सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय
घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) 2022-23 पर डेटा उपयोगकर्ता सम्मेलन
Posted On:
19 JUN 2024 6:44PM by PIB Delhi
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के अंतर्गत राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने आज नई दिल्ली में घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) 2022-23 पर डेटा उपयोगकर्ता सम्मेलन आयोजित किया। इस कार्यक्रम में पहुंचे प्रतिष्ठित अतिथियों और विविध प्रतिभागियों ने इस सर्वेक्षण की अंतर्दृष्टि और अनुप्रयोगों पर गहन चर्चा की। इस सम्मेलन का उद्देश्य डेटा उपयोगकर्ताओं और हितधारकों के साथ सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की बातचीत और जुड़ाव को बढ़ाना, मूल्यवान प्रतिक्रिया और सहयोग को बढ़ावा देना था।
इस सम्मेलन में विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों से लगभग 177 प्रतिभागियों ने भाग लिया और जीवंत चर्चाओं में योगदान दिया। लगभग 211 प्रतिभागी यूट्यूब के माध्यम से भी जुड़े।
इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. बिबेक देबरॉय थे। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के अध्यक्ष प्रो. राजीव लक्ष्मण करंदीकर और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग इस अवसर पर उपस्थिति रहे। इस अवसर पर एनएससी, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की संचालन समिति, सांख्यिकी पर स्थायी समिति (एससीओएस) के सम्मानित सदस्य और पूर्व सीएसआई और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव भी उपस्थित थे। विभिन्न संस्थानों/अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
डॉ. सौरभ गर्ग ने अपने उद्घाटन भाषण में बेहतरीन नीति निर्माण और सामाजिक प्रगति के लिए डेटा का लाभ उठाने में सम्मेलन की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने समावेशी विकास को बढ़ावा देने वाली डेटा-संचालित नीतियों का लाभ उठाने के लिए विविध हितधारकों के बीच सहयोग के महत्व पर भी जोर दिया।
अपने संबोधन में प्रो. राजीव लक्ष्मण करंदीकर ने घरेलू उपभोग पैटर्न और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता को समझने में एचसीईएस के महत्व पर अपना विचार रखा। उन्होंने गरीबी से निपटने, असमानता दूर करने और सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की वकालत की। उन्होंने डेटा-संचालित प्रयासों के प्रभाव को बढ़ाने में सहयोग और ज्ञान का आदान-प्रदान करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और मीडिया सहित विविन्न हितधारकों के बीच सहयोग पर जोर देते हुए, उन्होंने समावेशी विकास को बढ़ावा देने और सभी नागरिकों के लिए समृद्ध भविष्य तय करने वाली डेटा-संचालित नीतियों का उपयोग करने के लिए सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा दिया।
डॉ. बिबेक देबरॉय ने उद्घाटन भाषण देते हुए हमारे सामूहिक भविष्य को आकार देने में डेटा के प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने एचसीईएस के संचालन में सहयोगात्मक प्रयासों की सराहना की और 7 जून, 2024 को जारी की गई विस्तृत रिपोर्ट पर प्रकाश डाला, जिसमें राज्य और अखिल भारतीय स्तर पर घरेलू उपभोग व्यय का व्यापक अनुमान दिया गया है। उन्होंने लक्षित उद्देश्यों और कुशल संसाधन आवंटन के लिए एचसीईएस डेटा का लाभ उठाने के महत्व पर जोर दिया।
उद्घाटन सत्र के बाद, एचसीईएस के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। सम्मेलन में दो ज्ञानवर्धक तकनीकी सत्र शामिल थे:
1. एचसीईएस का विकास और प्रमुख निष्कर्ष, जिसमें उद्देश्य, अवधारणाएं, परिभाषाएं, नमूना डिजाइन, संकेतक और प्रमुख परिणाम शामिल हैं।
2. सारणीबद्ध योजना और इकाई-स्तरीय डेटा की पेचीदगियां, जिसमें गुणकों का उपयोग करके सारणीयन के लिए इकाई-स्तरीय डेटा को समझना और डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना शामिल है।
प्रो. टीसीए अनंत और पूर्व सीएसआई और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव श्री प्रवीण श्रीवास्तव की सह-अध्यक्षता में एक संवादात्मक खुली चर्चा और प्रश्नोत्तर सत्र हुआ। इस सत्र में प्रतिभागियों को अंतर्दृष्टि का आदान-प्रदान करने और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए एक सहयोगी मंच प्रदान किया गया।
इस सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत किए गए घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस: 2022-23) के प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
एचसीईएस, 2022-23 के प्रमुख निष्कर्ष:
- एमपीसीई का अनुमान (एचसीईएस, 2022-23 में विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से मुफ्त में प्राप्त वस्तुओं के आरोपित मूल्यों पर विचार किए बिना)
- औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई):
2022-23 के लिए अनुमानित औसत एमपीसीई ग्रामीण भारत में 3,773 रुपये और शहरी भारत में 6,459 रुपये है, जो 2011-12 से क्रमशः 164% और 146% अधिक है। 2011-12 की कीमतों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धि 40% और शहरी क्षेत्रों में 33% है। यह बढ़ोतरी बेहतर जीवन स्तर और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि को दर्शाती है, जो वस्तुओं और सेवाओं की उच्च मांग के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है।
बी. औसत एमपीसीई में शहरी-ग्रामीण अंतर में कमी
औसत एमपीसीई में शहरी-ग्रामीण अंतर 2011-12 में 84% से घटकर 2022-23 में मौजूदा कीमतों पर 71% और 2011-12 की कीमतों पर 84% से घटकर 75% हो गया है। यह घटता अंतर ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सुधार और अधिक संतुलित विकास का संकेत देता है, जो संभवतः प्रभावी ग्रामीण विकास और बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण है।
तालिका 1 में वर्तमान और 2011-12 दोनों मूल्यों पर 2011-12 और 2022-23 के लिए औसत एमपीसीई मूल्य दिए गए हैं।
तालिका 1: 2011-12 और 2022-23 में औसत एमपीसीई (रु.), अखिल भारतीय
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क्षेत्र
|
वर्तमान मूल्य
|
2011-12 की कीमतें
|
2011-12
|
2022-23
|
%परिवर्तन
|
2011-12
|
2022-23
|
%परिवर्तन
|
ग्रामीण
|
1,430
|
3,773
|
163.85
|
1,430
|
2,008
|
40.42
|
शहरी
|
2,630
|
6,459
|
145.59
|
2,630
|
3,510
|
33.46
|
शहरी-ग्रामीण अंतर (%)
|
83.92
|
71.19
|
-
|
83.92
|
74.80
|
-
|
सी. कुल एमपीसीई में खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी: कुल एमपीसीई में खाद्य और अनाज की खपत की हिस्सेदारी में गिरावट
कुल एमपीसीई में खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी 2011-12 से 2022-23 तक घट गई है। ग्रामीण भारत में खाद्यान्न व्यय 53% से घटकर 46% हो गया है, जबकि शहरी भारत में यह 43% से घटकर 39% हो गया है। इसके अलावा, अनाज पर प्रति व्यक्ति व्यय में भी कमी आई है।
चित्र 1 में 2011-12 और 2022-23 के लिए कुल एमपीसीई में खाद्य पदार्थों और अनाजों की हिस्सेदारी दर्शाई गई है।
डी. प्रति व्यक्ति अनाज की खपत में कमी
चित्र 2 में 2011-12 और 2022-23 के लिए अनाज की मासिक प्रति व्यक्ति खपत दर्शाई गई है।
- 2022-23 में औसत एमपीसीई में कुछ खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं का योगदान:
ग्रामीण क्षेत्र में, सबसे ज़्यादा खाद्य व्यय पेय पदार्थ, जलपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (9.62%) पर होता है। उसके बाद दूध और दूध से बने उत्पाद (8.33%) और सब्ज़ियों (5.38%) का स्थान आता है। गैर-खाद्य वस्तुओं में, परिवहन व्यय सबसे आगे (7.55%) है। उसके बाद चिकित्सा व्यय (7.13%), टिकाऊ सामान (6.89%) और ईंधन तथा प्रकाश (6.66%) का स्थान आता है।
शहरी क्षेत्र में, पेय पदार्थ, जलपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाद्य व्यय में सबसे ऊपर (10.64%) हैं। उसके बाद दूध और दूध से बने उत्पाद (7.22%), और फल (3.8%) तथा सब्जियों (3.8%) का स्थान आता है। गैर-खाद्य वस्तुओं में, परिवहन पर सबसे अधिक (8.59%) व्यय है। उसके बाद टिकाऊ सामान (7.17%), विविध सामान (6.56%), मनोरंजन (6.56%), और किराया (6.56%) का स्थान आता है।
एफ. 2011-12 के स्तर से कुछ वस्तुओं के उपभोग हिस्से में बढ़ोतरी:
वर्ष 2011-12 से 2022-23 तक ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 'दूध और दूध से बने उत्पाद', 'फल', 'अंडा, मछली और मांस', 'पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ', 'शौचालय के सामान और घरेलू उपभोग की वस्तुएं', 'वाहन' और 'टिकाऊ सामान' की खपत में वृद्धि हुई है। शहरी क्षेत्रों में 'अंडा, मछली और मांस' पर व्यय की हिस्सेदारी स्थिर बनी हुई है। तालिका 2 में वर्ष 2011-12 और 2022-23 के लिए ये हिस्सेदारी दर्शाई गई है।
तालिका 2: 2011-12 और 2022-23 में कुल एमपीसीई में चयनित आइटम समूहों का प्रतिशत हिस्सा, अखिल भारतीय
|
आइटम समूह
|
ग्रामीण
|
शहरी
|
2011-12
|
2022-23
|
2011-12
|
2022-23
|
दूध और दूध से बने उत्पाद
|
8.04
|
8.33
|
7.01
|
7.22
|
फल
|
2.83
|
3.71
|
3.42
|
3.81
|
अंडा, मछली और मांस
|
4.79
|
4.91
|
3.65
|
3.57
|
पेय पदार्थ, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, आदि।
|
7.90
|
9.62
|
8.98
|
10.64
|
शौचालय सामग्री और अन्य घरेलू उपभोग्य वस्तुएं
|
4.01
|
5.12
|
3.88
|
4.98
|
वाहन
|
4.20
|
7.55
|
6.52
|
8.59
|
टिकाऊ वस्तुएं
|
4.85
|
6.89
|
5.60
|
7.17
|
जी. उपभोग व्यय के वितरण में असमानता में कमी:
एचसीईएस: 2022-23 से गिनी गुणांक शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में 2011-12 की तुलना में उपभोग व्यय असमानता में गिरावट दर्शाता है। यह कमी भोजन, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी बुनियादी आवश्यकताओं तक बेहतर पहुंच के परिणामस्वरूप हो सकती है। तालिका 3 दोनों वर्षों के लिए गिनी गुणांक मान प्रदान करती है।
तालिका 3: 2011-12 और 2022-23 में कुल उपभोग व्यय का गिनी गुणांक, अखिल भारतीय
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क्षेत्र
|
उपभोग व्यय का गिनी गुणांक
|
2011-12
|
2022-23
|
ग्रामीण
|
0.283
|
0.266
|
शहरी
|
0.363
|
0.314
|
जैसा कि गिनी गुणांक द्वारा दर्शाया गया है, आय असमानता को कम करने से क्रय शक्ति में वृद्धि, आर्थिक विकास को प्रोत्साहन, सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा, मानव पूंजी में वृद्धि और गरीबी में कमी के माध्यम से मासिक प्रति व्यक्ति खपत को बढ़ावा मिल सकता है।
- एमपीसीई का अनुमान (एचसीईएस: 2022-23 [1] में विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से मुफ्त में प्राप्त वस्तुओं के अनुमानित मूल्यों पर विचार करते हुए )
- औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई):
सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों से अनुमानित मूल्य सहित 2022-23 में अनुमानित औसत एमपीसीई ग्रामीण क्षेत्रों में 3,860 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 6,521 रुपये है, जो 2011-12 से क्रमश: 170% और 148% अधिक है। 2011-12 की कीमतों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धि 44% और शहरी क्षेत्रों में 35% है। मुफ़्त वस्तुओं को शामिल करने से घरेलू उपभोग का व्यापक दृश्य मिलता है और कल्याण कार्यक्रमों के कल्याण और आर्थिक स्थिरता पर सकारात्मक प्रभाव सामने दिखता है।
एनएफएसए, पीएमजीकेएवाई और राज्यों के अन्य कल्याण कार्यक्रमों जैसी योजनाओं के तहत प्राप्त मुफ्त खाद्य वस्तुओं की जानकारी एकत्र की गई और 30 दिनों की संदर्भ अवधि के लिए उनका मूल्य लगाया गया। विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से प्राप्त लैपटॉप, टैबलेट, मोबाइल फोन, साइकिल, मोटरसाइकिल, स्कूल यूनिफॉर्म और जूते जैसी गैर-खाद्य वस्तुओं के लिए भी मूल्य लगाया गया था, हालांकि इनके लिए विशिष्ट कार्यक्रमों की पहचान नहीं की गई थी।
पीएम-जेएवाई और इसी तरह की राज्य योजनाएं कोई राशि भुगतान किए बिना यानी कैशलेस स्वास्थ्य सेवा प्रदान करती हैं, जिसमें सरकार पूरा प्रीमियम वहन करती है। लाभार्थियों को सेवा लागतों के बारे में पता नहीं होता है, जिससे इन खर्चों को लागू करना जटिल हो जाता है। नतीजतन, एचसीईएस में मुफ्त स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा सेवाओं की लागतों को जोड़ा नहीं गया है। तालिका 4 में वर्तमान और 2011-12 की कीमतों पर 2011-12 और 2022-23 के लिए लागू मूल्यों सहित औसत एमपीसीई मूल्य दिए गए हैं।
तालिका 4: 2011-12 और 2022-23 में औसत एमपीसीई (आरोपित) (रु. में), अखिल भारतीय
|
क्षेत्र
|
वर्तमान मूल्य
|
2011-12 की कीमतें
|
2011-12
|
2022-23
|
% विकास
|
2011-12
|
2022-23
|
% विकास
|
ग्रामीण
|
1,430
|
3,860
|
169.93
|
1,430
|
2,054
|
43.64
|
शहरी
|
2,630
|
6,521
|
147.95
|
2,630
|
3,543
|
34.71
|
शहरी-ग्रामीण अंतर (%)
|
83.92
|
68.94
|
-
|
83.92
|
72.49
|
-
|
ख. कुल एमपीसीई में खाद्यान्न मदों का हिस्सा (अनुमानित):
सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से प्राप्त वस्तुओं के लिए उचित मूल्यों को शामिल करते हुए, ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में कुल एमपीसीई में खाद्य वस्तुओं और अनाज के योगदान में मामूली वृद्धि हुई है। चित्र 3 2011-12 और 2022-23 के लिए कुल एमपीसीई में खाद्य वस्तुओं और अनाज के हिस्से को दर्शाता है।
एनएसएसओ की महानिदेशक श्रीमती गीता सिंह राठौर ने धन्यवाद ज्ञापन और एनएसएसओ के अपर महानिदेशक श्री किशोर कुमार ने समापन भाषण दिया और सभी प्रतिभागियों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। श्री किशोर कुमार ने सम्मेलन के आयोजन में सर्वेक्षण समन्वय प्रभाग के अथक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यूट्यूब के माध्यम से ऑनलाइन जुड़ने वाले दर्शकों की भी सराहना की।
यह सम्मेलन साक्ष्य-आधारित नीतियों और सतत विकास के लिए डेटा का लाभ उठाने में सहयोग और प्रतिबद्धता की भावना के साथ संपन्न हुआ। इससे एक उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त हुआ।
एचसीईएस: 2022-23 के लिए विस्तृत रिपोर्ट और यूनिट-स्तरीय डेटा मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया एमओएसपीआई की वेबसाइट ( http://www.mospi.gov.in ) पर जाएं।
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एमजी/एआर/एके
(Release ID: 2026901)
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