सहकारिता मंत्रालय

सहकारी क्षेत्र की स्थिति

Posted On: 07 FEB 2024 5:49PM by PIB Delhi

सहकारिता मंत्रालय ने अपनी स्थापना 06 जुलाई, 2021 के बाद सेसहकार से समृद्धि वाले अपने दृष्टिकोण की प्राप्ति के लिए केंद्र सरकार, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों, राष्ट्रीय सहकारी संघों, वैधानिक एवं गैर-सांविधिक निकायों जैसे नाबार्ड, एनडीडीबी, एनसीडीसी, एनएफडीबी आदि के परामर्श से अनेक पहलों की शुरुआत की हैं। अब तक की गई पहलों और प्राप्त की गई प्रगतियों का विवरण अनुलग्नक-ए में दिया गया है।

वर्तमान समय में पूरे देश के 29 विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 8,02,639 सहकारी समितियां हैं, जिनमें से गुजरात, आंध्र प्रदेश और झारखंड राज्यों में इनकी संख्या क्रमश 81307, 17659 और 11448 है।

बहु-राज्य सहकारी समिति (अधिनियम), 2002 (संशोधित) की अनुसूची-II के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर 19 बहु-राज्य सहकारी समितियां सहकारी समितियों के रूप में सूचीबद्ध हैं। हालांकि, इन 19 राष्ट्रीय महासंघों में से केवल इफको का ही आकार और पैमाना अमूल कंपनी के बराबर है और वित्तीय वर्ष 2022-23 में इफको का टर्नओवर 60,324 करोड़ रुपये रहा है।

राज्यों में सहकारी क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्यों को प्रदान किए गए प्रोत्साहनों का ब्यौरा निम्न प्रकार है:

  1. एनसीडीसी ने राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को 2019-20 से लेकर 30.11.2023 तक 1,62,868.77 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया है, जिसमें से 41,031.4 करोड़ रुपये पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 में वितरित किए गए।
  2. प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स) को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से 2,516 करोड़ रुपए के कुल वित्तीय परिव्यय से 63,000 कार्यात्मक पैक्स का कंप्यूटरीकरण करने के लिए एक केंद्र द्वारा प्रायोजित परियोजना चल रही है, जिसमें देश में सभी कार्यात्मक पैक्स को राज्य सहकारी बैंकों और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के माध्यम से नाबार्ड के साथ जोड़ते हुए एक सामान्य ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर के अंतर्गत लाना शामिल है। इसके लिए, केंद्र सरकार द्वारा हार्डवेयर की खरीद, डिजिटलीकरण और समर्थन प्रणालियों की स्थापना के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कुल 488.42 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है।
  3. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार कार्यालयों को कम्प्यूटरीकृत करने के उद्देश्य से, केंद्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय भाग के रूप में 95 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे, इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी और सहकारी पारिस्थितिकी तंत्र में एकरूपता आएगी।

अनुलग्नक

सहकारिता मंत्रालय की 54 पहलों का संक्षिप्त विवरण

सहकारिता मंत्रालय ने अपनी स्थापना 06 जुलाई, 2021 के बाद से, “सहकार से समृद्धि के दृष्टिकोण को साकार करने और देश में प्राथमिक से शीर्ष स्तर पर सहकारी समितियों के सहकारी आंदोलन को मजबूत करने की दिशा में अनेक पहल की हैं। अब तक की गई पहलों और प्रगति की सूची इस प्रकार है:

ए. प्राथमिक सहकारी समितियों को आर्थिक रूप से जीवंत एवं पारदर्शी बनाना

  1. पैक्स को बहुउद्देशीय, बहुआयामी एवं पारदर्शी संस्थान बनाने के लिए मॉडल उप-नियम: सरकार ने राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों, राष्ट्रीय स्तर के परिसंघों, राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी), जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) आदि सहित सभी हितधारकों के परामर्श से सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में पैक्स के लिए मॉडल उप-नियम तैयार एवं प्रसारित किए गए हैं, जो पैक्स को 25 से ज्यादा व्यावसायिक गतिविधियां करने, उनके संचालन में शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार करने में सक्षम बनाता है। पैक्स की सदस्यता को और ज्यादा समावेशी एवं व्यापक बनाने, महिलाओं एवं अनुसूचित जातियों/ अनुसूचित जनजातियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। अब तक 32 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने मॉडल उप-नियमों को अपनाया है अथवा उनके मौजूदा उप-नियम मॉडल उप-नियमों के अनुरूप हैं।
  2. कम्प्यूटरीकरण के माध्र्यम से पैक्स का सुदृढ़ीकरण: पैक्स को मजबूत करने के लिए, भारत सरकार ने 2,516 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ 63,000 संचालित पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के लिए परियोजना को मंजूरी प्रदान की है, जिसमें देश के सभी संचालित पैक्स को एक सामान्य ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर मंच पर लाना शामिल है, उन्हें एसटीसीबी और डीसीसीबी के माध्यम से नाबार्ड के साथ जोड़ा जाएगा। परियोजना के अंतर्गत 28 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 62,318 पैक्स को मंजूरी प्रदान की गई है। हालांकि सॉफ्टवेयर तैयार है और अब तक 27 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में ईआरपी ऑनबोर्डिंग 15,783 पैक्स में पहले ही शुरू हो चुकी है।
  3. कवर सें वंचित पंचायतों में नई बहुउद्देशीय पैक्स/ डेयरी/ मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना: नाबार्ड, एनडीडीबी, एनएफडीबी, एनसीडीसी और अन्य राष्ट्रीय स्तर के संघों के समर्थन से अगले पांच वर्षों में सभी पंचायतों/ गांवों को कवर करते हुए नई बहुउद्देशीय पैक्स या प्राथमिक डेयरी/ मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना वाली योजना को सरकार ने अनुमोदित किया है। राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रदान की गई सूचना के अनुसार 9,000 से ज्यादा नई पैक्स/ डेयरी/ मात्स्यिकी सहकारी समितियों को पंजीकृत करने की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है।
  4. सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी विकेन्द्रीकृत अनाज भंडारण योजना: सरकार ने एआईएफ, एएमआई, एसएमएएम, पीएमएफएमई सहित केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के अभिसरण के द्वारा पैक्स स्तर पर अनाज भंडारण के लिए गोदामों, कस्टम हायरिंग केंद्रों, प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों और अन्य कृषि अवसंरचना के निर्माण की योजना को मंजूरी प्रदान की है। यह खाद्यान्न एवं परिवहन लागत की बर्बादी में कमी लाएगा, किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर कीमतें प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा और पैक्स स्तर पर ही विभिन्न कृषि आवश्यकताओं को पूरा करेगा। 27 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) जैसे राष्ट्रीय स्तर के सहकारी संघों ने पायलट परियोजना के अंतर्गत भंडारण क्षमता का निर्माण करने के लिए 2000 से ज्यादा पैक्स की पहचान की है।
  5. ई-सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के रूप में पैक्स: पैक्स के माध्यम से बैंकिंग, बीमा, आधार बनाना/अपडेट करना, स्वास्थ्य सेवाएं, पैन कार्ड और आईआरसीटीसी/ बस/ हवाई टिकट आदि जैसी 300 से ज्यादा ई-सेवाएं प्रदान करने के लिए सहकारिता मंत्रालय, मेईती, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। अब तक, 30,647 पैक्स ने ग्रामीण नागरिकों को सीएससी सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप इन पैक्स की आय में वृद्धि भी होगी।
  6. पैक्स द्वारा नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन: सरकार ने एनसीडीसी के समर्थन से पैक्स द्वारा 1,100 अतिरिक्त एफपीओ के गठन की अनुमति प्रदान की है, उन ब्लॉकों में जहां एफपीओ अभी तक गठित नहीं किए गए हैं या ब्लॉक किसी अन्य कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा कवर नहीं किए जा रहे हैं। इसके अलावा एनसीडीसी द्वारा सहकारी क्षेत्र में 672 एफपीओ का गठन किया गया है। यह किसानों को आवश्यक बाजार संपर्क प्रदान करने और उनकी उपज के लिए उचित एवं लाभप्रद मूल्य प्राप्त करने में सहायक होगा।
  7. पैक्स को खुदरा पेट्रोल/डीजल आउटलेट्स के लिए प्राथमिकता: सरकार ने खुदरा पेट्रोल/ डीजल बिक्री केन्द्रों के आबंटन के लिए पैक्स को संयुक्त श्रेणी 2 (सीसी2) में शामिल करने की अनुमति प्रदान की। तेल विपणन कंपनियों (ओएमसीज) से प्राप्त सूचना के अनुसार 26 राज्यों/ केंद्र शासित से कुल 240 पैक्स ने खुदरा पेट्रोल/ डीजल बिक्री केन्द्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। ओएमसीज द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, अब तक 39 पैक्स का चयन किया जा चुका है।
  8. पैक्स को थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों को खुदरा दुकानों में बदलने की अनुमति: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के आधार पर मौजूदा थोक उपभोक्ता लाइसेंसधारक पैक्स को खुदरा बिक्री केन्द्रों में परिवतत करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे पैक्स के लाभ में वृद्धि हो सके और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें। थोक उपभोक्ता पंप वाले चार राज्यों के 109 पैक्स को खुदरा दुकानों में रूपांतरित करने पर सहमति दी है, जिनमें से 43 पैक्स को ओएमसी से आशय पत्र (एलओआई) प्राप्त हुआ है।
  9. अपनी गतिविधियों में विविधता लाने के लिए एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए पैक्स पात्र: सरकार ने अब पैक्स को एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए आवेदन करने की अनुमति प्रदान की है। इससे पैक्स को अपनी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करने का विकल्प प्राप्त होगा। केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 9 पैक्स ने ऑनलाइन आवेदन किया है।
  10. ग्रामीण स्तर पर जेनेरिक दवाओं तक पहुंच में सुधार लाने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के रूप में पैक्स: सरकार प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों को संचालित करने के लिए पैक्स को बढ़ावा दे रही है जो उन्हें अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान करेगा और ग्रामीण नागरिकों के लिए जेनेरिक दवाओं तक पहुंच को आसान बनाएगा। अब तक, 4,629 पैक्स/ सहकारी समितियों ने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है, जिनमें से 2,475 पैक्स को प्रारंभिक मंजूरी दी गई है। इन 2,475 पैक्स में से 617 ने राज्य दवा नियंत्रकों से दवा लाइसेंस प्राप्त कर लिए हैं और जन औषधि केंद्रों के रूप में कार्य करने के लिए तैयार हैं।
  11. पैक्स प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके): सरकार देश में किसानों को उर्वरक और संबंधित सेवाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पीएमकेएसके को संचालित करने के लिए पैक्स को बढ़ावा दे रही है। राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, 35,293 पैक्स पीएमकेएसके के रूप में कार्य कर रहे हैं।
  12. पैक्स स्तर पर पीएम-कुसुम का अभिसरण: पैक्स से जुड़े किसान सौर कृषि जल पंपों को अपना सकते हैं और अपने खेतों में फोटोवोल्टिक मॉड्यूल स्थापित कर सकते हैं।
  13. पैक्स ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं (पीडब्ल्यूएस) का संचालन एवं रखरखाव करेगी: ग्रामीण क्षेत्रों में पैक्स की गहरी पहुंच का उपयोग करने के लिए, सहकारिता मंत्रालय की पहल पर, जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में पीडब्ल्यूएस का संचालन एवं रखरखाव (ओ एंड एम) करने के लिए पैक्स को पात्र एजेंसी बनाया है। राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त सूचना के अनुसार, पंचायत/ ग्राम स्तर पर संचालन एवं रखरखाव सेवाएं प्रदान करने के लिए 14 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों 1,630 पैक्स की पहचान/चयन किया गया है।
  14. घर पर वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए बैंक मित्र सहकारी समितियों को माइक्रो-एटीएम: डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को डीसीसीबी और एसटीसीबी का बैंक मित्र बनाया जा सकता है। ईज ऑफ डूईंग बिजनेस, पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए, इन बैंक मित्र सहकारी समितियों को नाबार्ड के समर्थन से माइक्रो-एटीएम भी दिए जा रहे हैं जिससे घर पर वित्तीय सेवाएं प्रदान की जा सकें। पायलट परियोजना के रूप में, गुजरात के पंचमहल और बनासकांठा जिलों में बैंक मित्र सहकारी समितियों को 1,723 माइक्रो-एटीएम वितरित किए गए हैं। यह पहल अब गुजरात राज्य के सभी जिलों में कार्यान्वित की जा रही है।
  15. दुग्ध सहकारी समितियों के सदस्यों को रुपे किसान क्रेडिट कार्ड: जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों/ राज्य सहकारी बैंकों की पहुंच का विस्तार करने और डेयरी सहकारी समितियों के सदस्यों को आवश्यक नगदी प्रदान करने के लिए, सहकारी समितियों के सदस्यों को रुपे किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) वितरित किए जा रहे हैं जिससे वे तुलनात्मक रूप से कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान कर सकें और उन्हें अन्य वित्तीय लेनदेन करने में सक्षम बनाया जा सके। गुजरात के पंचमहल और बनासकांठा जिलों में अब तक 1,23,685 रुपे केसीसी वितरित किए गए हैं। यह पहल अब गुजरात राज्य के सभी जिलों में कार्यान्वित की जा रही है।
  16. मछली किसान उत्पादक संगठन (एफएफपीओ) का गठन: मछुआरों को बाजार संपर्क और प्रसंस्करण सुविधाएं प्रदान करने के लिए, एनसीडीसी ने प्रारंभिक चरण में 69 एफएफपीओ पंजीकृत किए हैं। इसके अलावा, भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग ने 225.50 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 1000 मौजूदा मत्स्य सहकारी समितियों को एफएफपीओ में परिवर्तित करने का कार्य एनसीडीसी को आवंटित किया है।

बी. शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों को मजबूत करना

  1. यूसीबी को अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए नई शाखाएं खोलने की अनुमति: यूसीबी अब आरबीआई की पूर्व स्वीकृति के बिना पिछले वित्तीय वर्ष में मौजूदा शाखाओं की 10% (अधिकतम 5 शाखाएं) तक नई शाखाएं खोल सकती है।
  2. आरबीआई ने यूसीबी को अपने ग्राहकों को घर पर सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी: अब यूसीबी द्वारा घर पर बैंकिंग सुविधा प्रदान की जा सकती है। इन बैंकों के खाताधारक अब घर पर विभिन्न बैंकिंग सुविधाओं जैसे नकद निकासी, नकद जमा, केवाईसी, डिमांड ड्राफ्ट और पेंशनभोगियों के लिए जीवन प्रमाण पत्र आदि का लाभ उठा सकते हैं।
  3. सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों की तरह बकाया ऋणों का एकमुश्त निपटान करने की अनुमति: बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के माध्यम से अब सहकारी बैंक, तकनीकी राइट-ऑफ के साथ, उधारकर्ताओं को निपटान की प्रक्रिया प्रदान कर सकते हैं।
  4. यूसीबी को दिए गए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समय सीमा बढ़ाई गई: आरबीआई ने प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए यूसीबी के लिए समय सीमा को दो वर्षों यानी 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया है।
  5. यूसीबी के साथ नियमित बातचीत के लिए आरबीआई में एक नोडल अधिकारी नामित: सहकारी क्षेत्र की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने के लिए और घनिष्ठ समन्वय एवं केंद्रित बातचीत के लिए, आरबीआई ने एक नोडल अधिकारी नामित किया है।
  6. ग्रामीण और शहरी सहकारी बैंकों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा व्यक्तिगत आवास ऋण सीमा दोगुनी से ज्यादा की गई: शहरी सहकारी बैंकों की आवास ऋण सीमा अब 30 लाख रुपये से बढ़ाकर 60 लाख रुपये कर दी गई है। ग्रामीण सहकारी बैंकों की आवास ऋण सीमा ढाई गुना बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दी गई है।
  7. ग्रामीण सहकारी बैंक अब वाणिज्यिक अचल संपत्ति/ आवासीय आवास क्षेत्र को उधार देने में सक्षम होंगे, जिससे उनके व्यवसाय में विविधता आएगी: इससे न केवल ग्रामीण सहकारी बैंकों को अपने व्यवसाय में विविधता लाने में मदद मिलेगी, बल्कि आवास सहकारी समितियों को भी लाभ प्राप्त होगा।
  8. सहकारी बैंकों के लिए लाइसेंस शुल्क घटा: सहकारी बैंकों को 'आधार सक्षम भुगतान प्रणाली' (एईपीएस) से जोड़ने के लिए लाइसेंस शुल्क को लेनदेन की संख्या से जोड़कर कम कर दिया गया है। सहकारी वित्तीय संस्थान भी प्री-प्रोडक्शन चरण के पहले तीन महीनों में मुफ्त में सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। इससे किसानों को अब अपने घर पर ही बायोमेट्रिक्स के माध्यम से बैंकिंग की सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
  9. गैर-अनुसूचित यूसीबी, एसटीसीबी और डीसीसीबी को सीजीटीएमएसई योजना में सदस्य ऋण संस्थानों (एमएलआई) के रूप में अधिसूचित किया गया जिससे ऋण देने में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी बढ़ सके: सहकारी बैंक अब दिए गए कर्ज पर 85 प्रतिशत तक जोखिम कवरेज का लाभ प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही, सहकारी क्षेत्र के उद्यम भी अब सहकारी बैंकों से आनुशंगिक मुक्त ऋण प्राप्त कर सकेंगे।
  10. शहरी सहकारी बैंकों को शामिल करने के लिए शेड्यूलिंग मानदंडों की अधिसूचना: ऐसे शहरी सहकारी बैंक जो 'वित्तीय रूप से सुदृढ़ एवं सुप्रबंधित' (एफएसडब्ल्यूएम) मानदंडों को पूरा करते हैं और पिछले दो वर्षों से टियर 3 के रूप में वर्गीकरण के लिए आवश्यक न्यूनतम जमाराशि को बनाए रखते हैं, अब भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की अनुसूची-II में शामिल किए जाने और अनुसूचित दर्जा प्राप्त करने के लिए पात्र हैं।
  11. गोल्ड लोन के लिए आरबीआई द्वारा मौद्रिक सीमा दोगुनी की गई: आररबीआई ने पीएसएल लक्ष्यों को पूरा करने वाले यूसीबी के लिए मौद्रिक सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये की।
  12. शहरी सहकारी बैंकों के लिए अंब्रेला संगठन: आरबीआई  ने यूसीबी क्षेत्र के लिए एक अम्ब्रेला संगठन (यूओ) के गठन के लिए नेशनल फेडरेशन ऑफ अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक एंड क्रेडिट सोसाइटीज लिमिटेड (एनएएफसीयूबी) को मंजूरी प्रदान की है, जो लगभग 1,500 यूसीबी को आवश्यक आईटी अवसंरचना और परिचालन सहायता प्रदान करेगा।

सी. आयकर अधिनियम में सहकारी समितियों को राहत

  1. एक से 10 करोड़ रुपये के बीच आय वाली सहकारी समितियों के लिए अधिभार 12% से घटाकर 7% किया गया: इससे सहकारी समितियों पर आयकर का बोझ कम पड़ेगा और उनके पास अपने सदस्यों को लाभ पहुंचाने के लिये ज्यादा पूंजी उपलब्ध होगी।
  2. सहकारी समितियों के लिये मैट को 18.5% से घटाकर 15% किया गया: इस प्रावधान के साथ, अब इस संबंध में सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच समानता है।
  3. आयकर अधिनियम की धारा 269 एसटी के अंतर्गत नकद लेनदेन में राहत: आईटी अधिनियम की धारा 269 एसटी के अंतर्गत सहकारी समितियों द्वारा नकद लेनदेन में कठिनाइयों को समाप्त करने के लिए, सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है जिसमें कहा गया है कि एक सहकारी समिति द्वारा अपने वितरक के साथ एक दिन में किए गए 2 लाख रुपये से कम के नकद लेनदेन को अलग से माना जाएगा और उन पर आयकर जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।
  4. नई विनिर्माण सहकारी समितियों के लिए कर में कटौती: सरकार ने निर्णय लिया है कि 31 मार्च, 2024 तक विनिर्माण गतिविधियों को शुरू करने वाली नई सहकारी समितियों के लिए 30% तक की पूर्व दर की तुलना में 15% की एकमुश्त कमी की जाएगी। इससे विनिर्माण क्षेत्र में नई सहकारी समितियों के गठन को प्रोत्साहन मिलेगा।
  5. पैक्स और पीसीएआरडीबी द्वारा नकद जमा और नकद ऋण की सीमा में वृद्धि: सरकार ने पैक्स और प्राथमिक सहकारी कृषि एंवं ग्रामीण विकास बैंकों (पीसीएआरडीबी) द्वारा नकद जमा और नकद ऋण की सीमा 20,000 रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये प्रति सदस्य कर दी है। यह प्रावधान उनकी गतिविधियों को सुविधाजनक बनाएगा, उनके व्यवसाय को बढ़ावा देगा और उनकी समितियों के सदस्यों को लाभान्वित करेगा।
  6. नकद निकासी में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की सीमा में वृद्धि: सरकार ने स्रोत पर कर की कटौती के बिना सहकारी समितियों की नकद निकासी सीमा को 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये प्रति वर्ष कर दिया है। यह प्रावधान सहकारी समितियों के लिए स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) को बचाएगा, जिससे उनकी नकदी बढ़ेगी।

डी. सहकारी चीनी मिलों का पुनरुद्धार

  1. चीनी सहकारी मिलों को आयकर से राहत: सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया है कि अप्रैल, 2016 से सहकारी चीनी मिलों पर किसानों को उचित और लाभकारी अथवा राज्य द्वारा सुझाए गए मूल्य के अनुसार गन्ने के मूल्यों का ज्यादा भुगतान करने पर अतिरिक्त आयकर नहीं लगेगा।
  2. चीनी सहकारी मिलों के आयकर से संबंधित दशकों पुराने लंबित मुद्दों का समाधान: सरकार ने अपने केंद्रीय बजट 2023-24 में यह प्रावधान किया है कि चीनी सहकारी समितियों को आकलन वर्ष 2016-17 से पहले की अवधि के लिए गन्ना किसानों को अपने भुगतान के व्यय के रूप में दावा करने की अनुमति मिलेगी, जिससे उन्हें 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की राहत मिली है।
  3. चीनी सहकारी मिलों को मजबूती प्रदान करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की ऋण योजना की शुरुआत: सरकार ने एनसीडीसी के माध्यम से इथेनॉल संयंत्रों या सह-उत्पादन संयंत्रों की स्थापना या कार्यशील पूंजी या सभी तीन उद्देश्यों के लिए एक योजना शुरू की है। एनसीडीसी ने अब तक 25 सहकारी चीनी मिलों को 3,310.57 करोड़ रुपये की ऋण राशि मंजूर की है।
  4. इथेनॉल की खरीद में सहकारी चीनी मिलों को वरीयता: इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा इथेनॉल खरीद के लिए सहकारी चीनी मिलों को अब निजी कंपनियों के बराबर वरीयता दी गई है।
  5. शीरे पर जीएसटी को 28% से घटाकर 5% किया गया: सरकार ने शीरे पर जीएसटी को 28% से घटाकर 5% करने का निर्णय लिया है, जिससे सहकारी चीनी मिलें उच्च मुनाफ़े के साथ भट्टी को गुड़ बेचकर अपने सदस्यों के लिए ज्यादा लाभ अर्जित करने में सक्षम बनेंगी।

ई. तीन नई राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य समितियां

  1. प्रमाणित बीजों के लिए नई राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी बीज समिति: सरकार ने एमएससीएस अधिनियम, 2002 के अंतर्गत एक नई शीर्ष बहु-राज्य सहकारी बीज समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) की स्थापना की है, जो एकल ब्रांड के अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण बीज की खेती, उत्पादन और वितरण के लिए एक अंब्रेला संगठन है। गेहूं, सरसों, और दालों (चना, मटर) के उन्नत बीज 1,750 एकड़ में लगाए गए हैं। मूंगफली, धान, मक्का और बाजरा के लिए बुनियादी/प्रमाणित बीजों की खेती की कोशिश की जा रही है। अब तक, 33 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से 13,985 पैक्स/ सहकारी समितियों ने सदस्यता के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है।
  2. जैविक खेती के लिए नई राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी जैविक सोसायटी: सरकार ने एमएससीएस अधिनियम, 2002 के अंतर्गत प्रमाणित और प्रामाणिक जैविक उत्पादों के उत्पादन, वितरण और विपणन के लिए एक अंब्रेला संगठन के रूप में राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) नामक एक नई शीर्ष बहु-राज्य सहकारी जैविक समिति की स्थापना की है। एनसीओएल को अब तक 26 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से 5,102 पैक्स/ सहकारी समितियों से सदस्यता आवेदन प्राप्त हुए हैं। एनसीओएल द्वारा "भारत ऑर्गेनिक्स" ब्रांड के अंतर्गत छह जैविक उत्पाद शुरू किए गए हैं।
  3. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नई राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति: सरकार ने एमएससीएस अधिनियम, 2002 के अंतर्गत सहकारी क्षेत्र से निर्यातों को बढ़ावा देने के लिए एक अंब्रेला संगठन के रूप में राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) नामक एक नई शीर्ष बहु-राज्यीय सहकारी निर्यात समिति की स्थापना की है। एनसीईएल को अब तक 27 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से 6,499 पैक्स/ सहकारी समितियों से सदस्यता के आवेदन प्राप्त हुए हैं। अब तक, एनसीईएल को 20 देशों को 23.9 एलएमटी चावल और 2 देशों को 50,000 मीट्रिक टन चीनी निर्यात करने की अनुमति प्राप्त हुई है।

एफ. सहकारी समितियों में क्षमता निर्माण

  1. राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) के माध्यम से प्रशिक्षण और जागरूकता को बढ़ावा देना: अपनी पहुंच को बढ़ाते हुए, एनसीसीटी ने वित्त वर्ष 2022-23 में 3,287 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए और 2,01,507 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया।
  2. सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना: सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण, परामर्श, अनुसंधान एवं विकास तथा प्रशिक्षित लोगों की निरंतर एवं गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति करने के लिए एक राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कैबिनेट नोट तैयार किया है।

जी. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग

  1. केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय का कम्प्यूटरीकरण: बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए एक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के लिए केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय को कम्प्यूटरीकृत किया गया है, जो समयबद्ध रूप से आवेदनों एवं सेवा अनुरोधों पर कार्रवाई करने में सहायता प्रदान करेगा।
  2. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आरसीएस के कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण करने की योजना: सहकारी समितियों के लिए ईज ऑफ डूईंग बिजनेस को बढ़ावा देने और सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में कागज रहित पारदर्शी विनियमन करने हेतु एक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के लिए, सरकार ने आरसीएस कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण करने के लिए एक केंद्र प्रायोजित परियोजना को मंजूरी प्रदान की है। राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में हार्डवेयर की खरीद, सॉफ्टवेयर के विकास आदि के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा। अब तक, परियोजना के लिए 33 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 30 को मंजूरी प्रदान की गई है।
  3. कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) का कम्प्यूटरीकरण: दीर्घावधिक सहकारी ऋण संरचना को सुदृढ़ करने के लिए सरकार द्वारा 13 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में फैले कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) की 1,851 इकाइयों के कंप्यूटरीकरण की परियोजना अनुमोदन प्राप्त हुआ है। नाबार्ड इस परियोजना को कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी है और यह एआरडीबी के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का सॉफ्टवेयर विकसित करेगा। परियोजना के अंतर्गत हार्डवेयर, विरासत डेटा के डिजिटलीकरण को समर्थन, कर्मचारियों को प्रशिक्षण आदि प्रदान किया जाएगा। अब तक, परियोजना के अंतर्गत 8 राज्यों से प्राप्त प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई है।

एच. अन्य पहल

  1. प्रामाणिक और अपडेट डेटा भंडार के लिए नया राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस: पूरे देश में सहकारी समितियों से संबंधित कार्यक्रमों/ योजनाओं के नीति निर्माण और कार्यान्वयन में हितधारकों को सुविधा प्रदान करने के लिए राज्य सरकारों के समर्थन से देश में सहकारी समितियों का एक डेटाबेस तैयार किया गया है। अब तक, लगभग 8.02 लाख सहकारी समितियों के डेटा को डेटाबेस में शामिल किया गया है।
  2. नई राष्ट्रीय सहकारी नीति का निर्माण: 'सहकार-से-समृद्धि' के दृष्टिकोण को साकार बनाने हेतु एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाने के लिए नई राष्ट्रीय सहकारी नीति तैयार करने के लिए पूरे देश से 49 विशेषज्ञों और हितधारकों को शामिल करते हुए एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया गया है।
  3. बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) अधिनियम, 2023: एमएससीएस अधिनियम, 2002 में संशोधन किया गया है जिससे शासन को मजबूत किया जा सके, पारदर्शिता बढ़ाई जा सके, जवाबदेही बढ़ाई जा सके, चुनावी प्रक्रिया में सुधार लाया जा सके और बहु-राज्य सहकारी समितियों में 97वें संवैधानिक संशोधन के प्रावधानों को शामिल किया जा सके।
  4. जीईएम पोर्टल पर सहकारी समितियों को 'खरीदारों' के रूप में शामिल करना: सरकार ने सहकारी समितियों को जीईएम पर 'खरीदार' के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति प्रदान की है, जिससे वे किफायती खरीद और अधिक पारदर्शिता के लिए 67 लाख से अधिक विक्रेताओं से सामान और सेवाएं खरीद सकें। अब तक, 559 सहकारी समितियों को खरीदारों के रूप में जीईएम में शामिल किया गया है।
  5. राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) का विस्तार जिससे इसकी सीमा और पहुंच को बढ़ाया जा सके: एनसीडीसी ने विभिन्न क्षेत्रों में नई योजनाएं शुरू की हैं जैसे एसएचजी के लिए 'स्वयंशक्ति सहकार'; दीर्घावधि कृषि ऋण के लिए 'दीर्घावधि कृषक सहकार' और डेयरी के लिए 'डेयरी सहकार' आदि। वित्त वर्ष 2022-23 में एनसीडीसी द्वारा 41,031 करोड़ रुपये की कुल वित्तीय सहायता प्रदान की गई है, जो 2021-22 में 34,221 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 20% ज्यादा है। भारत सरकार ने एनसीडीसी को निर्दिष्ट नियमों और शर्तों का पालन करते हुए, सरकारी गारंटी के साथ 2,000 करोड़ रुपये के बांड जारी करने की अनुमति प्रदान की है। इसके अलावा, एनसीडीसी 6 पूर्वोत्तर राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा में उप-कार्यालयों की स्थापना कर रहा है, जिसका उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय योजनाओं को सहकारी समितियों के दरवाजे तक पहुंचाना है।
  6. गहरे समुद्र में ट्रॉलरों के लिए एनसीडीसी द्वारा वित्तीय सहायता: भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग के समन्वय से एनसीडीसी गहरे समुद्र में ट्रॉलरों से संबंधित परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। एनसीडीसी ने पहले ही महाराष्ट्र की मत्स्य सहकारी समितियों के लिए 14 गहरे समुद्र ट्रॉलरों की खरीद के लिए 20.30 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता को मंजूरी कर दी है।
  7. सहारा ग्रुप ऑफ सोसाइटीज के निवेशकों को रिफंड: सहारा समूह की सहकारी समितियों के वास्तविक जमाकर्ताओं को पारदर्शी रूप से भुगतान वापस करने के लिए एक पोर्टल शुरू किया गया है। उनकी जमा राशि और दावों की उचित पहचान करने और प्रमाण प्रस्तुत करने के बाद अदायगी पहले ही शुरू की जा चुकी है।

यह जानकारी सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

 

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