विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ने चंपावत में पाइन नीडल्स-आधारित ईंधन बनाने की तकनीक स्थापित करने के लिये उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूसीओएसटी) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये

Posted On: 06 MAR 2024 8:06PM by PIB Delhi

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माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश एवं मार्गदर्शन में आदर्श चम्पावतमिशन के तत्वावधान में मंगलवार पांच मार्च को सीएसआईआर - इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम, देहरादून एवं उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये। इस अवसर पर भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के निदेशक डॉ. हरेंद्र सिंह बिष्ट और उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने समझौता ज्ञापन के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये और चंपावत में पाइन नीडल्स से ईंधन बनाने की तकनीक को तैनात करने पर एक ऐतिहासिक परियोजना का उद्घाटन किया।

इस समझौते के तहत, सीएसआईआर - भारतीय पेट्रोलियम संस्थान चंपावत में जमीनी स्तर पर दो प्रमुख प्रौद्योगिकियों को अमल में लायेगा। चयनित प्रौद्योगिकियों में पाइन नीडल्स पर आधारित 50 किलोग्राम प्रति घंटे की क्षमता वाली ब्रिकेटिंग इकाई और ग्रामीण घरों के लिये बेहतर कुकस्टोव की 500 इकाइयां शामिल हैं। ऊर्जा संरक्षण और इसके पर्यावरणीय प्रभाव के संबंध में एक विस्तारित क्षेत्र परीक्षण अध्ययन आयोजित किया जायेगा। महिला सशक्तिकरण पहल के एक भाग के रूप में चंपावत के ऊर्जा पार्क में ब्रिकेटिंग इकाई स्थापित की जायेगी। उत्पादित ब्रिकेट का उपयोग घरों और स्थानीय उद्योगों में ईंधन के रूप में किया जायेगा।

सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के निदेशक डॉ हरेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि जंगल की आग की घटनाओं को कम करने के लिये पाइन नीडल्स का उपयोग और प्रबंधन आवश्यक है। पाइन नीडल ब्रिकेट और छर्रे कोयले की जगह ले सकते हैं और पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। ब्रिकेट का उपयोग घरेलू खाना पकाने , ईंट भट्टों और थर्मल पावर संयंत्रों में प्रत्यक्ष या सह-फायरिंग ईंधन के रूप में किया जा सकता है।

उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय पेट्रोलियम संस्थान पाइन नीडल्स के उपयोग और मूल्यवर्धन की दिशा में सख्ती से काम कर रहा है और उसने पाइन नीडल्स की ब्रिकेटिंग के लिये एक बेहतर तकनीक और एक ऊर्जा-कुशल, कम लागत वाला, प्राकृतिक ड्राफ्ट बायोमास कुकस्टोव विकसित किया है। बायोमास कुकस्टोव पाइन नीडल्स ब्रिकेट के साथ 35 प्रतिशत की ऊर्जा दक्षता पर काम करता है और घरेलू प्रदूषण को 70 फीसदी तक कम करता है। इसके अलावा, सीएसआईआर - भारतीय पेट्रोलियम संस्थान थर्मल पावर संयंत्रों में उपयोग के वास्ते बायोमास छर्रों को प्रमाणित करने के लिये नामित एक प्रयोगशाला है। प्रयोगशाला में बायोमास निरूपण और बायोमास दहन उपकरण के मूल्यांकन के लिये उन्नत सुविधायें हैं।

प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने नोडल एजेंसी के रूप में चम्पावत को एक आदर्श जिला बनाने के लिये वर्षों से कार्य किया है। उन्होंने बताया कि पाइन नीडल्स का संग्रह, इसका मूल्यवर्धन और उद्योग को इसकी आपूर्ति चंपावत के ग्रामीण लोगों के लिये अच्छे व्यवसाय के अवसर प्रदान करती है। इसके अलावा, ब्रिकेटिंग और गुणवत्ता नियंत्रण मापदंडों पर मामूली तकनीकी प्रशिक्षण के साथ, चंपावत के ग्रामीण लोग इसे उद्योगों को आपूर्ति कर सकते हैं और इसे आय का नियमित स्रोत बना सकते हैं। पाइन नीडल्स ब्रिकेटिंग को नियमित रोजगार के अवसर प्रदान करते हुये एक पूर्णकालिक क्षेत्र में परिवर्तित किया जा सकता है, क्योंकि भविष्य में इन ब्रिकेट की उच्च मांग होगी। इसके अलावा, उन्नत कुकस्टोव का निर्माण और विपणन कुशल और अर्ध-कुशल ग्रामीण जनता के लिये एक आकर्षक विकल्प बन जायेगा। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर की एक अन्य प्रयोगशाला, सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ भी अरोमा मिशनके तहत चंपावत में उत्कृष्ट कार्य कर रही है।

प्रमुख परियोजना वैज्ञानिक श्री पंकज आर्य ने बताया कि भारतीय पेट्रोलियम संस्थान चंपावत जिले के सतत विकास के लिए प्रदर्शन, कार्यान्वयन और कौशल विकास के घटकों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित मॉडल पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना प्रशिक्षण, कौशल विकास और बाजार संपर्क के माध्यम से ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देगी। इसके अतिरिक्त, 100 से अधिक चिह्नित लाभार्थियों/ हितधारकों को बायोमास ब्रिकेटिंग और उन्नत दहन उपकरणों के निर्माण, संचालन और रखरखाव में प्रशिक्षित किया जायेगा, जिससे चंपावत में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। साथ ही, स्थानीय महिलाओं और युवाओं के वैज्ञानिक स्वभाव और कौशल विकास को पुनर्जीवित करने के लिये दूरस्थ शिक्षा विधियों, कार्यशालाओं और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जायेगा। अंततः यह परियोजना चंपावत में ऊर्जा संरक्षण, रोजगार सृजन, कौशल विकास और महिला सशक्तिकरण में मदद करेगी। इस अवसर पर भारतीय पेट्रोलियम संस्थान से डॉ. सनत कुमार, डॉ. जी.डी. ठाकरे और उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद से डॉ. डी. पी. उनियाल, श्रीमती पूनम गुप्ता भी उपस्थित थे। उन्होंने परियोजना को डिजाइन करने में आवश्यक योगदान दिया और इसके सफल कार्यान्वयन के लिये सुझाव दिये।

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