शिक्षा मंत्रालय
प्राथमिक और इंटरमीडियेट शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार
Posted On:
24 JUL 2024 5:00PM by PIB Delhi
केंद्र द्वारा प्रायोजित समग्र शिक्षा योजना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विभिन्न हस्तक्षेपों के लिये सहायता प्रदान करके शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करती है, जैसे शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों का सेवाकालीन प्रशिक्षण, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि सर्वेक्षणों का संचालन, अनुकूल शिक्षण वातावरण प्रदान करने के लिये प्रत्येक स्कूल को समग्र स्कूल अनुदान, पुस्तकालय, खेल और शारीरिक गतिविधियों के लिये अनुदान, राष्ट्रीय आविष्कार अभियान , सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) और डिजिटल पहलों के लिये सहायता, स्कूल नेतृत्व विकास कार्यक्रम, शैक्षणिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिये सुधारात्मक शिक्षण आदि ।
समग्र शिक्षा की योजना को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के साथ जोड़ा गया है, जिसमें नये शैक्षणिक और पाठ्यचर्या संरचना की शुरुआत, प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा, आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता और विद्यार्थी विकास के लिये मूल्यांकन में परिवर्तन, अनुभवात्मक और योग्यता आधारित शिक्षा आदि जैसे विभिन्न उपायों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया है ।
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये निम्नलिखित पहल की गयी
हैं ।
(i) समग्र शिक्षा के अंतर्गत समझ और गणना के साथ पढ़ने में दक्षता के लिये राष्ट्रीय पहल (निपुण भारत) शुरू की गयी है , जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश का प्रत्येक बच्चा ग्रेड 3 के अंत तक अनिवार्य रूप से बुनियादी साक्षरता और गणना (एफएलएन) प्राप्त कर ले , और इसके लिये ई- सामग्री दीक्षा प्लेटफॉर्म पर जारी की गयी है ।
(ii) निष्ठा एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम 1.0, 2.0, 3.0 और 4.0 को शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों/ प्रधानाचार्यों और शैक्षिक प्रबंधन में अन्य हितधारकों के लिये स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों के लिये शुरू किया गया है ।
(iii) स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली के संकेतक के रूप में बच्चों की प्रगति और सीखने की दक्षताओं का मूल्यांकन करने और विभिन्न स्तरों पर उपचारात्मक कार्रवाई के लिये उचित कदम उठाने के लिये शिक्षा मंत्रालय द्वारा 12 नवंबर, 2021 को राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) 2021 आयोजित किया गया है ।
(iv) राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को ग्रेड देने के लिये 73 संकेतक- आधारित मैट्रिक्स प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) विकसित किया गया है । जिला स्तरीय प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) तैयार किये गये हैं और पीजीआई- जिला के संकलन के लिये एक वेब एप्लिकेशन विकसित किया गया है ।
(v) ग्रेड-I के बच्चों के लिये तीन महीने के खेल-आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल के लिये विद्या प्रवेश-दिशानिर्देश 29 जुलाई, 2021 को जारी किये गये हैं , ताकि सभी बच्चे ग्रेड-I में गर्मजोशी और स्वागत करने वाले माहौल का अनुभव कर सकें ।
(vi) समग्र शिक्षा के तहत, प्रारंभिक स्तर पर सुधारात्मक शिक्षण और ब्रिज कोर्स जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया गया है और सीखने के अंतराल की पहचान करके और विद्यार्थियों को विशेष ग्रेड के लिये सबसे महत्वपूर्ण चीजें सीखने की पूर्व-आवश्यकताओं से लैस करके लर्निंग एन्हांसमेंट प्रोग्राम जैसे अधिक प्रगतिशील तरीकों को लागू किया जाता है ।
यूडीआईएसई + डेटा के अनुसार, वर्ष 2021-22 के दौरान देश भर के सभी प्रबंधन स्कूलों में कुल 265235830 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के 184886952 विद्यार्थी शामिल थे । इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिये कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और समानता के साथ शिक्षा तक पहुँच मिले , शिक्षा मंत्रालय ने सात जनवरी, 2021 को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ दिशा-निर्देश साझा किये हैं , जिनमें अन्य बातों के अलावा, छह से 18 वर्ष की आयु के स्कूल न जाने वाले बच्चों की पहचान, नामांकन अभियान और जागरूकता पैदा करना, स्कूल बंद रहने के दौरान विद्यार्थियों को सहायता प्रदान करना, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) के लिये निरंतर शिक्षा, स्कूल फिर से खुलने पर विद्यार्थियों को सहायता प्रदान करना और शिक्षकों की क्षमता निर्माण शामिल हैं । दिशा-निर्देशों का लिंक है:-
https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/guidelines_oosc.pdf
शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिये कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों सहित हर विद्यार्थी को शिक्षा तक निरंतर पहुंच मिले, एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है । आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में पीएम ई-विद्या नामक एक व्यापक पहल शुरू की गयी है, जो शिक्षा तक बहुआयामी पहुंच को सक्षम करने के लिये डिजिटल/ ऑनलाइन/ ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एकीकृत करती है । इस पहल में निम्नलिखित घटक शामिल हैं :
• राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में स्कूली शिक्षा के लिये गुणवत्तापूर्ण ई- सामग्री प्रदान करने के लिये देश का डिजिटल बुनियादी ढाँचा दीक्षा: और सभी ग्रेड (एक राष्ट्र, एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म) के लिये क्यूआर कोड वाली उत्साहवर्धक पाठ्यपुस्तकें ।
• 1 से 12 तक प्रत्येक कक्षा के लिये एक निर्धारित स्वयं प्रभा टीवी चैनल (एक कक्षा, एक चैनल) ।
• रेडियो, सामुदायिक रेडियो और केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ( सीबीएसई ) पॉडकास्ट- शिक्षा वाणी का व्यापक उपयोग ।
• दृष्टिबाधित और श्रवण बाधितों के लिये डिजिटली एक्सेसिबल इंफॉर्मेशन सिस्टम (डेजी) और एनआईओएस वेबसाइट/यूट्यूब पर सांकेतिक भाषा में विशेष ई-सामग्री विकसित की गयी ।
जहां डिजिटल सुविधा (मोबाइल डिवाइस/ डीटीएच टेलीविजन) उपलब्ध नहीं है, वहां शिक्षा मंत्रालय ने सामुदायिक रेडियो स्टेशन और केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की शिक्षा वाणी नामक पॉडकास्ट, पाठ्यपुस्तकें, शिक्षार्थियों के आवास पर आपूर्ति की जाने वाली वर्कशीट और सामुदायिक/ मोहल्ला कक्षायें जैसी कई पहल की हैं । विभाग के नवाचार कोष का उपयोग स्कूलों में मोबाइल स्कूल, वर्चुअल स्टूडियो, वर्चुअल क्लास रूम स्थापित करने के लिये किया जाता है । राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के लिये सतत शिक्षण योजना (सीएलपी) सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू की गयी हैं , विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्री-लोडेड टैबलेट का प्रभावी रूप से दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है , जहां ऑनलाइन कक्षायें मुश्किल हैं ।
इसके साथ ही, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझेदारी में समग्र शिक्षा लागू की जाती है और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूलों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) बुनियादी संरचना को मजबूत करने सहित विभिन्न घटकों के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है । अब तक राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को 139181 सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) लैब और 126881 स्मार्ट क्लासरूम स्वीकृत किये गये हैं ।
शिक्षा राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरी ने यह जानकारी आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी ।
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