उप राष्ट्रपति सचिवालय

श्री राम कालेज ऑफ कामर्स में आज अरुण जेटली बहुउद्देशीय स्टेडियम के नामकरण समारोह में उप-राष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 09 MAR 2024 2:40PM by PIB Delhi

आप सभी को नमस्कार,

मैं अरुण जेटली जी को 35 साल से जानता हूं क्योंकि नियति की उन पर जल्दी कृपा हो गई, हर समय किसी भी सार्वजनिक समारोह में अथवा हमारी निजी बातचीत में, जब कभी हम बातचीत करते हैं, अरुण जी का चेहरा हम दोनों के सामने होता है।

हम दोनों के लिये वह एक महान परामर्शदाता थे। वह अपनी बात बिना किसी शोर शराबे के लेकिन प्रभावशाली ढंग से रखते थे।

गणमान्य श्रोताओ, युवक और युवतियो, मुझे स्टेडियम के नामकरण के इस कार्यक्रम से जुड़कर अति प्रसन्नता हो रही हे। यहां कोई दूसरा नाम नहीं हो सकता था, और मैं अरुण जेटली जी को बहुत अलग तरीके से जानता हूं। वह राजनीति में नहीं थे, वह सार्वजनिक जीवन में थे।

उन्होंने अपने हर कार्य में अलग दृष्टिकोण के साथ अपने दायित्व को निभाया, आपात काल की स्थिति में इस देश ने जो सबसे अंघकारमय दिन देखे उस दौरान वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे। उनका कार्य शानदार रहा। उन्होंने युवाओं की रीढ़ को मजबूत किया और इसके परिणामस्वरूप वह तब जनता पार्टी कार्यकारिणी के सबसे युवा सदस्य बन गये, जो कि इस राष्ट्र के इतिहास में एक परिवर्तनकारी राजनीतिक घटना थी।

वह भारत के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में सबसे युवा सदस्य थे। उन्होंने देश के भीतर और बाहर कठिन परिस्थितियों से निपटने में बहुत बड़ा योगदान दिया।

जब उन्हें सौंपे गये कार्य को करने की बात होती है, वाणिज्य मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय में उनका बुनियादी योगदान सभी के देखने लायक है।

मुझे कम से कम हाल के समय में ऐसा कोई राजनीतिज्ञ नहीं दिखता है। यह कहने का मेरा तात्पर्य पिछले चार दशक के दौरान जहां पहुंच पार्टी रुख से आगे थी। उन्हें जितना उनकी पार्टी के लोग प्यार करते थे उतना ही उन्हें विपक्ष भी चाहता था।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता इसके साथ ही राज्य सभा नेता सदन, मंत्री पद के कार्यभार के तौर पर अरुण जेटली सबसे अलग थे।

राज्य सभा के सभापति के तौर पर, जब सदन का सत्र चलता है, मुश्किल से ऐसा कोई सप्ताह बीतता होगा जब सदन को कोई सदस्य मेरे पास नहीं आता और मुझसे कहता कि वह बहुत याद आते हैं।

नौजवानो, मैं आपको बताता हूं, जीवन के हर क्षेत्र में उनकी उपस्थिति प्रभावशाली थी, उनकी अनुपस्थिति भी उतनी ही प्रभावित करने वाली है। हम उन्हें दिन शुरू होने और दिन बीतने के साथ हर समय याद करते हैं।

दोस्तो, इस पृष्टभूमि के साथ, जब हम खेलों को देखते हैं, नाम रखते हैं, तब यह उस व्यक्ति के लिये पूरी तरह से उपयुक्त पहचान है। वहां उनका योगदान है। वह कभी भी इसमें राजनीति नहीं लाये, खेल उनके सबसे बेहतर योगदानों में से एक रहा है।

वह क्रिकेट से लंबे समय तक जुड़े रहे, लेकिन उन्होंने राजनीति को इससे दूर रखा, लेकिन मैं याद करता हूं, खासतौर से राजनीति में खेलभावना को लाने के लिये मैं अरुण जेटली जी को याद करता हूं, यह ऐसी बात है जिसकी हम सभी को प्रशंसा करनी चाहिये।

इस संस्थान की अपनी पहचान है, और इसके मंच पर होना उस पद के लिये बहुत मायने रखता है जिस पर मैं हूं। यह मुझे मे विचारों और मुद्दों को आपके समक्ष रखने का प्रामाणिक मंच उपलब्ध कराता है।

मुझे पूरा विश्वास है कि यह आधुनिक सुविधा न केवल खेल आयोजनों के लिये उपयोगी मंच होगी बल्कि सांस्कृतिक गतिविधियों का भी बड़ा केन्द्र बनेगी, और कालेज के भीतर जीवंत और समावेशी समुदाय को बढ़ावा देगी।

एसआरसीसी के पूर्व छात्रों की प्रतिष्ठित सूची, इस मंच से मैं पूर्व छात्रों से आग्रह करता हूं कि उन्हें मिलकर आगे आना चाहिये। वह अपना योगदान कर रहे हैं, उनका योगदान भी बड़ा है, लेकिन जब देश आगे बढ़ रहा है और उसकी यह गति रुकने वाली नहीं है तब उनका योगदान उनकी क्षमता से कम लगता है। पूर्व छात्रों का यह दायित्व बनता है कि वह समय और संसाधनों का योगदान करते हुये अपनी पूरी क्षमता को पहचानें।

आप यदि दुनिया को देखें, जो भी संस्थान हैं वह अपनी छाप छोड़ रहे हैं, पूर्व छात्रों के समर्थन से वह प्रगति के पथ पर हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि इस संस्थान के पूर्व छात्र दूसरे संस्थानों के पूर्व छात्रों के लिये रोल माडल होंगे, और मेरी बात पर विश्वास कीजिये, यदि पूर्व छात्र साथ मिलकर आगे आते हैं और अपना समय और संसाधन के योगदान के लिये अपनी पूरी क्षमता लगाते हैं तो यह संस्थान और ज्यादा फलेगा-फूलेगा।

दोस्तो, कोई भी देश उसकी युवा शक्ति से पहचाना जाता हैं और इस देश के युवाओं को क्या चाहिये। वे अपने दम पर काम करेंगे, लेकिन उन्हें एक इकोसिस्‍टम चाहिये ऐसा इकोसिस्‍टम जो कि कानून के समक्ष समानता वाला हो।

युवा मस्तिष्‍क उस समय परेशान हो जाता है कि जब उसे पता चलता है कि लोकतांत्रिक देश में कुछ लोग मुझसे अधिक विशेषाधिकार प्राप्त हैं। यह एक अपमानित करने वाला अनुभव होता है। युवाओ, आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि इस देश में विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली को घ्वस्त कर दिया गया है। सभी समान हैं, इससे युवा दिमाग को किसी अन्य चीज के मुकाबले अधिक मदद मिलती है।

कोई दुखदायी स्थिति तब आती है जब कानून को अमल में लाने की बात होती है। कुछ लोगों की यह सोच होती है कि वह कानून से ऊपर हैं। कानून के हाथ उन तक नहीं पहुंच सकते हैं, वह इससे ऊपर हैं। उन्हें जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता है। इससे आपको बड़ा कष्ट होगा। इससे बड़ी पीड़ा होगी कि किसी लोकतांत्रिक देश में जहां हर एक को समान अधिकार हैं, उसमें कुछ को कानून से भी बढ़कर विशेषाधिकार प्राप्त हैं।

यह सब अब पीछे छूट चुका है। नया नियम यही है कि हर कोई कानून के प्रति जवाबदेह है। वे कानून के कड़े शिकंजे में हैं। लेकिन मैं आपका ध्यान इस तरफ दिलाना चाहता हूं, युवा मस्तिष्‍क  समझदार होता है, हम कैसे उस स्थिति को संभाल सकते हैं जिसमें कुछ लोग कानूनी प्रक्रिया नियमों के तहत, प्रक्रिया जो कि कानून से निकलती है, उससे अवगत कराया जाता है और वह सड़कों पर उतरते हैं। इस तरह की सोच को निष्प्रभावी करने के लिये मुझे युवा मस्तिष्‍क से बेहतर और कोई समूह नहीं दिखाई देता है।

मित्रो, तीसरा बड़ा बदलाव जो इस देश में आया है, वह है भ्रष्टाचार जो अब पुरस्कृत करने वाला नहीं रह गया है। एक समय था जब नौकरी, अवसरों को पाने के लिये भ्रष्टाचार एकमात्र पासवर्ड था, लेकिन अब, भ्रष्टाचार, रोजगार के लिये नहीं, अवसर के लिये नहीं, बल्कि किसी दूसरे स्थान पर पहुंचने का पासवर्ड बन गया है। एक बड़ा बदलाव है, लेकिन इन सभी चीजों के होने पर भी, क्या आप बड़ी छलांग लगा सकते हैं क्योंकि आपको कुछ अलग करने की आवश्यकता है। आपको आर्थिक उन्नति चाहिये, आपको नये रास्तों और अवसरों की आवश्यकता है।

मुझे अपने युवा दोस्तों को यह बताते हुये प्रसन्नता हो रही है कि हमारा भारत, जहां आज पूरी मानवता का 1/6वां हिस्सा रहता है, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन, बुनियादी ढांचे में हो रही अभूतपूर्व वृद्धि के चलते काफी उत्साहित है। आप भारत को एक कूटनीतिक साफ्ट पावर के तौर पर उभरते हुये देख रहे हैं, उसका वैश्विक कद बढ़ते हुये देख रहे हैं और वैश्विक अर्थव्यवसथा में हम पहले ही 5वें स्थान पर पहुंच चुके हैं।

एक वैश्विक बेंचमार्क में हम तीसरी सबसे बड़ी खरीद ताकत रखने वाले देश हैं, जिससे कि आप सभी के लिये अवसरों का संकेत मिलता है। अगले दो साल में हम जापान और जर्मनी से आगे तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था होंगे।

मेरे युवा दोस्तो, यह देश के युवा दिमागों के लिये सबसे बड़ा मंच है जब उनके लिये नये अवसर उपलब्ध हैं।

मैं आपसे परंपरागत क्षेत्रों के सीमित दायरों से बाहर निकलने का आग्रह करता हूं। मैं युवा दिमागों को परंपरागत, चैतरफा बंद दायरे में तैरता हुआ देखता हूं। यदि में किसी नई प्रौद्योगिकी की यहां बात करता हूं, तो आपको दायरे से बाहर निकलकर सोचना चाहिये। यह हर किसी की आकांक्षा को पूरा कर सकता है और भारत उन कुछ देशों में से है जो कि इस क्षेत्र में आगे चल रहे हैं।

यदि में देखता हूं कि प्रशासन में सबसे बड़ा हितधारक हौन है, वह उद्योग नहीं है, वह राजनेता नहीं है। देश के शासन-प्रशासन में सबसे अहम हितधारक युवा लोग है।

हमारा भारत 2047 में क्या होगा यह आप तय करेंगे। जब हम आगे बढ़ते हैं, जब हम मैराथन 2047 का हिस्सा बनते हैं, इसकी सफलता सुनिश्चित होती है क्योंकि हमारे युवा उत्साहित है, हमारे युवा कार्य पूरा करेंगे और देश को गौरवान्वित करेंगे। लेकिन, मित्रों, आपको सतर्क रहना होगा, क्योंकि कुछ वर्ग हैं जो हमारे लिये चिंता का कारण हैं। राष्ट्र- विरोधी सोच वाले कथन अब विधायिका जैसे पवित्र मंदिर में भी परिलक्षित हो रहे हैं। राष्ट्रवाद के प्रति हमारी प्रतिबद्धता मजबूत रीढ़ वाली होनी चाहिये, यह वैकल्पिक नहीं है, यह शत प्रतिशत होनी चाहिये।

लोकतांत्रिक विधायिका के पवित्र मंदिर में जब हम इसके मार्ग से हटने और अधिक पीड़ा देने वाले परिदृश्य को देखते हैं तो सभी को चिंतित होना चाहिये। इसे निष्प्रभावी करने का समय आ गया है। आप इसके लिये दूसरों से अधिक सक्षम हैं, राष्ट्रवाद की भावना को जगाने और सभी हानिकारक, भयावह करतूतों को बेअसर करने के लिये सोशल मीडिया का सहारा ले सकते हैं। कोई भी देश उसके लोगों के राष्ट्रवाद और देशभक्ति के प्रति समर्पित जीवन के बिना तरक्की नहीं कर सकता है।

मैं इस महान संस्थान में उद्योग जगत के प्रमुखों में से एक की उपस्थिति में अपने आप से एक प्रश्न पूछता हूं कि हम आर्थिक राष्ट्रवाद में विश्वास क्यों नहीं रखते हैं। हम ऐसी वस्तु का आयात क्यों करते रहते हैं जिसे टाला जा सकता है। क्या हम इसका प्रभाव नहीं देखते हैं। जब हम ऐसी वस्तुओं का आयात करते हैं जो कि देश में उपलब्ध हैं, तब हम तीन चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं।

1. तब हमारी विदेशी मुद्रा का कष्टदायी प्रवाह होता है जिसे रोका जा सकता है।

2. उन वस्तुओं का यहां निर्माण किया जा सकता है, ऐसा कर हम अपने युवा दिमागों से अवसरों को छीन रहे हैं।

3. हम उद्यमिता के विकास में बाधा खड़ी कर रहे हैं।

इसलिये, मैं सभी से और विशेष तौर पर कंपनियों, उद्वोग, व्यापार और वाणिज्य संघों से अपील करता हूं कि वह आर्थिक राष्ट्रवाद से नाता जोड़ें ताकि हम अपने युवाओं के जीवन को बेहतर बना सकें।

हमारे युवा दुनिया के किसी भी हिस्से के युवाओं से अधिक प्रतिभाशाली हैं। उनमें सबसे बेहतर दिमाग है। वैश्विक स्तर पर हमारे स्टार्टअप को जो मान्यता और पहचान मिल रही है वह हमारे युवाओं की ताकत का संकेत देती है।

मित्रो, हमारे पास अब ऐसा इकोसिस्‍टम है जहां हर युवा दिमाग अपने सपनों और आकांक्षाओं को साकार कर सकता है क्योंकि यहां सकारात्मक नीतियां है। मैं छात्रों से अवसरों के परंपरागत क्षेत्रों से आगे देखने, उनसे आधुनिक अवसरों और नई पीढ़ी के अवसरों के बारे सोचने का आग्रह करता हूं जो कि इस महान राष्ट्र की उन्नति में योगदान करते हैं।

मुझे एक साथ होने को लेकर कोई संदेह नहीं है। हमारा भारत 2047 में विकसित भारत बनने की ओर अग्रसर है और वास्तविक ड्राइविंग फोर्स, ऐसा इंजन जो कि सभी सिलेंडर को चलाने वाला है, एक ही श्रेणी में है और वह श्रेणी भारत का युवा जनसांख्यिकीय लाभांश है।

दोस्तो, मुझे पूरी आशा, आशावाद और विश्वास है कि हमारे युवा कार्य पूरा करेंगे, वह उस सपने को पूरा करेंगे जो कि अरुण जेटली जो को प्यारा था। वह उस कार्य प्रणाली को पूरा करेंगे जो कि अरूण जेटली जी के दिल के पास थी।

मैं यह कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा कि जब से अरूण जेटली जी सार्वजनिक जीवन में आये, अपने पेशेवर जीवन में विविधता लाये, मैंने पाया कि उनकी प्रतिबद्धता भावुक थी। वह मिशन मोड में थे, वह सुधारवादी थे, वह हमेशा ही युवा दिमागों के बारे में सोचते थे और ऐसे कई अवसर आये जब उन्होंने मुझसे कहा जगदीप, हमारे युवा कानूनी पेशेवर वरिष्ठ अधिवक्ताओं को कठिन चुनौती दे रहे हैं।

इस धरती के इस महान सपूत को, जिन्होंने भारत में बदलाव लाया और भारत को उन्नति के रास्ते पर लाने में प्रधानमंत्री की मदद की सबसे अच्छी श्रद्धांजलि यही होगी कि जीवन का हर सेकंड राष्ट्र के कल्याण में लगायें और यह तभी हो सकता है जब युवा लड़के और लड़कियां अपनी उर्जा का पूरा विस्तार करें, अपनी क्षमताओं का दोहन करें, नये अवसरों को देखें और राष्ट्र की वृद्धि में योगदान करें।

मैं, चेयरमैन अजय श्रीराम जी, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति का मुझे यह अवसर उपलब्ध कराने के लिये धन्यवाद करता हूं और मैं बेहद आभारी और अभिभूत हूं कि इस कार्यक्रम के लिये मुझे मैडम जेटली जी की सुभीता मिली। मुझे जो प्रतिक्रिया मिली वह थी, ‘आपकी सुविधा ही मेरी सुविधा है।’

आपका बहुत धन्यवाद

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एमजीएआर/एमएस/एसएस



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