कोयला मंत्रालय

वर्ष 2014 में शुरू किए गए सुधारों ने कोयला क्षेत्र को बदल दिया और इसे अधिक कुशल, पारदर्शी, निवेशक-अनुकूल बनाने के साथ ही देश की आर्थिक वृद्धि और ऊर्जा सुरक्षा में कोयले की महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित की है

Posted On: 27 FEB 2024 6:24PM by PIB Delhi

भारत का कोयला क्षेत्र स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित सुधार और आधुनिकीकरण की यात्रा पर निकल पड़ा है। इन परिवर्तनकारी सुधारों ने न केवल उत्पादन को बढ़ावा दिया है बल्कि आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के व्यापक लक्ष्यों के साथ कोयला क्षेत्र में दक्षता और प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़ाई है। 2014 में शुरू किए गए, इन सुधारों ने लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों का समाधान किया है और देश की आर्थिक वृद्धि एवं  ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कोयला क्षेत्र की क्षमता को उजागर किया है।

दशक के प्रमुख सुधारों में निम्नलिखित शामिल हैं:

कोयला खान विशेष प्रावधान (सीएमएसपी) अधिनियम- 2015 का अधिनियमन-

कोयला खान विशेष प्रावधान (सीएमएसपी अधिनियम, 2015 को उच्चतम न्यायालय द्वारा 2014 में 204 कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द करने के बाद के परिणामों का  समाधान  करने के लिए अधिनियमित किया गया था। कोयला खान विशेष प्रावधान अधिनियम, 2015 अधिनियम ने भारत में कोयला खनन क्षेत्र में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इसने पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया तथा  निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया और सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न करने के अलावा रोजगार के अवसर पैदा किए।

खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम:

खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, खनन अनुज्ञापत्र (लाइसेंस) के आवंटन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ भारत में खनन क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है । इस संशोधन ने विशेष रूप से कोयले के लिए समेकित संभावित लाइसेंस –सह – खनन लीज (कंपोजिट प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस-कम-माइनिंग लीज -पीएल-कम-एमएल) की अनुमति दी है ।

वाणिज्यिक कोयला खनन:

2020 में, कोयला क्षेत्र में निजी प्रतिस्पर्धियों के प्रवेश को चिह्नित करते हुए  माननीय प्रधानमंत्री द्वारा वाणिज्यिक कोयला खनन नीलामी शुरू की गई थी। इस कदम ने निवेश को आकर्षित करते हुए प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया और दक्षता में वृद्धि के साथ ही तेजी से परियोजना कार्यान्वयन को बढ़ावा दिया। परिणामस्वरूप, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से तीन लाख से अधिक नई नौकरियाँ पैदा हुईं, जिससे कोयला-समृद्ध राज्यों में बहुत जरूरी रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए। जून 2020 से, 220 मीट्रिक टन प्रति वर्ष से अधिक पीआरसी वाली कुल 91 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है।

कोयले की ई-नीलामी के लिए एकल खिड़की (सिंगल विंडो): सरकार ने 2022 में कोयला कंपनियों द्वारा कोयले की ई-नीलामी के लिए एक नई व्यवस्था को स्वीकृति  दे दी है। यह एकल ई-नीलामी खिड़की (विंडो) व्यापारियों सहित बिजली और गैर-विनियमित क्षेत्र सभी क्षेत्रों की आवश्यकता को पूरा करेगी। यह कोयला कंपनियों को बाजार में खोजे गए मूल्य तंत्र के माध्यम से कोयला बेचने में सक्षम बनाएगा और इस प्रकार, इस नीति को लागू करने से बाजार की विकृतियां दूर होंगी। इससे परिचालन दक्षता में भी वृद्धि होगी और घरेलू कोयला बाजार में दक्षता से घरेलू कोयले की मांग में भी वृद्धि होगी।

परित्यक्त/बंद खदानों को खोलना:

नई कोयला वितरण नीति (एनसीडीपी) में संशोधन अब पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल)  की बंद हो चुकी / परित्यक्त / उत्पादन बंद खदानों से कोयले की बिक्री की अनुमति देता है। कोयला मंत्रालय परित्यक्त खदानों को फिर से खोलने में निजी क्षेत्र की भागीदारी की सुविधा प्रदान करता है, यहाँ  राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर ऐसी खदानों  को फिर से खोलने के लिए पहचाना गया है, और 13 के लिए आश्वासन पत्र (लैटर ऑफ़ ऐस्युँरेंस –एलओएएस) जारी किए गए हैं।

खदान योजना और खदान बंद करने की योजना के लिए दिशानिर्देश: 29.05.2020 को, कोयला मंत्रालय ने खदान योजना और खदान बंद करने की योजना प्रस्तुत करने, प्रसंस्करण और अनुमोदन के लिए समेकित दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके बाद, खान योजनाएं/खदान बंद करने की योजनाएं एकल खिड़की स्वीकृति प्रणाली (एसडब्ल्यूसीएस) पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन अनुमोदित की जाती हैं। इससे अनुमोदन प्रक्रिया काफी बहुत  सुगम हो गई है।

व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए अपराधमुक्ति-कोयला मंत्रालय ने इसके प्रावधानों को अपराधमुक्त करने के लिए खनिज रियायत नियम, 1960 (मिनरल कन्सेशन रूल्स- एमसीआर) में संशोधन किया है। यह संशोधन एमसीआर के अड़सठ (68) प्रावधानों को अपराधमुक्त करने के साथ ही   दस (10) प्रावधानों के लिए दंड को कम करके सरकार की "व्यापार करने में आसानी की नीति" को बढ़ावा देता है।

पारदर्शिता और व्यवसाय करने में आसानी: सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं और एकल खिड़की स्वीकृति प्रणाली (सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम- एसडब्ल्यूसीएस) जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों ने प्रक्रियाओं को सरल बनाया है और कोयला ब्लॉक आवंटन एवं  खदान संचालन में पारदर्शिता में सुधार किया है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और तकनीकी उन्नति: कोयला खनन में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति ने वैश्विक विशेषज्ञता एवं  उन्नत प्रौद्योगिकियों को आकर्षित किया है, जिससे दक्षता और उत्पादकता में और अधिक  वृद्धि हुई है। इसने आर्थिक विकास में योगदान देते हुए नए रास्ते भी खोले हैं।

कोयला खदान निगरानी और प्रबंधन प्रणाली और खनन प्रहरी ऐप:

खनन प्रहरी ऐप और कोयला खदान निगरानी और प्रबंधन प्रणाली (कोल माइंस सर्विलेंस एंड मैनेजमेंट सिस्टम –सीएमएसएमएस) के साथ, कोयला मंत्रालय वैध कोयला खनन के लिए सुरक्षा बढ़ाता है और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करता है। खनन प्रहरी ऐप नागरिकों को अवैध खनन की रिपोर्ट करने का अधिकार देता है, जबकि सीएमएसएमएस पहचान (ट्रैकिंग) और विश्लेषण के साथ ही पारदर्शिता एवं  समन्वय को बढ़ावा देने में सहायता करता है।

गैर-विनियमित क्षेत्र (नॉन- रेगुलेटेड सेक्टर्स -एनआरएस) के कोयला लिंकेज की नीलामी के लिए नीति के अंतर्गत  नया उप-क्षेत्र: एनआरएस लिंकेज नीलामी के अंतर्गत 2022 में एक नया उप-क्षेत्र "कोयला गैसीकरण के लिए सिन-गैस का उत्पादन" बनाया गया है जिससे की कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित किया और कोयला गैसीकरण के लिए कोयले की आवश्यकता वाले नए उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन मिले। इससे पर्यावरण पर कोयले के पारंपरिक उपयोग के प्रतिकूल प्रभावों को भी कम किया जा सकेगा।

एकीकृत कोयला रसद (लॉजिस्टिक) नीति और योजना: कोयला मंत्रालय ने एकीकृत कोयला रसद (लॉजिस्टिक)  नीति और योजना तैयार की है जिसका उद्देश्य लचीली और लागत प्रभावी कोयला निकासी लॉजिस्टिक प्रणाली विकसित करना है। लगभग 24,000 करोड़ रुपये की लागत से 1000 मीट्रिक टन से अधिक की कुल क्षमता वाली 103 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाएं प्रगति पर हैं। इनमें से लगभग 290 मीट्रिक टन क्षमता वाली 31 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं, जो कोयला परिवहन के आधुनिकीकरण की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं।

इसके अतिरिक्त पीएम गति शक्ति के अनुरूप, मंत्रालय ने 26,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी अंतराल को संबोधित करते हुए 14 रेलवे परियोजनाएं शुरू की हैं। इनमें से तीन परियोजनाएं पहले से ही चालू हैं।

सतत प्रथाएँ (सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज): कोयला मंत्रालय ने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और स्थानीय समुदायों के  कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी  कोयला निष्कर्षण और खनन क्षेत्रों के पुनर्वास को बढ़ावा देकर, टिकाऊ खनन प्रथाओं का समर्थन किया है। पिछले 10 वर्षों के दौरान 4 करोड़ 23 लाख से अधिक पौधों के बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के माध्यम से लगभग 18,868 हेक्टेयर भूमि को हरित आवरण में परिवर्तित करके पर्यावरण संरक्षण पर महत्वपूर्ण कार्य किया गया है। इसी प्रकार, 261 हेक्टेयर भूमि को कवर करते हुए 28 इको पार्क / खान पर्यटन स्थल स्थापित किए गए, जिसमें 7 पार्कों  को स्थानीय पर्यटन के साथ एकीकृत किया गया है ।

कोयला गैसीकरण में निवेश: उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन में कमी लाने  के महत्व को पहचानते हुए  महत्वपूर्ण निवेश किए गए हैं। हाल ही में मंत्रीमंडल  (कैबिनेट) की स्वीकृति  ने कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए 8,500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक व्यापक योजना का मार्ग प्रशस्त किया है। कैबिनेट ने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल)  और गेल (इंडिया) लिमिटेड  के संयुक्त उद्यम के माध्यम से ईस्टर्न कोल फील्ड्स (ईसीएल)  कमांड क्षेत्र में कोयले  से संश्लेषित प्राकृतिक गैस (सिंथेटिक नेचुरल गैस –एसएनजी) परियोजना और संयुक्त उद्यम के माध्यम से महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) कमांड क्षेत्र में कोयले से अमोनियम नाइट्रेट उत्पादन परियोजना की स्थापना के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और  भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) की इक्विटी निवेश के प्रस्तावों को भी स्वीकृति  दे दी है।

ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण: अपने ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप, कोयला मंत्रालय सक्रिय रूप से केंद्र सरकार के लोक उपक्रमों  (सीपीएसईएस)  के भीतर व्यापक विविधीकरण (डाइवरसीफिकेशन)  को बढ़ावा दे रहा है, और इसके लिए  पिट-हेड ताप विद्युत् संयंत्रों (थर्मल पॉवर प्लांट्स –टीपीपी) , सौर ऊर्जा संयंत्रों , कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण संयंत्रों की स्थापना के साथ ही महत्वपूर्ण खनिज अन्वेषण भी कर रहा है। लागत प्रभावी पिट- हैड थर्मल पावर प्लांटों के लिए कोयला-मुक्त हो चुकी (डी-कोल्ड) भूमि के उपयोग पर जोर देते हुए, मंत्रालय के निर्देश का उद्देश्य भविष्य में कोयला अधिशेष (सरप्लस)  की आशा करते हुए कोल इंडिया लिमिटेड केशन (सीआईएल)  और नेवेली लिग्नाईट कारपोरेशन इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल)  दोनों के लिए टिकाऊ संचालन को सुरक्षित करना है।

इन सुधारों ने कोयला क्षेत्र को अधिक कुशल, पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल बनाकर बदल ही दिया है। कोयला मंत्रालय स्थिरता और सामाजिक उत्तरदायित्व   को प्राथमिकता देने के साथ ही भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास में कोयले की महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करते हुए इस प्रगति को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

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