वित्त मंत्रालय
पीएफआरडीए ने अब राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के ग्राहकों को डी-रेमिट के लिए अपना योगदान यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) क्यूआर कोड के जरिये जमा करने की अनुमति दी
Posted On:
20 DEC 2023 8:31PM by PIB Delhi
पेंशन निधि विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने डी-रेमिट प्रक्रिया को सुगम बनाते हुए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) ग्राहकों को यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) क्यूआर कोड के जरिये अपना योगदान जमा करने की अनुमति दी है। इसका उद्देश्य योगदान प्रक्रिया को सरल बनाना है ताकि इसे एनपीएस ग्राहकों के लिए अधिक सुलभ और कुशल बनाया जा सके।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) लंबे समय से उन लोगों के लिए बचत का एक विश्वसनीय साधन रही है जो अपने वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करना चाहते हैं। एनपीएस के तहत ग्राहक अपने एनपीएस टियर-1 और टियर-2 खातों में स्वैच्छिक योगदान करते हैं। योगदान को सीधे तौर पर खाते में जमा करने की प्रक्रिया को डी-रेमिट या डायरेक्ट रेमिटेंस के रूप में जाना जाता है। अब वह प्रक्रिया उपयोगकर्ता के काफी अनुकूल बन गई है।
डी-रेमिट के लिए यूपीआई क्यूआर कोड की शुरूआत एनपीएस में योगदान को कहीं अधिक सुलभ, कुशल और लचीला बनाने की दिशा में एक सकारात्मक और क्रांतिकारी कदम है। पीएफआरडीए की यह पहल एनपीएस ग्राहकों को अपनी सेवानिवृत्ति बचत पर नियंत्रण रखने और सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लालिंग के फायदों से लाभान्वित होने का अवसर उपलब्ध कराती है।
यूपीआई क्यूआर कोड के साथ डी-रेमिट वर्चुअल खाता
इस नए ढांचे के तहत ग्राहक अपने योगदान को स्थानांतरित करने के लिए यूपीआई क्यूआर कोड का उपयोग करे सकेंगे। गौरतलब है कि डी-रेमिट वर्चुअल खाता स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) से अलग है। इसके अलावा, टियर-1 और टियर-2 एनपीएस खातों के लिए वर्चुअल खाता संख्या अलग-अलग होती है और क्यूआर कोड भी अलग-अलग होते हैं।
डी-रेमिट क्यूआर कोड के मुख्य लाभ
एनपीएस ग्राहकों के लिए डी-रेमिट प्रक्रिया के कई फायदे हैं:
- उसी दिन निवेश: ट्रस्टी बैंक (टीबी) द्वारा सुबह 9:30 बजे से पहले प्राप्त योगदान को उसी दिन निवेश किया जाएगा और रिटर्न को अनुकूलित किया जाएगा।
- आवधिक ऑटो-डेबिट: ग्राहक मासिक, त्रैमासिक अथवा छमाही आधार पर भुगतान के लिए आवधिक ऑटो-डेबिट सेट कर सकते हैं। इससे सेवानिवृत्ति कोष तैयार करने की प्रकिया सुविधाजनक होती है।
- एकमुश्त या नियमित योगदान: व्यक्तिगत प्राथमिकताओं एवं वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर एकमुश्त या नियमित योगदान के बीच पसंदीदा विकल्प चुनने की अनुमति।
- अनुकूलित निवेश: डी-रेमिट प्रक्रिया दीर्घकालिक सेवानिवृत्ति धन सृजन के लिए स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन और रुपये की औसत लागत का लाभ उठाती है।
डी-रेमिट के जरिये एनपीएस में एसआईपी सेट करें:
पीआरएएन के साथ एनपीएस खाताधारकों के लिए डी-रेमिट प्रक्रिया सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) शुरू करने का अवसर प्रदान करती है। इसे ऑनलाइन (डी-रेमिट) किया जा सकता है, जिससे ग्राहकों को अपने एनपीएस खातों में एसआईपी भुगतान के लिए स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन सेट करने की सुविधा मिलती है।
एनपीएस में एसआईपी ग्राहकों को नियमित योगदान करने की सुविधा प्रदान करता है। इससे उन्हें बाजार के लिए समय निकालने की आवश्यकता के बिना सेवानिवृत्ति बचत के लिए एक अनुशासित एवं सुविधाजनक दृष्टिकोण बनाने में मदद मिलती है। म्युचुअल फंड की ही तरह एसआईपी भी एनपीएस ग्राहकों को रुपये की औसत लागत से लाभ उठाने में समर्थ बनाती है। मौजूदा निवेश को समायोजित करना एक आसान प्रक्रिया बन जाती है, जिससे अधिक रिटर्न मिलने की संभावना होती है।
डी-रेमिट क्यूआर कोड का उपयोग कैसे करें:
डी-रेमिट का उपयोग करने के लिए ग्राहकों के पास ट्रस्टी बैंक का एक वर्चुअल डी-रेमिट आईडी होना आवश्यक है। इस वर्चुअल खाते का उपयोग केवल एनपीएस योगदान भेजने के लिए किया जा सकता है। नेट बैंकिंग के जरिये एसआईपी सेट करने के लिए ग्राहक के नेट बैंकिंग खाते में लाभार्थी के रूप में वर्चुअल खाते को जोड़ना और एसआईपी की रकम के लिए एक स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन सेट करना आवश्यक है। रकम हासिल करने का कट-ऑफ समय सुबह 9:30 बजे रखने से ग्राहकों को उनके एनपीएस खातों में उसी दिन शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) प्राप्त होता है। उसके बाद अथवा गैर-कार्य दिवसों पर प्राप्त योगदान अगले कार्य दिवस के एनएवी में शामिल होगा।
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