विद्युत मंत्रालय
थर्मल पावर प्लांट में फ्लू गैस डी-सल्फराइजेशन (एफजीडी) की स्थापना की स्थिति
Posted On:
01 AUG 2024 2:04PM by PIB Delhi
वर्तमान में, देश भर में कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट में 537 इकाइयों में फ्लू गैस डी-सल्फराइजेशन (एफजीडी) स्थापित किया जा रहा है। देश भर में थर्मल पावर प्लांट में एफजीडी उपकरणों की स्थापना की वर्तमान स्थिति नीचे दी गई है:
एफजीडी की स्थिति
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क्षमता सहित इकाइयों की सं.
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एफजीडी स्थापित
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39 (19,430 मेगावाट)
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अनुबंध प्रदान किया गया/कार्यान्वित
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238 (1,05,200 मेगावाट)
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निविदा प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में
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139 (42,847 मेगावाट)
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पूर्व-निविदा प्रक्रिया में
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121 (36,683 मेगावाट)
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एफजीडी स्थापना (श्रेणीवार) पूर्ण करने वाले ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) की संख्या का विवरण नीचे दिया गया है:
श्रेणी
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पूर्ण एफजीडी स्थापना (इकाइयां और क्षमता)
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ए
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11 (4,390 मेगावाट)
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बी
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2 (1,160 मेगावाट)
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सी
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26 (13,880 मेगावाट)
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कुल
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39 (19,430 मेगावाट)
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कुछ ताप विद्युत संयंत्रों को एफजीडी की स्थापना में देरी का सामना करना पड़ा है। ताप विद्युत संयंत्रों में एफजीडी प्रणाली के कार्यान्वयन के दौरान सामने आने वाली प्रमुख समस्याएं/ चुनौतियां इस प्रकार हैं:
i. एफजीडी तकनीक हमारे देश के लिए नई है, वर्तमान में सीमित विक्रेता हैं जिनके पास एफजीडी के उपकरणों की आपूर्ति और स्थापना करने की सीमित क्षमता है। देश में एफजीडी स्थापना के लिए विक्रेताओं की क्षमता लगभग 16-20 गीगावाट (33 से 39 इकाई) है और स्थापना में लगभग 44 से 48 महीने का समय लगता है। इसकी मांग में अचानक उछाल आया है, क्योंकि सभी थर्मल उत्पादन इकाइयों को थोड़े समय के भीतर सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन करना है, जिससे एफजीडी उपकरणों की मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर पैदा हो गया है।
ii. भारत में 70 प्रतिशत एफजीडी घटकों की विनिर्माण क्षमता थी जो अब समय बीतने के साथ बढ़कर 80 प्रतिशत हो गई है। हालांकि, यह अभी भी अन्य देशों से आयात पर निर्भर करता है। इसके अलावा, अन्य देशों से प्रौद्योगिकी, उपकरण और कुशल जनशक्ति के आयात के लिए बहुत बड़ी विदेशी मुद्रा की भी आवश्यकता होती है।
iii. एफजीडी प्रणालियों की स्थापना में अवधारणा, डिजाइन चुनौतियों आदि के संदर्भ में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। मानकीकरण नहीं किया जा सका, क्योंकि विभिन्न साइटों की अलग-अलग आवश्यकताएं हैं, जैसे कि स्थान की कमी, ले-आउट और अभिविन्यास आदि।
उपर्युक्त मुद्दों का समाधान करने के लिए, विक्रेताओं को अपनी क्षमता बढ़ाने और आयात निर्भरता को कम करने के लिए सभी एफजीडी भागों के स्वदेशी उत्पादन को अधिकतम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की 05.09.2022 की अधिसूचना के अनुसार, श्रेणी ए, बी और सी (संयंत्र के स्थान के आधार पर) कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन मानदंडों के कार्यान्वयन की समय सीमा क्रमशः दिसंबर 2024, दिसंबर 2025 और दिसंबर 2026 है। कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों को इन निर्धारित समय-सीमाओं के भीतर सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन करना आवश्यक है, ऐसा न करने पर ताप विद्युत संयंत्रों पर सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन न करने के लिए पर्यावरण संबंधी क्षतिपूर्ति लागू की जाएगी।
विद्युत राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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(Release ID: 2040193)