स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की पहल और उपलब्धियाँ-2023

Posted On: 27 DEC 2023 11:34AM by PIB Delhi

1. आयुष्मान भारत: आयुष्मान भारत में दो घटक शामिल हैं:

क. आयुष्मान आरोग्य मंदिर

पहला भाग 1,50,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एबी-एचडब्ल्यूसी) के निर्माण से संबंधित है। भारत सरकार ने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एबी-एचडब्ल्यूसी) का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर कर दिया। इन केंद्रों का लक्ष्य मौजूदा प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) और संचारी रोग सेवाओं का विस्तार और सुदृढ़ीकरण करके गैर-संचारी रोगों (जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह) से संबंधित सेवाओं को शामिल करके व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (सीपीएचसी) प्रदान करना है। मुंह, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर और मानसिक स्वास्थ्य, ईएनटी, नेत्र विज्ञान, मौखिक स्वास्थ्य, वृद्धावस्था, प्रशामक देखभाल और ट्रॉमा देखभाल के साथ-साथ स्वास्थ्य संवर्धन और योग जैसी गतिविधियों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को भी इसमें धीरे-धीरे जोड़ा जा रहा है। कुछ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने पहले ही चरणबद्ध तरीके से इन अतिरिक्त पैकेजों को लागू करना शुरू भी कर दिया है।
आयुष्मान भारत के लक्ष्य व दृष्टिकोण की निरंतरता को अपनाकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर के माध्यम से व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (सीपीएचसी), प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तर पर स्वास्थ्य (निवारक, प्रोत्साहन को समग्र रूप से संबोधित करना है। ये योजनाएं प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और जीवन की गुणवत्ता के लिए 80-90 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल जरूरतों को पूरा करती हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल टीम यह सुनिश्चित करती है कि उनके क्षेत्र में सामुदायिक आउटरीच और जनसंख्या गणना की जाए और संचारी रोगों और गैर-संचारी रोगों की शीघ्र पहचान और सटीक निदान के लिए समय पर रेफरल के जांच सुनिश्चित हो। टीम यह भी सुनिश्चित करती है कि समुदाय में रोगियों को उपचार का पालन और अनुवर्ती देखभाल प्रदान की जाए। इन केंद्रों के माध्यम से आवश्यक दवाओं और निदान के प्रावधान के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जो मजबूत और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के निर्माण की दिशा में एक ऐसा कदम है जो आबादी की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।


 

) आयुष्मान भारत पीएम जेएवाई

  • आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक वित्त पोषित स्वास्थ्य आश्वासन योजना है जो प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान करती है।
  • वर्तमान में 12 करोड़ परिवारों के 55 करोड़ व्यक्ति इस योजना के अंतर्गत आते हैं। एबी पीएम-जेएवाई को लागू करने वाले कई राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने लाभार्थी आधार का विस्तार किया है।
  • योजना की शुरुआत के बाद से 20 दिसंबर, 2023 तक लगभग 28.45 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं, जिनमें से लगभग 9.38 करोड़ आयुष्मान कार्ड चालू वर्ष 2023 (जनवरी-दिसंबर 2023) के दौरान बनाए गए हैं।
  • इस योजना के तहत कुल 6.11 करोड़ अस्पताल में दाखिले की राशि रु.78,188 करोड़ रुपये अधिकृत किए गए हैं, जिनमें से 1.7 करोड़ अस्पतालों में प्रवेश के लिए वर्ष 2023 (जनवरी-दिसंबर 2023) के दौरान 25,000 करोड़ रुपये अधिकृत किए गए हैं।
  • योजना के लाभार्थियों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए 11,813 निजी अस्पतालों सहित कुल 26,901 अस्पतालों को एबी पीएम-जेएवाई के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
  • एबी पीएम-जेएवाई ने स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में लैंगिक समानता भी सुनिश्चित की है।
  • बनाए गए कुल आयुष्मान कार्डों में से लगभग 49 प्रतिशत महिलाएं हैं।
  • ग्रामीण स्तर पर विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं की संतृप्ति सुनिश्चित करने और अंततः लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयुष्मान भव पहल शुरू की गई थी। इसे माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा 13 सितंबर 2023 को लॉन्च किया गया था।
  • इस पहल की श्रृंखला में 'आपके द्वार आयुष्मान 3.0', 'आयुष्मान सभा', 'आयुष्मान मेले' और गांवों को 'आयुष्मान ग्राम' का दर्जा देने का अंतिम लक्ष्य शामिल है।
  • एनएचए ने 17 सितंबर 2023 को आयुष्मान भव अभियान के हिस्से के रूप में 'आपके द्वार आयुष्मान' (एडीए 3.0) अभियान शुरू किया।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की तरफ से एंड्रॉइड आधारित 'आयुष्मान ऐप' लॉन्च किया गया है जिसमें लाभार्थियों के लिए सेल्फ वेरिफिकेशन फीचर की सुविधा दी गई है। ऐप को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करके विकसित किया गया है और आयुष्मान कार्ड निर्माण के लिए फेस-ऑथ, ओटीपी, आईआरआईएस और फिंगरप्रिंट जैसे प्रमाणीकरण के विभिन्न तरीके प्रदान किए गए हैं।
  • आयुष्मान कार्ड निर्माण के लिए किसी भी मोबाइल डिवाइस का उपयोग किया जा सकता है। परिणामस्वरूप, 20 दिसंबर, 2023 तक, आयुष्मान भव अभियान के दौरान आयुष्मान कार्ड निर्माण के लिए लगभग 3.85 करोड़ सत्यापन किए गए हैं।
  • माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 15 नवंबर, 2023 को विकसित भारत संकल्प यात्रा (वीबीएसवाई) शुरू की गई है।
  • यात्रा का उद्देश्य लोगों के बीच सरकार की विकास नीतियों और योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना, पात्र आबादी को योजना का लाभ प्रदान करना और विश्वास और सहयोग का माहौल बनाना है।
  • यात्रा के दौरान दी जाने वाली ऑन-स्पॉट सेवाओं के लिए आयुष्मान कार्ड निर्माण एवं वितरण का चयन किया गया है। अभियान के दौरान 20 दिसंबर, 2023 तक कुल 96.03 लाख आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं।


1.1 आयुष्मान आरोग्य मंदिर की उपलब्धि और सेवा वितरण:

  • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा आयुष्मान आरोग्य मंदिर पोर्टल पर बताया गया है कि 15 दिसंबर, 2023 तक 1,63,402 आयुष्मान आरोग्य मंदिर चालू हो चुके हैं।
  • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किए गए डेटा अपडेट के अनुसार आयुष्मान आरोग्य मंदिर पोर्टल में अब तक उच्च रक्तचाप के लिए 55.66 करोड़ स्क्रीनिंग और मधुमेह के लिए 48.44 करोड़ स्क्रीनिंग की गई हैं। इसी तरह, इन कार्यात्मक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों ने मुंह के कैंसर के लिए 32.80 करोड़ स्क्रीनिंग, महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के लिए 14.90 करोड़ स्क्रीनिंग और स्तन कैंसर के लिए 10.04 से अधिक स्क्रीनिंग की हैं।
  • इसके अलावा 15 दिसंबर, 2023 तक संचालित आयुष्मान आरोग्य मंदिर में कुल 2.80 करोड़ योग/कल्याण सत्र आयोजित किए गए हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से आयुष्मान आरोग्य मंदिर में टेली-परामर्श की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे अब तक कुल 17 करोड़ से अधिक टेली-परामर्श किए गए हैं।

 

विकसित भारत संकल्प यात्रा

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भारत 1.4 बिलियन आबादी के साथ लगातार प्रगति कर रहा है। 2014 से भारत सरकार विकास के सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास मॉडल के लिए प्रतिबद्ध है जो सुनिश्चित करता है कि कोई भी पीछे न छूटे। विभिन्न योजनाओं के तहत विभिन्न क्षेत्रों में पिछले 9 वर्षों की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए भारत सरकार विकसित भारत संकल्प यात्रा नाम से एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान चला रही है। यह अभियान भारत सरकार की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने और सामूहिक भागीदारी के एक ऐसे युग की शुरुआत करने के लिए बनाया गया है, जहां ग्रामीण और शहरी समुदाय सक्रिय रूप से देश के विकास में शामिल हो सकें। नवंबर 2023 के तीसरे सप्ताह से जनवरी 2024 तक देश भर के सभी जिलों, ग्राम पंचायत और शहरी स्थानों को कवर करते हुए 60 दिनों की लंबी यात्रा आयोजित की जा रही है।

यात्रा के प्रमुख उद्देश्यों में वंचित विशेष रूप से कमजोर आबादी तक पहुंचना, देश भर में यात्रा करने वाली मोबाइल वैन के माध्यम से योजनाओं के बारे में जानकारी का प्रसार करना, विभिन्न योजनाओं के तहत संभावित लाभार्थियों का नामांकन करना और व्यक्तिगत कहानियों के माध्यम से सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के साथ बातचीत करना शामिल है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, एमओएचएफडब्ल्यू की प्रमुख योजना और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम जैसे यात्रा के दौरान प्रदर्शित की जाने वाली योजनाओं/कार्यक्रमों की पहचान की है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने यात्रा के दौरान प्रदर्शित की जाने वाली योजनाओं/कार्यक्रमों की पहचान की है। जिनमें एमओएचएफडब्ल्यू की फ्लैगशिप स्कीम आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के साथ ही जनजातीय क्षेत्र में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, मोबाइल वैन के माध्यम से स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं, जहां तपेदिक, गैर-संचारी रोगों और सिकल सेल रोग के लिए स्क्रीनिंग और रेफरल, निक्षय मित्र पंजीकरण और निक्षय मित्र के तहत सहमति, निक्षय पोषण योजना के लिए बैंक खातों की सीडिंग शामिल है। , इसके माध्यम से ही आयुष्मान कार्ड निर्माण एवं भौतिक कार्ड वितरण का वितरण भी किया जा रहा है। एमओएचएफडब्ल्यू ने विकसित भारत संकल्प यात्रा की गतिविधियों की निगरानी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को राज्य नोडल अधिकारी के रूप में नामित करने के साथ एक केंद्रीय समन्वय समिति का गठन किया है। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के क्षेत्रीय कार्यालयों (आरओएचएफडब्ल्यू) के 169 जिला स्वास्थ्य नोडल अधिकारी भी शामिल हैं। अपेक्षित तैयारियों को जांचने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) को एक चेकलिस्ट दी गई है और उनसे यात्रा शुरू होने से कम से कम एक दिन पहले जिले का दौरा करने का भी अनुरोध किया गया है। राज्यों की सहायता के लिए नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है। नियमित आधार पर प्रोग्रेसऔर गाइडेंसवमॉनिटरिंग के लिए राज्यों के साथ प्रशिक्षण और मीटिंग आयोजित की गई है। वास्तविक समय में डेटा कैप्चर करने के लिए एमओएचएफडब्ल्यू द्वारा डेटा एंट्री माइक्रोसाइट विकसित की गई है।


30 नवंबर, 2023 तक 12,774 ग्राम पंचायतों से संबंधित जानकारी प्राप्त हुई है, जिसमें कुल 18,24,582 से अधिक लोग आए हैं। 18,05,069 आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं और 3,20,872 आयुष्मान कार्ड भौतिक रूप से वितरित किए गए हैं। तपेदिक के लिए 5,91,491 लोगों की जांच की गई है, जिनमें से 47,189 से अधिक लोगों को उच्च सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए रेफर किया गया है। सिकल सेल रोग के लिए 88,041 लोगों की जांच की गई है, जिनमें से 3,995 सकारात्मक पाए गए और उन्हें उच्च सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में भेजा गया। उच्च रक्तचाप के लिए लगभग 6,99,308 लोगों की और मधुमेह के लिए 6,52,101 लोगों की जांच की गई। 70,281 से अधिक लोगों के उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने का संदेह था और 52,149 से अधिक लोगों को मधुमेह से पीड़ित होने का संदेह था और 1,13,706 से अधिक लोगों को उच्च सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में भेजा गया था।


3. राष्ट्रीय कोवि़ड-19 टीकाकरण कार्यक्रम


16 जनवरी 2021 को भारत ने राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया। देश में कोविड टीकाकरण सभी हेल्थ केयर वर्कस के टीकाकरण के साथ शुरू हुआ, इसके बाद फ्रंट लाइन वर्कर्स, 60 वर्ष की आयु और बाद में 12 वर्ष और उससे अधिक आयु को कवर करते हुए इसका विस्तार किया गया। टीकाकरण कार्यक्रम को कोविड-19 के लिए वैक्सीन प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) द्वारा वैज्ञानिक और वैश्विक परीक्षण प्रथाओं की नियमित समीक्षा के आधार पर निर्देशित किया जा गया। कोविड टीकाकरण की शुरुआत के साथ ही हमारे स्वास्थ्य कर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कर्मियों और अन्य आबादी को चरणबद्ध तरीके से प्राथमिकता देना टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ाने का एक उत्कृष्ट तरीका रहा है। सभी सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर टीके निःशुल्क उपलब्ध कराए जाते रहे।


राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के तहत तीन टीके अर्थात् मेसर्स भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा निर्मित कोवैक्सिन, मेसर्स सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड और मेसर्स बायोलॉजिकल ई. द्वारा निर्मित कोरबीवैक्स कोविड-19 टीकाकरण केंद्र (सीवीसी) में उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अतिरिक्त, गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट, रूस द्वारा विकसित स्पुतनिक वी वैक्सीन (डॉ. रेड्डीज लैब द्वारा आयातित), मेसर्स कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड द्वारा डीएनए-आधारित जेडवाईसीओवी-डी, मेसर्स सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोवोवैक्स, जेमकोवैक-19 और मेसर्स जेनोवा बायो फार्मास्युटिकल लिमिटेड द्वारा निर्मित जेमकोवैक-ओएम और मेसर्स भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा निर्मित भारत की पहली इंट्रानैसल वैक्सीन यानी इनकोवैक निजी सीवीसी पर उपलब्ध हैं।


डिजिटल प्लेटफॉर्म - कोविन (कोविड पर जीत) को विकसित करने और उपयोग करने में भी अग्रणी रहा। इसने संपूर्ण टीकाकरण कार्यक्रम के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण कारक के रूप कार्य किया। कोविन न केवल टीकाकरण केंद्र स्तर पर टीकाकरण सत्र की योजना बनाने, इन्वेंट्री प्रबंधन, प्रत्येक अद्वितीय टीकाकरण कार्यक्रम की ट्रैकिंग, उचित लाभार्थियों की लाइन लिस्टिंग आदि में कार्यक्रम प्रबंधकों का समर्थन करने वाला एक निर्बाध डिजिटल वितरण तंत्र साबित हुआ है। लाभार्थियों के लिए पंजीकरण करने से लेकर टीकाकरण केंद्रों का चयन, प्राथमिकताओं के अनुसार टीकाकरण के समय स्लॉट और टीका के प्रकार का चुनाव करने के अलावा इससे जुड़ी शिकायतें व क्यूआर आधारित डिजिटल प्रमाणपत्र भी उपलब्ध हो जाता है। 17 जुलाई, 2022 को देश भर में 200 करोड़ कोविड वैक्सीन खुराक देने के साथ भारत ने केवल 9 महीनों में अपनी पात्र वयस्क आबादी को 100 करोड़ से अधिक कोविड वैक्सीन खुराक देने का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया। 21 दिसंबर 2023 तक, देश भर में 220.67 करोड़ वैक्सीन खुराक प्रशासित होने के साथ, 97 प्रतिशत से अधिक नागरिकों को कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक मिल गई है, जबकि 90 प्रतिशत से अधिक पात्र नागरिकों को वैक्सीन की दूसरी खुराक मिल गई है। इसके अतिरिक्त, देश भर में पात्र वयस्क आबादी के बीच 22.88 करोड़ एहतियाती खुराक भी दी गई हैं।


4. प्रतिरक्षण


फ्रैक्शनल इनएक्टिवेटेड पोलियो वायरस (एफआईपीवी3) की तीसरी खुराक: राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) द्वारा अनुशंसित किया गया कि एफआईपीवी की तीसरी खुराक को 1 जनवरी 2023 से राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया है। एफआईपीवी 3 को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया है। पोलियो के लिए बच्चों को एफआईपीबी का पहला टीका डेढ़ माह पर लगाया जाता है। इसके बाद साढ़े तीन माह पर दूसरी डोज लगाई जाती है। साथ ही 16 से 18 महीने बाद बूस्टर डोज लगाई जाती है। यह पोलियो वैक्सीन के सुरक्षात्मक प्रभावों को बढ़ाता है।


पोलियो उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (एसएनआईडी): भारत को 2014 में पोलियो मुक्त देश घोषित किया गया था। वहीं पड़ोसी देशों से प्रसारित होने वाले पोलियो मायलाइटिस के खतरे को कम करने के लिए भारत में नियमित पोलियो एसएनआईडी आयोजित किए जाते हैं। वर्ष 2023 में 28 मई, 2023 और 10 दिसंबर, 2023 को 2 एसएनआईडी 13 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों और पूरे देश में 200 से अधिक चिन्हित जिलों में आयोजित किए गए हैं।


सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0: आईएमआई 5.0 यह सुनिश्चित करता है कि नियमित टीकाकरण सेवाएं देशभर में छूटे हुए और बचे हुए बच्चों और गर्भवती महिलाओं को मिलें। अभियान के अंतर्गत मीजल्स रूबेला वैक्सीन के डोज के अतिरिक्त नियमित टीकाकरण के छूटे हुए सभी डोज पांच वर्ष तक के बच्चों को लगाएं जाएंगे तथा छूटी हुई गर्भवती माताओं को भी छूटे हुए टीके के डोज लगाएं जाएंगे। अगस्त महीने में मीजल्स रूबेला उन्मूलन लक्ष्य पर विशेष ध्यान देने के साथ देश के सभी जिलों में सितंबर और अक्टूबर 2023 के महीने में आईएमआई 5.0 के तीन दौर आयोजित किए गए। 2014 से देशभर में मिशन इंद्रधनुष/आईएमआई के 12 चरण आयोजित हो चुके हैं और अब तक 5.46 करोड़ बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा चुका है।


यू-विन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पायलट


को-विन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की सफलता के बाद बच्चों और गर्भवती महिलाओं दोनों के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के लिए एक ऑनलाइन केस-आधारित ट्रैकिंग और रिपोर्टिंग प्रणाली जनवरी 2023 के महीने में देश भर के 65 जिलों में पायलट मोड में शुरू की गई।


खसरा रूबेला उन्मूलन


भारत दिसंबर 2023 तक खसरा रूबेला उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। 5.5/1 लाख आबादी की सर्वकालिक उच्च एनएमएनआर (गैर-खसरा गैर-रूबेला त्याग दर) के साथ देश भर में मजबूत एमआर निगरानी की जा रही है। विभिन्न राज्यों/जिलों में जहां प्रकोप की सूचना मिली है वहां एमआर अनुपूरक टीकाकरण अभियान चलाए जा रहे हैं।
5. राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) प्रदर्शन


2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 तक टीबी से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ मंत्रालय निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम लागू कर रही है-


टीबी रोगियों का शीघ्र निदान, गुणवत्ता-सुनिश्चित दवाओं और उपचार नियमों के साथ त्वरित उपचार।


निजी क्षेत्र में देखभाल चाहने वाले मरीजों से जुड़ाव।


रोकथाम रणनीतियों में हाई रिस्क में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का पता लगाना।


वायुजनित संक्रमण नियंत्रण।


सामाजिक निर्धारकों को संबोधित करने के लिए बहु-क्षेत्रीय प्रतिक्रिया।


पिछले 9 वर्षों में प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:


भारत ने टीबी के लिए एक गणितीय मॉडल को ग्रहण किया है, जो दिखाता है कि भारत वैश्विक औसत की तुलना में कहीं अधिक गति से एसडीजी लक्ष्यों के खिलाफ प्रगति कर रहा है। नतीजतन, वैश्विक की तुलना में टीबी की घटनाओं में 16 प्रतिशत  की गिरावट आई है और टीबी से होने वाली मौतों में 18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। वैश्विक स्तर पर टीवी से होने वाली मौत में 10 प्रतिशत की ही कमी देखी गई है।


प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान: प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान 9 सितंबर, 2022 को भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य: टीबी रोगियों के उपचार परिणामों में सुधार के लिये अतिरिक्त रोगी सहायता प्रदान करना। 2025 तक टीबी को समाप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने में समुदाय की भागीदारी बढ़ाना। कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व-सीएसआर) गतिविधियों का लाभ उठाना। घटक: नि-क्षय मित्र पहल: यह टीबी के इलाज के लिये अतिरिक्त निदान, पोषण और व्यावसायिक सहायता सुनिश्चित करता है।


प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (पीएमटीबीएमबीए) की अब तक की उपलब्धियां (13.12.2023)


नि-क्षय मित्र पंजीकृत: 111,749


इलाज करा रहे टीबी मरीज: 14.41 लाख


टीबी रोगियों ने सामुदायिक सहायता प्राप्त करने की सहमति दी: 10.15 लाख


टीबी रोगियों के लिए नि-क्षय मित्र द्वारा प्रतिबद्धता: 10.14 लाख प्रसिद्ध नि-क्षय मित्रों में 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के माननीय राज्यपाल/उपराज्यपाल, केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, मुख्यमंत्री शामिल हैं। कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य स्वास्थ्य मंत्री टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए आगे आए हैं। कई विधायक और स्थानीय परिषदें भी नि-क्षय मित्र बन गए हैं। लगभग 17 कैबिनेट सचिवालय अधिकारियों और 23 एमओएचएफडब्ल्यू/सीटीडी अधिकारियों ने भी टीबी रोगियों को गोद लिया है।
1. टीबी नोटिफिकेशन: 2014 से 2023 तक पिछले 9 वर्षों में टीबी मामलों की समग्र अधिसूचना में 64 प्रतिशत का सुधार हुआ है। भारत ने 2022 में 24.2 लाख टीबी मामले अधिसूचित किए जो 2019 के पूर्व-सीओवीआईडी स्तर से अधिक थे। 2023 में, कुल नवंबर 2023 तक (01-12-2023 तक) 22.31 लाख टीबी रोगियों को अधिसूचित किया गया है। 2015 के बाद से, सभी मामलों को खोजने के प्रयासों के परिणामस्वरूप टीबी मामलों की अधिसूचना में ~58 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
2. निजी क्षेत्र अधिसूचना: रोगी प्रदाता सहायता एजेंसी (पीपीएसए) जैसे हस्तक्षेपों के माध्यम से निजी क्षेत्र के साथ केंद्रित और लक्षित जुड़ाव के साथ, टीबी मामलों के लिए राजपत्र अधिसूचना, मामलों की अधिसूचना के लिए प्रोत्साहन और आईएमए, आईएपी, एफओजीएसआई इत्यादि जैसे पेशेवर निकायों के साथ सहयोग, पिछले 8 वर्षों में निजी क्षेत्र की अधिसूचना में 7 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। 2022 में देश क्रमशः 7.33 लाख टीबी मामलों को अधिसूचित करने में सक्षम था, जो कुल अधिसूचनाओं का 30 प्रतिशत था। नवंबर 2023 तक, 7.3 लाख रोगियों को निजी क्षेत्र से अधिसूचित किया गया था। इसने कुल अधिसूचनाओं का 32 प्रतिशत योगदान दिया। कार्यक्रम संबंधी सहयोगात्मक प्रयासों के परिणामस्वरूप निजी क्षेत्र से रिपोर्ट किए गए मामलों में 7 गुना वृद्धि हुई।


3. नई टीबी रोधी दवाओं की शुरूआत- बेडाक्विलिन, डेलामानिड: छोटे, सुरक्षित मौखिक बेडाक्विलाइन युक्त डीआर-टीबी आहार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पूरे भारत में लागू किया गया है।ये दवाएं फ्लोरोक्विनोलोन के प्रतिरोध के साथ या उसके बिना मल्टी-ड्रग-प्रतिरोधी टीबी रोगियों को दी जाती हैं। 2022 में कुल 30,864 रोगियों को लंबे समय तक एम/एक्सडीआर-टीबी आहार पर शुरू किया गया था और 27,431 रोगियों को छोटे एमडीआर/आरआर-टीबी आहार (ओरल/इंजेक्शन आधारित) पर शुरू किया गया था। 2023 में जुलाई तक, 39,186 रोगियों में एमडीआर/आरआर का निदान किया गया है और उनमें से 35,302 का इलाज शुरू किया गया है इनमें से, 17,836 रोगियों को छोटी मौखिक एमडीआर/आरआर-टीबी आहार (9-11 महीने) पर शुरू किया गया था और 17,466 रोगियों को लंबे समय तक एम/एक्सडीआर-टीबी आहार (18-20 महीने) पर शुरू किया गया था।


4. टीबी उपचार की सफलता दर: पिछले 9 वर्षों में निजी क्षेत्र से आने वाली एक तिहाई अधिसूचनाओं के बावजूद, कार्यक्रम 80 प्रतिशत से ऊपर की उपचार सफलता दर को बनाए रखने में सक्षम था। 2021 में सफलता दर 84 प्रतिशत तक पहुंच गई थी और 2022 में यह मामूली बढ़कर 85.5 प्रतिशत हो गई। 2023 में (नवंबर तक) सफलता दर बढ़कर 86.3 प्रतिशत हो गई।


5. निक्षय पोषण योजना: मुख्य तौर पर इस योजना में ऐसे लोगों को आवेदन करने के लिए पात्र माना गया है, जो लोग टीबी की बीमारी से परेशान है। योजना के अंतर्गत टीबी की बीमारी से परेशान लोगो को सरकार के द्वारा इलाज करवाने के लिए हर महीने ₹500 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। अप्रैल 2018 में निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) योजना शुरू की गई। नवंबर-2023 तक, एनटीईपी ने 993 लाख टीबी रोगियों को 2617.44 करोड़ रुपये वितरित किए हैं।


6. सक्रिय मामलों की खोज: टीबी रोगियों को चिन्हित करने के लिए सरकार ने व्यवस्थित रूप से सक्रिय टीबी मामले की खोज शुरू कर दी है। कार्यक्रम ने सक्रिय रूप से लोगों के बीच घर-घर जाकर टीबी के मामलों की खोज की है। इसमें एचआईवी से पीड़ित लोग, मधुमेह रोगी, अल्पपोषित, आवासीय संस्थान जैसे जेल, आश्रम, वृद्धाश्रम, अनाथालय, आदिवासी क्षेत्र और हाशिए पर रहने वाली आबादी शामिल हैं। इस गतिविधि के परिणामस्वरूप इसकी शुरुआत के बाद से अतिरिक्त ~ 3 लाख टीबी मामलों का निदान हुआ है।


7. इन्फ्रास्ट्रक्चर स्केल-अप: टीबी प्रयोगशाला सेवाओं का एक बड़ा बुनियादी ढांचा स्केल-अप हुआ है। पिछले 9 वर्षों में नामित माइक्रोस्कोपी केंद्रों (डीएमसी) में 80% की वृद्धि हुई है (2014 में 13583 से नवंबर 2023 में 24449) और अब तक 6196 नई आणविक निदान प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। दवा प्रतिरोधी टीबी उपचार केंद्रों की संख्या 2014 में 127 से बढ़कर 2022 में 792 हो गई है।


8. उप राष्ट्रीय रोग-मुक्त प्रमाणीकरण: राज्य/केंद्रशासित प्रदेश/जिला स्तर पर टीबी महामारी के रुझानों की निगरानी के लिए मंत्रालय ने समुदाय-स्तरीय सर्वेक्षण (उलटा नमूना पद्धति) और ट्रैकिंग की एक पद्धति के माध्यम से बीमारी के बोझ का अनुमान लगाने की एक नई पहल शुरू की है। निजी क्षेत्र में दवा बिक्री डेटा और कार्यक्रम में अंडर-रिपोर्टिंग के स्तर को मापना। इस पद्धति के माध्यम से, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश/जिला स्तर पर टीबी रोग के अनुमान निकाले जाते हैं और उन्हें 2015 की आधार रेखा के आधार पर मापा जाता है।


वर्ष 2020 में केरल राज्य, केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप, पुडुचेरी और 35 जिलों ने टीबी की घटनाओं में कमी के विभिन्न स्तरों को सफलतापूर्वक हासिल किया है। केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप और जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले को टीबी की घटनाओं में 80 प्रतिशत से अधिक की कमी हासिल करने वाला पहला केंद्रशासित प्रदेश और देश का पहला जिला घोषित किया गया। (एसडीजी लक्ष्य)।


2021 में 3 राज्यों (केरल, डीएनएचडीडी और पुडुचेरी) को रजत (>40 प्रतिशत की कमी) और 5 राज्यों (गुजरात, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा, लद्दाख) को कांस्य (>20 प्रतिशत की कमी) प्राप्त हुआ। जबकि 8 जिलों को स्वर्ण (>60 प्रतिशत की कमी), 27 जिलों को रजत और 56 जिलों को कांस्य प्राप्त हुआ।


2022 में कर्नाटक को रजत (>40 प्रतिशत की कमी) और जम्मू और कश्मीर को कांस्य (>20 प्रतिशत की कमी) प्राप्त हुआ। तीन जिलों को टीबी मुक्त घोषित किया गया (>80 प्रतिशत की कमी), 17 जिलों को स्वर्ण (>60 प्रतिशत की कमी), 35 जिलों को रजत और 48 जिलों को कांस्य पदक मिला।

उपलब्धियों का सारांश:

संकेतक

2014

2015

2016

2017

2018

2019

2020

2021

2022

2023

टीबी अधिसूचना

15.5

16.08

17.55

18.28

21.56

24.04

18.05

21.35

24.22

22.31

टीबी अधिसूचना-निजी क्षेत्र

1.06

1.06

3.3

3.83

5.42

6.78

5.59

6.89

7.33

7

टीबी उपचार सफलता दर

81%

87%

78%

79%

81%

81%

82%

84%

85.5%

86.3%

निक्षय पोषण योजना
डीबीटी (लाख) (लाभार्थियों को कम से कम एक लाभ का भुगतान किया गया)

-

-

-

-

13.4

16.7

14.23

17.5

19.47

14.26*

एक्टिव केस फाइंडिंग
(अतिरिक्त मामलों का निदान)

-

-

-

-

47307

62958

52273

73772

48953

17487

नवंबर 2023 तक

आधारभूत संरचना

2014

2015

2016

2017

2018

2019

2020

2021

2022

2023

नामित माइक्रोस्कोपी केंद्र

13583

13886

13888

15307

16212

20356

21717

21820

23038

24449

कार्ट्रिज आधारित न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (सीबीएनएएटी)/ट्रूनेट

40

80

121

628

651

1135

3147

3760

5090

6196

 

6. राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (चरण-V) :2023

परिचय
1. भारत सरकार वर्तमान में 15,471.94 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक पूरी तरह से वित्त पोषित केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) के चरण-V को लागू कर रही है। एनएसीपी चरण-V, रोकथाम के एक व्यापक पैकेज के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में एचआईवी/एड्स महामारी को समाप्त करने के संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 3.3 की प्राप्ति के लिए 2025-26 तक देश में राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी प्रतिक्रिया की शुरुआत की गई है।


2. एनएसीपी चरण-V एचआईवी/एड्स रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम (2017), परीक्षण और उपचार नीति, सार्वभौमिक वायरल लोड परीक्षण, मिशन संपर्क, समुदाय-आधारित स्क्रीनिंग और डोलटेग्रेविर में संक्रमण सहित चरण-IV के दौरान किए गए गेम-चेंजर पहलों पर आधारित है। एनएसीपी चरण-V 2025-26 तक निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लाभ को समेकित और बढ़ाने के लिए नई रणनीतियों की शुरुआत करता है।


चित्र-1 गेम चेंजर के दस साल (2014-2023)


एआरटी पर प्रारंभिक शुरुआत (एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (सीडी4 <=500)

एचआईवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम


परीक्षण करें और इलाज करें


नियमित वायरल लोड परीक्षण


एनएसीपी चरण-V का शुभारंभ


एकीकृत स्वास्थ्य अभियान (एचआईवी, सिफलिस, हेप बी, हेप सी और टीबी)


2015
2018
2017
2022
2023

 


बी. नए एचआईवी संक्रमण की रोकथाम


3. नए एचआईवी संक्रमणों को 80 प्रतिशत तक कम करना एनएसीपी चरण-V का पहला लक्ष्य है। उच्च जोखिम वाले समूहों और 'जोखिम वाली' आबादी पर निरंतर और संवर्धित फोकस नए एचआईवी संक्रमणों को कम करने के लिए एनएसीपी दृष्टिकोण का मुख्य आधार है। कार्यक्रम के तहत, एनएसीपी चरण-V के पहले दो वर्षों में प्रत्येक में लगभग 14 से 15 लाख उच्च जोखिम वाले समूहों को कवर किया गया था। 2023 में सितंबर तक, देश में 1,540 लक्षित हस्तक्षेप (टीआई) और 153 लिंक वर्कर योजनाओं के माध्यम से लगभग 16.28 लाख उच्च जोखिम वाले समूहों को कवर किया गया है।

 

चित्र 2. वर्ष 2017 से 2023 (सितंबर तक) में टीआई द्वारा कवर की गई एचआरजी आबादी की संख्या

 


4. एनएसीपी चरण-V सेवा वितरण मॉडल के मिश्रण के माध्यम से जेलों और अन्य बंद सेटिंग्स (ओसीएस) में एनएसीपी हस्तक्षेप के सार्वभौमिकरण का आह्वान करता है। जेलों में कैदियों के बीच एचआईवी परीक्षण कवरेज 2017 में 1.4 लाख से बढ़कर 2022 में 10.2 लाख हो गया है (चित्र 3)2023 के दौरान, एचआईवी और टीबी दोनों सेवाओं की पेशकश करने वाला एनएसीपी हस्तक्षेप 1,527 संस्थानों तक पहुंच गया, जिसमें 1,105 जेल और 422 ओसीएस शामिल हैं, जो 10.8 लाख से अधिक कैदियों को कवर करते हैं और एचआईवी/एड्स (पीएलएचआईवी) से पीड़ित 5,463 लोगों की पहचान करते हैं। अधिकांश (91%) को उपचार पर रखा गया। इसके अलावा, 797 टीबी मामलों की पहचान की गई और 788 (99%) को डॉट्स पर रखा गया।

चित्र 3. वर्ष 2017 से 2023 (सितंबर तक) में कवर की गई जेलों और कैदियों की संख्या

 

 


5. एचआईवी-नकारात्मक 'जोखिम में' आबादी को एचआईवी-मुक्त रखने के लिए रोकथाम-परीक्षण-उपचार-देखभाल सातत्य में एकल विंडो मॉडल के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने के लिए संपूर्ण सुरक्षा केंद्र (एसएसके) की स्थापना की गई है। 2022 में संपूर्ण सुरक्षा मॉडल को देश के तीन राज्यों के 10 केंद्रों पर शुरू किया गया है। दूसरे चरण में, सितंबर 2023 तक, कार्यक्रम ने एसएसके को देश के 20 राज्यों में 150 केंद्रों तक विस्तारित किया है।


6. एनएसीपी चरण-V नए एचआईवी संक्रमणों की रोकथाम पर विशेष ध्यान देने के साथ, हस्तक्षेप के कवरेज को और अधिक विस्तारित करने के लिए नए जनसंख्या समूहों तक पहुंचने की आवश्यकता को पहचानता है। तदनुसार, यह 'जोखिम में' आभासी आबादी के लिए टिकाऊ मॉडल विकसित करने और बढ़ाने का आह्वान करता है। एनएसीओ ने पहले ही वर्चुअल हस्तक्षेप पर एक श्वेत पत्र जारी कर दिया है, जिसमें व्यापक साहित्य खोज (चित्र 4) के आधार पर वर्चुअल आउटरीच और सेवा पैकेज के लिए संभावित तंत्र का संकेत देते हुए नैतिकता, गोपनीयता और डेटा सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के साथ आभासी हस्तक्षेप के लिए रूपरेखा की रूपरेखा दी गई है। श्वेत पत्र के आधार पर, कार्यक्रम को और अधिक सूचित करने के लिए आभासी प्लेटफार्मों पर हस्तक्षेप के विभिन्न मॉडलों का परीक्षण किया जा रहा है।

 

चित्र 4. आभासी हस्तक्षेपों की रूपरेखा

सी. एड्स से संबंधित मृत्यु दर को कम करना


एड्स से संबंधित मृत्यु दर को 80 प्रतिशत तक कम करना एनएसीपी चरण-V के पाँच उच्च-स्तरीय लक्ष्यों में से एक है। इसके लिए 95 प्रतिशत एचआईवी संक्रमित लोगों को अपनी एचआईवी स्थिति जानने की आवश्यकता होगी। 90 प्रतिशत को एआरटी पर होना होगा और 86 प्रतिशत को वायरल दमन की आवश्यकता होगी। एनएसीपी-वी का लक्ष्य एड्स से संबंधित मृत्यु दर में कमी लाने के लिए बुनियादी ढांचे के रूप में सुलभ, किफायती और गुणवत्तापूर्ण परीक्षण और उपचार सेवाएं प्रदान करना है।


7. 2022 में एनएसीपी के तहत लगभग 6.02 करोड़ एचआईवी परीक्षण किए गए। इसमें लगभग 2.27 करोड़ गर्भवती महिलाओं का एचआईवी परीक्षण शामिल था। सितंबर 2023 तक कार्यक्रम में विभिन्न मॉडलों के माध्यम से लगभग 4.56 करोड़ एचआईवी परीक्षण किए गए हैं।

चित्र 5. एचआईवी परीक्षण (लाख में) वर्षों में, 2017 से 2023 (सितंबर तक)


8. सितंबर 2023 तक, देश में लगभग 17.46 लाख पीएलएचआईवी एंटी-रेट्रोवायरल (एआरवी) उपचार पर हैं, जिसमें लगभग 1.06 लाख पीएलएचआईवी निजी क्षेत्र से एआरवी ले रहे हैं। यह दिसंबर 2022 में ऑन-एआरटी पीएलएचआईवी से लगभग 1.35 लाख अधिक है। उच्च गुणवत्ता वाले डोलटेग्रेविर-आधारित आहार पर पीएलएचआईवी का संक्रमण, तेजी से ट्रैक करता है और जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार करता है।

चित्र 6. वर्ष 2017 से 2023 तक पीएलएचआईवी ऑन-एआरवी (सितंबर तक)

 


9. एचआईवी संक्रमित लोगों की देखभाल की गुणवत्ता की निगरानी और सुधार के लिए, भारत सरकार ने फरवरी 2018 में पीएलएचआईवी के लिए मुफ्त नियमित वायरल लोड परीक्षण शुरू किया। एनएसीपी के तहत वायरल लोड परीक्षणों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2018 में करीब 2.40 लाख वायरल लोड टेस्ट किए गए. 2022 में लगभग 10.84 लाख वायरल लोड परीक्षण किए गए जो 2018 में किए गए परीक्षणों से लगभग 4 गुना अधिक है। 2023 के दौरान, सितंबर तक लगभग 8.74 लाख वायरल लोड परीक्षण पूरी तरह से सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली के तहत प्रयोगशाला नेटवर्क के माध्यम से किए गए हैं।

चित्र 7. 2017 से 2023 (सितंबर तक) वर्षों में नियमित वायरल लोड परीक्षण


रोकथाम-पहचान-उपचार चरण में राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी प्रतिक्रिया के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रयोगशाला सेवाएँ महत्वपूर्ण हैं। एनएसीपी के तहत प्रयोगशाला सेवाओं की गुणवत्ता उच्च बनी हुई है। 2022-23 में गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली में भाग लेने वाली प्रयोगशालाओं और एचआईवी परामर्श और परीक्षण केंद्रों के बीच, विसंगति के परिणाम 0.05 प्रतिशत से कम थे। प्रारंभिक शिशु निदान के लिए नामित छह प्रयोगशालाओं ने पैनल परीक्षण में बिना किसी असंगत परिणाम के 100 प्रतिशत स्कोर किया।


10. कार्यक्रम के तहत दी जा रही गुणवत्ता परीक्षण और उपचार सेवाओं के परिणाम महत्वपूर्ण रहे हैं। सितंबर 2023 तक, मार्च 2019 में 16.99 लाख पीएलएचआईवी की तुलना में लगभग 20.05 लाख पीएलएचआईवी अपनी एचआईवी स्थिति से अवगत हैं। एआरटी पर पीएलएचआईवी की संख्या मार्च 2019 में 13.99 लाख से बढ़कर सितंबर 2023 में 17.46 लाख हो गई। पीएलएचआईवी जो एआरटी पर थे और वायरल से दबे हुए थे, 2018-19 में 72 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 93 प्रतिशत हो गए।


डी. एचआईवी और सिफलिस के ऊर्ध्वाधर संचरण का उन्मूलन


एनएसीपी चरण-V पांच शीर्ष-स्तरीय लक्ष्यों में से एक के रूप में एचआईवी और सिफलिस के ऊर्ध्वाधर संचरण के उन्मूलन को प्राप्त करने का आह्वान करता है। इसके लिए 95 प्रतिशत  गर्भवती महिलाओं को अपनी एचआईवी और सिफलिस स्थिति के बारे में जागरूक होना आवश्यक होगा। 2023 के दौरान, सितंबर तक लगभग 1.83 करोड़ गर्भवती महिलाओं का परीक्षण किया जा चुका है और इसी अवधि में गर्भवती महिलाओं के बीच लगभग 1.45 करोड़ सिफलिस परीक्षण किए गए।

चित्र 8. वर्षों में एचआईवी और सिफलिस परीक्षण, 2017 से 2023 (सितंबर तक)


11. एनएसीपी वर्टिकल ट्रांसमिशन के उन्मूलन पर प्रगति को तेजी से ट्रैक करने के लिए अपने रणनीतिक रोडमैप को और बेहतर बना रहा है। रणनीतिक रोडमैप को सात उच्च प्राथमिकता वाले राज्यों में संचालित किया जा रहा है। पायलट से मिली सीख एनएसीपी चरण-V लक्ष्यों के अनुरूप संचालन को अंतिम रूप देने में मदद करेगी।


ई. यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई)/प्रजनन पथ संक्रमण (आरटीआई) सेवाओं के गुणवत्ता प्रबंधन तक सार्वभौमिक पहुंच


12. यौन संचारित संक्रमण निरंतर असुरक्षित उच्च जोखिम वाले यौन संबंध का संकेत है। एसटीआई का उच्च प्रसार यौन संचरण से एचआईवी की महामारी की संभावना की प्रारंभिक चेतावनी है। इसके अलावा, जन्मजात सिफलिस के उन्मूलन की प्रतिबद्धता को देखते हुए, एसटीआई में से एक सिफलिस मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए विशेष चिंता का विषय है।


13. एसटीआई/आरटीआई का प्रबंधन अपने पहले चरण से ही एनएसीपी के तहत फोकस क्षेत्रों में से एक रहा है। एनएसीपी चरण-V ने इसे पांच उच्च-स्तरीय लक्ष्यों में से एक के रूप में शामिल करके एसटीआई प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया है। एनएसीपी चरण-V का लक्ष्य 4 दस-आयामी रणनीति के माध्यम से जोखिम वाली और कमजोर आबादी के लिए गुणवत्तापूर्ण एसटीआई/आरटीआई सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच को बढ़ावा देने का आह्वान करता है।


14. कार्यान्वयन के तीसरे वर्ष के पहले छह महीनों में कार्यक्रम के तहत लगभग 50.70 लाख ग्राहकों को एसटीआई/आरटीआई प्रोग्राम के लिए प्रबंधित किया गया था। एनएसीओ एचआईवी और सिफलिस के लिए एकीकृत सेवाओं तक समान पहुंच को सक्षम करने के लिए बेहतर प्रयोगशाला प्रौद्योगिकियों का लाभ उठा रहा है। एनएसीपी चरण- V ने अनुवर्ती परीक्षण और उपचार एल्गोरिदम पर एक विशिष्ट ढांचे के साथ एचआईवी और सिफलिस के लिए रैपिड ड्यूल किट को अपनाया है, जिससे प्रभावी तरीके से परीक्षण में वृद्धि हुई है।


एफ. एचआईवी/एड्स से संबंधित लांछन और भेदभाव का उन्मूलन


गेमचेंजर पहलों को आगे बढ़ाते हुए और 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप, एनएसीपी चरण-V पांच शीर्ष में से एक के रूप में एचआईवी/एड्स से संबंधित कलंक और भेदभाव को खत्म करने का आह्वान करता है।


15. एनएसीपी के तहत अपनाई गई रणनीतियों ने हमेशा एचआरजी और पीएलएचआईवी को अपनी प्रतिक्रिया के केंद्र में रखा है। एचआईवी/एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 2017 की अधिसूचना और भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के गैर-अपराधीकरण के साथ, देश ने एचआईवी/एड्स से संबंधित कलंक और भेदभाव को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण संरचनात्मक परिवर्तन लाए हैं।


16. भारत सरकार ने प्रतिष्ठानों के लिए एचआईवी और एड्स नीति 2022 को अधिसूचित किया है जो कार्यस्थल में एचआईवी और एड्स से संबंधित मुद्दों को कम करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है और एचआईवी से संबंधित भेदभाव को खत्म करने के लिए नियोक्ता, कर्मचारी और प्रतिष्ठानों की ओर से कार्रवाई को प्रोत्साहित करता है। इसके अतिरिक्त, एचआईवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 के तहत केंद्र सरकार के नौ दिशानिर्देश भी अधिसूचित किए गए हैं। सत्ताईस राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने राज्य स्तर पर एक लोकपाल नियुक्त किया है जो एचआईवी से संबंधित कलंक और भेदभाव के मामलों से निपटने के लिए जिम्मेदार है।


जी. नई पहल


17. चरण V के तहत निर्धारित लक्ष्यों पर तेजी से प्रगति करने के लिए 2023 में एनएसीपी के तहत कई पहल की गई हैं। जेलों और अन्य बंद स्थानों में कैदियों के बीच एकीकृत अभियान (आईएसएचटीएच: एकीकृत एसटीआई, एचआईवी, टीबी और हेपेटाइटिस) 3600 शिविरों में आयोजित किए गए हैं। 1500 से अधिक एचआईवी पॉजिटिव मामलों, 2700 हेपेटाइटिस बी-पॉजिटिव और लगभग 8700 हेपेटाइटिस सी-पॉजिटिव की पहचान की गई है। कैदी पूर्वोत्तर क्षेत्र, विशेषकर असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा राज्यों में एचआईवी, सिफलिस, टीबी और हेपेटाइटिस के लिए समुदाय-आधारित एकीकृत स्वास्थ्य अभियान (आईएचसी) बेहद सफल रहे हैं। इन अभियानों के परिणामस्वरूप, इन तीन राज्यों में अपनी एचआईवी स्थिति के बारे में जागरूक पीएलएचआईवी के अनुपात में प्रगति मार्च 2023 में 58 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर 2023 में 67 प्रतिशत हो गई है, जो कि हमारे द्वारा 2017 में 95-95-95 पर ट्रैक करना शुरू करने के बाद से सबसे ऊंची छलांग है।


18. युवा आबादी के बीच स्वस्थ जीवन शैली और कल्याण की भावना का अनुसरण करते हुए, एसएसीएस द्वारा पहली बार रेड रन का आयोजन किया गया। रेड रन का उद्देश्य खेलों के माध्यम से जागरूकता फैलाना था जो युवाओं को खुद को स्वस्थ रखने में मदद कर सके और उन्हें स्वस्थ जीवन विकल्प चुनने में सक्षम बना सके। राज्य स्तरीय रेड रन के विजेताओं ने अक्टूबर 2023 में गोवा में 'नेशनल रेड रन फिनाले' (10 किमी दौड़) में भाग लिया। अंतिम कार्यक्रम बहुत सफल रहा और इसमें गोवा के माननीय मुख्यमंत्री गोवा के स्वास्थ्य मंत्री, अन्य महत्वपूर्ण गणमान्य व्यक्ति, समुदाय, जनता, राज्य स्तरीय रेड रन के विजेता और एनएसीओ और सभी भाग लेने वाले राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के अधिकारी ने भाग लिया।


19. एनएसीओ की सोशल मीडिया रणनीति को नया रूप दिया गया है और इसने अत्यधिक रणनीतिक और लागत प्रभावी तरीके से दर्शकों के एक बड़े समूह, विशेष रूप से युवाओं तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले साल से ये केंद्रित अभियान 13 मिलियन से अधिक डिजिटल दर्शकों तक पहुंच चुके हैं। 'अब नहीं चलेगा' अभियान एचआईवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 की समग्र असमानता को कम करने और एचआईवी से जुड़े कलंक को समाप्त करने के लिए व्यावहारिक समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करने का देश का प्रयास है।

चित्र 9. 2023 में एनएसीपी के तहत नई पहल

 

एच. प्रभाव


20. मजबूत राजनीतिक नेतृत्व, साक्ष्य-आधारित नीतियों और रणनीतिक कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय एड्स प्रतिक्रिया अत्यधिक सफल रही है। भारत सरकार के नवीनतम एचआईवी अनुमानों के अनुसार, भारत में एचआईवी का प्रसार 2022 में 0.20 प्रतिशत के वयस्क प्रसार के साथ कम बना हुआ है। वैश्विक औसत के मुकाबले, 2010 और 2022 के बीच वार्षिक नए एचआईवी संक्रमण में 42 प्रतिशत की गिरावट आई है। 38 प्रतिशत; और एड्स से संबंधित मृत्यु दर में 77 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि वैश्विक औसत 51 प्रतिशत है।

चित्र 10. वार्षिक नए एचआईवी संक्रमण और वार्षिक एड्स से संबंधित मृत्यु की प्रवृत्ति

 

 

 


7. मातृ स्वास्थ्य


भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा एमएमआर पर जारी विशेष बुलेटिन के अनुसार, भारत के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में 6 अंकों का शानदार सुधार हुआ है और अब यह 97/लाख जीवित जन्म है। मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) को प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर एक निश्चित समय अवधि के दौरान मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।


नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश में एमएमआर में 2014-2016 में 130, 2015-17 में 122, 2016-18 में 113, 2017-19 में 103 और 97 तक प्रगतिशील कमी देखी गई है। 2018-20। इसे प्राप्त करने पर, भारत ने 100/लाख से कम जीवित जन्मों के एमएमआर के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) लक्ष्य को पूरा कर लिया है और 2030 तक 70/लाख से कम जीवित जन्मों के एमएमआर के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सही रास्ते पर है।


सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्य हासिल करने वाले राज्यों की संख्या के मामले में उत्कृष्ट प्रगति हुई है, अब यह संख्या छह से बढ़कर आठ हो गई है, जिसमें केरल (19), उसके बाद महाराष्ट्र (33), फिर तेलंगाना (43) आंध्र प्रदेश (45), उसके बाद तमिलनाडु (54), झारखंड (56), गुजरात (57) और अंत में कर्नाटक (69) है।


एनएफएचएस-5(2019-21)- मातृ स्वास्थ्य की मुख्य विशेषताएं:


पहली तिमाही में एएनसी पंजीकरण 58.6 प्रतिशत (एनएफएचएस-4) से बढ़कर एनएफएचएस-5 में 70 प्रतिशत हो गया।


संस्थागत प्रसव 78.9 प्रतिशत (एनएफएचएस-4) से बढ़कर एनएफएचएस-5 में 88.6 प्रतिशत  हो गया।


एनएफएचएस-5 में कुशल जन्म परिचारिका (एसबीए) का प्रतिशत 81.4 प्रतिशत (एनएफएचएस-4) से बढ़कर 89.4 प्रतिशत हो गया है।


सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन): सुमन योजना या सुरक्षित मातृत्व आश्वासन योजना केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक मातृत्व लाभ पहल है। यह कार्यक्रम गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान करता है। इस योजना के तहत, गर्भवती महिलाओं, बीमार नवजात शिशुओं और माताओं को प्रसव के छह महीने बाद तक शून्य व्यय की सुविधा मिलती है। वे गुणवत्तापूर्ण अस्पतालों और पेशेवरों से उपचार प्राप्त करते हैं। पीएमएसएमए कार्यक्रम पहली तिमाही के दौरान चार प्रसवपूर्व जांच और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जांच की अनुमति देता है। यह योजना गर्भावस्था के दौरान और बाद में जटिलताओं का पता लगाने और प्रबंधन के लिए शून्य खर्च और पहुंच प्रदान करती है। 15 दिसंबर 2023 तक एसयूएमएएन के तहत 38,096 सुविधाएं अधिसूचित की गई हैं।


मातृ प्रसवकालीन बाल मृत्यु निगरानी प्रतिक्रिया (एमपीसीडीएसआर) सॉफ्टवेयर सितंबर 2021 में माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। इसके बाद अक्टूबर 2021 में सॉफ्टवेयर का राष्ट्रीय टीओटी लॉन्च किया गया। मातृ प्रसवकालीन शिशु मृत्यु निगरानी समीक्षा (एमपीसीडीएसआर) सॉफ्टवेयर 2021-22 से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किया गया है।


मिडवाइफरी एजुकेटर ट्रेनिंग: भारत सरकार ने देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाने और गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को सम्मानजनक देखभाल सुनिश्चित करने के लिए देश में मिडवाइफरी सेवाएं शुरू करने का नीतिगत निर्णय लिया है। दिसंबर 2018 में नई दिल्ली में आयोजित पार्टनर्स फोरम के दौरान "भारत में मिडवाइफरी सेवाओं पर एक दिशानिर्देश, 2018 जारी किया गया था।


मिडवाइफरी प्रशिक्षण की बहाली: महामारी के कारण मिडवाइफरी एजुकेटर्स (एमई) का प्रशिक्षण रोक दिया गया था, जिसे सितंबर 2021 में तेलंगाना के एनएमटीआई में फिर सेशुरू किया गया था।


प्रैक्टिस के दायरे का विमोचन: मिडवाइफरी एजुकेटर्स (एमई) और नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफ (एनपीएम) के लिए प्रैक्टिस का दायरा दस्तावेज़ भारतीय नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) के सहयोग से जारी किया गया है। यह उनकी शिक्षा के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज़ के रूप में कार्य करता है।


प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए): शुरुआत के बाद से 15 दिसंबर 2023 तक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में पीएमएसएमए के तहत 4.61 करोड़ से अधिक प्रसवपूर्व जांच की गई हैं और 49.56 लाख उच्च जोखिम वाली गर्भधारण की पहचान की गई है।
लक्ष्य: इसका उद्देश्य लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटरों में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गर्भवती महिलाओं को प्रसव और तत्काल प्रसव के दौरान सम्मानजनक और गुणवत्तापूर्ण देखभाल मिले। 30 नवंबर 2023 तक 873 लेबर रूम और 663 मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर राष्ट्रीय स्तर पर लक्ष्य प्रमाणित हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, 185 लेबर रूम और 129 मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर राष्ट्रीय स्तर पर लक्ष्य प्रमाणित हैं।


जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई): जेएसवाई राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत एक सुरक्षित मातृत्व हस्तक्षेप है। मातृ एवं नवजात मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) विशेष रूप से कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाली गर्भवती महिलाओं यानी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और बीपीएल परिवारों की महिलाओं के बीच संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देती है। जेएसवाई के तहत अप्रैल-सितंबर 2023 की अवधि के दौरान 43.35 लाख लाभार्थियों को लाभ मिला।


गाइडलाइन:
पीएमएसएमए पहल की निरंतरता में गर्भवती महिलाओं, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (एचआरपी) वाली महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण एएनसी सुनिश्चित करने और पहचाने गए लोगों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से सुरक्षित प्रसव होने तक व्यक्तिगत एचआरपी ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए जनवरी 2022 में विस्तारित पीएमएसएमए रणनीति शुरू की गई थी।


प्रसवोत्तर देखभाल को अनुकूलित करने के दिशानिर्देश जून 2023 में लॉन्च किए गए थे, जिसका उद्देश्य माताओं में खतरे के संकेतों का पता लगाने पर जोर देकर प्रसवोत्तर देखभाल की गुणवत्ता को मजबूत करना और ऐसी उच्च जोखिम वाली प्रसवोत्तर माताओं का शीघ्र पता लगाने, रेफरल और उपचार के लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करना है।
बाल स्वास्थ्य


भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा अक्टूबर 2021 में जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत का शिशु मृत्यु अनुपात (आईएमआर) वर्ष 2018 में 32 प्रति 1000 जीवित जन्म से घटकर वर्ष 2019 के लिए 30 प्रति 1000 हो गया है। 27 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अर्थात् मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, केरल, ए और एन द्वीप समूह, गोवा, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, मणिपुर, दिल्ली, डी एंड एन हवेली, चंडीगढ़, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दमन और दीव , पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर सहित लद्दाख, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, त्रिपुरा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, उत्तराखंड ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति लक्ष्य (2019 तक प्रति 1000 जीवित जन्म पर 28) हासिल कर लिया है।
सुविधा आधारित नवजात देखभाल (एफबीएनसी) कार्यक्रम: जिला/मेडिकल कॉलेज स्तर पर 1054 विशेष नवजात देखभाल इकाइयां (एसएनसीयू) और - एफआरयू/सीएचसी स्तर पर 2,774 नवजात स्थिरीकरण इकाइयां (एनबीएसयू) बीमार और छोटे नवजात शिशुओं को सेवाएं प्रदान करने के लिए कार्यात्मक हैं। जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों (अप्रैल-नवंबर, 2023) में विशेष नवजात देखभाल इकाइयों (एसएनसीयू) में कुल 9.85 लाख नवजात शिशुओं को उपचार प्राप्त हुआ।


प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में नवजात स्वास्थ्य के महत्व को सुदृढ़ करने और उच्चतम स्तर पर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए हर साल 15 से 21 नवंबर तक राष्ट्रीय नवजात सप्ताह मनाया जाता है। वर्ष 2023 में भी 17 नवंबर 2023 को एमओएचएफडब्ल्यू द्वारा राष्ट्रीय नवजात सप्ताह के लिए एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस वर्ष के लिए राष्ट्रीय नवजात सप्ताह का विषय समुदाय-सुविधा सहभागिता के माध्यम से नवजात शिशु के जीवन का पोषण" है। इस दिन सूचना के प्रसार और विभिन्न बाल स्वास्थ्य दिशानिर्देशों (नवजात शिशु और बचपन की बीमारी का एकीकृत प्रबंधन, सुविधा) के साथ-साथ नवजात स्वास्थ्य पर व्यवहार परिवर्तन और मांग सृजन को गति देने के लिए एमओएचएफडब्ल्यू द्वारा राष्ट्रीय नवजात सप्ताह और एसएएएनएऩ अभियान आईईसी पोस्टर भी जारी किए गए थे।


मुस्कान - बाल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधार पहल: माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने विश्व रोगी सुरक्षा दिवस के अवसर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में बाल अनुकूल सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए 17 सितंबर 2021 को मुस्कान पहल शुरू की। यह पहल सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर बुनियादी ढांचे, उपकरण, आपूर्ति, कुशल मानव संसाधन, नैदानिक प्रोटोकॉल, साक्ष्य आधारित प्रथाओं आदि की सुरक्षा और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता मानकों में सुधार पर ध्यान केंद्रित करेगी। नवंबर 2023 तक कुल 58 सुविधाओं को मस्कान के तहत राष्ट्रीय स्तर का प्रमाणन मिला।

गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी) कार्यक्रम: शिशु जन्म के शुरुआती 42 दिन अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए होम बेस्ड न्यूज बर्न केयर (एचबीएनसी) यानि गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत संस्थागत प्रसव एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में आशा घर जाकर 42 दिनों तक नवजात की देखभाल करती है। कुल 1.47 करोड़ नवजात शिशुओं को आशा द्वारा घर के दौरे का पूरा कार्यक्रम प्राप्त हुआ, जबकि 2022-23 की अवधि के दौरान 8 लाख से अधिक पहचाने गए बीमार नवजात शिशुओं को आशा द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भेजा गया था। वित्तीय वर्ष 2023-24 (तिमाही-1), कुल 33.5 लाख नवजात शिशुओं का आशा द्वारा निर्धारित दौरा किया गया और उनमें से 1.95 लाख नवजात शिशुओं को बीमार के रूप में पहचाना गया और एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य सुविधा के लिए भेजा गया।
बी)। छोटे बच्चे की घर आधारित देखभाल (एचबीवाईसी): वित्त वर्ष 2022-23 में गोवा को छोड़कर सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में एचबीवाईसी को लागू करने के लिए सभी आकांक्षी जिलों सहित 690 जिलों को मंजूरी दी गई है। वर्ष 2022-23 के दौरान आशा कार्यकर्ताओं द्वारा छोटे बच्चों (3 महीने-15 महीने) के लिए 2.5 करोड़ से अधिक घरेलू दौरे किए गए। वित्तीय वर्ष 2023-24 (तिमाही-1) एचबीवाईसी कार्यक्रम के तहत आशा द्वारा बच्चों (3-15 महीने) के लिए 81 लाख से अधिक घरेलू दौरे किए गए। इसके अलावा, एचबीएनसी और एचबीवाईसी कार्यक्रम के तहत बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण गृह दौरे पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, आशा कार्यकर्ताओं को ऑन जॉब हैंड होल्डिंग समर्थन के साथ, एचबीएनसी और एचबीवाईसी कार्यक्रमों पर आशा फैसिलिटेटर्स और एएनएम/एमपीडब्ल्यू के लिए एक सहायक पर्यवेक्षण पुस्तिका प्रदान की गई है।


एम) गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ), 2023 के तहत, इसी आयु वर्ग के 13.37 करोड़ बच्चों के लक्ष्य के मुकाबले पांच साल तक की उम्र के लगभग 11 करोड़ (अनंतिम) बच्चों को ओआरएस और जिंक प्रदान किया गया। वर्ष 2023 दौर के लिए आईडीसीएफ/डायरिया रोकथाम गतिविधियों के लिए डेटा संकलन प्रक्रिया में है।


पोषण
स्तनपान कवरेज में सुधार के लिए मदर्स एब्सोल्यूट अफेक्शन (एमएए) जिसमें स्तनपान की शीघ्र शुरुआत और पहले छह महीनों के लिए विशेष स्तनपान शामिल है। इसके बाद फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण और व्यापक आईईसी अभियानों के माध्यम से आयु-उपयुक्त पूरक आहार प्रथाएं शामिल हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के अनुसार, स्तनपान की शीघ्र शुरुआत, छह महीने तक विशेष स्तनपान और 6-8 महीने में पूरक आहार की समय पर शुरुआत की दर 41.8 प्रतिशत, 63.7 प्रतिशत और 45.9 प्रतिशत है।


राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस (एनडीडी): एनडीडी के तहत, सभी बच्चों और किशोरों में मिट्टी से प्रसारित हेल्मिंथ (एसटीएच) के संक्रमण को कम करने के लिए स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से एक निश्चित दिन में एल्बेंडाजोल की गोलियां दो राउंड (फरवरी और अगस्त) में दी जाती हैं। -19 वर्ष)। एनडीडी 2023 फरवरी के तहत 1-19 वर्ष के आयु वर्ग के 24.21 करोड़ बच्चों को इसी आयु वर्ग के 27.43 करोड़ बच्चों के लक्ष्य के मुकाबले एल्बेंडाजोल की गोलियाँ प्रदान की गईं।


पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी): देश भर में 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 1129 पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) कार्यरत हैं। वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-जून 2023) में, चिकित्सीय जटिलताओं के साथ गंभीर तीव्र कुपोषण (एसएएम) से पीड़ित 0.56 लाख बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया गया और उनका इलाज किया गया। .


लैक्टेशन प्रबंधन केंद्र (एलएमसी): वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल - जून 2023) तक 53 व्यापक लैक्टेशन प्रबंधन केंद्र (सीएलएमसी) और 65 लैक्टेशन प्रबंधन इकाइयां (एलएमयू) एनएचएम के तहत समर्थित हैं।


एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) कार्यक्रम

वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-सितंबर 2023) की प्रगति इस प्रकार है:


6-59 माह आयु वर्ग के 3.7 करोड़ बच्चों को हर महीने आयरन और फोलिक एसिड (आईएफए) सिरप प्रदान किया गया।


5-9 वर्ष आयु वर्ग के 4.2 करोड़ बच्चों को हर महीने आईएफए पिंक टैबलेट प्रदान की गईं
10-19 वर्ष आयु वर्ग के 5.2 करोड़ बच्चों को हर महीने आईएफए ब्लू टैबलेट प्रदान की गईं
1.5 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 80 लाख स्तनपान कराने वाली महिलाओं को क्रमशः प्रसवपूर्व देखभाल और प्रसवोत्तर देखभाल अवधि के दौरान 180 आईएफए रेड गोलियां प्रदान की गईं।


राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके): अप्रैल-नवंबर, 2023 के दौरान एचएमआईएस में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल स्वास्थ्य टीमों द्वारा 11.62 करोड़ बच्चों की जांच की गई है। अप्रैल-नवंबर, 2023 के दौरान आरबीएसके कार्यक्रम के तहत डिलीवरी प्वाइंट पर 41.26 लाख नवजात शिशुओं की जांच की गई है।


किशोर मैत्रीपूर्ण स्वास्थ्य क्लिनिक (एएफएचसी): किशोर मैत्रीपूर्ण स्वास्थ्य क्लिनिक (एएफएचसी) किशोरों के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के संपर्क के पहले स्तर के रूप में कार्य करते हैं। प्राथमिक उद्देश्य आने वाले किशोर ग्राहकों को परामर्श और नैदानिक सेवाएं प्रदान करना है। वित्त वर्ष 2023-24 में दूसरी तिमाही तक 64.8 लाख किशोरों ने किशोर अनुकूल स्वास्थ्य क्लीनिक (एएफएचसी) में पंजीकरण कराया।


साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंट (डब्ल्यूआईएफएस): साप्ताहिक आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरण (डब्लूआईएफएस) कार्यक्रम स्कूल जाने वाले किशोर लड़कियों और लड़कों और सामान्य किशोरों में एनीमिया की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के द्वारा शुरू किया गया। वित्त वर्ष 2023-24 में दूसरी तिमाही तक 5.8 करोड़ किशोरों को पोषण स्वास्थ्य शिक्षा के अलावा हर महीने साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण (डब्ल्यूआईएफएस) प्रदान किया गया था।
किशोरियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजनाग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों के लिए मासिक-धर्म संबंधी स्वच्छता को प्रोत्साहन देने की योजना में किशोरियों को स्वास्थ्य शिक्षा के साथ सेनिटरी नेपकिनों की नियमित आपूर्ति प्रदान करना तथा स्कूलों तथा समुदाय में पानी और शौचालयों की सुविधा प्रदान करना भी शामिल है। इसका उद्देश्य यह भी सुनिश्चित करना है कि उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले और सुरक्षित उत्पाद उपलब्ध कराये जायें। वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही तक हर महीने लगभग 32.1 लाख किशोरियों को सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराए गए।


पीयर एजुकेटर कार्यक्रम: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किशोर पोषण, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य, गैर-संचारी रोगों (एनसीडी), मादक द्रव्यों के दुरुपयोग, चोटों और हिंसा (लिंग आधारित हिंसा सहित) और मानसिक को कवर करने वाली नियमित और निरंतर सहकर्मी शिक्षा से लाभान्वित हों। स्वास्थ्य। वित्त वर्ष 2023-22 के दौरान दूसरी तिमाही तक कुल 2.4 लाख पीई का चयन किया गया और 1.3 लाख किशोर स्वास्थ्य और कल्याण दिवस (एएचडब्ल्यूडी) आयोजित किए गए।


आयुष्मान भारत स्कूल स्वास्थ्य और कल्याण:


स्कूल स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम (फरवरी 2020 में लॉन्च) कार्यान्वयन के पहले चरण में देश के जिलों (अधिकांश आकांक्षी जिलों सहित) में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लागू किया जा रहा है।


प्रत्येक स्कूल में दो शिक्षकों, अधिमानतः एक पुरुष और एक महिला, जिन्हें स्वास्थ्य और कल्याण राजदूतृ (एचडब्ल्यूए) के रूप में नामित किया गया है। हर हफ्ते एक घंटे के लिए दिलचस्प आनंददायक गतिविधियों के रूप में 11 विषयगत क्षेत्रों पर स्वास्थ्य संवर्धन और बीमारी की रोकथाम की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। स्कूल स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम (एसएचएंडडब्ल्यूपी) 34 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 388 जिलों तक पहुंच गया है। सितंबर 23 तक लगभग 6.14 लाख स्वास्थ्य और कल्याण राजदूतों (एचडब्ल्यूए) को प्रशिक्षित किया गया।


निमोनिया को सफलतापूर्वक निष्क्रिय करने के लिए सामाजिक जागरूकता और कार्रवाई (सांस): निमोनिया के कारण होने वाली मौतों को कम करने की कार्रवाई में तेजी लाने के लिए सांस पहल शुरू की गई। बचपन में निमोनिया की सुरक्षा, रोकथाम और उपचार के पहलुओं के बारे में जागरूकता पैदा करके और माता-पिता और देखभाल करने वालों के बीच शीघ्र पहचान और देखभाल को बढ़ाकर बचपन में निमोनिया के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाने के उद्देश्य से हर साल राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में बचाव, रोकथाम के बारे में जागरूकता पैदा करके निमोनिया के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाने के उद्देश्य से 12 नवंबर, 2023 से 29 फरवरी 2024 तक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में सांस अभियान शुरू किया गया है। बचपन में निमोनिया के उपचार के पहलुओं और माता-पिता और देखभाल करने वालों के बीच प्रारंभिक पहचान और देखभाल चाहने वाले व्यवहार को बढ़ाना। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2021 के सांस अभियान के तहत न्यूमोकोकल वैक्सीन (पीसीवी) के बारे में जागरूकता सृजन, प्रचार और प्रशासन को भी शामिल किया गया है।


परिवार नियोजन


एनएफएचएस-5 (2019-21) की मुख्य विशेषताएं:


एनएफएचएस-5 (2019-21) में 32 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने कम उम्र में विवाह में कमी देखी है और 25 ने एनएफएचएस-4 की तुलना में किशोर गर्भधारण के प्रसार में कमी देखी है।
एनएफएचएस-5 (2019-21) में 15-24 वर्ष की आयु की उन महिलाओं को दर्शाया गया है जो अपने मासिक धर्म के दौरान सुरक्षा के स्वच्छ तरीकों का उपयोग करती हैं, उनकी संख्या 57.6 प्रतिशत (एनएफएचएस-4) से बढ़कर 77.3 प्रतिशत हो गई है। 36 में से 35 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में मासिक धर्म के दौरान स्वच्छ तरीकों के उपयोग में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है।


कुल प्रजनन दर (टीएफआर) एनएफएचएस 3 (2005-06) में 2.7 से घटकर एनएफएचएस 5 (2019-21) में 2.0 हो गई है जो प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है।


36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में से 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने 2.1 या उससे कम का प्रतिस्थापन टीएफआर हासिल किया है।


आधुनिक गर्भनिरोधक का उपयोग एनएफएचएस 3 (2005-06) से 48.5 प्रतिशत से बढ़कर एनएफएचएस 5 (2019-21) में 56.5 प्रतिशत हो गया है।


परिवार नियोजन की अधूरी आवश्यकता एनएफएचएस 3 (2005-06) में 12.8 प्रतिशत से घटकर एनएफएचएस 5 (2019-21) में 9.4 प्रतिशत हो गई है।


एनएफएचएस 5 रिक्ति विधियों (सभी रिक्ति विधियों में वृद्धि) की ओर एक समग्र सकारात्मक बदलाव दिखाता है।


वित्त वर्ष 2023-24 में नवंबर 2023 तक परिवार नियोजन सेवाओं का प्रदर्शन
कुल नसबंदी: 13.05 लाख


प्रसवोत्तर आईयूसीडी (पीपीआईयूसीडी): 21.90 लाख


सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में पीपीआईयूसीडी स्वीकृति दर (%): 27.7%


गर्भनिरोधक इंजेक्शन एमपीए (अंतरा कार्यक्रम): 26.42 लाख खुराकें दी गई हैं सेंटक्रोमैन (छाया): सेंटक्रोमैन (छाया) की 75.79 करोड़ स्ट्रिप्स वितरित की गई हैं।


मिशन परिवार विकास:


सरकार ने सात उच्च फोकस वाले राज्यों (उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम) में 3 और उससे अधिक की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) वाले 146 उच्च प्रजनन दर वाले जिलों में परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए 2016 में मिशन परिवार विकास (एमपीवी) लॉन्च किया। नवंबर 2021 में इस योजना को सात उच्च फोकस वाले राज्यों के शेष जिलों और छह उत्तर पूर्वी राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड और मिजोरम) के सभी जिलों तक बढ़ा दिया गया था, जहां आधुनिक गर्भनिरोधक का उपयोग कम है और जरूरत पूरी नहीं हुई है।


वित्तीय वर्ष 2023-24 में एमपीवी राज्यों में परिवार नियोजन सेवाओं का प्रदर्शन (नवंबर तक)
नसबंदी की कुल संख्या: 4.23 लाख नसबंदी


प्रसवोत्तर आईयूसीडी (पीपीआईयूसीडी): 12.62 लाख पीपीआईयूसीडी


सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में पीपीआईयूसीडी स्वीकृति दर 15.3 प्रतिशत


गर्भनिरोधक इंजेक्शन एमपीए (अंतरा कार्यक्रम): 16.69 लाख खुराक


सेंटक्रोमैन (छाया): सेंटक्रोमैन (छाया) की 51.43 लाख स्ट्रिप्स वितरित की गई हैं।


10: गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसी और पीएनडीटी):
राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा प्रस्तुत जून 2023 की त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट (क्यूपीआर) के अनुसार, कुल 82,281 निकाय पीसी और पीएनडीटी अधिनियम के तहत पंजीकृत किए गए हैं। कानून के उल्लंघन के आरोप में अब तक कुल 4,853 मशीनें सील और जब्त की जा चुकी हैं। अधिनियम के तहत कुल 3,563 अदालती मामले दायर किए गए हैं और अब तक 731 को दोषी ठहराया गया है, जिसके कारण 145 डॉक्टरों के मेडिकल लाइसेंस निलंबित/रद्द किए गए हैं। एनएफएचएस-5 (2019-21) में भी 10 अंकों का सुधार दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय लिंग अनुपात एनएफएचएस-4 में 919 से बढ़कर 929 हो गया है।

 

23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सुधार हुआ है जबकि 13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जन्म के समय लिंग अनुपात में गिरावट देखी गई है।


5 और 6 जुलाई 2023 को राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के उपयुक्त प्राधिकारियों और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पीएनडीटी नोडल अधिकारियों के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित की गई, जिसके बाद 8 जुलाई, 2023 को राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के प्रशिक्षकों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षक प्रशिक्षण (टीओटी) आयोजित किया गया।
14-15 जुलाई 2023 को देहरादून में आयोजित स्वास्थ्य चिंतन शिविर में एचएफएम की अध्यक्षता में सभी राज्य/केंद्र शासितप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ राष्ट्रीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई।


पीसी और पीएनडीटी अधिनियम, 1994 के तहत केंद्रीय पर्यवेक्षी बोर्ड (सीएसबी) की 29वीं बैठक 18 अक्टूबर, 2023 को वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी।


सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में समीक्षा बैठकें आयोजित की गईं और सभी पहलुओं में पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम के कार्यान्वयन की समीक्षा की गई।


दिल्ली में जिला समुचित प्राधिकारियों और पीएनडीटी नोडल अधिकारियों का क्षमता निर्माण आयोजित किया गया।


11. मेरा अस्पताल:


सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा में अनुभव की गुणवत्ता पर मरीजों के विचार पूछकर उन्हें सशक्त बनाने के लिए "मेरा अस्पताल/मेरा अस्पताल" पहल शुरू की है। मेरा अस्पताल/मेरा अस्पताल एक सरल और बहुभाषी एप्लिकेशन है जो सार्वजनिक अस्पतालों से प्राप्त सेवाओं पर बहुत कम समय में रोगी की प्रतिक्रिया प्राप्त करता है। यह लघु संदेश सेवा (एसएमएस), आउटबाउंड डायलिंग (ओबीडी), एक मोबाइल एप्लिकेशन और एक वेब पोर्टल सहित कई संचार चैनलों के माध्यम से काम करता है। एप्लिकेशन फीडबैक को बार-बार अपडेट किए गए डैशबोर्ड पर समेकित, विश्लेषण और प्रसारित करने की अनुमति देता है। विश्लेषण किए गए डेटा का उपयोग स्वास्थ्य सुविधाओं में सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए किया जाता है। इस प्रकार, मेरा अस्पताल मरीजों को स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और नीति निर्माताओं से जुड़ने और उनकी राय सुनने और उन पर कार्रवाई करने की अनुमति देता है।
12. कायाकल्प:


सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा में अनुभव की गुणवत्ता पर मरीजों के विचार पूछकर उन्हें सशक्त बनाने के लिए "मेरा अस्पताल/मेरा अस्पताल" पहल शुरू की है। मेरा अस्पताल/मेरा अस्पताल एक सरल और बहुभाषी एप्लिकेशन है जो सार्वजनिक अस्पतालों से प्राप्त सेवाओं पर बहुत कम समय में रोगी की प्रतिक्रिया प्राप्त करता है। यह लघु संदेश सेवा (एसएमएस), आउटबाउंड डायलिंग (ओबीडी), एक मोबाइल एप्लिकेशन और एक वेब पोर्टल सहित कई संचार चैनलों के माध्यम से काम करता है। एप्लिकेशन फीडबैक को बार-बार अपडेट किए गए डैशबोर्ड पर समेकित, विश्लेषण और प्रसारित करने की अनुमति देता है। विश्लेषण किए गए डेटा का उपयोग स्वास्थ्य सुविधाओं में सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए किया जाता है। इस प्रकार, मेरा अस्पताल मरीजों को स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और नीति निर्माताओं से जुड़ने और उनकी राय सुनने और उन पर कार्रवाई करने की अनुमति देता है। वर्तमान में 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 11,034 स्वास्थ्य सुविधाएं "मेरा अस्पताल" के साथ एकीकृत हैं।


13. बजट भाषण के लिए ई-स्वास्थ्य इनपुट


ए. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन-एबीडीएम:


आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन-एबीडीएम (जिसे पहले राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के नाम से जाना जाता था) को एक राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दृष्टि से लॉन्च किया गया था जो कुशल, सुलभ, समावेशी, किफायती, समय पर और सुरक्षित तरीके से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का समर्थन करता है।


एबीडीएम का लक्ष्य नागरिकों के लिए स्वास्थ्य स्पेक्ट्रम में अनुदैर्ध्य इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड के निर्माण को सक्षम करना, नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा को सुलभ बनाना, देखभाल की लागत को कम करना और स्वास्थ्य सेवा वितरण में अधिक दक्षता को सक्षम करना है। एबीडीएम द्वारा बनाया गया डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल में निर्बाध तरीके से देखभाल की निरंतरता का समर्थन करता है। यह विशेष रूप से दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करता है जहां आमतौर पर ऐसी विशेषज्ञ देखभाल उपलब्ध नहीं हो सकती है।


एबीडीएम की उपलब्धि: 19 दिसंबर, 2023 तक


(i) आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए गए: 49.86 करोड़

(ii) हेल्थकेयर पेशेवर आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत पंजीकृत हैं: 2,58,217

(iii) एबीडीएम के तहत पंजीकृत स्वास्थ्य सुविधाएं: 2,25,968

बी. राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा-ईसंजीवनी


राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा-ईसंजीवनी डॉक्टर-से-डॉक्टर परामर्श और रोगी-से-डॉक्टर परामर्श की सुविधा प्रदान करके देश भर में विशेष चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच प्रदान करती है। इस पहल का उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ बनाना है। यह ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों सहित लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए शारीरिक यात्रा की आवश्यकता के बिना स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों से परामर्श करने में सक्षम बनाता है। यह पहल व्यापक आबादी तक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने, चिकित्सा देखभाल तक पहुंच के अंतर को कम करने और जहां उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है वहां स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजिटल तकनीक का लाभ उठाने में भी सहायक रही है।


ईसंजीवनी की उपलब्धि:


(i) ई-संजीवनी परामर्श प्रदान किया गया: 18.9 करोड़ से अधिक

(ii) यह 1,33,000 से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों और 27,000 केंद्रों में कार्यरत है


सी. डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल:


भारत की जी 20 प्रेसीडेंसी के तहत, भारत ने डिजिटल स्वास्थ्य को अपनी प्रमुख स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में से एक के रूप में पहचाना - "यूएचसी की सहायता करने और हेल्थकेयर सेवा वितरण में सुधार के लिए डिजिटल स्वास्थ्य नवाचार और समाधान" और डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल का प्रस्ताव रखा - एक संस्थागत के रूप में डब्ल्यूएचओ प्रबंधित नेटवर्क वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए रूपरेखा। जी20 स्वास्थ्य मंत्री की बैठक के दौरान 19 अगस्त, 2023 को जीआईडीएच को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। इसका इरादा डिजिटल स्वास्थ्य के लिए वैश्विक प्रयासों को एकजुट करने और तकनीकी उपकरणों तक समान पहुंच को बढ़ावा देकर डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए एक 'साझा मंच' बनाने का है।


चिकित्सीय शिक्षा


ए) ऐतिहासिक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम अगस्त, 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था। अब, 25 सितंबर, 2020 से राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का गठन किया गया है और वर्षों पुरानी एमसीआई को भंग कर दिया गया है और भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 निरस्त कर दिया गया है। नियामक तंत्र में मुख्य परिवर्तन यह है कि नियामक को 'निर्वाचित' के बजाय मुख्य रूप से 'चयनित' किया जाएगा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग चिकित्सा शिक्षा में सुधारों का संचालन करेगा। इसमें यूजी और पीजी सीटों में वृद्धि के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण और सस्ती चिकित्सा शिक्षा तक बेहतर पहुंच और चिकित्सा पेशे में उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखना, मेडिकल स्नातकों के लिए एनएमसी अधिनियम, 2019 के अनुसार नेशनल एग्जिट टेस्ट (एनईएक्सटी) का कार्यान्वयन शामिल होगा।
बी) उच्च शुल्क संरचना को ध्यान में रखते हुए, एनएमसी अधिनियम ने आयोग को चिकित्सा शिक्षा को किफायती बनाने के लिए निजी मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत सीटों के संबंध में फीस और अन्य सभी शुल्कों के निर्धारण के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का अधिकार दिया। तदनुसार, एनएमसी ने निजी मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत एमबीबीएस और स्नातकोत्तर मेडिकल सीटों के लिए अनिवार्य रूप से ट्यूशन फीस की सीमा तय करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।


ग) मेडिकल कॉलेजों में 82 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2014 से पहले 387 से बढ़कर अब 706 (सरकारी: 389, निजी: 317) हो गई है। इसके अलावा, एमबीबीएस सीटों में 112 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो 2014 से पहले 51,348 से बढ़कर अब 1,08,940 हो गई है, पीजी सीटों में भी 127 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो 2014 से पहले 31,185 से बढ़कर अब 70,674 हो गई है।


घ) नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्रीय प्रायोजित योजना के तहत तीन चरणों में 157 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 108 कार्यात्मक हैं और शेष कुछ वर्षों में कार्यात्मक होंगे। इन 157 कॉलेजों में से 40 देश के आकांक्षी जिलों में खुल रहे हैं, जिससे चिकित्सा शिक्षा में असमानता के मुद्दों का समाधान हो रहा है।


ई) न्यूनतम मानक आवश्यकताओं (एमएसआर) को युक्तिसंगत बनाना: मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए एमएसआर को सुव्यवस्थित किया गया है। इससे नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की लागत कम होगी और प्रवेश क्षमता में वृद्धि होगी।


च) राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड द्वारा एमबीबीएस के बाद दो साल का डिप्लोमा: स्नातकोत्तर छात्रों की कमी को पूरा करने और देश के दूरदराज के हिस्सों में स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ाने के लिए डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) ने एनेस्थीसिया, स्त्री रोग और प्रसूति, बाल रोग, ईएनटी, नेत्र विज्ञान, पारिवारिक चिकित्सा, तपेदिक और छाती रोग और चिकित्सा रेडियोडायग्नोसिस आठ विषय पर डिप्लोमा शुरू किया है।
छ) स्नातकोत्तर कार्यक्रम के तीसरे या चौथे या पांचवें सेमेस्टर के छात्रों के लिए जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम (डीआरपी) लागू किया गया है। कॉलेज सीटों की आनुपातिक वृद्धि के लिए आवेदन कर सकते हैं, यह ध्यान में रखते हुए कि कुल 36 महीनों के प्रशिक्षण में से 3 महीने के लिए दूर रहना होगा, जिसका अर्थ है कि आनुपातिक वृद्धि 12 मौजूदा सीटों के मुकाबले 1 सीट की वृद्धि होगी।


तम्बाकू नियंत्रण और नशीली दवाओं की लत के उपचार के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीटीसीडीएटी)
ओवर-द-मीडिया (ओटीटी) प्लेटफार्मों पर तंबाकू के उपयोग के चित्रण का विनियमन: ओवर-द-टॉप (ओटीटी) मीडिया प्लेटफार्मों पर तंबाकू के उपयोग के चित्रण को विनियमित करने के लिए भारत सरकार ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों (विज्ञापन का निषेध) को अधिसूचित किया है। सीओटीपी (संशोधन) नियम, 2023 के अनुसार, तंबाकू उत्पादों या उनके उपयोग को प्रदर्शित करने वाली ऑनलाइन क्यूरेटेड सामग्री का प्रत्येक प्रकाशक (ए) कार्यक्रम की शुरुआत और मध्य में न्यूनतम तीस सेकंड की अवधि के तंबाकू विरोधी स्वास्थ्य स्पॉट प्रदर्शित करेगा। (बी) तंबाकू उत्पादों के प्रदर्शन या कार्यक्रम में उनके उपयोग की अवधि के दौरान स्क्रीन के नीचे एक प्रमुख स्थिर संदेश के रूप में तंबाकू विरोधी स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित करें; (सी) कार्यक्रम के आरंभ और मध्य में, तंबाकू के उपयोग के दुष्प्रभावों पर न्यूनतम बीस सेकंड की अवधि का एक ऑडियो-विज़ुअल अस्वीकरण प्रदर्शित करें।


वैश्विक प्रतिबद्धताएँ: भारत तम्बाकू नियंत्रण उपायों में वैश्विक नेता के रूप में अग्रणी रहा है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 25-27 अप्रैल, 2023 तक डब्ल्यूएचओ के वैश्विक तंबाकू नियामक फोरम (जीटीआरएफ) की सातवीं बैठक की मेजबानी की। बैठक में नए और उभरते निकोटीन और तंबाकू उत्पादों के विनियमन के संबंध में चर्चा हुई। साथ ही पारंपरिक उत्पाद; और जीटीआरएफ सदस्यों के लिए वर्तमान और नई पहचानी गई अंतर-सत्रीय प्राथमिकताओं के माध्यम से जानकारी साझा करना जारी रखने के लिए विशिष्ट कार्य बिंदु विकसित करना।


ऑनलाइन रिपोर्टिंग तंत्र: राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) गतिविधियों की त्रैमासिक रिपोर्टिंग को सुव्यवस्थित करने के लिए 31 मई, 2023 को माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री द्वारा एनटीसीपी एमआईएस का एक डैशबोर्ड लॉन्च किया गया था। यह डैशबोर्ड राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा रिपोर्ट/अपलोड की गई विभिन्न एनटीसीपी गतिविधियों पर वास्तविक समय के डेटा को दर्शाता है।


ऑनलाइन उल्लंघनों की रिपोर्ट करने के लिए पोर्टल: सीओटीपीए, 2003 और ई-सिगरेट निषेध अधिनियम, 2019 के तहत ऑनलाइन उल्लंघनों की रिपोर्ट करने के लिए पोर्टल (https://violation-reporting.in/) इन अधिनियमों के प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए लॉन्च किया गया था। ऑनलाइन उल्लंघन प्राप्त होने पर, गैरकानूनी सामग्री (आईटी नियम, 2021 के अनुसार) को हटाने के लिए बिचौलियों को नोटिस भेजा जाएगा।


तंबाकू मुक्त युवा अभियान: विशेष रूप से युवाओं के बीच तंबाकू के उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में गहन जागरूकता पैदा करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तंबाकू मुक्त युवा अभियान शुरू किया गया था। तंबाकू नियंत्रण कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्यों ने 31 मई से 31 जुलाई 2023 तक इन 60 दिनों के अभियान को आगे बढ़ाया; तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थानों के लिए दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन; तम्बाकू मुक्त गाँव और आईईसी रणनीतियाँ। 20 अक्टूबर, 2023 को सरकार की राष्ट्रीय समीक्षा बैठक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एक ट्रॉफी और एक प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। कर्नाटक सरकार (तंबाकू नियंत्रण कानूनों की निगरानी के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता), सरकार। राजस्थान सरकार (तंबाकू नियंत्रण गतिविधियों में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार), सरकार। हिमाचल प्रदेश (जागरूकता पैदा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता), सरकार। पंजाब (बड़े राज्य के बीच टीओएफईआई कार्यान्वयन के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता), सरकार। ओडिशा का (तंबाकू मुक्त गांव पहल के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता) और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव का यूटी प्रशासन (छोटे राज्यों के बीच टीओएफईआई कार्यान्वयन के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता)। पुरस्कार तंबाकू नियंत्रण के लिए राज्य के संबंधित राज्य नोडल अधिकारी द्वारा प्राप्त किए गए।


ई-सिगरेट निषेध अधिनियम, 2019 (पीईसीए, 2019) का कार्यान्वयन: “इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) पर प्रतिबंध” के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। ) अधिनियम, 2019”। ऐसे नवीन उत्पादों के निषेध के प्रभावी अनुपालन के लिए ठोस कदमों की योजना बनाने के लिए नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू), बेंगलुरु के सहयोग से फरवरी, 2023 में कानून लागू करने वालों की कार्यशाला आयोजित की गई थी। पीईसीए, 2019 के प्रभावी अनुपालन के लिए पूरे भारत में एक सार्वजनिक सूचना प्रकाशित की गई थी। ईएनडीएस (ई-सिगरेट) पर मेटा-विश्लेषण के साथ वैज्ञानिक साक्ष्य को अद्यतन करने के लिए नवंबर 2023 में डीजीएचएस के तहत विशेषज्ञों की एक बैठक भी बुलाई गई थी।
तम्बाकू समाप्ति सेवाओं को मजबूत करना: तम्बाकू समाप्ति के प्रयास अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, बीमारियों को रोकने और कल्याण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, जो सभी सतत विकास लक्ष्य 3 के उद्देश्यों के अनुरूप हैं। भारत में तम्बाकू समाप्ति सेवाओं को मजबूत करने और बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। राष्ट्रीय रणनीतिक कार्य योजना, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण और आईईसी गतिविधियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाले तीन उप-समूहों के साथ तंबाकू समाप्ति सेवाओं में तेजी लाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा, गठित एक अन्य विशेषज्ञ समूह चिकित्सा शिक्षा प्रभाग के समन्वय से मेडिकल कॉलेजों में तंबाकू समाप्ति केंद्र स्थापित करने के लिए परिचालन दिशानिर्देशों के विकास पर काम कर रहा है और प्रक्रिया में तेजी ला रहा है।
एनईआईजीआरआईएचएमएस एक सुपर स्पेशियलिटी शिक्षण संस्थान है जिसकी स्थापना 1987 में मेघालय सोसायटी विनियमन अधिनियम 1983 के तहत शिलांग में की गई थी, जिसका उद्देश्य चयनित विशिष्टताओं में उच्चतम स्तर की उन्नत और विशिष्ट चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना और व्यापक स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक क्षेत्रीय रेफरल सेवा केंद्र के रूप में कार्य करना है। उत्तर पूर्वी राज्यों के लोगों की. इसे एम्स, नई दिल्ली और पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ की तर्ज पर स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थान के रूप में डिजाइन किया गया है। संस्थान भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। संस्थान में वर्तमान में 30 पूर्णतः कार्यात्मक सुपर स्पेशलिटी और स्पेशलिटी विभाग हैं। यह कार्डियोलॉजी, सीटीवीएस, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और यूरोलॉजी में सुपर स्पेशलिटी सेवाएं प्रदान कर रहा है, इसके अलावा जनरल सर्जरी, जनरल मेडिसिन, पीडियाट्रिक्स, प्रसूति एवं स्त्री रोग, ईएनटी, ऑर्थोपेडिक्स, दंत चिकित्सा, मनोचिकित्सा, रेडियोथेरेपी, टीबी और श्वसन रोगों में विशेष सेवाएं प्रदान कर रहा है। , त्वचाविज्ञान और नेत्र विज्ञान। इन विभागों को रेडियोलॉजी, एनेस्थिसियोलॉजी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फोरेंसिक मेडिसिन, बायोकैमिस्ट्री, एनाटॉमी, कम्युनिटी मेडिसिन, फार्माकोलॉजी, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एंड ब्लड सेंटर और फिजियोलॉजी विभागों द्वारा बहुत अच्छी तरह से समर्थन प्राप्त है। यह सभी बुनियादी और उन्नत उपकरणों जैसे सीटी स्कैन, 1.5 टेस्ला एमआरआई, डिजिटल मैमोग्राफी सिस्टम, पूरी तरह से स्वचालित हाई वैक्यूम डबल डोर स्टीम स्टेरलाइजर यूनिट और वॉशर डिसइंफेक्टर आदि से सुसज्जित है।


अस्पताल में वर्तमान में वेंटिलेटर के साथ 104 आईसीयू बेड सहित 594 बेड हैं, जिनमें से 280 बेड कोविड-19 के लिए नामित हैं, जिसमें 43 आईसीयू बेड कोविड-19 के लिए नामित हैं, अन्य आईसीयू बेड में 15 बेड के साथ मेडिकल क्रिटिकल केयर यूनिट, एनेस्थीसिया क्रिटिकल केयर यूनिट शामिल हैं। एनईआईजीआरआईएचएमएस को आईसीएमआर द्वारा पूरे उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए सीओवीआईडी परीक्षण सुविधाओं के लिए मेंटर संस्थान के रूप में भी नामित किया गया है, संस्थान में आरटीपीसीआर, ट्रूनैट और सीबी एनएएटी जैसी विभिन्न सीओवीआईडी -19 परीक्षण सुविधाएं चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं।


शैक्षणिक गतिविधियाँ:


संस्थान पोस्ट डॉक्टोरल (डीएम), पोस्ट-ग्रेजुएट (एमडी/एमएस), अंडर ग्रेजुएट (एमबीबीएस), नर्सिंग) पाठ्यक्रम, एम. एससी (नर्सिंग) और बी. एससी. आयोजित कर रहा है।
एमबीबीएस कोर्स:


अंडर ग्रेजुएट (एमबीबीएस) पाठ्यक्रम वर्ष 2008 में शुरू किया गया था, जिसमें प्रति वर्ष 50 एमबीबीएस छात्रों की वार्षिक प्रवेश क्षमता थी, जिसे बढ़ाकर 100 वार्षिक प्रवेश किया जाएगा। कॉलेज भवन और छात्रावास भवनों सहित बुनियादी ढांचे को तैयार किया जा रहा है। कॉलेज के लिए अतिरिक्त संकाय और गैर-संकाय पदों के सृजन का प्रस्ताव वार्षिक प्रवेश को 100 तक बढ़ाने के प्रस्ताव के साथ मंत्रालय को प्रस्तुत किया गया है।


यूजी कोर्स के लिए सीटों का पुनर्वितरण


मंत्रालय ने पत्र क्रमांक 12012/92/2007-एनई दिनांक 21/03/2023 के माध्यम से एनईआईजीआरआईएचएमएस, शिलांग में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में सीटों को नीचे दिए गए विवरण के अनुसार फिर से वितरित किया।

राज्य

सीट वितरण का मौजूदा %

सीट वितरण का मौजूदा % (संख्या में)

सीट वितरण का नया %

कुल 50 सीटों के लिए नया सीट वितरण (संख्या में)

कुल 100 सीटों के लिए नया सीट वितरण (संख्या में)

पूरा भारत

15

8

15

8

15

नॉर्थ ईस्ट

37

18

37

18

37

मेघालय

18

9

28.8 (शेष 48 प्रतिशत सीटों में से 60 प्रतिशत उन राज्यों के लिए जहां कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है)

14

29

नगालैंड

15

8

19.2 (शेष 48 प्रतिशत सीटों में से 40 प्रतिशत उन राज्यों के लिए जहां कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है)

10

19

अरुणाचल प्रदेश

8

4

0

0

0

मिजोरम

7

3

0

0

0

कुल

100

50

100

50

100

 

 

स्नातकोत्तर (एमडी/एमएस) पाठ्यक्रम:


एनईआईजीआरआईएचएमएस ने 2009 में 4 विभागों में स्नातकोत्तर (एमडी/एमएस) पाठ्यक्रम शुरू किया: एनेस्थिसियोलॉजी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और प्रसूति एवं स्त्री रोग। सत्र 2010 से एनेस्थिसियोलॉजी विभाग में सीटें मौजूदा 2 से बढ़ाकर 4 कर दी गईं। एनाटॉमी विभाग में पीजी पाठ्यक्रम वर्ष 2013 से शुरू किया गया था। 3 विभागों में पीजी पाठ्यक्रम; सत्र 2013-14 से रेडियो डायग्नोसिस एवं इमेजिंग, जनरल सर्जरी एवं जनरल मेडिसिन प्रारंभ किये गये। पैथोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी विभागों में सीटों की वृद्धि सत्र 2014 से शुरू की गई थी। ओटो-रिहनो लेरिंजोलॉजी विभाग में पोस्ट ग्रेजुएट (एमडी/एमएस) पाठ्यक्रम, त्वचाविज्ञान में प्रत्येक में 2 सीटों की वार्षिक प्रवेश दर और एमडी फोरेंसिक मेडिसिन में वार्षिक प्रवेश शामिल है। 3 सीटों की शुरुआत सत्र 2019-2020 से की गई थी। पीजी पाठ्यक्रम 2020-21 से 3 विभागों में शुरू किए गए थे। 2 सीटों के वार्षिक प्रवेश के साथ जैव रसायन, नेत्र विज्ञान और फार्माकोलॉजी। हड्डी रोग विभाग में पीजी पाठ्यक्रम सत्र 2023-24 से 2 सीटों की वार्षिक प्रवेश क्षमता के साथ शुरू हो गया है। मंत्रालय ने एमडी फिजियोलॉजी शुरू करने की मंजूरी दे दी है और यह पाठ्यक्रम अगले शैक्षणिक सत्र से शुरू किया जाएगा।

पोस्ट डॉक्टोरल (डीएम) पाठ्यक्रम:


पोस्ट-डॉक्टरल (डीएम) कार्डियोलॉजी पाठ्यक्रम सत्र 2012-13 से 2 सीटों के वार्षिक प्रवेश के साथ शुरू किया गया था। डीएम न्यूरोलॉजी में पोस्ट डॉक्टोरल कोर्स के अलावा 2 (दो) सीटों की वार्षिक प्रवेश क्षमता सत्र 2022-23 से शुरू की गई है।


नर्सिंग शिक्षा:


बी.एससी. 50 वार्षिक प्रवेश के साथ नर्सिंग पाठ्यक्रम वर्ष 2006 में शुरू किया गया था। अगले शैक्षणिक सत्र से छात्रों की संख्या 100 सीटों तक बढ़ा दी जाएगी। एम. एससी. प्रति वर्ष 10 छात्रों के प्रवेश के साथ नर्सिंग पाठ्यक्रम वर्ष 2016 से शुरू किया गया था। बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए उपरोक्त के अलावा 8 (आठ) सीटें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख (पीएमएसएस) के केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रधान मंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना और 12 (बारह) के तहत विदेशी छात्रों के लिए 25 प्रतिशत अतिरिक्त सीटें बढ़ाई गई हैं। एम. एससी नर्सिंग कोर्स के लिए विदेशी छात्रों के लिए 25 प्रतिशत अतिरिक्त सीटों के तहत 2 (दो) सीटें बढ़ाई गई हैं।


शैक्षणिक उपलब्धियां:


अब तक एमबीबीएस छात्रों के 16 बैचों को प्रवेश दिया गया है और 10 बैच उत्तीर्ण हुए हैं।
प्रवेशित पीजी छात्रों की संख्या 244 है और विभिन्न विशिष्टताओं में 159 पीजी ने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है।


डीएम कार्डियोलॉजी में प्रवेश पाने वालों की संख्या 24 है और 16 ने अपना कोर्स पूरा कर लिया है।


एमएससी की संख्या (नर्सिंग) में प्रवेश पाने वाले छात्रों की संख्या 76 है और 5 बैचों ने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है।


बीएससी की संख्या (नर्सिंग) छात्रों की संख्या 900 है और 12 बैचों ने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है।


राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, संगोष्ठियाँ, कार्यशालाएँ, टेलीकांफ्रेंस और टेली-मेडिसिन कार्यशालाएँ देश के अन्य संस्थानों के सहयोग से आयोजित की जाती हैं, जिसमें अनुसंधान के लिए विभिन्न फंडिंग एजेंसियां, विशेष रूप से आईसीएमआर, एचआरडी, डीएसटी आवश्यकता-आधारित, स्वदेशी परियोजनाओं पर सराहनीय प्रभाव वाले शोध प्रकाशन आदि शामिल होती हैं।
संस्थान का प्रबंधन


संस्थान की गवर्निंग काउंसिल संस्थान का सर्वोच्च प्राधिकारी है जिसके अध्यक्ष केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और 27 अन्य सदस्य होते हैं। कार्यकारी समिति की अध्यक्षता सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की जाती है। अन्य समितियों का भी गठन किया गया है जैसे स्थायी वित्त समिति, स्थायी चयन समिति और शैक्षणिक समिति आदि। निदेशक, एनईआईजीआरआईएचएमएस संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। समस्त प्रशासनिक एवं शैक्षणिक गतिविधियाँ उसके नियंत्रण में हैं।


डीन (शिक्षाविद) संस्थान की शैक्षणिक गतिविधियों का समग्र प्रभारी है और डीन (अनुसंधान) अनुसंधान गतिविधियों की देखभाल करता है। चिकित्सा अधीक्षक अस्पताल का समग्र प्रभारी होता है जो अस्पताल के दैनिक कामकाज की देखभाल करता है। विभिन्न विभागों का कामकाज सीधे संबंधित विभागाध्यक्षों के अधीन होता है। दुर्घटना, सीएसएसडी, स्टोर, अस्पताल अपशिष्ट प्रबंधन आदि जैसे प्रमुख क्षेत्रों की देखभाल चिकित्सा अधीक्षक के पर्यवेक्षण के तहत नामित अधिकारी द्वारा की जाती है।


स्वीकृत ताकत और सत्ता की स्थिति:


वर्तमान में संस्थान में 2026 पदों की स्वीकृत संख्या के मुकाबले संकाय, समूह ए, बी और सी पदों सहित कुल 1365 जनशक्ति हैं। संस्थान एनईआईजीआरआईएचएमएस के विभिन्न विभागों में शिक्षण संकाय को बढ़ाने के लिए रिक्त संकाय पदों को भरने का प्रयास कर रहा है। 168 पदों की स्वीकृत संख्या के मुकाबले पद पर कुल संकाय संख्या 93 है (1 को छोड़कर जो अभी तक शामिल नहीं हुआ है)। संस्थान में अब तक 127 पदों में से 67 सीनियर रेजिडेंट्स और 110 पदों में से 67 जूनियर रेजिडेंट्स कार्यरत हैं।


आउटसोर्स सेवाएँ:


संस्थान ने सफाई सेवा, इसकी अस्पताल नैदानिक सेवाओं, शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों में अतिरिक्त सहायता के लिए सुरक्षा सेवाओं को आउटसोर्स किया है।


प्रमुख उच्च स्तरीय उपकरण:

 


2021-22

2022-23

 

 

बाह्य रोगी (ओपीडी)

204110

330482

 

कैजुअल्टी से पंजीकृत मरीज

12816

17709

 

आईएन मरीज़ (आईपीडी)

10293

14027

 

मृत्यु

792

730

 

जन्म

768

1003

 

 

 

 

 

उपचारित मरीज का विवरण

2021-22

2022-23

 

 

ओपीडी

कैजुअल्टी

आईपीडी

ओपीडी

कैजुल्टी

 

 

उत्तर पूर्व भारत के मरीज़

62197

2060

2717

115744

 

उत्तर पूर्व के बाहर के मरीज़

1790

151

44

1902

 

भारत के बाहर के मरीज़

45

4

0

1155

 

मेघालय के मरीज

140078

10601

7532

211681

 

 

 

 

ऑपरेशन थियेटर

2021-22

2022-23

प्रमुख ओ.टी

2361

3554

 

माइनर ओ.टी

1088

1594

 

2021-22

2022-23

 

कुल संख्या बिस्तरों का

594

594

 

 

 

जांच एवं प्रक्रियाएं

2021-22

2022-23

पैथोलोजी

576822

789889

माईक्रोबायोलॉजी

388820

373695

बायोकैमिस्ट्री

971443

1376424

रेडियोलॉजी

74857

117781

न्यूरोलॉजी

1608

2782

कार्डियोलॉजी

26654

43874

सीटीवीएस

138

145

 

सामान्य दवा

13265

14690

यूरोलॉजी

1813

3493

ऑर्थोपेडिक्स

1410

1401

गायनाकोलॉजी

4582

7726

ईएनटी

2125

5394

डेरमैटोलॉजी

892

2836

ब्लड बैंक

3585

4348

 

2021-22

2022-23

आहार परामर्श ओपीडी

1975

3327

आहार परामर्श आईपीडी

2556

3979

 

आहार आपूर्ति

96388

122114

 

 

 

 

अस्पताल शुल्क एकत्र किया गया

2021-22

2022-23

 

 

कुल जांच शुल्क

6,84,62,447.00

8,58,20,870.00

 

 

लेमिनेशन शुल्क

22,500.00

21,060.00

 

                                   

 

 

 

अत्याधुनिक रेडियोलॉजी और इमेजिंग विभाग 128 स्लाइस सीटी स्कैन, 1.5 टेस्ला एमआरआई, डिजिटल रेडियोग्राफी और डिजिटल रेडियो फ्लोरोस्कोपी सिस्टम, विभिन्न उन्नत अल्ट्रासोनोग्राफी सिस्टम, मोबाइल डीएसए सिस्टम, मैमोग्राफी, डेक्सा स्कैन सहित विभिन्न रेडियोलॉजी उपकरणों के साथ मौजूद है।


संस्थान के पास कैथलैब, लिथोट्रिप्सी मशीन, ट्रांस एसोफेजियल इकोकार्डियोग्राफी, न्यूरो सर्जरी के लिए स्टीरियोटैक्टिक नेविगेशनल सिस्टम, सीयूएसए, ईसीएमओ, होल्मियम लेजर, वर्चुअल डिसेक्शन टेबल, वर्चुअल ऑटोप्सी सिस्टम सहित निम्नलिखित उच्च अंत चिकित्सा उपकरण भी हैं।


अस्पताल को केंद्रीकृत पाइपलाइनों के साथ एक गैस मैनिफोल्ड सिस्टम मिला है। इसमें निम्नलिखित ऑक्सीजन आपूर्ति प्रणाली है:


2 लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट, प्रत्येक की क्षमता 10 किलोलीटर है।
पीएसए (प्रेशर स्विंग सोखना) संयंत्र की 2 इकाइयाँ जिनमें प्रत्येक की क्षमता क्रमशः 300 लीटर/मिनट और 700 लीटर/मिनट है।


स्वास्थ्य योजनाएँ:


एनईआईजीआरआईएचएमएस, आरएएन, एचएमडीजी, जेएसवाई, जेएसएसके, पीएमएनआरएफ जैसी केंद्रीय योजनाओं और प्रधानमंत्री जन आरोग्य (पीएमजेएवाई) जैसी सरकार प्रायोजित बीमा योजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन कर रहा है। संस्थान ने मुख्यमंत्री आरोग्य अरुणाचल योजना (सीएमएएवाई) योजना (स्वास्थ्य बीमा योजना) के तहत एनईआईजीआरआईएचएमएस में अरुणाचल के लोगों के लिए कैशलेस उपचार के लिए अरुणाचल सरकार के साथ एक समझौता किया।


एनईआईजीआरआईएचएमएस को पीएमजेएवाई के लिए छोटे राज्यों में "सबसे अधिक संख्या में दावे" का पुरस्कार भी मिला।


अस्पताल सांख्यिकी रिपोर्ट (अप्रैल 2022 से मार्च 2023)


सहायता अनुदान और बजट


संस्थान को मंत्रालय से सहायता अनुदान प्राप्त होता है जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिखाया गया है। सहायता अनुदान के अलावा संस्थान को विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए आईसीएमआर, डीबीटी आदि से भी अनुदान प्राप्त होता है।

 

 

2023-24 के लिए बजट अनुमान 

2023-24 हेतु आवंटन

नवंबर 2023 तक एमओएचएफडब्ल्यू द्वारा फंड जारी

662.88 करोड़

528.83 करोड़

290.21 करोड़

 

एनईआईजीआरआईएचएमएस की प्रमुख विस्तार परियोजनाएँ


माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने 14.10.2023 को संस्थान में निम्नलिखित परियोजनाओं का उद्घाटन किया

हॉस्टल के साथ 100 प्रवेश के लिए अंडर ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज।

252 बिस्तरों की क्षमता वाला क्षेत्रीय कैंसर केंद्र और रोगी अतिथि गृह

छात्रावास सहित 100 लोगों के लिए नया नर्सिंग कॉलेज।

मॉड्यूलर ओटी - 8

आभासी शवपरीक्षा


150 बिस्तरों वाले क्रिटिकल बिस्तर वाले अस्पताल ब्लॉक की नींव रखना

 

भवनों आदि की क्षमता:-

 

सुविधा

क्षमता

 

नर्सिंग कॉलेज

100छात्र/वर्ष

नर्सिंग हॉस्टल-1

68 कमरे, क्षमता 136 छात्र

नर्सिंग हॉस्टल-2

87 कमरे, क्षमता 174 छात्र

नर्सिंग भोजन

क्षमता-390 सीटें

गेस्ट हाउस

28 कमरे, क्षमता 52 व्यक्ति

यूजी हॉस्टल-1

76 कमरे, क्षमता 92 छात्र

यूजी हॉस्टल-2

91 कमरे, क्षमता 109 छात्र

यूजी हॉस्टल-3

91 कमरे, क्षमता 109 छात्र

यूजी हॉस्टल-4

74 कमरे, क्षमता 88 छात्र

प्रशिक्षु छात्रावास

84 कमरे, क्षमता 100 विद्यार्थी

 

28 कमरों के रोगी अतिथि गृह के साथ 252 बिस्तरों की क्षमता वाला क्षेत्रीय कैंसर केंद्र में सभी अत्याधुनिक कैंसर निदान और उपचार सुविधाएं होंगी जिनमें लीनियर एक्सेलेरेटर, ब्रेकी थेरेपी, सीटी सिम्युलेटर, पीईटी सीटी-स्कैन, गामा कैमरा और 6 के साथ विभिन्न उन्नत कैंसर उपचार सुविधाएं शामिल हैं। मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर. इसमें 3 टेस्ला एमआरआई, 128 स्लाइस सीटी स्कैन, डिजिटल मैमोग्राफी, डीएसए, डीआरएफ, डीआर सिस्टम और पीएसीएस (पिक्चर आर्काइविंग एंड कम्युनिकेशन सिस्टम) सहित सभी प्रकार के डायग्नोस्टिक रेडियोलॉजिकल उपकरण भी हैं। यहां ऑन्कोलॉजी, ऑन्को सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और ऑन्कोल्मेजिंग सुविधाएं होंगी।

 

 

150 बिस्तरों वाले क्रिटिकल केयर ब्लॉक (सीसीबी) के निर्माण की स्थिति:


मंत्रालय ने जी-2017/10/2021-एनई दिनांक 10 जनवरी 2023, 86,52,21,005.16 रुपये में मेसर्स एसपीडी कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को एफ.एन.ओ. के माध्यम से कार्य सौंपने की मंजूरी दे दी है।


संस्थान ने एनईआईजीआर/ईएनजीजी/30/2022 दिनांक 16 जनवरी 2023 के माध्यम से एचएससीसी को मंजूरी दे दी। मेसर्स एसपीडी कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को पुरस्कार की अधिसूचना संख्या एचएससीसी/नेग्रिहम्स/सीसीबी/2023 दिनांक 17.01.2023 के माध्यम से जारी की गई।


अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण:


पूर्वी खासी हिल्स राजस्व के जिला कलेक्टर ने संकाय, समूह ए, बी और सी श्रेणियों के लिए आवास इकाइयों के निर्माण के लिए 23 नवंबर 2020 को औपचारिक रूप से 20 एकड़ अतिरिक्त भूमि एनईआईजीआरआईएचएमएस को सौंप दी है।


संस्थान ने मैसर्स एचएससीसी से डीपीआर तैयार करने का अनुरोध किया है जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे:

 

प्रकार

नं

वेतनमान

विवरण
 

VI

20

10000 + ऊपर

3-बीएचके + सर्वेंट रूम

V

157

7600 +  ऊपर

3- बीएचके + सर्वेंट रूम

IV ( विशेष)

112

6600 +  ऊपर

3- बीएचके + सर्वेंट रूम

IV

300

5400 +  ऊपर

3- बीएचके

III

165

4200 -4800

2- बीएचके

II

90

1900-2800

2- बीएचके

चाहरदीवारी
सार्वजनिक सुविधाएं/शॉपिंग कॉम्प्लेक्स

पार्क, पार्किंग

खेल सुविधाएं (टेनिस कोर्ट, बास्केटबॉल, फुटबॉल)

सड़क नेटवर्क, आंतरिक और बाह्य विद्युतीकरण

आरसीसी - फिल्टर आदि के साथ सभी आवास इकाइयों में गुरुत्वाकर्षण वितरण के लिए कम से कम 5.00 लाख क्षमता का ओवरहेड पानी का टैंक

प्रवाह उपचार संयंत्र (ईटीपी) + सीवरेज उपचार संयंत्र (एसटीपी)

वर्षा जल संचयन, पीएचई कार्य आदि

17. रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल एंड नर्सिंग साइंसेज (रिपन्स), आइजोल, मिजोरम
क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना 1972 में की गई थी और यह 1 अप्रैल, 2007 से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत कार्य कर रहा है। रिम्स चिकित्सा के क्षेत्र में उत्तर पूर्वी क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने वाला एक क्षेत्रीय महत्व का संस्थान है। रिम्स अस्पताल 1,200 बिस्तरों वाला शिक्षण अस्पताल है जो आधुनिक अत्याधुनिक उपकरणों और शिक्षण सुविधाओं से सुसज्जित है। अस्पताल बड़ी संख्या में आउटडोर और इनडोर मरीजों को सेवाएं प्रदान करता है और एक वर्ष में चालीस हजार से अधिक मरीजों को भर्ती करता है। संस्थान ने अब तक 3848 मेडिकल स्नातक और 2357 विशेषज्ञ तैयार किए हैं।
वर्तमान में संस्थान निम्नलिखित पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है:

 

क्र.सं.

पाठ्यक्रम का नाम

अवधि
 

1.

बी.एससी.नर्सिंग

4 वर्ष

2.

बीएससी एमएलटी (चिकित्सा प्रयोगशाला तकनीकी)

4 वर्ष

3.

बी फार्मा

4 वर्ष

4.

बी.एससी.आरआईटी (रेडियो इमेजिंग टेक्नोलॉजी)

4 वर्ष

5.

बी ऑप्टोमेट्री

4 वर्ष

6.

एम.फार्मा

2 वर्ष

7.

एमएससी एम.एल.टी.

2 वर्ष

8.

एम.एससी नर्सिंग

2 वर्ष

 

  उपलब्धियाँ (19.12.2023 तक):


विभिन्न पाठ्यक्रमों में छात्रों की कुल संख्या, नव प्रवेशित छात्र और उत्तीर्ण छात्रों की संख्या निम्नानुसार दर्शाई गई है:

 

क्र.सं.

पाठ्यक्रम का नाम

 

छात्रों की कुल संख्या

नव प्रवेशित विद्यार्थियों की संख्या

उत्तीर्ण छात्रों की संख्या

 

 

 

2022-23 में

2022

1.

बीएससी नर्सिंग

171

53

39

2.

 

बीएससी एमएलटी (चिकित्सा प्रयोगशाला)

तकनीकी)

147

39

32

3.

बी फार्मा

155

40

30

4.

बीएससी आरआईटी (रेडियो

इमेजिंग प्रौद्योगिकी)

134

37

29

5.

बी.(ऑप्टोमेट्री)

128

36

31

6.

एम. फार्मा

40

22

19

7.

एमएससी एम.एल.टी.

16

8

 

8.

एम.एससी नर्सिंग

25

25

 

कुल

816

260

180

 

 

उत्तीर्ण हुए लगभग 99 प्रतिशत छात्रों को विभिन्न केंद्रीय/राज्य सरकारी संस्थानों/विभागों और निजी प्रतिष्ठानों जैसे सीएसआईआर प्रयोगशालाओं, एम्स, सफदरजंग अस्पताल, एनईआईजीआरआईएचएमएस, आरआईएमएस, एनआईपीईआर, जीएनआरसी, एएमआरआई अस्पताल, अपोलो अस्पताल, बिड़ला हार्ट इंस्टीट्यूट फोर्टिस अस्पताल, टाटा अस्पताल, एनआईटी, मिजोरम विश्वविद्यालय, असम डाउनटाउन विश्वविद्यालय, असम तकनीकी विश्वविद्यालय, नैटको फार्मा लिमिटेड, टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, सीआईपीएलए, आदि और विदेशों में जैसे ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड, इंग्लैंड, नॉर्वे, सिंगापुर वगैरह में प्लेसमेंट मिल रहा है। इसके अलावा, कई छात्र राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय जीपैट परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त कर चुके हैं।
मंत्रालय के निर्देशानुसार, रिपन्स में विभिन्न रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा रही है और समय-समय पर कार्य योजना को अद्यतन किया जा रहा है।
रिपन्स के विकास की परियोजना:


रिपन्स के विकास की परियोजना को मंजूरी मंत्रालय द्वारा दिनांक 27.02.2019 को 480.12 की अनुमानित लागत के साथ दी गई।


सबसे कम बोली लगाने वाले को 100 रुपये में काम देने की मंजूरी. मंत्रालय द्वारा दिनांक 04.01.2022 को 217.97 करोड़ की सूचना दी गई


सिविल निर्माण कार्य 01.03.2021 को शुरू किया गया था और पूरा होने की निर्धारित तिथि 28.08.2023 है।

परियोजना के मुख्य घटक इस प्रकार हैं:

 

क्र. सं.

विवरण

प्रमुख तत्व

प्रगति की स्थिति प्रतिशत में

टिप्पणी

1

गेस्ट हाउस (जी+3 मंजिल)

10 इकाइयों

98%

परीक्षण एवं कमीशनिंग का कार्य प्रगति पर है। फर्नीचर लगाया जाना है

2

100 बिस्तरों वाला अस्पताल ब्लॉक (जी+4 मंजिल)

100 बेडेड

93.50%

फिनिशिंग एवं एमईपी का कार्य प्रगति पर है।

3

स्टाफ/नर्स क्वार्टर (जी+5 मंजिल)

18 इकाइयों

95.10%

 

फिनिशिंग एवं एमईपी का कार्य प्रगति पर है।

4

सामान्य छात्रावास ब्लॉक (जी+5 मंजिल)

168 सिंगल रूम

94.95%

फिनिशिंग एवं एमईपी का कार्य प्रगति पर है।

5

रेजिडेंट डॉक्टर का क्वार्टर (जी+5)

22 इकाइयों

 

85.65%

 

 

सुपरस्ट्रक्चर में आरसीसी, फिनिशिंग और एमईपी कार्य प्रगति पर है।

6

शैक्षणिक ब्लॉक-IV (जी+5 मंजिल)

18 क्लासरूम और 32 लैब

77.80%

संरचना, फिनिशिंग एवं एमईपी कार्य प्रगति पर है।

7

इनडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और ऑडिटोरियम- संरचना कार्य (जी+3 मंजिल)

1000 सीटिंग कैपिसिटी

45.20%

अधिरचना में आरसीसी का कार्य प्रगति पर है।

8

चिकित्सा अधीक्षक क्वार्टर (जी+1)

सिंगल इकाइयों

57.10%

 

अधिरचना में आरसीसी का कार्य प्रगति पर है।

 


कुल भौतिक प्रगति 81.90% है।


7 नए पाठ्यक्रम खोलना


154 पदों का सृजन.


वर्ष 2022-23 के दौरान वित्तीय स्थिति:

 

 

क्रसं.

विवरण

बी.ई. (करोड़ में)

अक्षय

पिछले वर्ष का शेष

मात्रा

जारी किया

मंत्रालय द्वारा

आंतरिक

संसाधन उत्पन्न

व्यय

31.03.2023 तक

अव्ययित शेष 31.03.2023 तक

1

जीआईए जनरल

15.00

0.00

15.00

-

15.00

-

 

2

पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए अनुदान

102.50

0.00

79.00

-

79.00

0.00

3

जीआईए वेतन

14.50

0.00

14.50

0.26

13.49

1.27

 

कुल

132.0

0.00

108.50

0.26

108.76

1.27

 

 

नोट: पिछले वर्ष की अव्ययित शेष राशि भारत की समेकित निधि में भेज दी गई थी।
वर्ष 2023-2024 के दौरान वित्तीय स्थिति (19.12.2023 तक):

क्र.सं.

 

विवरण

बीई

(करोड़ में)

पिछले वर्ष का अव्यतित बैलेंस

मात्रा

जारी किया

मंत्रालय द्वारा

आंतरिक संसाधन उत्पन्न

व्य्य  19.12.2023 तक

अव्ययित शेष 19.12.2023 तक

1

जीआईए जनरल

16.00

0.00

12.00

-

11.22

0.78

 

 

2

पूंजी निर्माण के लिए अनुदान

संपत्ति

 

93.54

 

0.00

 

71.28

 

0.00

 

55.95

 

15.33

3

जीआईए वेतन

15.50

0.00

11.00

0.00

8.51

 

2.49

कुल

125.04

0.00

94.28

0.00

75.68

18.60

 

संस्थान में प्रवेश क्षमता सहित चलाये जा रहे पाठ्यक्रम इस प्रकार हैं:


2.1 स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए सीटों का आवंटन:


एमबीबीएस पाठ्यक्रम में वार्षिक प्रवेश की संख्या 125 छात्र हैं। इन सीटों का विवरण इस प्रकार है:-


 

क्र.स.

राज्य का नाम

एमबीबीएस

बीडीएस

बीएससी नर्सिंग

1

अखिल भारतीय कोटा

19

7

-

2

अरुणाचल प्रदेश

7

4

5

3

मेघालय

13

7

5

4

मिजोरम

7

4

5

5

मणिपुर

30

13

20*

6

सिक्किम

5

3

5

7

त्रिपुरा

13

7

5

8

नगालैंड

10

5

5

9.

एनई ओपन- रिम्स के सभी लाभार्थी राज्य (असम को छोड़कर)।

10

-

-

10.

ईडब्ल्यूएस

11

-

-

कुल योग

125

50

50

 

 

रिम्स कर्मचारियों के बच्चों के लिए निर्धारित 4 सीटें शामिल।


2.2 पी.जी. का वितरण रिम्स, इंफाल के लाभार्थी राज्यों की 50% सीटें (73-74) सीट वितरण

 

कोर्स

स्टेट

 

सीटों की संख्या

कुल सीटें

प्रायोजित

ओपन

स्नातकोत्तर (एमडी/एमएस/डीसीपी)

अरुणाचल प्रदेश

8

2

10

मणिपुर

8

2

10

मेघालय

8

2

10

मिजोरम

8

2

10

नगालैंड

8

2

10

सिक्किम

8

2

10

त्रिपुरा

8

2

10

रिम्स एआईक्यू ग्रेजुएट

 

2

2

 

लाभार्थी राज्यों के गैर रिम्स स्नातक (असम को छोड़कर)

 

5

5

 

एनई ओपन (असम को छोड़कर रिम्स के लाभार्थी राज्यों के स्नातक)

 

6

6

 

*पीजी सीटों में वृद्धि के कारण यह श्रेणी केवल 2022 सत्र के लिए उपलब्ध कराई गई थी।

 

 

 

 

 

 

 

83

 


2.3 शैक्षणिक उपलब्धि


 

इस प्रमुख संस्थान का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा प्रदान करना है और इसने कई चिकित्सा डॉक्टरों/विशेषज्ञों और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं को तैयार किया है। संस्थान द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड के आधार पर 30.09.2023 तक उत्तीर्ण छात्रों की संख्या इस प्रकार है:

1

कुल संख्या एमबीबीएस डॉक्टर पास आउट हो गए

3848

2

कुल संख्या एमडी/एमएस/डीसीपी उत्तीर्ण

2357

3

उत्तीर्ण एम.सी.एच./छात्रों की कुल संख्या

28

4

कुल संख्या एम.फिल. (नैदानिक मनोविज्ञान)

79

5

कुल संख्या बी.एस.सी. की. (नर्सिंग) पास आउट

376

6

कुल संख्या बी.डी.एस. का उत्तीर्ण हुआ

210

7

बीएससी (एमएलटी) उत्तीर्ण हुए

5


संस्थान का प्रबंधन


संस्थान का समग्र प्रबंधन i) केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को सौंपा गया है और ii) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, सरकार के सचिव की अध्यक्षता में कार्यकारी परिषद। भारत की।


बोर्ड ऑफ गवर्नर्स संस्थान का सर्वोच्च और अंतिम प्राधिकार है जिसके पास मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में निर्दिष्ट संस्थान के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सभी आवश्यक कार्य करने की शक्ति है। संस्थान का प्रबंधन एवं प्रशासन जैसे संस्थान के समग्र प्रशासन एवं प्रबंधन की देखरेख करना, संस्थान के वित्त की समीक्षा करना, संस्थान के कार्य की प्रगति की समीक्षा करना, संस्थान के शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं तकनीकी कार्यक्रमों का अनुमोदन करना। , संस्थान के मामलों के संचालन के लिए उपनियम और प्रक्रियाएं तैयार करना आदि कार्य कार्यकारी परिषद के पास हैं। वित्तीय, शैक्षणिक मामलों के लिए अन्य समितियों जैसे स्थायी वित्त समिति, शैक्षणिक उप-समिति आदि का भी गठन किया गया है।


रिम्स, इंफाल के निदेशक मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं जो संस्थान के सभी शैक्षणिक, वैज्ञानिक और प्रशासनिक कार्यों के प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं और संस्थान के दिन-प्रतिदिन के मामलों के समग्र प्रभारी हैं।


चिकित्सा अधीक्षक अस्पताल का समग्र प्रभारी होता है, जो अस्पताल के दैनिक कामकाज की देखभाल करता है। विभिन्न विभागों का कामकाज सीधे संबंधित विभागाध्यक्षों के अधीन होता है। हताहत, सीएसएसडी, स्टोर, अस्पताल अपशिष्ट प्रबंधन आदि जैसे प्रमुख क्षेत्रों की देखभाल चिकित्सा अधीक्षक की देखरेख में नामित अधिकारियों (चिकित्सा डॉक्टरों) द्वारा की जाती है।


रिम्स में कर्मचारियों की संख्या

स्वीकृत पद

भरा हुआ

1936

1366

 
नए खरीदे गए उपकरण/उपकरण
वर्ष 2023-2024 के लिए रिम्स इम्फाल के लिए नए खरीदे गए प्रमुख उपकरणों की सूची इस प्रकार है:
रेटिना, ऑप्टिक तंत्रिका और रेटिना संवहनी असामान्यताओं की स्क्रीनिंग, निदान, दस्तावेज़ीकरण और निगरानी के लिए उपयोग किया जाने वाला एफएफए वाला फंडा कैमरा और स्वचालित स्टेटिक पेरीमेट्री, ग्लूकोमा के निदान में एक अनिवार्य उपकरण, 19/05 को नेत्र विज्ञान विभाग में खरीदा और स्थापित किया गया था।
सिंथेटिक कैडेवर को एनाटॉमी विभाग, रिम्स, इंफाल में स्थापित किया गया था।
ईएमजी आधारित सिम्युलेटर फिजियोलॉजी विभाग, रिम्स, इंफाल में स्थापित किया गया था।
ईएनटी विभाग में एचडी ब्रोंस्कोपी और स्ट्रोबोस्कोपी सेट स्थापित किया गया।
अन्य उपलब्धियाँ
जेंट्स पीजी हॉस्टल नंबर 2, रिम्स, इंफाल के लिए मेस हॉल का उद्घाटन 02/05/2023 को किया गया।
जेंट्स, रिम्स, इंफाल के लिए 30 बिस्तरों वाले पीजी हॉस्टल का उद्घाटन 02/05/2023 को किया गया था
ओबीसी लड़कियों के लिए 100 बिस्तरों वाले छात्रावास, रिम्स, इंफाल का उद्घाटन 06/04/2023 को किया गया।
ओबीसी लड़कों के लिए 100 बिस्तरों वाले छात्रावास, रिम्स, इंफाल का उद्घाटन 06/04/2023 को किया गया।
बजट

बजट अनुमान या वित्तीय वर्ष 2022-23

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट आवंटन

560.00

629.16


भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई):


खाद्य सुरक्षा और मानक (एफएसएस) अधिनियम, 2006 को भोजन से संबंधित कानूनों को समेकित करने और खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानकों को निर्धारित करने के साथ-साथ उनके निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करने के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया था। मानव उपभोग के लिए सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन की उपलब्धता। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की स्थापना सितंबर, 2008 में एफएसएस अधिनियम के प्रावधानों के तहत खाद्य सुरक्षा के सभी मामलों पर शीर्ष प्राधिकरण के रूप में और उपभोक्ताओं को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने के लिए की गई थी।


एफएसएसएआई ने एफएसएस अधिनियम की धारा 13 के तहत 21 विषय विशिष्ट वैज्ञानिक पैनलों का गठन किया है, जिसमें जोखिम मूल्यांकन निकायों के रूप में कार्य करने और अपनी वैज्ञानिक राय प्रदान करने के लिए स्वतंत्र वैज्ञानिक विशेषज्ञ शामिल हैं। एफएसएस अधिनियम की धारा 14 के तहत एक वैज्ञानिक समिति भी है। वैज्ञानिक समिति और वैज्ञानिक पैनल खाद्य मानकों के विकास पर वैज्ञानिक राय और सिफारिशें प्रदान करते हैं।
2023 के दौरान, एफएसएसएआई ने खाद्य उत्पादों के विज्ञान आधारित मानकों के विकास/संशोधन की दिशा में काम करना जारी रखा। 2023 के दौरान, एफएसएसएआई ने 4 अंतिम अधिसूचनाएँ और 3 मसौदा अधिसूचनाएँ अधिसूचित कीं। अंतिम अधिसूचनाओं में भोजन के विभिन्न लेखों जैसे बासमती चावल, मुर्गी के अंडे, डबल टोंड दूध के लिए वसा की मात्रा को कम करना, मीठे पानी और समुद्री मछली में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले फॉर्मल्डिहाइड की सीमा, भेड़ के दूध, तेल, सूखे नारियल के लिए मानक/संशोधित मानक शामिल हैं। गेहूं का आटा या परिणामी गेहूं का आटा, बाजरा, मिथुन (बोस फ्रंटलिस), सूखा मीठा मार्जोरम, नारियल नीरा, 'प्राकृतिक खनिज पानी' और 'पैकेज्ड पेयजल' में तरल नाइट्रोजन की खुराक, भोजन में जोड़े जाने वाले पदार्थ, सूक्ष्मजीवविज्ञानी मानक आदि; मादक पेय पदार्थों पर कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट सामग्री जैसी पोषण संबंधी जानकारी की घोषणा और सिंगल माल्ट या सिंगल ग्रेन व्हिस्की की परिभाषा में संशोधन की अनुमति देना; पदेन सदस्यों के अलावा खाद्य प्राधिकरण के सदस्यों के लिए बैठक शुल्क में संशोधन। मसौदा अधिसूचना में शिशु पोषण के लिए खाद्य पदार्थों में सेलेनियम, मैंगनीज, आयरन और बायोटिन की संशोधित सीमाएँ, एगमार्क प्रमाणीकरण चिह्न का लोप; मीड (हनी वाइन), क्राफ्ट बीयर, भारतीय शराब के मानक और कम अल्कोहल वाले पेय पदार्थ/आरटीडी, वाइन आधारित पेय पदार्थ और देशी शराब आदि की परिभाषा शामिल हैं।


एफएसएसएआई ने एक नया एफएसएस विनियमन अर्थात भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (वित्तीय) विनियम, 2023 भी अधिसूचित किया; नामित अधिकारी की योग्यता, खाद्य सुरक्षा अधिकारी के कर्तव्य, प्रपत्र आदि के संबंध में अधिसूचना से संबंधित एफएसएस नियमों में एक संशोधन और नियम 2.1.3 के उप-नियम 1 के खंड (ii) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पद के लिए योग्यता के संबंध में एफएसएस नियम अधिसूचित किए।


देश में सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) को किसी भी खाद्य व्यवसाय को चलाने के लिए एफएसएस अधिनियम, 2006 की धारा 31 के तहत पंजीकृत या लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है। आवेदन करने, लाइसेंस जारी करने और एफबीओ के पंजीकरण की प्रक्रिया खाद्य सुरक्षा अनुपालन प्रणाली (एफओएससीओएस) के माध्यम से पूरी तरह से ऑनलाइन है। 30.11.2023 तक, 64,803 केंद्रीय लाइसेंस, 10,06,837 राज्य लाइसेंस और 45,83,408 पंजीकरण सक्रिय हैं। रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों/बंदरगाहों पर दिए गए लाइसेंस और पंजीकरण को जोड़ने पर, सक्रिय लाइसेंस और पंजीकरण का संचयी आंकड़ा 56.63 लाख हो जाता है। खाद्य व्यवसायों की लाइसेंसिंग और पंजीकरण तथा प्रवर्तन गतिविधियों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।
एफएसएसएआई ने दिनांक 11-01-2023 के आदेश के तहत निर्णय लिया है कि लाइसेंस/पंजीकरण के सभी नवीनीकरण संबंधित प्राधिकारी की जांच/अनुमोदन की आवश्यकता के बिना तुरंत दिए जाएंगे। एफएसएसएआई ने दिनांक 13-01-2023 के आदेश के तहत आदेश दिया है कि सभी निर्माता (रिपैकर और रिलेबेलर्स सहित) एफओएससीओएस के माध्यम से छह मासिक लैब परीक्षण रिपोर्ट अपलोड करेंगे या ऐसी रिपोर्ट को InFoLNet से लिंक करेंगे, जहां भी एफएसएसएआई अधिसूचित प्रयोगशालाओं द्वारा नमूनों का विश्लेषण किया जाता है। एफएसएसएआई ने दिनांक 10-02-2023 के आदेश के तहत एफएसएसएआई लाइसेंस के लिए प्रारंभिक आवेदन शुल्क को घटाकर रु. 1000/- प्लस जीएसटी । इसके अलावा, लिंग अंतर को पाटने और खाद्य व्यवसाय क्षेत्र में महिलाओं और ट्रांसजेंडर उद्यमियों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाकर समान अवसरों को बढ़ावा देने के लिए, एफएसएसएआई ने लाइसेंस/पंजीकरण के लिए उनके आवेदनों को 'विशेष श्रेणी' के तहत वर्गीकृत करने के लिए एफओएससीओएस में प्रावधान बनाया है। अधिकारियों को ऐसे आवेदनों को 'सामान्य श्रेणी' के आवेदन के साथ 1:1 के अनुपात में संसाधित करने का निर्देश दिया।


एफएसएसएआई एमओयू के माध्यम से देश में खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। 2023-24 के दौरान, 14.11.2023 तक, रुपये की सीमा तक धनराशि। 21 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त कार्य-योजना प्रस्तावों के आधार पर 360.41 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के परामर्श से अंतिम रूप दी गई कार्य योजनाओं के लिए मुख्य रूप से पहली किश्त के रूप में 16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को 144.83 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।


एफएसएसएआई ने खाद्य सुरक्षा के विभिन्न मापदंडों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापने के लिए राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक विकसित किया है। सूचकांक छह महत्वपूर्ण मापदंडों पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन पर आधारित है, अर्थात् (i) मानव संसाधन और संस्थागत डेटा; (ii) अनुपालन; (iii) खाद्य परीक्षण अवसंरचना और निगरानी; (iv) प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण; (v) उपभोक्ता सशक्तिकरण; और (vi) एसएफएसआई रैंक में सुधार। वर्ष 2022-2023 के लिए 5वां राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक 7 जून 2023 को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर जारी किया गया। बड़े राज्यों में, केरल ने पहला स्थान हासिल किया, उसके बाद पंजाब और तमिलनाडु का स्थान रहा। छोटे राज्यों में गोवा ने पहला स्थान हासिल किया, उसके बाद मणिपुर और सिक्किम का स्थान रहा। केंद्रशासित प्रदेशों में, जम्मू और कश्मीर को पहला स्थान मिला, उसके बाद दिल्ली और चंडीगढ़ को स्थान मिला।


2023 के दौरान, एफएसएसएआई द्वारा एफएसएस अधिनियम, 2006 की धारा 43(1) के तहत 11 खाद्य प्रयोगशालाओं को मान्यता/अधिसूचित किया गया है और 03 खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को गैर-अधिसूचित किया गया है। इससे अब तक प्राथमिक खाद्य नमूना परीक्षण के लिए अधिसूचित खाद्य प्रयोगशालाओं की कुल संख्या 239 हो गई है। इसके अलावा, अपीलीय खाद्य नमूना परीक्षण के लिए एफएसएसएआई द्वारा एफएसएस अधिनियम, 2006 की धारा 43(2) के तहत 22 रेफरल प्रयोगशालाओं को मान्यता/अधिसूचित किया गया है। इन प्रयोगशालाओं में से 55 खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं ने जैविक खाद्य उत्पादों के परीक्षण के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) से मान्यता प्राप्त की है।


एफएसएसएआई ने खाद्य सुरक्षा और मानक (प्रयोगशालाओं की मान्यता और अधिसूचना) विनियम, 2018 के विनियमन 3 के अनुसार 11 खाद्य प्रयोगशालाओं को राष्ट्रीय संदर्भ प्रयोगशालाओं (एनआरएल) के रूप में मंजूरी (आदेश दिनांक 25.08.2023) प्रदान की है। आज तक, एफएसएसएआई ने 405 मोबाइल खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं यानी फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स वाहन (एफएसडब्ल्यू) को मंजूरी दे दी है और जिनमें से 238 देश भर में तैनात हैं। इस अवधि के दौरान एफएसडब्ल्यू के माध्यम से कुल 175934 खाद्य परीक्षण, 10062 जागरूकता और 5108 प्रशिक्षण गतिविधियाँ आयोजित की गईं।


सैंपलिंग और विश्लेषण के तरीकों पर वैज्ञानिक पैनल ने एफआरके के लिए फोर्टिफाइड चावल, फोर्टिफाइड राइस कर्नेल और प्रीमिक्स में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 का पता लगाने के लिए परीक्षण विधियां तैयार की हैं, जिन्हें वैज्ञानिक समिति और खाद्य प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया गया था और दिनांक 08.09 के आदेश के तहत प्रकाशित किया गया था। अब तक, एफएसएसएआई ने फोर्टिफाइड चावल के परीक्षण के लिए 42 प्रयोगशालाएं, फोर्टिफाइड राइस कर्नेल के लिए 21 प्रयोगशालाएं और एफआरके के लिए विटामिन-मिनरल प्रीमिक्स के लिए 10 प्रयोगशालाएं अधिसूचित की हैं। एफएसएसएआई ने एफआरके के लिए फोर्टिफाइड चावल (एफआर), फोर्टिफाइड चावल कर्नेल (एफआरके) और विटामिन खनिज प्रीमिक्स के नमूने पर दिशानिर्देश तैयार किए हैं।


सुरक्षा पैरामीटर पर एफएसएसएआई की रेफरल प्रयोगशालाओं के समन्वय से 2023 के दौरान एफएसएसएआई द्वारा कुल 42 शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन प्रशिक्षणों में 516 प्रयोगशाला कर्मियों ने भाग लिया।


एफएसएसएआई विभिन्न खाद्य उत्पादों का अखिल भारतीय सर्वेक्षण करता रहा है। गुड़ और दूध पर पैन इंडिया सर्विलांस की रिपोर्ट जनवरी 23 में एफएसएसएआई की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है। एफएसएसएआई ने तीन सूक्ष्म पोषक तत्वों का विश्लेषण करने के लिए मई, 2023 में 10 एफएसएसएआई अधिसूचित प्रयोगशालाओं को शामिल करके एफआरके निर्माताओं (राज्य और केंद्रीय लाइसेंस धारकों) से आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12, फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) निगरानी अभियान चलाया। इसके अलावा, एफएसएसएआई ने अगस्त 23 में क्यूसीआई और एनडीडीवी-सीएएलएफ के माध्यम से दूध और दूध उत्पादों जैसे खोआ, छेना, पनीर, घी, मक्खन, दही/दही, आइसक्रीम आदि पर निगरानी गतिविधियाँ शुरू की हैं।


2023 में एफएसएसएआई ने बाजरा को लेकर कई पहल की हैं। एफएसएसएआई द्वारा तैयार बाजरा कैलेंडर जनवरी 2023 में माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया द्वारा लॉन्च किया गया था।


आईवाईओएम 2023 के उत्सव के एक भाग के रूप में एफएसएसएआई ने 18 और 19 मार्च, 2023 को ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्ना) सम्मेलन का आयोजन किया। ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्ना) सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान, माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एफएसएसएआई द्वारा बाजरा पर तैयार मानकों के आधार पर एक पुस्तक, "श्री अन्ना - एक समग्र अवलोकन" को डिजिटल रूप से लॉन्च किया।


17. इसके अलावा, एफएसएसएआई ने अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईओएम) 2023 के जश्न के हिस्से के रूप में 3 अप्रैल 2023 से 30 जून 2023 तक MyGov प्लेटफॉर्म पर 'ईट राइट मिलेट्स (श्री अन्ना) क्विज़' की मेजबानी की और 4 सप्ताह का आयोजन किया। बड़े पैमाने पर लोगों को बाजरा-आधारित खाद्य उत्पादों, व्यंजनों और उनके लाभों को प्रोत्साहित करने के लिए 20 अप्रैल 23 से 20 मई 23 तक 2100 से अधिक प्रमाणित ईट राइट कैंपस के लिए श्री अन्ना (बाजरा) चुनौती। चुनौती में कुल 84 परिसरों ने भाग लिया। भाग लेने वाले परिसरों ने अपनी कैंटीनों में बाजरा-आधारित भोजन को प्रोत्साहित किया, व्यंजनों को साझा किया और चुनौती के दौरान बाजरा के लाभों पर जागरूकता सत्र आयोजित किए। 5 ईट राइट कैम्पसों को प्रशंसा प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया। कैंटीन और मेस के लिए एक बाजरा रेसिपी बुक (छह भारतीय भाषाओं में उपलब्ध) और एक प्रोबायोटिक रेसिपी बुक का अनावरण केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया द्वारा किया गया।


7 जून 2023 को विज्ञान भवन, दिल्ली में विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया गया। सभी जिलों में क्रमशः ईट राइट बाजरा मेला और ईट राइट मेला आयोजित करने के लिए केरल और जम्मू और कश्मीर को प्रशंसा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। जनवरी से अक्टूबर 2023 तक। 2023 में 151 ईट राइट मेले और 100 साइक्लोथॉन/वॉकथॉन/योग सत्र आयोजित किए गए हैं। मेलों का उद्देश्य लोगों को अपने आहार में बाजरा शामिल करने के महत्व के बारे में शिक्षित करना और भोजन में बाजरा के उपयोग के विभिन्न तरीकों का प्रदर्शन करना है।
सशस्त्र बलों के बीच बाजरा-आधारित भोजन और स्वस्थ भोजन प्रथाओं के उपयोग को बढ़ावा देने और सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, रक्षा मंत्रालय (एमओडी) और खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। भारत सरकार (एफएसएसएआई) द्वारा 13 जुलाई, 2023 को माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया की उपस्थिति में। इस अवसर पर श्री अन्ना (बाजरा) की खपत और इसके स्वास्थ्य लाभों को बढ़ावा देने के लिए 'रक्षा के लिए स्वस्थ व्यंजन' नामक पुस्तक का भी अनावरण किया गया। बाजरा पर एक लघु जागरूकता वीडियो/टीवीसी माननीय रक्षा मंत्री और माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री द्वारा संयुक्त रूप से विकसित और जारी किया गया था।


एफएसएसएआई द्वारा 20-21 जुलाई 2023 को पहला वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन 2023 आयोजित किया गया था। कोडेक्स, एफएओ, डब्ल्यूएचओ, विश्व खाद्य कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित लगभग 70 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान, माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. मनसुख मंडाविया ने फूड-ओ-कोपिया, खाद्य श्रेणी-वार मोनोग्राफ के संग्रह सहित विभिन्न पहलों का अनावरण किया। माननीय केंद्रीय मंत्री ने सामान्य नियामक मंच 'संग्रह' - राष्ट्रों के लिए सुरक्षित भोजन: वैश्विक खाद्य नियामक प्राधिकरण हैंडबुक भी लॉन्च किया। यह दुनिया भर के 76 देशों के खाद्य नियामक प्राधिकरणों, उनके अधिदेश, खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र, खाद्य परीक्षण सुविधाओं, खाद्य अधिकारियों के संपर्क विवरण का एक डेटाबेस है।


31 अक्टूबर 2023 को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के तत्वावधान में दिल्ली के विज्ञान भवन में ईट राइट समिट 2023 का आयोजन किया गया था। चल रहे अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 के मद्देनजर इस शिखर सम्मेलन का विषय 'श्री अन्ना' था।


भारत को मसालों और पाक जड़ी-बूटियों पर कोडेक्स समिति के लिए मेजबान देश सचिवालय होने और कोडेक्स में इसके योगदान के लिए एफएओ द्वारा मान्यता दी गई है। कोडेक्स एलिमेंटेरियस आयोग ने 27 नवंबर से 02 दिसंबर 2023 तक रोम में आयोजित सम्मेलन के दौरान बाजरा समूह के लिए वैश्विक मानक विकसित करने के भारत के प्रस्ताव पर विचार किया है। आयोग को सूचित किया गया कि भारत ने पहले ही 15 प्रकार के बाजरा के लिए मानकों का एक समूह विकसित कर लिया है।


2023 में इंद्रापुरम, गाजियाबाद में एक राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण संस्थान "खाद्य सुरक्षा और मानकों के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र" स्थापित किया गया है। कर्मचारी प्रशिक्षण इकाई ने नए भर्ती किए गए लोगों के लिए पोषण व्यक्तिगत क्षमता और अनलीशिंग नेटवर्किंग (एनआईपीयूएन) नामक चार प्रेरण प्रशिक्षण कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक आयोजन किया है। अधिकारियों/कर्मचारियों को संगठनात्मक प्रक्रियाओं और कार्यप्रवाह से परिचित कराना। इस अवधि के दौरान, एफएसएसएआई ने 300 से अधिक अधिकारियों का प्रेरण/पुनश्चर्या प्रशिक्षण आयोजित किया है जिसमें खाद्य सुरक्षा अधिकारी, विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के नामित अधिकारी, भारतीय रेलवे, हवाईअड्डा स्वास्थ्य संगठन/बंदरगाह स्वास्थ्य संगठन और एफएसएसएआई के केंद्रीय खाद्य सुरक्षा अधिकारी शामिल हैं।


2023 में खाद्य सुरक्षा पर्यवेक्षकों के 9112 प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं और 3.03 लाख से अधिक खाद्य संचालकों को खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण और प्रमाणन (एफओसीटीएसी) कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित और मूल्यांकन किया गया है। यह बड़े गर्व की बात है कि पिछले 6 वर्षों के दौरान एफओसीटीएसी कार्यक्रम के तहत 14 लाख से अधिक खाद्य संचालकों को प्रशिक्षित किया गया है।


देश में खाद्य आयात को 161 प्रवेश बिंदुओं पर विनियमित किया जा रहा है। वर्तमान में, प्रवेश के 62 बिंदु 13 स्थानों यानी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, तूतीकोरिन, हैदराबाद, बैंगलोर, कृष्णापटनम, विशाखापत्तनम, कांडला मुंद्रा, कोच्चि, मैंगलोर और अहमदाबाद में स्थित कार्यालयों के माध्यम से एफएसएसएआई अधिकारियों के सीधे नियंत्रण में हैं। प्रवेश के शेष 99 बिंदुओं में से, सीमा शुल्क अधिकारियों को एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार खाद्य खेपों की निकासी को विनियमित करने के लिए अधिकृत अधिकारी के रूप में अधिसूचित किया गया है। दूध, अंडा, मांस, शिशु आहार, पोषक तत्व आदि जैसे उच्च जोखिम वाले खाद्य उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, यह निर्णय लिया गया कि इन उत्पादों को केवल प्रविष्टियों के प्रतिबंधित 79 बिंदुओं के माध्यम से अनुमति दी जाएगी। एफएसएसएआई ने भारत में दूध, मांस, अंडा पाउडर, शिशु आहार और न्यूट्रास्यूटिकल्स निर्यात करने के इरादे से विदेशी खाद्य विनिर्माण सुविधाओं का पंजीकरण शुरू किया। आगे के जोखिम विश्लेषण के लिए एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल यानी विदेशी खाद्य निर्माताओं का पंजीकरण (आरईएफओएम) के माध्यम से पंजीकृत विदेशी खाद्य निर्माताओं का एक डेटाबेस बनाया जाता है। अब तक 47 देशों ने 3043 विदेशी खाद्य निर्माताओं को शामिल करते हुए पंजीकरण कराया है।

पोस्ट डॉक्टोरल (डीएम) पाठ्यक्रम:


पोस्ट-डॉक्टरल (डीएम) कार्डियोलॉजी पाठ्यक्रम सत्र 2012-13 से 2 सीटों के वार्षिक प्रवेश के साथ शुरू किया गया था। डीएम न्यूरोलॉजी में पोस्ट डॉक्टोरल कोर्स के अलावा 2 (दो) सीटों की वार्षिक प्रवेश क्षमता सत्र 2022-23 से शुरू की गई है।


नर्सिंग शिक्षा:


बी.एससी. 50 वार्षिक प्रवेश के साथ नर्सिंग पाठ्यक्रम वर्ष 2006 में शुरू किया गया था। अगले शैक्षणिक सत्र से छात्रों की संख्या 100 सीटों तक बढ़ा दी जाएगी। एम. एससी. प्रति वर्ष 10 छात्रों के प्रवेश के साथ नर्सिंग पाठ्यक्रम वर्ष 2016 से शुरू किया गया था। बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए उपरोक्त के अलावा 8 (आठ) सीटें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख (पीएमएसएस) के केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रधान मंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना और 12 (बारह) के तहत विदेशी छात्रों के लिए 25% अतिरिक्त सीटें बढ़ाई गई हैं। एम. एससी नर्सिंग कोर्स के लिए विदेशी छात्रों के लिए 25% अतिरिक्त सीटों के तहत 2 (दो) सीटें बढ़ाई गई हैं।
शैक्षणिक उपलब्धियां:


अब तक एमबीबीएस छात्रों के 16 बैचों को प्रवेश दिया गया है और 10 बैच उत्तीर्ण हुए हैं।
प्रवेशित पीजी छात्रों की संख्या 244 है और विभिन्न विशिष्टताओं में 159 पीजी ने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है।


डीएम कार्डियोलॉजी में प्रवेश पाने वालों की संख्या 24 है और 16 ने अपना कोर्स पूरा कर लिया है।


एमएससी की संख्या (नर्सिंग) में प्रवेश पाने वाले छात्रों की संख्या 76 है और 5 बैचों ने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है।


बीएससी की संख्या (नर्सिंग) छात्रों की संख्या 900 है और 12 बैचों ने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, संगोष्ठियाँ, कार्यशालाएँ, टेलीकांफ्रेंस और टेली-मेडिसिन कार्यशालाएँ देश के अन्य संस्थानों के सहयोग से आयोजित की जाती हैं, जिसमें अनुसंधान के लिए विभिन्न फंडिंग एजेंसियां, विशेष रूप से आईसीएमआर, एचआरडी, डीएसटी आवश्यकता-आधारित, स्वदेशी परियोजनाओं पर सराहनीय प्रभाव वाले शोध प्रकाशन आदि शामिल होती हैं।
संस्थान का प्रबंधन


संस्थान की गवर्निंग काउंसिल संस्थान का सर्वोच्च प्राधिकारी है जिसके अध्यक्ष केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और 27 अन्य सदस्य होते हैं। कार्यकारी समिति की अध्यक्षता सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की जाती है। अन्य समितियों का भी गठन किया गया है जैसे स्थायी वित्त समिति, स्थायी चयन समिति और शैक्षणिक समिति आदि। निदेशक, एनईआईजीआरआईएचएमएस संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। समस्त प्रशासनिक एवं शैक्षणिक गतिविधियाँ उसके नियंत्रण में हैं।


डीन (शिक्षाविद) संस्थान की शैक्षणिक गतिविधियों का समग्र प्रभारी है और डीन (अनुसंधान) अनुसंधान गतिविधियों की देखभाल करता है। चिकित्सा अधीक्षक अस्पताल का समग्र प्रभारी होता है जो अस्पताल के दैनिक कामकाज की देखभाल करता है। विभिन्न विभागों का कामकाज सीधे संबंधित विभागाध्यक्षों के अधीन होता है। दुर्घटना, सीएसएसडी, स्टोर, अस्पताल अपशिष्ट प्रबंधन आदि जैसे प्रमुख क्षेत्रों की देखभाल चिकित्सा अधीक्षक के पर्यवेक्षण के तहत नामित अधिकारी द्वारा की जाती है।


स्वीकृत ताकत और सत्ता की स्थिति:


वर्तमान में संस्थान में 2026 पदों की स्वीकृत संख्या के मुकाबले संकाय, समूह ए, बी और सी पदों सहित कुल 1365 जनशक्ति हैं। संस्थान एनईआईजीआरआईएचएमएस के विभिन्न विभागों में शिक्षण संकाय को बढ़ाने के लिए रिक्त संकाय पदों को भरने का प्रयास कर रहा है। 168 पदों की स्वीकृत संख्या के मुकाबले पद पर कुल संकाय संख्या 93 है (1 को छोड़कर जो अभी तक शामिल नहीं हुआ है)। संस्थान में अब तक 127 पदों में से 67 सीनियर रेजिडेंट्स और 110 पदों में से 67 जूनियर रेजिडेंट्स कार्यरत हैं।


आउटसोर्स सेवाएँ:


संस्थान ने सफाई सेवा, इसकी अस्पताल नैदानिक सेवाओं, शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों में अतिरिक्त सहायता के लिए सुरक्षा सेवाओं को आउटसोर्स किया है।
प्रमुख उच्च स्तरीय उपकरण:


अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम


डीजीएचएस, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को भारत के लिए राष्ट्रीय फोकल प्वाइंट नामित किया गया है। देश में आईएचआर (2005) के लिए क्षमता निर्माण, डब्ल्यूएचओ आईएचआर निगरानी उपकरण का उपयोग करके आईएचआर कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करना और सालाना डब्ल्यूएचओ के साथ साझा करना, घटना सत्यापन के लिए डब्ल्यूएचओ, अन्य देशों के एनएफपी और स्थानीय हितधारकों के साथ समन्वय और संचार करना, अधिसूचना, संपर्क अनुरेखण (टीबी), आदि एनएफपी के कार्यों में शामिल हैं।
कोविड-19 की महामारी के दौरान, जनसंख्या को कोविड-19 से बचाने के लिए वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक निर्देशन और समन्वय निकाय के रूप में सदस्य देशों और डब्ल्यूएचओ की विफलता, विभिन्न स्तरों पर आत्मनिरीक्षण की ओर ले जाती है। 2021 में 74वीं विश्व स्वास्थ्य सभा ने स्वास्थ्य आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया (डब्ल्यूजीपीआर) पर एक कार्य समूह का गठन किया। डब्ल्यूजीपीआर की रिपोर्ट पर विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) द्वारा विचार किया गया, जिससे दो सदस्य राज्य संचालित अंतर-सरकारी प्रक्रियाओं का विकास हुआ।


महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया (डब्ल्यूएचओ सीए+) पर डब्ल्यूएचओ सम्मेलन, समझौता या अन्य अंतर्राष्ट्रीय उपकरण विकसित करने के लिए अंतर सरकारी वार्ता निकाय (आईएनबी)। आईएचआर में लक्षित संशोधनों की सिफारिश करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (डब्ल्यूजीआईएचआर) पर कार्य समूह; प्रस्तावित उपकरण और आईएचआर में लक्षित संशोधन दोनों को मई 2024 में 77वें डब्ल्यूएचए के समक्ष रखा जाना है।


आईएनएसएसीओजी:


भारतीय एसएआकएस-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) दिसंबर 2020 को भारत सरकार द्वारा स्थापित जीनोम सीक्वेंसिंग लेबोरेटरीज (आरजीएसएलएस) प्रयोगशालाओं का एक राष्ट्रीय बहु-एजेंसी संघ है।


नेटवर्क पूरे देश में एसएआकएस-सीओवी-2 वायरस की संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण करता है, जिससे यह समझने में सहायता मिलती है कि वायरस कैसे फैलता है और विकसित होता है, और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया में सहायता के लिए जानकारी प्रदान करता है। आईएनसीएसीओजी और अन्य राज्य अनुक्रमण पहलों के संचयी डेटा का सारांश आईएनसीएसीओजी डेटा पोर्टल में आईएनसीएसीओजी से संबंधित अन्य जानकारी के साथ https://inda.rcb.ac.in/insacog/statisticsinsacog पर पाया जा सकता है।


वर्तमान में आईएनसीएसीओजी एसएआरएस एसओवी-2 उप-वंश के उद्भव और विकास पर कड़ी नजर रख रहा है और निगरानी कर रहा है।


वर्तमान में प्रचलित वेरिएंट JN.1, BA.2.38, BA.2.10.1, और रीकॉम्बिनेंट वेरिएंट यानी XBB.2.3, XBB.2.3.*, XBB.1.16, XBB.1.16.* और GE.1 हैं:


प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई)


प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) देश के वंचित क्षेत्रों में चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और नैदानिक देखभाल में तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल क्षमता के निर्माण की परिकल्पना करती है। इसका उद्देश्य सस्ती/विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करना और देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाओं को बढ़ाना है। इस योजना के दो व्यापक घटक हैं:
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना; मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों (जीएमसीआई) का उन्नयन। अब तक, इस योजना के तहत 22 नए एम्स की स्थापना और मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों (जीएमसीआई) की 75 उन्नयन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।


चरण-I के अंतर्गत छह एम्स:


चरण- I में कुल छह एम्स (भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश) रुपये की अनुमोदित लागत पर स्थापित किए गए थे। प्रति एम्स 820.00 करोड़। ये पूरी तरह से चालू हैं।
अस्पताल की सभी प्रमुख सुविधाएं और सेवाएं जैसे कि आपातकालीन, ट्रॉमा, ब्लड बैंक, आईसीयू, डायग्नोस्टिक और पैथोलॉजी काम कर रही हैं। छह एम्स की कुल बिस्तर क्षमता वर्तमान में 6329 है। इन 6 एम्स में अस्पताल सेवाएं विभिन्न विशेषज्ञता और सुपर-स्पेशियलिटी विभागों में चल रही हैं। इन छह एम्स में 1706 पीजी सीटें (मेडिकल) और 750 एमबीबीएस सीटें हैं।


चरण- II, IV, V, VI और VII के तहत नए एम्स:


अगले चरणों में कैबिनेट द्वारा 16 एम्स को मंजूरी/अनुमोदन दिया गया है। इन संस्थानों में निम्नलिखित सुविधाओं और सेवाओं को क्रियाशील बनाया गया है: निम्नलिखित 11 एम्स - गोरखपुर (यूपी), रायबरेली (यूपी), नागपुर (महाराष्ट्र), कल्याणी (पश्चिम बंगाल), मंगलागिरी (आंध्र प्रदेश) में बीबीएस कक्षाएं और ओपीडी सेवाएं शुरू हुईं। बीबीनगर (तेलंगाना), बठिंडा (पंजाब) देवघर (झारखंड), बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश), गुवाहाटी (असम) और राजकोट (गुजरात)। इनमें से 10 एम्स रायबरेली, मंगलगिरी, नागपुर, कल्याणी, गोरखपुर, बठिंडा, बिलासपुर, देवघर, गुवाहाटी और बीबीनगर में सीमित पैमाने पर आईपीडी सुविधाएं शुरू की गई हैं। चालू वित्तीय वर्ष में इन 10 एम्स में 3760 हॉस्पिटल बेड क्रियाशील हैं।
विजयपुर (जम्मू) और मदुरै (तमिलनाडु) स्थित एम्स में एमबीबीएस कक्षाएं शुरू हो गई हैं।
11 एम्स (नागपुर, बीबीनगर, बठिंडा, देवघर, मंगलगिरी, रायबरेली, कल्याणी, बिलासपुर, गोरखपुर, गुवाहाटी और राजकोट) में 493 पीजी सीटें हैं और शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए 13 एम्स (मंगलागिरी, नागपुर, कल्याणी, गोरखपुर, बठिंडा (रायबरेली, देवघर, बीबीनगर, गुवाहाटी, बिलासपुर, विजयपुर, राजकोट और मदुरै)) में 1287 एमबीबीएस छात्र हैं।


मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों का उन्नयन:


उन्नयन कार्यक्रम में मोटे तौर पर सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक/ट्रॉमा केयर सेंटर आदि के निर्माण और/या मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों के लिए चिकित्सा उपकरणों की खरीद के माध्यम से तृतीयक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार की परिकल्पना की गई है।
योजना की शुरुआत के बाद से, मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों की 64 उन्नयन परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिनमें 2397 आईसीयू बेड सहित लगभग 13982 सुपर-स्पेशियलिटी बेड शामिल हैं। इन उन्नयन परियोजनाओं में निर्मित सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक/ट्रॉमा सेंटरों का उपयोग कोविड अस्पताल ब्लॉक के रूप में भी किया जा रहा है। निम्नलिखित 6 परियोजनाओं का सिविल निर्माण 2022-23 (नवंबर, 2023 तक) के दौरान पूरा हो चुका है:

क्र.सं.

जीएमसी/संस्थान का नाम

राज्य का नाम

चरण

सुविधा का प्रकार

कुल बिस्तर

आईसीयू बेड

सुपर स्पेशलिटीज़ की संख्या

1

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला

हिमाचल प्रदेश

III

एसएसबी

283

53

10

2

टीडी मेडिकल कॉलेज, अलाप्पुझा केरल

पश्चिम बंगाल

III

एसएसबी

279

62

9

3

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज, सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग

पश्चिम बंगाल

III

एसएसबी

255

89

8

4

जीएमसी, कानपुर

उत्तर प्रदेश

IV

एसएसबी

270

30

12

5

जीएमसी, जयपुर

राजस्थान

IV

एसएसबी

231

51

5

6

जीएमसी, भावनगर

गुजरात

IV

एसएसबी

193

47

6


क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक की स्थापना:


कोविड और गैर-कोविड रोगियों के मिश्रण से बचने के लिए, कई स्थानों पर पूर्ण अस्पतालों को कोविड समर्पित सुविधाओं के रूप में नामित करने की आवश्यकता थी। संक्रामक बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए, पीएम-एबीएचआईएम योजना में केंद्रीय क्षेत्र घटक के तहत 12 केंद्रीय अस्पतालों में 150 बिस्तरों वाले क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक (सीसीएचबी) की कुल लागत पर स्थापना की परिकल्पना की गई है। 2220 करोड़. इन संस्थानों में शामिल हैं - दिल्ली, भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में एम्स, चंडीगढ़ में पीजीआईएमईआर, पुडुचेरी में जिपमर, इम्फाल में आरआईएमएस, शिलांग में एनईआईजीआरआईएचएमएस और वाराणसी में बीएचयू का आईएमएस। योजना के तहत आवंटन का मोटे तौर पर मतलब है रु. पूंजीगत लागत के रूप में 120 करोड़ रुपये जिसमें सिविल निर्माण, आईसीयू, एचडीयू, डायलिसिस, ओटी, एमजीपीएस, सीएसएसडी, अस्पताल के बिस्तर और फर्नीचर और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं। इसके अलावा, डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के वेतन के लिए अनुमानित परिचालन व्यय रु। अस्पताल सेवाओं को चलाने पर प्रति वर्ष 28.0 करोड़ रुपये और अन्य परिचालन व्यय के लिए 12.0 करोड़ रुपये प्रति वर्ष। हालाँकि, आवर्ती लागत सीसएचबी के कार्यात्मक होने के बाद और केवल 2025-26 तक उपलब्ध होगी, जिसके बाद संस्थानों से इस आवश्यकता को अपने नियमित बजट से पूरा करने की उम्मीद की जाएगी। अब तक, रु। इन 12 संस्थानों को 433.69 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम)

राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) को 1 मई, 2013 को एक व्यापक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत उप-मिशन के रूप में मंजूरी दी गई थी, एनआरएचएम दूसरा उप-मिशन है। एनयूएचएम शहरी क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल वितरण प्रणालियों को मजबूत करने और झुग्गी-झोपड़ियों और कमजोर आबादी पर विशेष ध्यान देने के साथ शहरी आबादी को न्यायसंगत और गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने की परिकल्पना करता है। यह शहरी क्षेत्रों में मजबूत व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करके माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं (जिला अस्पताल/उप-जिला अस्पताल/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में भीड़ कम करने का भी प्रयास करता है।

एनयूएचएम 50,000 से अधिक आबादी वाले सभी शहरों और कस्बों और 30,000 से अधिक आबादी वाले जिला मुख्यालयों और राज्य मुख्यालयों को कवर करता है। शेष शहर/कस्बे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के अंतर्गत आते हैं। एनयूएचएम के तहत, लगभग 30,000 से 50,000 शहरी आबादी के लिए एक यू-पीएचसी के मानक के अनुसार यूपीएचसी स्थापित किए जाने हैं। इसके अलावा, 15वें एफसी और पीएम-एबीएचआईएम के तहत 15,000-20,000 की आबादी पर यू-पीएचसी के नीचे शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर को मंजूरी दी गई है। ये शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर प्रशासनिक, वित्तीय, रिपोर्टिंग और पर्यवेक्षी उद्देश्य के लिए निकटतम यूपीएचसी - आयुष्मान आरोग्य मंदिर से जुड़े हुए हैं।

एनयूएचएम का कार्यान्वयन राज्य स्वास्थ्य विभाग या शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के माध्यम से होता है। सात महानगरीय शहरों, अर्थात् मुंबई, नई दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु और अहमदाबाद में कार्यान्वयन यूएलबी के माध्यम से होता है। राज्य स्वास्थ्य विभाग अन्य शहरों के लिए एनयूएचएम को उनके माध्यम से या अन्य शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से लागू किया जाना है या नहीं इस बात का निर्णय लेता है। अब तक, 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 1215 शहरों को एनयूएचएम के तहत कवर किया गया है। भौतिक प्रगति: यह कार्यक्रम 10 वर्षों से अधिक समय से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जा रहा है। इससे शहरी क्षेत्रों के लिए समर्पित बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों को बढ़ाने में मदद मिली है। एनयूएचएम के तहत अनुमोदित गतिविधियों में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा रिपोर्ट की गई प्रगति (जून, 2023 तक अद्यतन) इस प्रकार है- (i) बुनियादी ढांचे के तहत प्रगति एनयूएचएम के तहत 1,215 शहर/कस्बे शामिल हैं, 5,271 यूपीएचसी और 227 यूसीएचसी कार्यात्मक हैं, 4,926 यूपीएचसी 18.12.2023 को आयुष्मान आरोग्य मंदिर पोर्टल के अनुसार आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में मजबूत किया गया) यूपीएचसी के तहत 4285 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर आयुष्मान आरोग्य मंदिर पोर्टल के अनुसार संचालित हैं (18.12.2023 तक)

(ii) एनयूएचएम के तहत मानव संसाधन में प्रगति

चिकित्सा अधिकारी पद पर 4,693

स्टाफ नर्स पद पर 341

विशेषज्ञ पद पर 8,288

एएनएम पद पर 19,492

फार्मासिस्ट पद पर 3,228

लैब तकनीशियन पद पर 3,548

सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधक पद पर 535

राज्य/जिला/ शहर स्तर पर कार्यक्रम प्रबंधन कर्मचारी पद पर 1,623

(iii) एनयूएचएम के तहत एमएचयू में 56 मोबाइल मेडिकल इकाइयां कार्यरत हैं

(iv) सामुदायिक प्रक्रिया के तहत प्रगति

82,296 आशाएं कार्यरत हैं। 84,842 महिला आरोग्य समिति (एमएएस) का गठन किया गया है।

आयुष्मान भारत के हिस्से के रूप मेंमौजूदा यू-पीएचसी को शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में मजबूत किया जा रहा है ताकि समुदायों के करीब शहरों में निवारक, प्रचारात्मक और उपचारात्मक सेवाएं प्रदान की जा सकें। अब तक, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली को छोड़कर) में 4,926 यू-पीएचसी को शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर में बदल दिया गया है।

आयुष्मान आरोग्य मंदिर पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में18.12.2023 तक उच्च रक्तचाप के लिए 5.04 करोड़ की स्क्रीनिंग, मधुमेह के लिए 4.16 करोड़ स्क्रीनिंग की गई और लगभग 1.91 करोड़मुंह के कैंसर की स्क्रीनिंग की गई। इसी तरह, इन कार्यात्मक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों ने महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के लिए 61 लाख और स्तन कैंसर के लिए 94 लाख स्क्रीनिंग की हैं।

शहरी आबादी का एक बड़ा हिस्सा आमतौर पर भीड़भाड़ वाले इलाके में बसा हुआ है। तदनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 तक पीएम-एबीएचआईएम के तहत शहरी स्थानीय निकायों के 11,024 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना के लिए सहायता प्रदान करके, शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर और पॉलीक्लिनिक्स के माध्यम से यूनिवर्सल सीपीएचसी प्रदान करने की योजना बनाई गई है।ऐसे शहरी एचडब्ल्यूसी लोगों के करीब प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की विकेंद्रीकृत डिलीवरी को सक्षम बनाएंगे, जिससे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोगों तक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों की पहुंच बढ़ेगी।

वर्ष 2016 में शहरी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) विकसित किए गए थे और सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में संस्थागत ढांचा स्थापित किया गया है। 30 नवंबर 2023 तक, 423 यूपीएचसी राष्ट्रीय स्तर पर एनक्यूएएस प्रमाणित हैं और इसके अतिरिक्त 266 यूपीएचसी राज्य स्तर पर एनक्यूएएस प्रमाणित हैं। कायाकल्प और स्वच्छ स्वस्थ सर्वत्र (एसएसएस) का विस्तार शहरी क्षेत्रों को भी कवर करने के लिए किया गया है और यू-पीएचसी को कायाकल्प पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 में, 1771 यूपीएचसी और 41 यूसीएचसी ने कायाकल्प बाहरी मूल्यांकन में 70% और उससे अधिक समग्र स्कोर हासिल किया और कार्यक्रम के तहत प्रोत्साहन के लिए अर्हता प्राप्त की।

वित्तीय प्रगति: वित्त वर्ष 2013-14 में एनयूएचएम के लॉन्च के बाद से वित्त वर्ष 2021-22 तक, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को क्रमशः 8,788.48 करोड़ रुपये और 7,165.87 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित और जारी की गई है। 2022-23 वित्तीय संबंधी मामलों का एनएचएम में विलय कर दिया गया है।

आईसीएमआर: स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग की प्रमुख गतिविधियां और उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

इंट्राम्यूरल रिसर्च

इंट्राम्यूरल रिसर्च कई फील्ड स्टेशनों वाले 27 संस्थानों/केंद्रों के देशव्यापी नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है, 14 आईसीएमआर संस्थान संचारी रोगों के क्षेत्र में काम करते हैं; गैर-संचारी रोगों में 6, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) से संबंधित बीमारियों में 1; पोषण संबंधी कमियों में 1, हीमोग्लोबिनोपैथी और पारंपरिक चिकित्सा सहित बुनियादी चिकित्सा विज्ञान से संबंधित बीमारियों में 3, पशु प्रजनन और अनुसंधान के क्षेत्र में 1 और 1 रोगी देखभाल और अनुसंधान केंद्र है। आईसीएमआर ने इंट्राम्यूरल रिसर्च प्रोग्राम के तहत प्रस्ताव मांगे हैं। इसका इरादा वैज्ञानिकों के उच्च जोखिम, उच्च पुरस्कार वाले अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है। प्राथमिकता वाले अनुसंधान क्षेत्रों के आधार पर अनुसंधान प्रस्तावों की आवश्यकता और गुणवत्ता के आधार पर प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर परियोजनाओं के लिए प्रत्येक संस्थान को 3 से 30 करोड़ रुपये के बीच पुरस्कार दिया जा सकता है। एक्स्ट्रामुरल रिसर्च इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) आईसीएमआर संस्थानों के बाहर काम करने वाले भारतीय वैज्ञानिकों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। एक्सट्रामुरल रिसर्च प्रोग्राम के विवरण के तहत भारतीयों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के उद्देश्य से चिकित्सा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और संबद्ध विषयों के क्षेत्र में अनुसंधान करना।

निम्नलिखित प्रकार के एक्स्ट्रामुरल रिसर्च अनुदान हैं: -

जांचकर्ता ने अनुसंधान प्रस्ताव शुरू किए- लघु अनुदान: पूरी अवधि के लिए प्रति परियोजना 2 करोड़ तक का वित्तपोषण। परियोजना की अवधि अधिकतम चार वर्ष तक होगी। अन्वेषक द्वारा शुरू किए गए अनुसंधान प्रस्ताव-मध्यवर्ती अनुदान: पूरी अवधि के लिए फंडिंग 2-8 करोड़ के बीच है। परियोजना की अवधि 4 वर्ष होगी। उन्नत अनुसंधान केंद्र (सीएआर): एक अनुभवी अनुसंधान टीम द्वारा निर्णायक अनुसंधान का संचालन करना जो एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल समस्या को हल करने में मदद करता है। इसमें स्पष्ट डिलिवरेबल्स के साथ एकल या एकाधिक लिंक की गई अनुसंधान परियोजनाएं हो सकती हैं। वर्तमान बजटीय सीमा 15 करोड़ प्रति कार है। परियोजना की अवधि पांच वर्ष होगी।

राष्ट्रीय प्राथमिकता के क्षेत्र में मिशन मोड अनुसंधान देश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान कार्यक्रम स्थापित करना। समाधान-आधारित अनुसंधान के लिए दस प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है - (1) एक स्वास्थ्य, (2) एएमआर, (3) टीबी, (4) वेक्टर जनित रोग (संचारी रोग), (5) कैंसर, (6) एम्बुलेटरी देखभाल एनसीडी, (7) तीव्र आपातकालीन देखभाल (एनसीडी), (8) एनीमिया, (9) स्टंटिंग और वेस्टिंग, (10) नवजात मृत्यु दर (आरसीएच और पोषण)।

आईसीएमआर सहयोग केंद्र उत्कृष्टता (आईसीएमआर-सीसीओई): आईसीएमआर ने हाल के दिनों में उत्कृष्ट शोध करने वाले अनुसंधान समूहों को आईसीएमआर सहयोग केंद्र उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मान्यता दी है। आईसीएमआर और इसके संस्थानों और उत्कृष्टता केंद्रों के साथ-साथ उत्कृष्टता केंद्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए। इससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य विकास के समर्थन में सूचना, सेवाओं, अनुसंधान और प्रशिक्षण के मामले में देश के संसाधन मजबूत होंगे। अवधि 5 वर्ष की होगी। आईसीएमआर सहयोग उत्कृष्टता केंद्र (आईसीएमआर-सीसीओई) के लिए रुचि की अभिव्यक्ति के लिए अनुरोध (31 जुलाई, 2023) नामक कॉल के तहत 25 केंद्रों को आईसीएमआर सहयोग उत्कृष्टता केंद्र के रूप में चुना गया।

वर्ष के दौरान उपलब्धियाँ: आईसीएमआर की प्रमुख गतिविधियाँ और उपलब्धियाँ नीचे दी गई हैं:

प्रकोप प्रतिक्रिया: डीएचआर ने पुणे में बीएसएल-4 सुविधा सहित अपनी वायरल रिसर्च और डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं के साथ, समय पर पता लगाने और कोविड-19, निपाह, जीका और एच1एन1प्रकोप की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केरल में हाल ही में निपाह के प्रकोप के दौरान, आईसीएमआर ने 12 सितंबर, 2023 को कुट्टियाडी, कोझीकोड, केरल में निपाह वायरस के प्रकोप की पुष्टि की। पांच में से तीन संदिग्ध मामले सकारात्मक थे। आईसीएमआर ने ऑनसाइट निदान और चमगादड़ सर्वेक्षण के लिए तत्काल प्रतिक्रिया टीमों को तैनात किया। 24 घंटों के भीतर एक मोबाइल बीएसएल-3 सुविधा स्थापित की गई, जिसमें 33.33% मृत्यु दर के साथ छह पुष्ट मामलों का परीक्षण किया गया। केरल में निपाह के प्रकोप को प्रबंधित करने के लिए त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया का प्रदर्शन करते हुए, जैव सुरक्षा उपायों का सख्ती से पालन किया गया। कोविड-19 महामारी के दौरान, आईसीएमआर ने परीक्षण के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, सीरो-सर्वेक्षण के माध्यम से फैलने वाली बीमारी की निगरानी करने और इस संक्रमण को समाप्त करने के लिए टीके विकसित करने के लिए नए नैदानिक ​​तरीके प्रदान करने जैसे बहु-आयामी समाधान प्रदान करने के लिए अथक प्रयास किया है। राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य मिशन (एनओएचएम): एनओएचएम के तहत, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वन हेल्थ (एनआईओएच) नागपुर में स्थापित किया गया है, जो बीएसएल-3 और बीएसएल-4 प्रयोगशालाओं के राष्ट्रीय नेटवर्क द्वारा समर्थित है। एनओएचएम गतिविधियों के लिए एसएफसी को मंजूरी दे दी गई है।

रोग निगरानी और निगरानी: आईसीएमआर ने देश भर में कुल 90 उप साइटों वाली 30 वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं (वीआरडीएल) में एसएआरएस-सीओवी-2 और इन्फ्लूएंजा के लिए एकीकृत निगरानी शुरू की है। ये साइटें देश के विभिन्न हिस्सों में इन्फ्लूएंजा उपभेदों (ए और बी दोनों) की नियमित रूप से निगरानी करती हैं और एसएआरएस-सीओवी-2 के साथ-साथ इन्फ्लूएंजा ए और बी और उनके उपप्रकारों के प्रचलित रुझानों को दर्शाती हैं। इस निरंतर निगरानी से इन्फ्लुएंजा के नए या विकसित हो रहे स्ट्रेन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी, जिसमें प्रकोप पैदा करने की सबसे बड़ी क्षमता है। मानवीय महत्व के जूनोटिक रोग के हॉटस्पॉट और उचित निवारक उपाय के साथ राष्ट्रीय जोखिम मानचित्र डिजाइन किया जा रहा है। क्यासानूर वन रोग (केएफडी) और क्रीमियन कांगो रक्तस्रावी बुखार (सीसीएचएफ) जैसे रक्तस्रावी बुखार के लिए निगरानी केएफडी (कर्नाटक, केरल, गोवा और महाराष्ट्र) के लिए पश्चिमी घाट के राज्यों और गुजरात राज्यों में 10 वीआरडीएल में स्थापित की गई है। सीसीएचएफ के लिए राजस्थान और उत्तर प्रदेश। कुल 132 वीआरडीएल को प्रशिक्षित किया गया है और डेंगू और चिकनगुनिया के लिए नकारात्मक नमूनों में जीका वायरस रोग का पता लगाने के लिए अभिकर्मक प्रदान किए गए हैं।

संचारी रोगों से मुकाबला: संचारी रोगों से मिशन मोड में निपटा जा रहा है। एमईआरए इंडिया (मलेरिया उन्मूलन अनुसंधान गठबंधन), भारत टीबी रिसर्च कंसोर्टियम (आईटीआरसी) जैसी पहल रोग उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई हितधारकों (राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय) को एक छतरी के नीचे ला रही है। डीएचआर-आईसीएमआर ने रोग उन्मूलन के लिए सफल कार्यान्वयन मॉडल का प्रदर्शन किया है। व्यापक केस प्रबंधन कार्यक्रम (सीसीएमपी) मॉडल ने प्रदर्शित किया कि मलेरिया निदान और उपचार तक सार्वभौमिक पहुंच, बढ़ी हुई निगरानी के साथ रोगियों की निगरानी से मलेरिया के मामलों की संख्या (85%) में नाटकीय रूप से कमी आ सकती है। सीसीएमपी सीखने का अनुभव और सीसीएमपी की कई सर्वोत्तम प्रथाओं को मौजूदा एनवीबीडीसीपी कार्यक्रम में शामिल किया गया है। वैशाली मॉडल ने काला अज़ार की घटनाओं को घटाकर प्रति 10,000 पर 1 मामला कर दिया है और राज्य सरकार के अनुरोध पर इसे बिहार के सारण/सीवान जिले में दोहराया जा रहा है।

डीएचआर-आईसीएमआर टीबी उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। टीबी के वास्तविक बोझ का आकलन करने के लिए, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण आयोजित किया गया था। यह 'एंड टीबी 2025' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लागत प्रभावी और पीएचसी अनुकूल निदान, एक सार्वभौमिक टीबी उपचार और एक टीका प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। आईसीएमआर ने टीबी से होने वाली मौतों को कम करने के उद्देश्य से भारत में पहला राज्यवार विभेदित टीबी देखभाल मॉडल लागू किया। आईसीएमआर द्वारा मान्य निम्नलिखित उद्योग प्रौद्योगिकियों को राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए अनुशंसित किया गया है, जिससे फार्मास्युटिकल क्षेत्र में मेक-इन-इंडिया को बढ़ावा मिलेगा। सामान्य और प्रमुख आबादी में टीबी संक्रमण का पता लगाने के लिए पैथोडिटेक्ट टीएम एमटीबी आरआईएफ और आईएनएच दवा प्रतिरोध किट पैथोडिटेक्ट टीएम एमटीबी और एनटीएम डिटेक्शन किट सी-टीबी क्वांटिफेरॉनआर-टीबी गोल्ड प्लस और 2.टी.यू ट्यूबरकुलिन पीपीडी आरटी23 एसएसआई के साथ एआई टीबी: आईसीएमआर ने 2128 अपलोड किए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से टीबी का निदान करने के लिए सॉफ्टवेयर को प्रशिक्षित करने के लिए टीबी और 1147 गैर-टीबी एनोटेटेड एक्स-रे। एआई टूल को प्रशिक्षित करने के लिए चरण-I में हमारी साइट से 1801 टीबी, 389 गैर-टीबी और 117 सामान्य मामले थे। एआई टूल को चरण II मोड में मान्य किया गया था, और 786 मामले अपलोड किए गए हैं।

सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन: सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करते हुए, आईसीएमआर ने इस क्षेत्र में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या, सिकल सेल एनीमिया की समस्या का समाधान करने के लिए महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हेमोलग्लोबिनोपैथी के अनुसंधान, प्रबंधन और नियंत्रण के लिए एनआईआईएच-सेंटर की स्थापना की है। केंद्र सिकल सेल रोग के लिए जनसंख्या की जांच करता है, और हीमोग्लोबिनोपैथी के प्रभावी नियंत्रण के लिए विभिन्न राज्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को परामर्श और प्रशिक्षण देता है।

गैर-संचारी रोग (एनसीडी): डीएचआर-आईसीएमआर भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल (आईएचसीआई), मिशन दिल्ली, भारत कैंसर रिसर्च कंसोर्टियम, स्ट्रोक नेटवर्क आदि जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ को सर्वोच्च प्राथमिकता स्तर पर संबोधित कर रहा है। एमओएचएफडब्ल्यू, डब्ल्यूएचओ और राज्य सरकारों के साथ आईसीएमआर की सहयोगात्मक पहल का उद्देश्य दिल के दौरे और स्ट्रोक से होने वाली मौतों को कम करना है। यह 34 लाख रोगियों को मुफ्त दवाएं और गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करके 23 राज्यों के 100 जिलों में प्राथमिक देखभाल सुविधाओं में उच्च रक्तचाप के उपचार को नियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आईएचसीआई कार्यक्रम में तकनीक संचालित नवाचारों ने भारत को मानव संसाधनों और क्लीनिकों पर न्यूनतम बोझ के साथ 2 मिलियन से अधिक रोगियों को डिजिटल रूप से ट्रैक करने की अनुमति दी। वास्तविक समय में ट्रैक किए गए 50% रोगियों ने बीपी नियंत्रण हासिल किया। इस पहल को 21 सितंबर 2022 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान 2022 संयुक्त राष्ट्र अंतर-एजेंसी टास्क फोर्स और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पुरस्कार पर डब्ल्यूएचओ के विशेष कार्यक्रम से सम्मानित किया गया था।

ड्रोन के उपयोग के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ड्रोन आधारित वैक्सीन डिलीवरी मॉडल ‘आई-ड्रोन लॉन्च किया। आई-ड्रोन को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद - आईसीएमआर) द्वारा विकसित किया गया है। आई-ड्रोन का मतलब आईसीएमआर का ड्रोन रिस्पांस और नॉर्थ ईस्ट में आउटरीच है। इस उपकरण का मुख्य उद्देश्य भारत के कठिन और दुर्गम इलाकों में वैक्सीन वितरण की सुविधा प्रदान करना और अंतिम मील तक स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में सुधार करना है।परीक्षण के लिए क्लिनिकल नमूने भी पीएचसी और उप केंद्रों से क्षेत्रीय अस्पताल तक पहुंचाए गए। ड्रोन वितरण प्रणाली ने राज्यों के भीतर ड्रोन-आधारित लॉजिस्टिक परिवहन के लिए एंड-टू-एंड पारिस्थितिकी तंत्र पर ध्यान केंद्रित किया और दक्षिण एशिया में भूमि से द्वीपों तक ड्रोन के माध्यम से टीके पहुंचाने का पहला सफल उदाहरण था। इस परियोजना के तहत सबसे लंबी ड्रोन उड़ान ने मोकोकचुंग से नागालैंड के तुएनसांग जिले (लगभग 40 किमी) तक 3525 यूनिट चिकित्सा आपूर्ति की। कुल 18,275 इकाइयाँ चिकित्सा आपूर्ति वितरित की गईं। हवाई दूरी के संदर्भ में ड्रोन ने लगभग 12 घंटों में कुल 735 किमी की दूरी तय की, जबकि, सभी स्थलों के लिए कुल सड़क दूरी लगभग 2000 किमी रही होगी, जिसमें 50 घंटे लग सकते थे और कई अन्य लॉजिस्टिक चुनौतियों की आवश्यकता थी। हिमाचल प्रदेश में, डिलीवरी 14,000 फीट और -10 डिग्री सेल्सियस पर की गई। ड्रोन ने डिलीवरी के लिए तैनात अन्य तरीकों की तुलना में बार-बार और सटीक रूप से चिकित्सा आपूर्ति को तेजी से पहुंचाया।

ड्रोन के लिए कम ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्र के लिए भारत में हालिया उदार विनियमन नीतियों का लाभ उठाते हुए, वर्तमान व्यवहार्यता अध्ययन ने भविष्य में कठोर वातावरण में जीवन रक्षक चिकित्सा आपूर्ति के वितरण के लिए मानव रहित ड्रोन का उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त किया है।

चिकित्सा उपकरण और निदान मिशन सचिवालय:भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ तालमेल में लागत प्रभावी चिकित्सा उपकरणों और निदान के अनुसंधान, विकास और स्वदेशी विनिर्माण को समर्थन और उत्प्रेरित करने के लिए अपने मुख्यालय में एक 'मेडिकल डिवाइस और डायग्नोस्टिक्स मिशन सचिवालय' (एमडीएमएस) की स्थापना की है। आईसीएमआर मेडिकल डॉक्टरों और संस्थानों द्वारा नवाचार और उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी नीतियों का मसौदा तैयार करने सहित चिकित्सा उपकरण और नैदानिक ​​क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों की पहुंच, स्वीकार्यता और उपलब्धता को सक्षम करने के लिए प्रौद्योगिकी अपनाने की सुविधा के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण का पालन कर रहा है। इसने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के अनुरूप प्रौद्योगिकियों का समर्थन करने के केंद्रित दृष्टिकोण के साथ, प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा संस्थानों के सहयोग से आईआईटी में विभिन्न उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) भी स्थापित किए हैं। आईसीएमआर सामाजिक प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी अपनाने की सुविधा के लिए ऐसी मितव्ययी स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के प्रीक्लिनिकल, क्लिनिकल मूल्यांकन और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन (एचटीए) की सुविधा भी प्रदान कर रहा है।

कई स्वदेशी प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं:

हीमोफिलिया ए और वॉन विलेब्रांड रोग (वीडब्ल्यूडी) का पता लगाने के लिए एक किट लॉन्च की गई: लागत प्रभावी, देखभाल का बिंदु।

ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी डायग्नोसिस के लिए एक रैपिड डिटेक्शन किट विकसित की गई है।

क्लिनिकल नमूनों से केएफडी वायरल आरएनए का पता लगाने के लिए मोल बायो डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड, गोवा के सहयोग से केएफडीवी प्वाइंट ऑफ केयर एसे विकसित किया गया था।

एसएआरएस-सीओवी-2 और इन्फ्लूएंजा वायरस का एक साथ पता लगाने के लिए वनट्यूब कॉम्बो आरटी-क्यूपीसीआर किट विकसित और मानकीकृत किया गया और वीआरडीएल नेटवर्क को वितरित किया गया।

अचानक मौतें: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भारत में युवा वयस्कों के बीच अचानक होने वाली मौतों पर एक बहुकेंद्रित केस-नियंत्रण अध्ययन किया, जो कि कोविड ​​​​-19 संक्रमण या टीकाकरण और ऐसी घटनाओं के बीच संभावित संबंध के बारे में चिंताओं से प्रेरित है। अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 तक चले अध्ययन में 47 तृतीयक देखभाल अस्पतालों को शामिल किया गया और पाया गया कि कोविड-19 टीकाकरण से स्वस्थ युवा वयस्कों में अचानक मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा। वास्तव में, टीकाकरण को 18-45 आयु वर्ग में अचानक होने वाली मौतों को कम करने वाले एक शमन कारक के रूप में पहचाना गया था। अध्ययन ने अन्य जोखिम कारकों की पहचान की, जिनमें अचानक मृत्यु का पारिवारिक इतिहास, कोविड ​​​​-19 के कारण पूर्व अस्पताल में भर्ती होना, अत्यधिक शराब पीना और असामयिक निधन से कुछ समय पहले तीव्र, असामान्य शारीरिक गतिविधि शामिल है। निष्कर्ष इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुए थे। चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एसीएसआईआर के साथ एमओए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और वैज्ञानिक और नवीन अनुसंधान अकादमी (एसीएसआईआर) ने एक परिवर्तनकारी समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सहयोग का उद्देश्य देश के बायोमेडिकल अनुसंधान प्रयासों को बढ़ावा देना, नवाचार को बढ़ावा देना और अनुसंधान पेशेवरों की क्षमता को बढ़ाना है।

चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एसीएसआईआर के साथ एमओए

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च (एसीएसआईआर) ने एक परिवर्तनकारी समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सहयोग का उद्देश्य देश के बायोमेडिकल अनुसंधान प्रयासों को बढ़ावा देना, नवाचार को बढ़ावा देना और अनुसंधान पेशेवरों की क्षमता को बढ़ाना है। आईसीएमआर मुख्यालय के अंतर्गत सभी मौजूदा संस्थान और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) को पीएच.डी. के लिए अवसर प्रदान करने वाले एसीएसआईआर के एसोसिएट अकादमिक केंद्रों के रूप में मान्यता दी जाएगी। यह बड़ी संख्या में पीएच.डी. को प्रशिक्षित करने का एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत करता है और स्नातकोत्तर छात्रों, विशेष रूप से एमडी या एमबीबीएस डिग्री वाले लोगों के लिए पीएचडी करने के अवसर पैदा करता है।

प्रधान मंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एभीएम):

पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में मजबूत परिणाम देकर भारत को सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी प्रकोपों के प्रबंधन के मामले मेंदुनिया के सबसे उन्नत देशों में से एक बनाना है। 64,180 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ, 2021-22 के बजट में घोषित पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन, सबसे बड़ी अखिल भारतीय स्वास्थ्य अवसंरचना योजना है जिसका उद्देश्य उभरते सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों पर ध्यान देने के लिए भारत की क्षमता को एक बहुत ही आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करना है। यह भारत के स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में एक आदर्श बदलाव लाएगा तथा इसे और अधिक मजबूत बनाएगा।स्वास्थ्य के लिए एक राष्ट्रीय मंच की स्थापना, राष्ट्रीय एड्स अनुसंधान संस्थान के सैटेलाइट सेंटरके रूप में रोग उन्मूलन विज्ञान एवं स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए एक प्रभाग की स्थापना, क्षेत्रीय एनआईवी की स्थापना, मौजूदा राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों को मजबूत करना,एनसीडीसी और मौजूदा प्रयोगशाला अवसंरचना, प्रयोगशालाओं के उन्नयन और आईसीएमआर एवंएनसीडीसी के तहत अतिरिक्त बीएसएल-3 प्रतिष्ठानों का निर्माण, इस तरह के घटक नए संक्रमणों का पता लगाने और निदान करने की दिशा में देश की क्षमता को और मजबूत करेंगे।

वित्त वर्ष 2025-26 तक हासिल की जाने वाली 'प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन' योजना के तहत मुख्य बिंदु हैं:

केंद्र प्रायोजित घटक: 10 हाई जेड अनुदान और एनएचएम में 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के लिए बुनियादी ढांचे का समर्थन।

सभी राज्यों में 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित करना।

11 उच्च फोकस वाले राज्यों में 3382 ब्लॉक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयाँ। XV वित्त आयोग स्वास्थ्य क्षेत्र अनुदान और एनएचएम के तहत अन्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सहायता।

सभी जिलों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं की स्थापना।

5 लाख से अधिक आबादी वाले सभी जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक की स्थापना।

सीएसएस घटकों के तहत अब तक की प्रगति: राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को रुपये की प्रशासनिक मंजूरी दी गई है। वित्त वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के लिए 7,808 उप-स्वास्थ्य केंद्रों- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों, 1,528 यू-एचडब्ल्यूसी, 890 बीपीएचयू, जिला स्तर पर 352 आईपीएचएल और 278 सीसीबी के निर्माण/सुदृढीकरण के लिए 14,138.98 करोड़।

केंद्रीय क्षेत्र के घटक: 150 बिस्तरों वाले क्रिटिकल केयर अस्पताल ब्लॉकों के साथ प्रशिक्षण और सलाह स्थलों के रूप में 12 केंद्रीय संस्थान।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), 5 नए क्षेत्रीय एनसीडीसी और 20 महानगरीय स्वास्थ्य निगरानी इकाइयों का सुदृढ़ीकरण

सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को जोड़ने के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल का विस्तार

17 नई सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों का संचालन और प्रवेश बिंदुओं पर 33 मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को मजबूत करना, यानी 32 हवाई अड्डों, 11 बंदरगाहों और 7 भूमि क्रॉसिंगों पर; 15 स्वास्थ्य आपातकालीन संचालन केंद्र और 2 कंटेनर आधारित मोबाइल अस्पतालों की स्थापना

वन हेल्थ के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान, वायरोलॉजी के लिए 4 नए राष्ट्रीय संस्थान, डब्ल्यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय अनुसंधान मंच और 9 जैव सुरक्षा स्तर III प्रयोगशालाओं की स्थापना।

अब तक की प्रगति: समर्थन के पहले वर्ष (2022-23) मेंलक्ष्य के अनुसार कुल 33 प्रयोगशालाओं को मजबूत किया जाएगा। 20 प्रयोगशालाओं के लिए फंड जारी करने की प्रक्रिया हो चुकी है। डिब्रूगढ़, जबलपुर, जम्मू, बेंगलुरु और नागपुर (वन हेल्थ) में नए एनआईवी और वन हेल्थ इंस्टीट्यूट के लिए भूमि आवंटन पूरा हो चुका है। सीपीडब्ल्यूडी को ठेके दिए गए।

टेंडर प्रक्रियाधीन हैं

4000 से अधिक प्रयोगशालाओं के साथ व्यापक निगरानी प्रणाली का निर्माण।

एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (आईएचआईपी) के माध्यम से विश्लेषण, पूर्वानुमान और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का डिजिटलीकरण।

इसे 33 से अधिक स्वास्थ्य स्थितियों के वास्तविक समय, केस-आधारित महामारी विज्ञान डेटा को कैप्चर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

आईसीयू और ऑक्सीजन के साथ 37,000 नए क्रिटिकल केयर बेड।

प्रवेश के 50 अंतर्राष्ट्रीय बिंदुओं पर स्वास्थ्य इकाइयाँ: 32 हवाई अड्डे, 11 बंदरगाह और 7 भूमि क्रॉसिंग।

23. राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र

1.मलेरिया

भारत ने 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।

भारत ने मलेरिया के बोझ को कम करने में पर्याप्त प्रगति की है।

देश ने 2015 और 2022 के बीच मलेरिया रुग्णता में 85% और मलेरिया मृत्यु दर में 78.38% की कमी हासिल की है।

2022 मेंदेश भर में 1,01,068 प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम मामलों और 83 मौतों के साथ कुल 1,76,522 मलेरिया के मामले दर्ज किए गए।

2023 में (नवंबर, 2023 तक - अनंतिम) देश भर में 1,14,746 प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम मामलों के साथ मलेरिया के कुल 1,77,333 मामले और 32 मौतें दर्ज की गईं।

2022 मेंराष्ट्रीय वार्षिक परजीवी घटना (एपीआई) (प्रति 1000 जनसंख्या पर मलेरिया के मामलों की संख्या) 0.13 प्रति 1000 जनसंख्या थी और 2 राज्यों त्रिपुरा (3.25) और मिजोरम (8.90) को छोड़कर कुल 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने एपीआई <1 हासिल किया है।

2022 मेंदेश के कुल 128 जिलों में 'शून्य मलेरिया मामले' दर्ज किए गए हैं।

2022 में758 जिलों में से केवल 27 जिले (छत्तीसगढ़ (3), ए एंड एन द्वीप (1), झारखंड (2), महाराष्ट्र (1), मेघालय (1), मिजोरम (4), ओडिशा (5), त्रिपुरा (5) ) और पश्चिम बंगाल (1) में जिला एपीआई >प्रति 1000 जनसंख्या पर 1 है।

मलेरिया निगरानी की वास्तविक समय निगरानी के लिए एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (आईएचआईपी) का कार्यान्वयन।

भारत सरकार ने मलेरिया मॉड्यूल के लिए सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पूरी तरह से आईएचआईपी में शामिल कर लिया है। 2022 में, छत्तीसगढ़ को कुल 11,45,408 एलएलआईएन की आपूर्ति की गई और 2023 में, त्रिपुरा को कुल 1,14,541 एलएलआईएन वितरित किए गए।

वित्त वर्ष 2023-24 में, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा के लिए 112 लाख एलएलआईएन और 46 लाख एलएलआईएन वितरण के अधीन हैं।

7 पूर्वोत्तर राज्यों के लिए जीएफएटीएम के तहत वितरण पाइपलाइन में है और 24 राज्यों के डीबीएस के तहत 1.63 करोड़ एलएलआईएन खरीदे जाने हैं।

एनसीवीबीडीसी ने नए में आयोजित मलेरिया उन्मूलन 2023 पर एशिया प्रशांत नेताओं के सम्मेलन के दौरान मलेरिया उन्मूलन की दिशा में यात्रा, मलेरिया कार्यक्रम की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया।

 

1.2 काला-ज़ार 2023 के दौरान नवंबर के अंत तक 562 काला-ज़ार मामले सामने आए हैं, जबकि 2022 की इसी अवधि के दौरान रिपोर्ट किए गए 851 मामलों की तुलना में 34% की कमी दर्ज की गई है। 633 स्थानिक ब्लॉकों में से केवल एक ब्लॉक में 2022 के दौरान ब्लॉक स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर 1 मामला दर्ज किया गया था और 2023 नवंबर तक, किसी भी स्थानिक ब्लॉक ने ब्लॉक स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर 1 मामले से अधिक की सूचना नहीं दी थी। 25 दिसंबर 2022 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा कालाजार उन्मूलन पर मन की बात और उच्च स्थानिक गांवों में रात्रि चौपाल पहल के दौरान मन की बात वीडियो का प्रसार। माननीय एचएफएम ने 4 जनवरी 023 को 4 काला-अजार स्थानिक राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ काला-अजार की समीक्षा की। एनसीवीबीडीसी ने 18 और 18 जनवरी को जी20 प्रथम स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक, तिरुवनंतपुरम, केरल में प्रदर्शनी के दौरान भारत में विसेरल लीशमैनियासिस उन्मूलन की प्रगति का प्रदर्शन किया।

24. राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवाएँ (एनएएस): आज की तारीख में, 34 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में यह सुविधा है जहां लोग एम्बुलेंस को कॉल करने के लिए 108 या 102 टेलीफोन नंबर डायल कर सकते हैं। डायल 108 मुख्य रूप से एक आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली है, जिसे मुख्य रूप से गंभीर देखभाल, आघात और दुर्घटना पीड़ितों आदि के रोगियों की देखभाल के लिए डिज़ाइन किया गया है। डायल 102 सेवाओं में अनिवार्य रूप से बुनियादी रोगी परिवहन शामिल है जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और बच्चों की जरूरतों को पूरा करना है, हालांकि अन्य श्रेणियां भी ले रही हैं लाभ और बहिष्कृत नहीं हैं। घर से सुविधा केंद्र तक मुफ्त परिवहन, रेफरल के मामले में अंतर सुविधा स्थानांतरण और मां और बच्चों के लिए वापस छोड़ना 102 सेवा का मुख्य फोकस है। इस सेवा का उपयोग एक समर्पित कॉल सेंटर पर टोल-फ्री कॉल के माध्यम से किया जा सकता है। 3 जून को 2023, 2957, 14,613 बीएलएस, 4259 पीटीवी, 17 नाव और 81 बाइक, आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवा वाहन एनएचएम के तहत समर्थित हैं, इसके अलावा रोगियों, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और बीमार शिशुओं को घर से सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक और वापस लाने के लिए 6936 सूचीबद्ध वाहन हैं।

25.नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट्स (एनएमएमयूएस): एनएचएम के तहत मोबाइल मेडिकल यूनिट्स (एमएमयू) को समर्थन, जिसमें अब एनआरएचआईवीआई और एनयूएचएम दोनों शामिल हैं।सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति है।30 जून, 2023 तक, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 1,525 मोबाइल चिकित्सा इकाइयाँ हैं जिनमें एनआरएचएम और एनयूएचएम के तहत मोबाइल चिकित्सा इकाइयाँ, मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयाँ, मोबाइल चिकित्सा/स्वास्थ्य वैन, नाव क्लीनिक, नेत्र वैन/मोबाइल नेत्र इकाइयाँ, दंत चिकित्सा वैन शामिल हैं। 26.24 X 7 सेवाएँ और प्रथम रेफरल सुविधाएँ मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए सेवा प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए, पीएचसी पर 24x7 सेवाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। 30 जून 2023 तक, 12369 पीएचसी को 24x7 पीएचसी बना दिया गया है और 3095 सुविधाएं (698 डीएच, 857 एसडीएच और 1377 सीएचसी और 163 अन्य स्तर सहित) को फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) के रूप में चालू किया गया है। इसके अलावा, एनएचएम सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में सम्मान और देखभाल के साथ सुनिश्चित और उच्च गुणवत्ता वाली मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान की परिकल्पना करता है। भारत सरकार ने सभी गर्भवती महिलाओं के लिए संस्थागत प्रसव के लिए सुनिश्चित प्रवेश की सुविधा के लिए एमसीएच विंग की शुरुआत की। ये विंग उच्च जोखिम वाले गर्भधारण और सी-सेक्शन की आवश्यकता वाले गर्भधारण के प्रबंधन के लिए सम्मानजनक मातृत्व देखभाल सुनिश्चित करने वाले प्रसूति एचडीयू, एलसीयू, मातृत्व ओटी, लेबर रूम आदि से सुसज्जित हैं। इन केंद्रों में उच्च गुणवत्ता और कुशल मातृत्व देखभाल प्रदान करने के लिए नर्सों और डॉक्टरों के प्रशिक्षण के लिए कौशल प्रयोगशालाएं भी हैं।

***

एमजी/एआर/एसडी



(Release ID: 1996650) Visitor Counter : 336


Read this release in: Tamil , English