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सीआरपीएफ स्थापना दिवस : वीरता और सेवा की विरासत का जश्न


सीआरपीएफ  ने 1939 से अटूट समर्पण के साथ भारत की आंतरिक सुरक्षा को कायम रखा

Posted On: 26 JUL 2024 9:47PM by PIB Delhi

 परिचय

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भारत संघ का एक प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है, जिसे आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया है। रियासतों के भीतर बढ़ती राजनीतिक उथल-पुथल और अशांति से निपटने के लिए 27 जुलाई, 1939 को क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में शुरू में स्थापित सीआरपीएफ देश के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में से एक के रूप में विकसित हुआ है। इस पुलिस बल का निर्माण 1936 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मद्रास प्रस्ताव से काफी प्रभावित था, जिसमें एक मजबूत आंतरिक सुरक्षा तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया गया था।

अंग्रेजों से आजादी के बाद, क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ। 28 दिसंबर, 1949 को संसद के एक अधिनियम के माध्यम से इसका नाम बदलकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कर दिया गया। इस विधायी अधिनियम ने इसे न केवल नया नाम सीआरपीएफ दिया, बल्कि इसे केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र के तहत एक सशस्त्र इकाई के रूप में स्थापित भी किया। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस पुलिस बल के लिए एक बहुआयामी भूमिका की कल्पना की, इसके कार्यों को एक नए स्वतंत्र राष्ट्र की उभरती जरूरतों के साथ जोड़ा।

आज सीआरपीएफ केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत भारत संघ के सशस्त्र बलों में से एक है। इसे राज्यों की सहायता के लिए कानून और व्यवस्था बनाए रखने, उग्रवाद विरोधी अभियान और नक्सल विरोधी अभियान जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण काम सौंपे गए हैं। इसका विस्तृत अधिदेश राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

आज हम सीआरपीएफ के 86वें स्थापना दिवस का जश्न मना रहे हैं।  हम इसकी समृद्ध विरासत का सम्मान करते हैं और भारत की सुरक्षा और स्थिरता के लिए इसकी अटूट प्रतिबद्धता की सराहना करते हैं। सीआरपीएफ की स्थापना से लेकर एक महत्वपूर्ण और विविधतापूर्ण संगठन के रूप में इसकी वर्तमान स्थिति तक की यात्रा इसकी अनुकूलनशीलता, लचीलापन और राष्ट्र की सेवा के प्रति समर्पण का प्रमाण है।

मुख्य भूमिकाएं और जिम्मेदारियां

सीआरपीएफ ने 28 दिसंबर, 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के अधिनियमन के बाद अपना वर्तमान नाम ग्रहण किया। समय के साथ, सीआरपीएफ एक दुर्जेय संगठन के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें अब 246 बटालियन शामिल हैं। इस पुलिस बल का नेतृत्व एक महानिदेशक करता है और इसे जम्मू, कोलकाता, हैदराबाद और गुवाहाटी में स्थित चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक विशेष महानिदेशकों (डीजी) की कमान के अधीन काम करता है। सीआरपीएफ देश भर में अपनी उपस्थिति और विविध कौशल के साथ भारत की आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां इसकी प्रमुख जिम्मेदारियों का विस्तृत विवरण दिया गया है:

कानून और व्यवस्था बनाए रखना:

  • भीड़ नियंत्रण और दंगा नियंत्रण: सीआरपीएफ कर्मियों को बड़ी भीड़, विरोध और प्रदर्शनों को संभालने के लिए भीड़ प्रबंधन तकनीक में प्रशिक्षित किया जाता है।
  • आतंकवाद विरोधी अभियान: उग्रवाद के खतरे की आशंका वाले क्षेत्रों में तैनात सीआरपीएफ बटालियन अच्छी तरह से सुसज्जित हैं और युद्ध अभियानों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित हैं।
  • वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रबंधन: सीआरपीएफ इकाइयां नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वामपंथी उग्रवाद गतिविधियों से निपटने में विशेषज्ञ हैं। वे राज्य पुलिस बलों के साथ नजदीकी समन्वय में अभियान चलाते हैं, क्षेत्र का उग्रवाद से सफाया, स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ने और ऐसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के लिए सुरक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

सुरक्षा और संरक्षण:

  • वीआईपी सुरक्षा: सीआरपीएफ के लगभग 5.68 प्रतिशत कर्मियों को वीआईपी सुरक्षा में लगाया जाता है, खास तौर पर पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू एवं कश्मीर, बिहार और आंध्र प्रदेश में। सीआरपीएफ जवान जम्मू एवं कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे राज्यों में राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की सुरक्षा करते हैं। सीआरपीएफ देश भर में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और अन्य गणमान्य हस्तियों के लिए स्थिर सुरक्षा सेवाएं भी प्रदान करता है।
  • महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा: सीआरपीएफ के लगभग 8.5 प्रतिशत कर्मी महत्वपूर्ण केंद्रीय और राज्य सरकार की सुविधा केंद्रों की सुरक्षा के लिए समर्पित हैं, खासकर उनकी जो उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्थित हैं। इसमें सरकारी सचिवालय, दूरदर्शन केंद्र, टेलीफोन एक्सचेंज, बैंक, पनबिजली परियोजनाओं और जेलों की सुरक्षा शामिल है। इसके अलावा, सीआरपीएफ संसद भवन की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, इसे संभावित खतरों से बचाता है।
  • चुनाव सुरक्षा: सीआरपीएफ देश भर में संसदीय और विधानसभा चुनावों को सुरक्षित तरीके से संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए यह गृह मंत्रालय, निर्वाचन आयोग और अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिलकर काम करता है। यह प्रदेश स्तर पर समन्वय समूह बनाता है और सुरक्षा आकलन के आधार पर रणनीतिक रूप से जवानों के दल को तैनात करता है। इसमें निर्बाध समन्वय के लिए नियंत्रण कक्ष चौबीसों घंटे काम करते हैं। सीआरपीएफ विशिष्ट पहचान पत्र जारी करते हैं और कुशल तथा सुरक्षित चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।

अतिरिक्त जिम्मेदारियां:

  • पर्यावरण संरक्षण: विशिष्ट क्षेत्रों में, सीआरपीएफ इकाइयां वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों को अवैध शिकार और अवैध कटाई गतिविधियों से बचाने के लिए वन विभागों के साथ सहयोग करती हैं।
  • आपदा प्रबंधन: बाढ़, भूकंप और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान यह पुलिस बल बचाव और राहत कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेता है। सीआरपीएफ कर्मियों को आपदा प्रतिक्रिया तकनीकों में प्रशिक्षित किया जाता है और प्रभावित समुदायों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए इसे तैयार किया जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन: सीआरपीएफ कर्मियों के पास संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों में योगदान देने का एक सराहनीय रिकॉर्ड है। वे भीड़ नियंत्रण, आतंकवाद विरोधी और दुनिया भर के संघर्ष क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने में अपनी विशेषज्ञता से परिचय कराते रहे हैं।

विशेष इकाइया

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में कई विशेष इकाइयां हैं जिन्हें दंगा नियंत्रण और वीआईपी सुरक्षा से लेकर आतंकवाद विरोधी अभियानों और महिला आंदोलन के प्रबंधन तक, कई तरह की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए गठित किया गया है। प्रत्येक इकाई को विशिष्ट भूमिकाएं निभाने के लिए तैयार किया गया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीआरपीएफ की बहुमुखी प्रतिभा और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ): रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) सीआरपीएफ की एक विशेष इकाई है, जिसे दंगों और सार्वजनिक अशांति से निपटने के लिए अक्टूबर 1992 में स्थापित किया गया था। अपनी त्वरित प्रतिक्रिया के लिए जानी जाने वाली आरएएफ को संकट की स्थितियों में तेजी से तैनात किया जा सकता है। इससे जनता को आश्वासन और सुरक्षा मिलती है। आरएएफ का अपना ध्वज है जो शांति का प्रतीक है। 7 अक्टूबर 2003 को तत्कालीन उप प्रधानमंत्री श्री एल. के. आडवाणी ने आरएएफ को इनकी समर्पित सेवा के लिए राष्ट्रपति ध्वज से सम्मानित किया था। आरएएफ संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के लिए पुरुष और महिला दोनों टुकड़ियों को प्रशिक्षित करता है, जहां उन्हें उनके बेहतरीन काम के लिए मान्यता मिली है।

कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (सीओबीआरए - कोबरा):  कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा) सीआरपीएफ की एक विशेष इकाई है जिसे गुरिल्ला और जंगल युद्ध संचालन के लिए बनाया गया है, जिसका मुख्य लक्ष्य माओवादी विद्रोह से निपटना है। 'जंगल योद्धा' के रूप में जाने जाने वाले कोबरा कर्मियों को सीआरपीएफ के जवानों में से चुना जाता है और उन्हें कमांडो रणनीति और जंगल युद्ध में गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। 2008 और 2011 के बीच गठित 10 कोबरा इकाइयों को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, झारखंड और अन्य राज्य में तैनात किया गया है। कोबरा को प्रमुख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस इकाइयों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो चुनौतीपूर्ण जंगल के वातावरण और आतंकवाद विरोधी अभियानों में उत्कृष्ट हैं।

वीआईपी सुरक्षा विंग: सीआरपीएफ की वीआईपी सुरक्षा विंग गृह मंत्रालय द्वारा बताई गई बड़ी हस्तियों की सुरक्षा करने में माहिर है। इसमें केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजनेता, सरकारी अधिकारी, आध्यात्मिक नेता, व्यवसायी और अन्य प्रमुख हस्तियां शामिल हैं। यह विशिष्ट इकाई अपने मातहत सुरक्षा पा रही हस्तियों की सुरक्षा को उच्चतम स्तर की देखभाल, सटीकता और पेशेवर तरीके से सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है, जो सीआरपीएफ की अपने कर्तव्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

महिला बटालियन: सीआरपीएफ भारत का एकमात्र अर्धसैनिक बल है जिसमें छह महिला बटालियन हैं। पहली महिला बटालियन, 88 (एम) बटालियन, 1986 में स्थापित की गई थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। ये बटालियन महिला आंदोलन से निपटने में बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि पुरुष अधिकारियों द्वारा मामूली सी भी लापरवाही कानून और व्यवस्था के मुद्दों को बढ़ा सकती है। महिला बटालियन सुनिश्चित करती हैं कि ऐसी स्थितियों को संवेदनशीलता और दक्षता के साथ प्रबंधित किया जाए।

उपलब्धियां और योगदान

राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सीआरपीएफ का समर्पण उसके दैनिक कर्तव्यों से कहीं आगे तक फैला हुआ है। अपने पूरे इतिहास में, इस पुलिस  बल ने उपलब्धियों और योगदानों का एक उल्लेखनीय रिकॉर्ड बनाया है। इन उपलब्धियों में युद्ध के दौरान देश की सीमाओं की सुरक्षा से लेकर आंतरिक खतरों को कम करना और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान आम लोगों की मदद करना भी शामिल है।

ऐतिहासिक महत्व:

  • सीआरपीएफ ने रियासतों के एकीकरण और विभाजन के बाद दंगों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • सीआरपीएफ जवान हॉट स्प्रिंग्स (1959) और सरदार पोस्ट (1965) की लड़ाइयों सहित युद्धों के दौरान भारतीय सेना के साथ बहादुरी से लड़े।

राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा:

  • सीआरपीएफ ने भारतीय संसद (2001) और अयोध्या (2005) पर हमलों को विफल किया।
  • सीआरपीएफ ने पंजाब (1980 के दशक) में उग्रवाद और त्रिपुरा (1990 के दशक) में उग्रवाद को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • सीआरपीएफ को 2001 में प्राथमिक आंतरिक सुरक्षा बल के रूप में नामित किया गया।

वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला:

  • इस पुलिस बल का एक तिहाई से अधिक हिस्सा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात है।
  • पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में नक्सलवाद के उन्मूलन में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
  • शीर्ष माओवादी नेता किशनजी (2011) को निष्प्रभावी किया और नक्सल ग्रस्त क्षेत्रों में प्रमुख अभियान चलाए।

आपदा राहत:

  • सीआरपीएफ ने ओडिशा सुपर साइक्लोन (1999), गुजरात भूकंप (2001), सुनामी (2004) और जम्मू एवं कश्मीर भूकंप (2005) जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

अंतर्राष्ट्रीय सेवा:

  • सीआरपीएफ ने श्रीलंका, हैती, कोसोवो और लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में अपनी ताकत का प्रभाव दिखाया।

 

हमारे बहादुर जवानों का सम्मान

आज तक, सीआरपीएफ के 2255 वीर सैनिकों ने राष्ट्र की सेवा में अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया है।

अभियान के दौरान जवानों की वीरता के सम्मान में,  सीआरपीएफ को सम्मानित किया गया है:

  • 01 जॉर्ज क्रॉस
  • 03 किंग्स पुलिस मेडल फॉर गैलेंट्री
  • 01 अशोक चक्र
  • 10 कीर्ति चक्र
  • 01 वीर चक्र
  • 39 शौर्य चक्र
  • 1 पद्म श्री
  • 202 सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक
  • 2027 वीरता के लिए पुलिस पदक
  • 5 भारतीय पुलिस पदक वीरता के लिए
  • 4 विशिष्ट सेवा पदक
  • 1 युद्ध सेवा पदक
  • 5 सेना पदक
  • 114 प्रधानमंत्री पुलिस जीवन रक्षक पदक
  • 2 जीवन रक्षा पदक

निष्कर्ष

आज हम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 86वें स्थापना दिवस का जश्न मना रहे हैं। इस अवसर पर हम इस दुर्जेय बल की स्थायी विरासत और अमूल्य योगदान पर विचार करते हैं। क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में अपनी स्थापना से लेकर भारत के सबसे बड़े केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में अपनी वर्तमान स्थिति तक, सीआरपीएफ ने देश की आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने में लगातार अद्वितीय समर्पण और बहादुरी का प्रदर्शन किया है। इस पुलिस बल का ऐतिहासिक महत्व, अनुकरणीय उपलब्धियां और कर्तव्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता कानून और व्यवस्था को बनाए रखने, उग्रवाद का मुकाबला करने और मानवीय सहायता प्रदान करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का प्रमाण है। इसके जवानों के सम्मान और बलिदान सीआरपीएफ की अदम्य भावना और दृढ़ संकल्प को और भी अधिक रेखांकित करते हैं। जब हम इस महत्वपूर्ण दिवस पर सीआरपीएफ का सम्मान करते हैं तो हम एक सुरक्षित और स्थिर भारत को आकार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हैं। इस अवसर पर हम राष्ट्र की सुरक्षा में सीआरपीएफ से निरंतर योगदान की आशा करते हैं।

स्रोत: https:/ /crpf.gov.in/Index

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एमजी/एआर/एके


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