रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय

औषध विभाग ने संशोधित औषध प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना की घोषणा की

Posted On: 11 MAR 2024 3:14PM by PIB Delhi

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के औषध विभाग ने संशोधित औषध प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना (आरपीटीयूएएस) की घोषणा की है। यह हमारे औषध (फार्मास्यूटिकल) उद्योग की तकनीकी क्षमताओं को अपग्रेड करने और वैश्विक मानकों के साथ इसकी अनुरूपता सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयासों में एक उल्लेखनीय कदम है।

इस संशोधित योजना को 28 दिसंबर, 2023 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के संशोधित अनुसूची-एम की आवश्यकताओं के आलोक में योजना संचालन समिति द्वारा एक व्यापक समीक्षा के बाद मंजूरी दी गई। इस  संशोधित दिशानिर्देश का उद्देश्य औषध (फार्मास्यूटिकल) उद्योग को संशोधित अनुसूची-एम और डब्ल्यूएचओ-जीएमपी मानकों के अनुरूप अपग्रेड करने में सहायता करना, हमारे देश में निर्मित औषध उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा को बढ़ाना है।

संशोधित योजना की मुख्य विशेषताएं:

  • पात्रता संबंधी मानदंड को उदार बनाया गयाः अधिक समावेशी दृष्टिकोण के साथ, पीटीयूएएस के लिए पात्रता को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से इतर भी विस्तार दिया गया है ताकि 500 करोड़ रुपये से कम के कारोबार वाली किसी भी दवा निर्माण इकाई को शामिल किया जा सके जिसके लिए प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता उन्नयन की आवश्यकता होती है। एमएसएमई को प्राथमिकता दी गई है, जो उच्च गुणवत्ता वाले विनिर्माण मानकों को हासिल करने में छोटी कंपनियों को समर्थन देती हैं।

 

  • लचीले वित्तपोषण विकल्पः यह योजना पारंपरिक क्रेडिट-लिंक्ड दृष्टिकोण के बजाय प्रतिपूर्ति के आधार पर सब्सिडी पर जोर देते हुए अधिक लचीले वित्तपोषण विकल्प प्रस्तुत करती है। इस सुविधा को भाग लेने वाली इकाइयों के वित्तपोषण विकल्पों में विविधता लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे योजना को व्यापक स्तर पर अपनाने की सुविधा मिलती है।
  • नए मानकों के अनुपालन के लिए समग्र सहायताः संशोधित अनुसूची-एम और डब्ल्यूएचओ-जीएमपी मानकों के अनुरूप, यह योजना अब तकनीकी उन्नयन की एक विस्तृत श्रृंखला का समर्थन करती है। पात्र गतिविधियों में एचवीएसी सिस्टम, वाटर और स्टीम यूटिलिटी, परीक्षण प्रयोगशालाओं, स्थिरता कक्षों, स्वच्छ कमरे की सुविधाओं, अपशिष्ट शोधन, अपशिष्ट प्रबंधन आदि जैसे सुधार शामिल हैं, जो भाग लेने वाली इकाइयों के लिए व्यापक सहायता सुनिश्चित करते हैं।
  • कुशल प्रोत्साहन संरचनाः पिछले तीन वर्षों के लिए निम्नलिखित औसत टर्नओवर करने वाली औषध इकाइयां अधिकतम 1.00 करोड़ रुपये प्रति इकाई के तहत प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगीः-

टर्नओवर

प्रोत्साहन

(i) 50.00 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर

पात्र गतिविधियों के अंतर्गत निवेश का 20 प्रतिशत

(ii) 50.00 करोड़ रुपये से 250.00 करोड़ रुपये के  टर्नओवर तक

पात्र गतिविधियों के अंतर्गत निवेश का 15 प्रतिशत

(iii) 250.00 करोड़ रुपये से 500.00 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक

पात्र गतिविधियों के अंतर्गत निवेश का 10 प्रतिशत

 

  • राज्य सरकार योजना एकीकरणः यह संशोधित योजना राज्य सरकार की योजनाओं के साथ एकीकरण की अनुमति देती है, जिससे इकाइयों को अतिरिक्त टॉप-अप असिस्टेंस से लाभ मिलता है। इस सहयोगी दृष्टिकोण का उद्देश्य औषध (फार्मास्यूटिकल) उद्योग के लिए उनके तकनीकी उन्नयन प्रयासों में समर्थन को बढ़ावा देना है।
  • बेहतर सत्यापन तंत्रः यह योजना एक परियोजना प्रबंधन एजेंसी के माध्यम से एक मजूबत सत्यापन तंत्र की व्यवस्था करती है जो पारदर्शिता, जवाबदेही और संसाधनों के कुशल आवंटन को सुनिश्चित करती है।

औषध विभाग को भरोसा है कि पीटीयूएएस योजना में सुधार औषध (फार्मास्यूटिकल) उद्योग के लिए विकास और वैश्विक विनिर्माण मानकों के अनुपालन में योगदान देगा। संशोधित योजना औषध (फार्मास्यूटिकल) उद्योग का समर्थन करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है जो देश के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।

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