संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
दूरसंचार विभाग ने रक्षा क्षेत्र आईसीटी सम्मेलन का आयोजन किया
भारत में डिजाइन और निर्मित दूरसंचार उपकरण 100 से अधिक देशों को निर्यात किए जा रहे हैं: डिजिटल संचार आयोग के सदस्य (टी)
सरकार अफ्रीका के साथ आईसीटी क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है: विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (ईडी और एमईआर)
14 से अधिक अफ्रीकी देशों के राजदूतों, रक्षा अताशे, वाणिज्य इकाइयों के प्रमुखों ने भाग लिया
Posted On:
29 JUL 2024 8:39PM by PIB Bhopal
दूरसंचार उपकरण और सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (टीईपीसी) ने दूरसंचार विभाग, संचार मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सहयोग से 29 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में रक्षा क्षेत्र आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) सम्मेलन का आयोजन किया। रक्षा क्षेत्र आईसीटी सम्मेलन में कुल 18 कंपनियों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया।
सम्मेलन (कॉन्क्लेव) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए दूरसंचार विभाग के डिजिटल संचार आयोग की सदस्य (प्रौद्योगिकी) सुश्री मधु अरोड़ा ने कहा: "आईसीटी रक्षा संचालन की रीढ़ है, और भारत के जीवंत आईसीटी क्षेत्र ने नवाचार और अखंडता की विशेषता के साथ पिछले दशकों में एक महत्वपूर्ण उपस्थिति स्थापित की है। भारतीय आईसीटी उद्योग दुनिया को समाधान प्रदान कर रहा है, जिससे इस क्षेत्र में भारत के नेतृत्व का पता चलता है।"
उन्होंने बताया कि भारत में डिजाइन और निर्मित उत्पाद अब 100 से अधिक देशों में निर्यात किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ निर्माताओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
उन्होंने बताया, “पिछले साल, हमने 18.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के दूरसंचार उपकरण और सेवाओं का निर्यात किया। हमारी कई घरेलू दूरसंचार कंपनियों ने भारी वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बावजूद अमेरिका सहित पश्चिमी देशों में अपनी पहचान बनाई है। भारतीय सेना ने हाल ही में अपने पहले स्वदेशी चिप-आधारित 4 जी मोबाइल बेस स्टेशन को एकीकृत किया है, जिसे हमारी अपनी आरएंडडी फर्मों द्वारा विकसित किया गया है।”
विदेश मंत्रालय (एमईए) के संयुक्त सचिव (ईडी और एमईआर) श्री अभिषेक सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि विदेश मंत्रालय आईसीटी क्षेत्र में अफ्रीका के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे प्रयासों में ज्ञान साझा किया जाना और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाना और क्षमता निर्माण, कौशल विकास और नवाचार का समर्थन करना शामिल है। एआई और ब्लॉकचेन जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करके, हमारा लक्ष्य अफ्रीकी देशों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करना है।”
श्री अभिषेक ने कहा कि अफ्रीका के साथ भारत के संबंध आपसी सम्मान, विकास और रणनीतिक साझेदारी पर आधारित हैं। भारत अफ्रीका में शीर्ष पांच निवेशकों में से एक के रूप में उभरा है, जिसका संचयी निवेश लगभग 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इस निवेश परिदृश्य में आईसीटी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कई भारतीय कंपनियों ने पूरे महाद्वीप में डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी और सुरक्षित डेटा होस्टिंग सेवाओं में उनके योगदान ने लाखों अफ्रीकियों को सशक्त बनाया है।
उन्होंने आगे बताया कि अफ्रीका आईसीटी क्षेत्र में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। अफ्रीकी सरकारों द्वारा आईसीटी अवसंरचना का विस्तार करने के लिए चल रहे प्रयास, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, विभिन्न क्षेत्रों में आईसीटी सेवाओं के विकास और वितरण में भारतीय कंपनियों के लिए संभावित सहयोग के साथ संरेखित हैं।
अपने संबोधन में, दूरसंचार उपकरण और सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (टीईपीसी) के पूर्व अध्यक्ष श्री संदीप अग्रवाल ने कहा, "सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत, अफ्रीकी संप्रभुता के लिए अपने दीर्घकालिक सहयोग और सम्मान के साथ, इस क्षेत्र में एक विश्वसनीय भागीदार है।
उन्होंने आगे दोहराया कि डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हमारी विशेषज्ञता हमारे रक्षा बलों को पूर्वानुमानित अंतर्दृष्टि और कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी के साथ सशक्त बनाती है, जिससे निर्णय लेने और मोर्चे पर परिचालन प्रभावशीलता में वृद्धि होती है।
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) के निदेशक (बोर्ड सदस्य) डॉ. पंकज के दलेला ने ‘भारतीय दूरसंचार नेटवर्क और आईसीटी उत्पादों का अवलोकन’ पर एक प्रस्तुति दी, जबकि संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के वरिष्ठ उप महानिदेशक आर. शाक्य ने ‘आईटीयू के तहत विभिन्न देशों में संभावित सहयोग’ पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
इस कार्यक्रम में 14 से अधिक अफ्रीकी देशों के राजदूत, उप-प्रमुख, रक्षा अताशे, वाणिज्य इकाइयों के प्रमुखों ने भाग लिया।
इस अवसर पर दूरसंचार उपकरण एवं सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (टीईपीसी) के महानिदेशक श्री अरुण गुप्ता ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
टीईपीसी के बारे में: विदेश व्यापार नीति के दायरे में, दूरसंचार उपकरणों और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए, वर्ष 2009 के दौरान भारत सरकार द्वारा टीईपीसी की स्थापना की गई थी।
परिषद के दायरे में आईसीटी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, बुनियादी ढांचा उत्पाद, सेवा प्रावधान, सिस्टम एकीकरण और परामर्श सेवाओं सहित संपूर्ण दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र आता है। टीईपीसी उपकरण निर्माताओं, सिस्टम इंटीग्रेटर्स, सेवा प्रदाताओं और अन्य प्रासंगिक संस्थाओं सहित दूरसंचार क्षेत्र के भीतर विविध हितधारकों की प्रभावी रूप से सेवा करता है।
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