रक्षा मंत्रालय

देश में वार्षिक रक्षा उत्पादन वर्ष 2028-29 तक तीन लाख करोड़ रुपये तक और रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये का होने की आशा: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह


"साझेदारी और एकीकरण के संयुक्त प्रयासों ने हमारी सेना को हर चुनौती से मिलकर निपटने के लिए सक्षम बना दिया है"

"सरकार 2047 तक भारत को 'विकसित भारत' बनाने के लिए दीर्घकालिक लाभ पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है, न कि अल्पकालिक परिणामों पर"

“सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में भारत में एयरो-इंजन और गैस टर्बाइन जैसी उच्च-स्तरीय प्रणालियों का निर्माण करना है”

Posted On: 24 FEB 2024 5:15PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए दीर्घकालिक परिणामों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, न कि अल्पकालिक परिणामों पर। रक्षा मंत्री 24 फरवरी, 2024 को नई दिल्ली में एक निजी मीडिया संगठन द्वारा आयोजित रक्षा शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। श्री राजनाथ सिंह ने 'दीर्घकालिक योजना और दीर्घकालिक लाभ को प्राथमिकता देना' वर्तमान सरकार तथा पिछली सरकार के बीच मुख्य अंतर बताया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि अतीत की सरकारों के विपरीत, वर्तमान सरकार ने ऐसी नीतियां बनाई और लागू की हैं, जो केवल पांच वर्षों के लिए अल्पकालिक लाभ प्रदान नहीं करती हैं। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में लंबी अवधि के फायदे के लिए रक्षा क्षेत्र में किए गए सुधारों का उल्लेख किया, इनमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का सृजन और सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना करना शामिल है, जिससे तीनों सेनाओं के बीच साझेदारी, तालमेल तथा सुचारू समन्वय बढ़ चुका है।

श्री राजनाथ सिंह ने बताया कि सरकार भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो संकट के समय में उनके बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि पहले तीनों सेनाएं साइलो में काम करती थीं। हमने उनके एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है, जो लीक से हटकर कर एक अलग कदम था और यह समय की मांग भी थी। श्री सिंह ने कहा कि शुरुआत में ऐसा करना थोड़ा कठिन था; लेकिन आज हमारी सेना बेहतर समन्वय के साथ हर चुनौती से निपटने के लिए मिलकर काम करने को तैयार है।

रक्षा मंत्री ने रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में उठाए गए प्रमुख कदमों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय ने सेवाओं की पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां अधिसूचित की हैं, जिनमें 500 से अधिक उपकरण और चार अन्य सूचियां शामिल हैं, इसमें डीपीएसयू के लिए 4,600 से अधिक घटक व उपकरण शामिल हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सैनिक भारत में बने हथियारों तथा प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करें। उन्होंने स्थानीय कंपनियों से खरीद के लिए पूंजी अधिग्रहण बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा निर्धारित करने के निर्णय का भी उल्लेख किया। श्री सिंह ने कहा कि कुछ लोगों का विचार था, स्वदेशी हथियार विश्व स्तरीय नहीं होंगे; लेकिन, वर्तमान सरकार घरेलू उद्योग की क्षमताओं में विश्वास करती है और वे सभी लगातार अत्याधुनिक उत्पादों में सुधार और वितरण कर सकते हैं।

श्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि रक्षा क्षेत्र को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने तथा प्रधानमंत्री श्री मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से दीर्घकालिक लाभ के लिए इसमें आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हथियारों के आयात पर प्रतिबंध लगाना एक अल्पकालिक कठिनाई थी, लेकिन आज वह चुनौती धीरे-धीरे अवसर में बदल रही है और भारत दुनिया के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य पर आगे बढ़ रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हमारी सेना उन हथियारों और प्लेटफार्मों का उपयोग कर रही है, जिनका निर्माण भारत में ही किया जा रहा है।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी सेना बाहर से आयातित उपकरणों से अपने देश की रक्षा नहीं कर सकती है और आज के समय में भारत के लिए रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता आवश्यक है। उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भरता की दिशा में सरकार के लगातार प्रयास अब लाभ देने लगे हैं क्योंकि रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।

श्री राजनाथ सिंह ने इस तथ्य को दोहराया कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित करने जैसी पहल के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि आधुनिक सैन्य साजो-सामान न केवल भारत में निर्मित हो, बल्कि उन्हें मित्र देशों को भी निर्यात किया जाए। उन्होंने कहा कि पहले, भारत को हथियार आयातक राष्ट्र के रूप में जाना जाता था। लेकिन आज प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में हम अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आ गए हैं और हमने हथियार निर्यातक शीर्ष-25 देशों की सूची में जगह बना ली है। रक्षा मंत्री ने कहा कि सात-आठ साल पहले, रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये तक भी नहीं पहुंच पाता था, जबकि आज यह 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि 2028-29 तक वार्षिक रक्षा उत्पादन तीन लाख करोड़ रुपये और रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशा है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जहां सरकार बड़ी कंपनियों को बढ़ावा दे रही है, वहीं वह स्टार्ट-अप के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में प्रतिभाशाली युवाओं को भी आमंत्रित कर रही है, उन्होंने इसे दीर्घकालिक लाभ के लिए उठाया गया एक और कदम बताया। रक्षा मंत्री ने कहा कि आने वाले 20-25 वर्षों में ये कंपनियां अपने नवाचारों के दम पर वैश्विक मंच पर भारत की सशक्त पहचान को एक नया आयाम देने में सहायता करेंगी। श्री सिंह ने हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक का उल्लेख किया, जिसमें स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए थे। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप से खरीद के लिए लागत, भुगतान की शर्तें, पात्रता आदि को उदार बनाया गया है।

रक्षा मंत्री ने आज के लगातार बदलते समय में प्रौद्योगिकी के एक महान विकल्प के रूप में उभरने पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, स्मार्ट हथियार, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष युद्ध जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकियों में होने वाले निवेश के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख राष्ट्र बनाने की सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें डीआरडीओ के प्रशासनिक नियंत्रण में रक्षा प्रौद्योगिकी नवाचार (आईडीईएक्स) प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना का शुभारंभ तथा राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान की स्थापना करना शामिल है।

रक्षा मंत्री ने यह जानकारी दी है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक 4,35,000 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजी अधिग्रहण को सैद्धांतिक स्वीकृति दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय को केंद्रीय बजट 2024-25 में 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो अन्य मंत्रालयों से सबसे अधिक है। श्री राजनाथ सिंह ने अग्निपथ योजना के बारे में भी चर्चा की, जिसका लक्ष्य देश की सेना को दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में से एक बनाना है। उन्होंने कहा ये निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में भारत में एयरो-इंजन और गैस टर्बाइन जैसी उच्च-स्तरीय प्रणालियों का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि जब हमारे युवाओं की क्षमता एवं समर्पण असाधारण हो और सरकार की मंशा साफ हो, तो साधारण लक्ष्य तय करने का प्रश्न ही नहीं उठता। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम जल्द ही असाधारण लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी यात्रा शुरू करेंगे।

रक्षा मंत्री ने जीएसटी के सफल कार्यान्वयन, स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्रों में पहल और बैंकिंग सुधारों सहित अन्य क्षेत्रों में दीर्घकालिक लाभ के लिए कुछ निर्णयों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास, जैसे सागरमाला और पीएम गति शक्ति योजनाओं के साथ-साथ सामाजिक कल्याण की दिशा में सरकार के प्रयासों का भी जिक्र किया, जो देश के समग्र विकास को सुनिश्चित कर रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि सरकार बड़ी दीर्घकालिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिसके परिणाम 5-10 वर्षों के बाद दिखाई देने लगेंगे, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के निर्माण के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के स्पष्ट दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार महिलाओं को हर क्षेत्र में उनके पुरुष समकक्षों के बराबर अवसर प्रदान कर रही है, जो सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से महिलाओं को उनके राजनीतिक अधिकार दिए गए हैं, जो वर्षों से लंबित थे। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है और पहले से अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इसमें बढ़ोतरी होती ही रहेगी।

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