पंचायती राज मंत्रालय
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पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी

Posted On: 06 FEB 2024 6:36PM by PIB Delhi

पंचायतें मुख्य रूप से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी हैं, क्योंकि "स्थानीय शासन" राज्य का एक विषय है। पंचायतें संबंधित राज्य के पंचायतीराज अधिनियमों के माध्यम से स्थापित और संचालित होती हैं। हालांकि, पंचायतीराज संस्थानों (पीआरआई) को इसके अधिदेश के अनुरूप, स्थानीय शासन, सामाजिक परिवर्तन और स्थानीय आबादी की आकांक्षाओं को पूरा करने वाली सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए एक प्रभावी, कुशल और पारदर्शी माध्यम बनाने के लिए, पंचायतीराज मंत्रालय अपनी प्रमुख पहल/योजनाएं/नीति के माध्यम से हर संभव प्रयास करता है।

संविधान के अनुच्छेद 243डी में अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्ग के नागरिकों और महिलाओं के लिए पंचायतों में सीटों के आरक्षण का प्रावधान है। 21 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने संबंधित राज्य पंचायतीराज अधिनियमों/नियमों में, पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है।

अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी नागरिकों के लिए संविधान के अनुच्छेद 244 के खंड (1) में निर्दिष्ट, पंचायत प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 को संविधान के भाग IX के प्रावधानों के विस्तार के लिए अधिनियमित किया गया है। यह अधिनियम आदिवासी लोगों की संस्कृति और आजीविका के संरक्षण के संबंध में ग्राम सभा को विशेष अधिकार प्रदान करता है।

मंत्रालय महिला सशक्तिकरण और महिला नेतृत्व के मुद्दों पर कार्यशालाओं, सम्मेलनों, समितियों और विशेषज्ञ समूहों की एक श्रृंखला के माध्यम से निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के साथ जुड़ रहा है। इन कार्यशालाओं और संपर्क के दौरान प्राप्त सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों के अनुभवों के साथ-साथ विभिन्न समितियों और विशेषज्ञ समूहों द्वारा दी गई सिफारिशों के आधार पर मंत्रालय समय-समय पर राज्यों को सलाह जारी करता है। मंत्रालय ने ग्राम सभा की बैठकों से पहले अलग-अलग वार्ड सभा और महिला सभा की बैठकें आयोजित करने की सुविधा के लिए राज्यों को सलाह भी जारी की है। ग्राम सभा और पंचायत बैठकों में महिलाओं की उपस्थिति और भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्यों को सलाह भी जारी की गई है।

इसके अलावा, यह मंत्रालय पंचायतों की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की क्षमता विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है, ताकि वे ग्राम पंचायतों में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें और अपनी नेतृत्व भूमिकाओं का उचित ढंग से निर्वहन कर सकें। मंत्रालय ग्राम पंचायत विकास योजनाओं और पंचायतों द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं की तैयारी के लिए ग्राम सभा की बैठकों में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से पंचायतों के कामकाज में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को प्रोत्साहित कर रहा है।

पंचायती राज मंत्रालय -पंचायतों (एमएमपी-ईपंचायत) पर मिशन मोड परियोजना लागू कर रहा है, जो आरजीएसए योजना का एक केंद्रीय घटक है, जिसके तहत पंचायती राज संस्थाओं और इसके समग्र परिवर्तन के लिए विभिन्न -गवर्नेंस परियोजनाओं को कामकाज में दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए पंचायतों के डिजिटलीकरण की दिशा में वित्तपोषित किया जाता है।

देश भर में पंचायती राज संस्थाओं के कामकाज को मजबूत करने के लिए, इस मंत्रालय ने उपयोगकर्ता के अनुकूल एक वेब-आधारित पोर्टल eGramSwaraj (https://egramswaraj.gov.in) लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य विकेंद्रीकृत योजना, प्रगति रिपोर्टिंग, वित्तीय प्रबंधन, कार्य-आधारित लेखांकन और बनाई गई संपत्तियों के विवरण में बेहतर पारदर्शिता लाना है। इसके अलावा, पंचायत खातों यानी ग्राम पंचायतों की प्राप्तियों और व्ययों का समय पर ऑडिट सुनिश्चित करने के लिए, इस मंत्रालय ने एक ऑनलाइन एप्लिकेशन - ऑडिटऑनलाइन (https://auditonline.gov.in) शुरू किया है। यह एप्लिकेशन केवल पंचायत खातों की ऑडिटिंग की सुविधा प्रदान करता है, बल्कि ऑडिट रिकॉर्ड को बनाए रखने की भी सुविधा प्रदान करता है। यह एप्लिकेशन ऑडिट पूछताछ, ड्राफ्ट स्थानीय ऑडिट रिपोर्ट, ड्राफ्ट ऑडिट पैरा आदि के लिए प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है और इस प्रकार पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिए पंचायतों द्वारा खातों का उचित रखरखाव सुनिश्चित करता है। ऑडिट अवधि 2021-22 के लिए 2.42 लाख ऑडिट रिपोर्ट तैयार की गई हैं।

मंत्रालय ने eGramSwaraj को सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के साथ एकीकृत किया है। eGramSwaraj-PFMS इंटरफेस (eGSPI) ग्राम पंचायतों को विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं को तत्क्षण भुगतान करने में सक्षम बनाता है। ईजीएसपीआई के माध्यम से अब तक 1.74 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया है। पंचायतों को निर्बाध खरीद और लेखांकन अनुभव सक्षम करने के लिए -ग्रामस्वराज को गवर्नमेंट--मार्केट प्लेस (जीईएम) के साथ भी एकीकृत किया गया है।

केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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