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एसजेवीएन ने राजस्थान को 600 मेगावाट सौर ऊर्जा की आपूर्ति के लिए दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किये

Posted On: 10 MAR 2024 7:27PM by PIB Delhi

सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) हरित ऊर्जा लिमिटेड (एसजीईएल) ने राजस्थान ऊर्जा विकास और सूचना प्रौद्योगिकी सेवा लिमिटेड (आरयूवीआईटीएल) के साथ 500 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए दीर्घकालिक बिजली उपयोग समझौते (पीयूए) और 100 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र के लिए दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौते (पीपीए) पर आज, 10 मार्च, 2024 को जयपुर में हस्ताक्षर किए हैं। बिजली उपयोग समझौता बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना से 500 मेगावाट सौर ऊर्जा के लिए है और बिजली खरीद समझौता (पीपीए) राजस्थान सौर ऊर्जा परियोजना से 100 मेगावाट सौर ऊर्जा के लिए है। दोनों समझौते 25 वर्ष की अवधि के लिए किए गए हैं।

राजस्थान के लिए 500 मेगावाट की आपूर्ति के लिए विद्युत उपयोग समझौता

विद्युत उपयोग समझौते के बारे में बोलते हुए, सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्रीमती गीता कपूर ने बताया कि समझौते के अंतर्गत, एसजीईएल केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र इकाई योजना के चरण- II (ट्रेंच -3) के अंतर्गत एसजीईएल द्वारा विकसित की जा रही 1,000 मेगावाट की बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना से 2.57 रुपये प्रति यूनिट की दर पर 500 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करेगा।

यह परियोजना देश की सबसे बड़ी एकल-स्थान परियोजना है। राजस्थान के बीकानेर में बांदरवाला गांव में विकसित की जा रही 1000 मेगावाट की सौर परियोजना से पहले वर्ष में 2,454.84 मिलियन यूनिट ऊर्जा और 25 वर्षों की अवधि में लगभग 56,474 मिलियन यूनिट की संचयी ऊर्जा उत्पन्न होने की संभावना है।

यह परियोजना 5,491 करोड़ रुपये की लागत से विकसित की जा रही है और 30 सितंबर, 2024 तक चालू होने की संभावना है।

इस पीयूए पर हस्ताक्षर के साथ, एसजीईएल ने 1,000 मेगावाट की पूरी परियोजना क्षमता का अनुबंध हासिल कर लिया है, जिसमें 200 मेगावाट उत्तर प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड (यूपीपीसीएल) को और 300 मेगावाट जम्मू-कश्मीर ऊर्जा निगम लिमिटेड (जेकेपीसीएल) को आपूर्ति की जाएगी।

राजस्थान को 100 मेगावाट की आपूर्ति के लिए बिजली खरीद समझौता

आज हस्ताक्षर के गए बिजली खरीद समझौते के अंतर्गत, एसजीईएल प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से एसजीईएल द्वारा प्राप्त परियोजना से 2.62 रुपये प्रति यूनिट की दर पर 100 मेगावाट सौर ऊर्जा की आपूर्ति करेगा, जिसके लिए 6 अक्टूबर, 2023 को आरयूवीआईटीएल द्वारा अधिकार पत्र जारी किया गया था। परियोजना से पहले वर्ष में 252 मिलियन यूनिट ऊर्जा और 25 वर्षों की अवधि में 5,866 मिलियन यूनिट की संचयी ऊर्जा उत्पन्न होने की संभावना है।

यह परियोजना राजस्थान के नावा में सांभर साल्ट्स लिमिटेड की 387.56 एकड़ भूमि पर विकसित की जाएगी, जो 28 साल की अवधि के लिए एसजीईएल के पक्ष में पट्टे पर दी गई है। यह परियोजना 550 करोड़ रुपये की अस्थायी लागत पर निर्माण, स्वामित्व और संचालन (बीओओ) के आधार पर विकसित की जाएगी।

600 मेगावाट सौर ऊर्जा की संचयी आपूर्ति के लिए दीर्घकालिक बिजली उपयोग समझौते और दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौते पर आज जयपुर में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। राजस्थान की उपमुख्यमंत्री, श्रीमती दीया कुमारी; राजस्थान के ऊर्जा मंत्री, श्री हीरालाल नागर; केंद्रीय कोयला सचिव, श्री अमृत लाल मीणा; मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, श्री सुभाष पंत; अपर मुख्य सचिव, ऊर्जा, राजस्थान सरकार, श्री आलोक; और निदेशक (परियोजनाएं), एसजेवीएन, श्री सुशील कुमार शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) लिमिटेड, भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अनर्गत एक मिनी रत्न-श्रेणी-I और अनुसूची-'ए' केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम ने 24 मई, 1988 को भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार के एक संयुक्त उद्यम के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी।

एक सूचीबद्ध इकाई, सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) ने कुल 2,377 मेगावाट की स्थापित क्षमता और 123 किलोमीटर पारेषण लाइनों की तेरह परियोजनाएं शुरू की हैं। सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) ने ऊर्जा के लगभग सभी स्वरूपों, जैसे जल विद्युत, ताप विद्युत, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, विद्युत व्यापार और पारेषण में विविधता प्रदान की है।

भविष्य को ध्यान में रखते हुए, सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 25,000 मेगावाट की स्थापित क्षमता और वर्ष 2040 तक 50,000 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साझा दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करके आगे बढ़ना है। यह साझा दृष्टिकोण सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप तैयार किया गया है। भारत वर्ष 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत बिजली की क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करेगा।

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एमजी/एआर/आरपी/एमकेएस


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