गृह मंत्रालय
वित्तीय धोखाधड़ी के लिए बायोमेट्रिक क्लोनिंग के मामले
Posted On:
31 JUL 2024 4:34PM by PIB Delhi
एक वक्तव्य सदन के पटल पर रखा गया है।
भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक कानून व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश मुख्य रूप से अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी सहित अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश की पहलों को उनके एलईए की क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत परामर्श और वित्तीय सहायता के माध्यम से पूरक बनाती है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) अपने प्रकाशन “भारत में अपराध” में अपराधों के बारे में सांख्यिकीय डेटा संकलित और प्रकाशित करता है। नवीनतम प्रकाशित रिपोर्ट वर्ष 2022 के लिए है। बायोमेट्रिक क्लोनिंग के अंतर्गत दर्ज मामलों के बारे में विशिष्ट डेटा एनसीआरबी द्वारा अलग से नहीं रखा जाता है। हालाँकि, अब तक, नागरिकों द्वारा राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) के माध्यम से हुई धोखाधड़ी के अंतर्गत लगभग 29,000 घटनाओं की सूचना दी गई है।
साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के लिए व्यवस्था को मजबूत करने के लिए, केंद्र सरकार ने कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातें शामिल हैं:
i. गृह मंत्रालय ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराधों से समन्वित और व्यापक रूप से निपटने के लिए एक संलग्न कार्यालय के रूप में ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई 4सी) की स्थापना की है।
ii. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान देने के साथ, सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट करने में जनता को सक्षम बनाने के लिए, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई 4सी) के एक भाग के रूप में ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी)’ (https://cybercrime.gov.in) शुरू किया गया है। इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाओं, उन्हें एफआईआर के रूप में दर्ज करना और उसके बाद की कार्रवाई कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की जाती है।
iii. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई), भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई 4सी) ने विभिन्न उपाय किए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ एनसीआरपी पर बैंकों द्वारा बिजनेस कॉरपोरेट एजेंटों के खिलाफ रिपोर्टिंग, बैंकों द्वारा बिजनेस कॉरपोरेट एजेंटों को शामिल करते समय केवाईसी यानी अपने ग्राहक को जानने की प्रक्रिया को मजबूत करना, बिजनेस कॉरपोरेट एजेंटों द्वारा प्रत्येक लेनदेन के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण की शुरुआत, एनसीआरपी के साथ एनपीसीआई के एईपीएस धोखाधड़ी प्रबंधन का एकीकरण और एईपीएस (आधार सक्षम भुगतान प्रणाली) धोखाधड़ी को रोकने के लिए एईपीएस धोखाधड़ी की घटनाओं पर कार्रवाई शामिल है।
iv. एनपीसीआई ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) के माध्यम से लेनदेन की सुरक्षा बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों को लागू किया है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ नकद निकासी और भीम आधार पे के लिए संचयी एईपीएस सीमा को अधिकतम 50,000 रुपये प्रति माह निर्धारित करना, एईपीएस सदस्य बैंकों को विशिष्ट श्रेणियों के खातों के लिए एईपीएस को अक्षम करने का परामर्श और ग्राहकों को एईपीएस डेबिट लेनदेन को सक्षम/अक्षम करने के लिए कई विकल्प प्रदान करना शामिल है।
v. मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापत्तनम और गुवाहाटी के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई 4सी) के अंतर्गत सात संयुक्त साइबर समन्वय दल (जेसीसीटी) गठित किए गए हैं, जो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय ढांचे को बढ़ाने के लिए साइबर अपराध के प्रमुख केंद्र/बहु-क्षेत्राधिकार वाले क्षेत्रों के आधार पर पूरे देश को शामिल करते हैं। वर्ष 2023 में हैदराबाद, अहमदाबाद, गुवाहाटी, विशाखापत्तनम, लखनऊ, रांची और चंडीगढ़ में संयुक्त साइबर समन्वय दल के लिए सात कार्यशालाएँ आयोजित की गईं।
vi. वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई 4सी) के अंतर्गत 'नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली' शुरू की गई है। अब तक 7.6 लाख से अधिक शिकायतों में 2400 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राशि बचाई गई है। ऑनलाइन साइबर शिकायत दर्ज करने में सहायता प्रदान करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर '1930' चालू किया गया है।
vii. पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, अब तक भारत सरकार द्वारा 5.8 लाख से अधिक सिम कार्ड और 1,08,000 आईएमईआई ब्लॉक किए जा चुके हैं।
viii. साइबर अपराध के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ एसएमएस, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई 4सी) सोशल मीडिया अकाउंट यानी एक्स (पूर्व में ट्विटर) (@CyberDost), फेसबुक (CyberDostI4C), इंस्टाग्राम (cyberDostI4C), टेलीग्राम (cyberdosti4c), रेडियो अभियान, कई माध्यमों में प्रचार के लिए माई गव को शामिल करना, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से साइबर सुरक्षा और सुरक्षा जागरूकता सप्ताह का आयोजन, किशोरों/विद्यार्थियों के लिए पुस्तिका का प्रकाशन आदि शामिल हैं। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से भी इसके बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिए प्रचार करने का अनुरोध किया गया है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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