना रहा है, जो 0.5 एमएमटीपीए ईंधन को संभालेगा। इसकी आवश्यक पाइपलाइन का काम पहले से ही चल रहा है और अगस्त 2024 के अंत तक इसका संचालन शुरू होने की उम्मीद है।

यात्रा के दौरान, महत्वपूर्ण विकासात्मक मुद्दों पर विचार करने के लिए गांधीधाम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) सहित हितधारकों के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में जीसीसीआई प्रतिनिधिमंडल ने सक्रिय रूप से भाग लिया और डीपीए के विकास और दक्षता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 11 प्रमुख बिंदुओं वाला एक व्यापक ज्ञापन प्रस्तुत किया।

मजदूरों के कल्याण और कार्य स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव ने दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण में कार्गो जेटी क्षेत्र के भीतर एक नए श्रम सुविधा केंद्र का उद्घाटन किया। सीएसआर पहल के तहत स्थापित इस सुविधा का उद्देश्य बंदरगाह पर कार्यरत श्रमिकों को आवश्यक सुविधाएं और बेहतर कार्य वातावरण उपलब्ध कराना है।

इसके अतिरिक्त, दिव्यांगों और वंचितों के लिए गतिशीलता और सुगमता बढ़ाने के लिए उन्होंने कांडला स्थित दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण (डीपीए) के प्रशासनिक कार्यालय भवन परिसर में पांच बसों/वैन का उद्घाटन किया। डीपीए के सीएसआर फंड के माध्यम से कुल 105.14 लाख रुपये की लागत से खरीदे गए इन वाहनों का उपयोग दिव्यांगजनों के कल्याण और सामुदायिक सेवाओं के लिए समर्पित विभिन्न संगठनों द्वारा किया जाएगा।

इस कार्यक्रम में श्री टी.के. रामचंद्रन ने कहा कि 'यह पहल दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण के सीएसआर फंड का उपयोग उन लोगों के जीवन में सार्थक प्रभाव पैदा करने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। नए तेल जेटी के विकास जैसे हमारे रणनीतिक बुनियादी ढांचे के विस्तार के साथ, मंत्रालय यह सुनिश्चित करता है कि आवश्यक सेवाएं और सुविधाएं सभी के लिए सुलभ हों, जिससे सामुदायिक कल्याण और बंदरगाह के विकास दोनों को ही बढ़ावा मिले।'

इस दौरे में व्यापार को बढ़ावा देने, लोजिस्टिक में सुधार करने और समुद्री क्षेत्र के लिए मंत्रालय के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप सतत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भविष्य की पहलों पर भी चर्चा हुई। इसमें डीपीए के अध्यक्ष श्री सुशील कुमार सिंह और डीपीए के उपाध्यक्ष श्री नंदीश शुक्ला के साथ-साथ डीपीए के विभागाध्यक्ष और लाभार्थी संगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा तैयार अमृत काल विजन 2047, समुद्री भारत विजन 2030 पर आधारित है। इसका उद्देश्य विश्व स्तरीय बंदरगाहों का विकास करना और अंतर्देशीय जल परिवहन, तटीय नौवहन और एक स्थायी समुद्री क्षेत्र को बढ़ावा देना है। इसमें लोजिस्टिक, बुनियादी ढांचे और नौवहन में आकांक्षाओं को शामिल किया गया है, जो भारत की 'ब्लू इकोनॉमी' का समर्थन करती है। विभिन्न हितधारकों के साथ 150 से अधिक परामर्श और 50 अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क के विश्लेषण के माध्यम से तैयार किए गए इस विजन में वर्ष 2047 तक बंदरगाहों, नौवहन और जलमार्गों को बढ़ाने के लिए 300 से अधिक कार्रवाई योग्य पहलों की रूपरेखा दी गई है।

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