विधि एवं न्‍याय मंत्रालय

ई-कोर्ट चरण-III का उद्देश्य संपूर्ण न्यायालय रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के माध्यम से डिजिटल, ऑनलाइन और कागज रहित न्यायालयों की ओर बढ़ते हुए न्याय की अधिकतम सुगम व्यवस्था की शुरुआत करना है


ई-कोर्ट परियोजना चरण III

Posted On: 01 AUG 2024 4:39PM by PIB Delhi

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13.09.2023 को भारतीय न्यायपालिका के आईसीटी विकास के लिए ई-कोर्ट परियोजना के चरण-III को मंजूरी दी, जिसमें 2023 से शुरू होने वाली 4 वर्षों की अवधि के लिए कुल 7,210 करोड़ रुपये का परिव्यय है। चरण-I और चरण-II के लाभों को अगले स्तर पर ले जाते हुए ई-कोर्ट चरण-III का उद्देश्य विरासत अभिलेख सहित संपूर्ण न्यायालय अभिलेख के डिजीटलीकरण के माध्यम से डिजिटल, ऑनलाइन व कागज-रहित न्यायालयों की ओर बढ़ते हुए न्याय में अधिकतम सुगमता की व्यवस्था की शुरुआत करना और सभी न्यायालय परिसरों को ई-सेवा केंद्र से संतृप्त करके ई-फाइलिंग/ई-भुगतान का सार्वभौमिकरण करना है। ई-कोर्ट परियोजना के चरण-III का उद्देश्य मामलों को सूचीबद्ध करने या प्राथमिकता देते समय न्यायाधीशों और रजिस्ट्री के लिए डेटा आधारित निर्णय लेने में सक्षम बुद्धिमान स्मार्ट प्रणाली स्थापित करना है। चरण-III का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच तैयार करना है, जिससे न्यायालयों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच सुगम और कागज रहित इंटरफेस उपलब्ध हो सके। यह परियोजना एक “स्मार्ट” इकोसिस्टम का निर्माण करके एक सहज उपयोगकर्ता अनुभव की परिकल्पना करता है। इस तरह ई-कोर्ट चरण-III देश के सभी नागरिकों के लिए न्यायालय के अनुभव को सुविधाजनक, सस्ता और सुगम बनाकर न्याय प्राप्त करने में आसानी सुनिश्चित करने को लेकर गेमचेंजर यानी एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी कदम साबित हो सकता है। ई-कोर्ट चरण-III के विभिन्न घटकों में विरासत अभिलेख के 3108 करोड़ पृष्ठों का डिजिटलीकरण, क्लाउड अवसंरचना, सभी न्यायालय परिसरों में पूरी तरह कार्यात्मक 4,400 ई-सेवा केंद्रों को स्थापित करना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस)/मशीन लर्निंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आदि शामिल है।    

ई-कोर्ट परियोजना के तहत उच्चतम न्यायालय की ई-समिति की सिफारिश पर न्याय विभाग द्वारा उच्च न्यायालयों को धनराशि जारी की जाती है, न कि विशिष्ट राज्यों को, क्योंकि उच्च न्यायालय ही कार्यान्वयन एजेंसी है। ई-कोर्ट चरण- III के तहत आवंटित धनराशि और वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में किए गए परिव्यय का विवरण निम्नलिखित है:

 

                                                   (धनराशि करोड़ रुपये में)

 वित्त वर्ष

आवंटित धानराशि

           उपगत व्यय

कुल

उच्च न्यायालय

एनआईसीएसआई

बीएसएनएल

ई-कमिटी

विविध

 

2023-24

825.00

611.88

101.26

54.79

0.24

0.07

768.25

2024-25

1500

464.98

   -

   -

0.75

   -

465.74

 

* वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उच्च न्यायालयवार धनराशि जारी करने का विवरण अनुलग्नक- I में है।

इसके अलावा वर्चुअल पीठ की स्थापना एक प्रशासनिक मामला है, जो पूरी तरह से संबंधित राज्य सरकारों और संबंधित उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस मामले में केन्द्र सरकार की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है।

ई-कोर्ट परियोजना चरण II के लिए राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) की ओर से तृतीय-पक्ष मूल्यांकन आयोजित किया गया है और प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:

  • ई-कोर्ट परियोजना के कारण न्यायालयों में दायर मामलों की कुल संख्या में बढ़ोतरी हुई है और ऑनलाइन पोर्टल व मोबाइल एप्लीकेशनों के माध्यम से सूचना तक सुगम पहुंच में सहायता प्राप्त हुई है।
  • ई-कोर्ट परियोजना के तहत प्रदान की गई विभिन्न आईसीटी सुविधाओं की पहुंच और गुणवत्ता पर उच्च स्तर की संतुष्टि व्यक्त की गई।
  • भारत के उच्चतम न्यायालय की ई-कमिटी की ओर से खरीद प्रक्रिया अच्छी तरह से नियोजित है और सभी भुगतान समय पर प्राप्त होते हैं।
  • न्यायाधीश ई-कोर्ट परियोजना के कार्यान्वयन से न्यायालय से संबंधित समय प्रबंधन और सूचना की पारदर्शिता में आए सुधार से संतुष्ट हैं।
  • नमूना न्यायालयों में से 90-100 फीसदी में कंप्यूटर हार्डवेयर की व्यवस्था है और मामला सूचना प्रणाली (सीआईएस) स्थापित है।
  • न्यायाधीशों और न्यायालय के अधिकारियों के एक बड़े तबके ने सीआईएस, एनजेडीजी और हार्डवेयर के उपयोग में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। लगभग सभी उत्तरदाताओं की राय थी कि प्रशिक्षण बहुत उपयोगी थे।
  • मामला सूचना प्रणाली (सीआईएस), जस्टआईएस मोबाइल एप और राष्ट्रीय न्यायिक डेटा-ग्रिड (एनजेडीजी) वेबसाइट जैसी सेवाओं का आम तौर पर उपयोग किया जाता है और इनका यूजर इंटरफेस आसान है।
  • अधिकांश न्यायाधीशों और न्यायालय अधिकारियों का मानना ​​है कि ई-कोर्ट परियोजना से लंबित मामलों में कमी आई है, क्योंकि मामलों की विधिक जानकारी तक आसान पहुंच के कारण बेहतर अनुसंधान संभव हुआ है।
  • पिछले कुछ वर्षों में पांच वर्षों से अधिक समय से लंबित मामलों की संख्या में धीमी लेकिन निरंतर गिरावट देखी गई है।
  • साल 2017 से जिला न्यायालयों की निपटान दर में भी तीव्र बढ़ोतरी देखी गई है।

 

ई-कोर्ट परियोजना को भारत के उच्चतम न्यायालय की ई-कमिटी, जिसकी अध्यक्षता वर्तमान में भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश कर रहे हैं और न्याय विभाग के सहयोग से संबंधित उच्च न्यायालयों के जरिए विकेन्द्रीकृत तरीके से कार्यान्वित किया जा रहा है। ई-कमिटी, ई-कोर्ट परियोजना के कार्यान्वयन के लिए नीति नियोजन, रणनीतिक दिशा और मार्गदर्शन के लिए जिम्मेदार है और न्याय विभाग के साथ सहयोगात्मक साझेदारी में कार्य करती है, जो परियोजना के लिए जरूरी धनराशि उपलब्ध कराने के लिए जवाबदेह है।

ई-कोर्ट परियोजना चरण-III की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को 21 अक्टूबर, 2022 को ई-समिति की ओर से अनुमोदित किया गयायह 13 सितंबर, 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा चरण-III के अनुमोदन का आधार बनी। इसके अतिरिक्त ई-समिति ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ई-फाइलिंग, डिजिटलीकरण आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए विभिन्न मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) जारी की हैं और मार्गदर्शन के लिए सभी उच्च न्यायालयों को भेजी हैं।

 

अनुलग्नक I

 

वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में उच्च न्यायालय-वार जारी की गई धनराशि का विवरण निम्नलिखित है:

 

    चरण- III

 

क्रम संख्या

 

 

    उच्च न्यायालय

2023-24

2024-25

जारी धनराशि (करोड़ रुपये में)

जारी धनराशि (करोड़ रुपये में)

1

इलाहाबाद

95.87

39.94

2

आंध्र प्रदेश

25.44

17.82

3

बॉम्बे

69.54

48.36

4

कलकत्ता

16.73

31.54

5

छत्तीसगढ़

16.27

18.28

6

दिल्ली

17.89

15.09

7

गौहाटी (अरुणाचल प्रदेश)

2.03

2.59

8

गौहाटी (असम)

24.97

9.05

9

गौहाटी (मिजोरम)

3.12

1.88

10

गौहाटी (नगालैंड)

1.79

1.29

11

गुजरात

27.72

39.98

12

हिमाचल प्रदेश

6.06

4.36

13

जम्मू और कश्मीर

6.52

5.29

14

झारखंड

10.59

8.92

15

कर्नाटक

32.37

22.87

16

केरल

15.40

10.00

17

मध्य प्रदेश

22.90

28.99

18

मद्रास

90.69

41.29

19

मणिपुर

11.12

2.72

20

मेघालय

3.33

2.07

21

ओडिशा

6.77

17.25

22

पटना

32.43

37.44

23

पंजाब और हरियाणा

14.58

4.71

24

राजस्थान

19.80

30.81

25

सिक्किम

1.71

1.25

26

तेलंगाना

22.03

16.39

27

त्रिपुरा

0.53

2.17

28

उत्तराखंड

13.68

7.42

         कुल

611.88

464.98

 

यह जानकारी विधि और न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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